लेखा विभाग एक परिचय
भारतीय रेलवे विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है और वर्तमान में भारतीय रेलवे में लगभग 14.42 लाख कर्मचारी कार्य करते है। प्रतिदिन भारतीय रेले पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी का 3.5 गुणा दूरी तय करती है वर्तमान में यह विश्व की दूसरी एवं एशिया में प्रथम स्थान पर है, इस प्रकार यह देश का सबसे बड़ा संगठन है ।
रेलवे संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति एवं संगठन को सुचारू रूप से चलाने क लिए विभिन्न विभागों की स्थापना की गई है। इनमे से लेखा विभाग एक जो की महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। लेखा विभाग की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी एक सेठ के यहाँ मुनीम की होती है। सभी महत्वाकांक्षी योजनाए लाभकारी नही होती, कौनसी योजना स्वीकार करने योग्य है किसे अभी टाल दिया जाना चाहिये इत्यादि निर्णय, बकाया की उगाही, भुगतान, व्ययों पर नियंत्रण एवं वित्त का प्रभावी संयोजन किसी प्रतिष्ठान की सफलता के लिए आवश्यक है और ये सभी लेखा विभाग द्वारा निष्पादित किये जाते है। इस प्रकार लेखा कार्य अप्रत्यक्ष किन्तु महत्वपूर्ण है।
लेखा विभाग का कार्य लेखा परीक्षा (ऑडिट) से भिन्न है। 1924 से पूर्व लेखा परीक्षा एवं लेखा संबंधी कार्य एक ही विभाग द्वारा किये जाते है 1924 की एक्वर्थ समिति की सिफारिश के अनुशार सरकारी विभागों में अधिक पारदर्शिता और नियंत्रण लाने के उद्देश्य से लेखा और लेखा परीक्षा की अलग कर दिया गया। लेखा विभाग की कार्यकारी ( Executive ) के साथ समूहित कर दिया गया। इस प्रकार यह आंतरिक जाँच की मुख्य एजेंसी बना एवं लेखा परीक्षा विभाग को सरकार के प्रभावी एजेंट का कार्य दिया गया और इसे संवैधानिक अंकेक्षक के तहत सुपर चेक कार्य दिया गया ।
रेलवे में लेखा एवं वित्त संगठन रेलवे बोर्ड में वित्त आयुक्त के नियंत्रण में कार्य करता है। उनके अधीन वित्त सलाहकार, निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक एवं सहायता निदेशक (वित्त) कार्य करते है। क्षेत्रीय स्तर पर लेखा विभाग वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी के अधीन कार्य करता है। मंडल एवं यूनिट स्तर अलग - अलग स्तर के लेखा अधिकारी होते है।
किसी वाणिज्य उपक्रम का आधारभूत उद्देश्य लाभ कमाना होता है, किन्तु सरकारी उपक्रम केवल लाभ कमाने के लिए नही बल्कि अपने नागरिको के लिए जनोपयोगी एवं समाज कल्याण का उद्देश्य भी रखता है। चूकि रेलवे सरकारी एवं वाणिज्यिक संस्थान दोनों है, अत: इसे इन दोनों उद्देश्यों में तारतम्य रखनाहोता है। लेखा विभाग व्दारा वित्त संबंधी निर्णय भी इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिये जाते है। रेलों में सरकार के माध्यम से जनता की पूँजी लगी है, अत: उसका दुरूपयोग न हो एवं प्रभावी नियंत्रण रहे। इसलिए लेखा विभाग को अपनी जाँच का दायरा विस्तृत, विश्लेषणात्मक और उद्देश्यपूर्ण रखना होता है। इसके लिए लेखा विभाग कार्यकारी विभागों से प्राप्त सभी प्रस्तावों की बारीकियो से जाँच करता है यह जाँच मुख्य बिन्दुओ के साथ गौण बिन्दुओ के सन्दर्भ में की जाती है ताकि रेलवे हित और देश हित दोनों में सामंजस्य स्थापित रह सके । कम से कम लागत अधिक से अधिक कार्य कुशलता राखी जाये, ये प्रयास किया जाता है। आंतरिक जाँच, आंतरिक लेखा परीक्षा, निरिक्षण बजट संकलन व समीक्षा, लागत परिक्षण, आंकड़ो का संकलन, वित्तीय औचित्य, वित्तीय न्यायाधिकरण इत्यादि उपकरणों की सहायता से वह अपने उद्देश्य प्राप्त करता है ।
लेखा विभाग के कार्य
लेखा के कार्य मुख्य रूप से निम्न है -
- रेलवे की आय और व्यय को प्रभावित करने वाले सभी लेनदेनो की आंतरिक जाँच करना, अनियमितता प्रकाश में लाना एवं उसे दूर कराना।
- रेलवे के खिलाफ सभी उचित दावों का शीघ्र निपटारा करना ।
- निर्धारित नियमो के तहत रेलवे की आय व व्यय का लेखा रखना ।
- सभी वित्तीय मामलो में प्रशासनिक और कार्यकारी अधिकारियो को आवश्यकता पड़ने पर उचित सलाह देना ।
- बजट का संकलन एवं वित्तीय समीक्षायेँ करना।
- रेलवे बोर्ड, महाप्रबंधक एवं अन्य अधिकारियो की मजूरियो को वित्तीय दृष्टि से देखना एवं यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक मंजूरी समय - समय पर निर्धारित आदेशो एवं नियमो के अनुसार है ।
लेखा विभाग के क्षेत्र
लेखा विभाग का दायरा बहुत विस्तृत है । यह हर उस सीमा तक है जहां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्त है और चुकि रेल परिवहन के व्यवसाय में ऐसी कोई गतिविधि या सेवा नही है जिसमे किसी न किसी रूप में वित्त शामिल न हो। अत: इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है जो निम्न में फैला हुआ है -
1. नियुक्ति से निवृति तक (स्थापना मामले ) : नये पदों की स्थापना, वर्तमान पदों का समय बढ़ाना, पद अपग्रेड करना, वेतमान संशोधन वेतन निर्धारण, पदोन्नति , पुन: नियुक्ति, अग्रिम, पास/ पीटीओ, टाइम ऑफिस, वेतन भुगतान, उपस्थिति, मुआवजा, किराया निर्धारण, सेवा निवृति लाभ निर्धारण, पेंशन निर्धारण एवं भुगतान ।
2. स्थानीय निरिक्षण : कार्यकारी कार्यालयों जैसे मंडल निर्माण निरिक्षण रेलपथ निरिक्षण इत्यादि के मूल रिकोर्ड का मौके पर निरिक्षण, स्टेशनो का निरिक्षण भंडार का निरिक्षण एवं सत्यापन करना।
3. बजट मामले : खर्च का आंकलन, अनुमान, संकलन, आवंटन, राजकोषीय नियंत्रण, व्यय पर नियंत्रण, वित्तीय समीक्षाए, नगदी का आंकलन एवं व्यवस्था अंतिम वार्षिक लेखे (विनियोग लेखे ) ।
4 . व्यय संबंधी मामले : निर्माण, इंजीनियरिंग, भंडार, कारखाना संबंधी सभी मामले, प्रस्ताव, प्राक्कलन, निविदा, संविदा, मांगपत्र उत्पादन परिक्षण, वित्तीय औचित्य ,वित्तीय मूल्यांकन, बिलों की जाँच, बिलों का भुगतान, अग्रदाय, प्रतिभूति, निपेक्ष जमा, उपरी लागत, कार्य की लागत, सामग्री लागत, उत्पादन लागत, अनुपयोगी का निपटन, भंडार रखरखाव, कार्यस्थली सामग्री, उचंत, व्यय, के रजिस्टरों का रखरखाव व मिलान, पोस्ट चेकिंग, अनुषांगिक प्रभाव, आकस्मिक खर्च ।
5 . आय संबंधी मामले : टिकट मांगपत्र, वेट, स्टेशन विवरिणीया, तुलन पत्र ,आय की जाँच, आंकड़ो का संकलन, वसूलियो पर निगरानी, आय का प्रभाजन व आय का लेखा एवं संकलन ।
6. रोकड़ एवं भुगतान : प्राप्तियो व रोकड़ की संभाल, खजानों को प्रेषण, सभी प्रकार के दावे का भुगतान एवं रोकड़ की आकस्मिक जाँच ।
7. विविध : बिलों की वसूली विभागीय प्राप्तिया ईधन लेखे खान पान लेखे लेखा आपत्तियों का निपटन एवं अंतरण लेनदेन ।
लेखा विभाग का संगठन