संसद का रेलवे वित्त एवं व्यय पर नियंत्रण ( Parliament's control over railway finances and expenditure)

संसद का रेलवे वित्त एवं व्यय पर नियंत्रण 

भारतीय रेलवे सरकारी स्वामित्व वाला प्रतिष्ठान है रेलवे बजट मुख्य बजट से अलग होने के बावजूद ही यह संवैधानिक तौर पर केन्द्रीय सरकार के बजट का एक भाग है सरकार में सर्वोच्च प्राधिकार संसद होने के कारण रेलवे वित्त पर संसद व्दारा नियंत्रण आवश्यक है बिना संसद की सहमति के कोई व्यय नही किया जा सकता व्यय के उपरांत भी संसद को सारा लेखा जोखा देना होता है संसद व्दारा रेलवे वित्त नियंत्रक निम्न साधनों व्दारा रखा जाता है -

1. संसद व्दारा बजट स्वीकृति - रेलवे व्दारा विभिन्न मदों में तैयार बजट संसद के दोनो सदनों लोक सभा और राज्य सभा में पढ़कर सुनाया जाता है और उसकी प्रतियाँ सांसदों को दी जाती है अन्य प्रमुख दस्तावेज संसद की पटल पर रखे जाते है बजट पर बहस एवं वाद - विवाद किया जाता है, अनावश्यक मांगो को हटाकर तथा आवश्यक मांगो का जोड़ा जाता है जहा जरूरी हो कटौती प्रस्ताव लाये जाते है एवं बजट पास करने हेतू सांसदों का मत लिया जाता है आधिक्य, पूरक मांगो आदि पर भी संसद के मत पर स्वीकृति ली जाती है

2. विनियोग लेखे व्दारा - संसद व्दारा अलग - अलग मदों में स्वीकृत बजट के अनुसार ही और उतनी ही सीमाओं तक ही व्यय रेलवे को करना होता है व्यय की उक्त मानदण्डो को ध्यान में रखा गया है अथवा नही यह जानने के लिए बजट अवधि की समाप्ति पर अंतिम लेखे, जिन्हें विनियोग लेखे कहते है  नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की टिप्पणी एवं लोक लेखा समिति की सिफारिशो के साथ संसद में प्रस्तुत किये जाते है उस टिप्पणियों और सिफ़ारिशो के आधार पर संसद महत्वपूर्ण निर्णय लेती है

3. प्रश्नों और पत्रों व्दारा - रेल नीतियों और अन्य मामलों में कोई भी सांसद रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर सूचना प्राप्त क्र सकता है, प्रश्न पूछ सकता है एवं मामला संसद में उठा सकता है संसदीय नियंत्रण का यह एक प्रभावकारी तरीका  है

4. संसदीय समिति व्दारा - प्रभावी नियंत्रण के लिए संवैधानिक व्यवस्था के तहत अलग - अलग मामलो के लिए अलग - अलग समितिया गठित की जाती है जिनमे से कुछ प्रमुख निम्न है -

 A. रेलवे अभिसमय समिति - सांसदो की अभिसमय समिति व्दारा रेलवे संचालन के मामलो की आवधिक (प्राय: पांच वर्ष में ) परीक्षा की जाती है जो विभिन्न निधियो के निर्माण उनमे विनियोग एवं सामान्य राजस्व लाभांश की दर निर्धारित करने की सिफ़ारिशे करती है

  B. प्राक्कलन समिति के व्दारा - 30 सदसीय यह समिति रेलों के उस सभी मामलो में निर्णय के लिए पांच मंत्रियो की एक वित्त समिति भी होती है

  C. लोक लेखा समिति व्दारा - विनियोग लेखो की परीक्षा संवीक्षा के लिए 22 सदस्यों की एक अलग समिति गठित की जाती है यह खर्च की गई रकमों की संसद व्दारा मंजूरी के परिपेक्ष्य में समीक्षा करती है नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर अपनी सिफारिश भी देती है इसका कार्यकाल एक वर्ष का होता है

 D. राष्ट्रीय रेलवे उपयोगकर्ताओ परामर्शदात्री परिषद् - यह परिषद् रेलवे उपयोगकर्ताओ और रेलवे के बीच संबंध  स्थापित करने के लिए सन 1953 से प्रारंभ की गई इसमें 70 सदस्यों की नियुक्ति रेल मंत्री व्दारा विभिन्न संस्थाओ से की जाती है इस परिषद् का वर्ष में एक बार मीटिंग होना आवश्यक है

E. बजट समिति - संसद में बजट किस स्वरूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए उनके मार्गदर्शन हेतु अलग से संसदों की एक बजट समिति संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह हमारे यहाँ भी बनाई गई है यह विभिन्न विभागों के बजट प्रस्तावों की परीक्षा करती है

F. अधीनस्थ कर्मचारी विधान समिति व्दारा - यह इस बात की परीक्षा करती है कि संविधान व्दारा या संसद व्दारा प्रत्यायोजित शक्तियो के प्रयोग के लिए उपयुक्त नियम, विनिमय या उपनियम बनाये गये है और सरकारी आश्वासनों का पालन किया गया है


व्यय पर नियंत्रण

रेलों के लिए व्यय पर नियंत्रण विशेष महत्व रखता है रेलवे में लगा सरकारी धन व्यर्थ कार्यो पर और अनावश्यक खर्च न हो यह सुनिश्चित करना कार्यपालिका का कर्तव्य है व्यय उसी कार्य पर और उतन ही किया जाये जीतन संसद व्दारा अनुमत किया गे है रेलवे में व्यय के नियंत्रण के लिए विभिन्न स्तर एवं तकनीके काम ली जाती है जैसे-
अदत्त मत (चार्ज ) दत्त मत (वोटेड) में बाँट कर, खर्च की सीमा निर्धारित क्र इत्यादि संसद का रेलवे वित्त पर नियंत्रण का विश्लेषण पूर्व में किया जा चुका है अन्य प्रकार से व्ययों पर नियंत्रण निम्न अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है -

1. व्यय की प्रकृति के अनुसार नियंत्रण - रेलवे में किया जाने वाला व्यय मुख्य रूप से दो प्रकार का हो सकता है - 

      अ. राजस्व व्यय
      ब. पूंजीगत व्यय

अ . राजस्व व्यय पर नियंत्रण - कार्य संचालन एवं संपत्तियों की रखरखाव और मरम्मत के व्यय राजस्व व्यय कहलाते है राजस्व व्यय पर नियंत्रण के लिए प्रत्येक रेलवे के महाप्रबंधक व्दारा अपने विभागाध्यक्षो से प्रत्येक राजस्व मांग के लिए तहत विस्तृत अनुमान प्राप्त क्र रेलवे बोर्ड भेजे जाते है ये मांग संख्या 3 से 13 के सन्दर्भ में तैयार्र किये जाते है और यही संसद में बजट का आधार बनते है संसद से मंजूरी के बाद रेलवे बोर्ड से आवंटित राशि ही प्रत्येक रेलवे के विभिन्न विभागों में खर्च का आधार होती है खर्च किसी भी दशा में मांग से अधिक नही होना चाहिये केवल अतिविशिष्ट कार्यो की दशा में विशेष मंजूरी की व्यवस्था है मंजूर नजत को 12 माह में आनुपातिक आधार पर आवंटित कर इसकी वास्तविक व्यय से सार्थक तुलना व्दारा राजस्व व्ययों पर प्रभावी नियंत्रण किया जाता है आनुपातिक बजट आवंटन राशि वास्तविक व्यय का आधार एवं सीमा निर्धारित करती है

ब. पूँजीगत व्यय पर नियंत्रण : नई संपत्तियों की खरीद और बनाने के खर्च पूंजीगत व्यय में आते है पूंजीगत व्यय से आवृत्ति खर्चो में कमी अथवा आय में वृद्धि होती है पूंजीगत व्यय का बजट रेलवे बोर्ड की पूर्व अनुमति से मांग संख्या 16 के अंतर्गत तैयार किया जाता है ये व्यय निर्माण कार्यो, रालिंग स्टॉक कार्यक्रम, मशीन एवं प्लांट कार्यक्रम तथा भंडार उचंत के तहत किये जाते है चूकि थ नियमित प्रकार का व्यय नही है अत: पिछले वर्ष के व्यय को आधार मानकर नियंत्रण नही किया जा सकता इस पर विस्तृत प्रक्कालनो के व्दारा प्रशासनिक एवं तकनीकी मंजूरी निष्पादित मात्रा के अनुशार खर्च के अनुमान निर्मुक्त सामग्री तथा अन्य अप्रत्याशित जमा समायोजन आदि को ध्यान में रखते हुए प्रभावी नियंत्रण किया जाता है व्यय की गति पर निगरानी तथा जहा आवश्यक हो पुर्नविनियोग कराया जाता है

A. रजिस्टरों व्दारा व्यय पर नियंत्रण - विभिन्न व्ययों के बजट आवंटन और वास्तविक व्ययों का लेखा करने के लिए रजिस्टर रखे जाते है एवं उनके व्दारा व्यय पर निगरानी रख नियंत्रण किया जाता है राजस्व एवं पूँजी व्ययों के लिए रजिस्टर अलग - अलग रखे जाते है

B. राजस्व आवंटन का रजिस्टर - राजस्व आवंटन रजिस्टरों के व्दारा प्रत्येक आवंटन के तहत खर्च की गति पर निगरानी राखी जाती है इसमें प्रत्येक मांग का खर्च प्राथमिक इकाई तक दिखाया जाता है ये  लेखा कार्यालय में प्रतिपादित किये जाते है तथा मंडल प्रधान या विभागाध्यक्ष को प्रस्तुत किये जाते है खर्च प्रत्येक राजस्व सार 3 से 13 तक के लिए अलग - अलग रजिस्टर रखे जाते है जिनमे सामान्य प्रशासन, मरम्मत व अनुरक्षण तथा परिचालन व्ययों के आधीन खर्च का हिसाब ब्यौरेवार शीर्षों तथा प्राथमिक इकइयोमें विश्लेषण दिखाते हुए माह के लिए व माह के अंत तक का व्यय दिखाया जाता है राजस्व व्यय चूकि अगले वर्ष आगे नही ले जाना होता है, अत : इन रजिस्टरों का समापन हर वर्ष किया जाता है

C. पूंजीगत व्यय के लिए रजिस्टर - सभी पूंजीगत व्यय अर्थात निर्माण कार्य चल स्टॉक व मशीन एवं प्लांट व्यय पर नियंत्रण के लिए भी अलग - अलग रजिस्टर रखे जाते है जिसमे स्वीकृत प्राक्कलन की कुल राशि प्रत्येक वर्ष उपलब्ध बजट और वास्तविक व्यय की राशि दर्ज की जाती है लेखा उपशीर्ष एवं उप अनुमानों व्दारा किया जाता है इसका उद्देश्य कुल मंजूर अनुमानों के अनुसार खर्च राशि पर नियंत्रण रखना तथा वर्ष विशेष में प्राप्त आवंटन के अनुसार वास्तविक व्यय पर नियंत्रण रखना रखना होता है इन रजिस्टरों को प्रति माह कार्यकारी अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है पूँजी विकास निधि मूल्य ह्रास आरक्षण निधि, चालू लाइन निर्माण राजस्व, जमा निर्माण कार्य, विनिर्माण कार्य इत्यादि के लिए अलग - अलग रजिस्टर रखे जाते है

D. उचंत रजिस्टर - विभिन्न शीर्षों में वसूली एवं भुगतान के लिए अलग - अलग उचंत रजिस्टर रखे जाते है जिनमे विविध निक्षेप कार्य इत्यादि के लिए भी रजिस्टर व्दारा व्यय पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया जाता है

2. व्यय सीमा एवं आंतरिक लक्ष्य व्दारा व्यय पर नियंत्रण - रेलवे बोर्ड रेलों को कार्य संचालन से संबंधित अनुदानों के बजट आवंटन करते समय रेलों के लिए प्रत्येक मद में व्यय की सीमा निर्धारित कर देता है इसके लिए पूर्व निर्धारित बजट का लगभग 5 प्रतिशत राशि बोर्ड व्दारा अपने पास रोक ली जाती है जिसे विशेष प्रयोजन  एवं आकस्मिक खर्चो की स्थिति में काम में लिया जाता है शेष राशि रेलों की व्यय सीमा कहलाती है इसका उद्देश्य संचालन व्यय नियंत्रित करना होता है प्राय : महाप्रबंधक भी उन्हें आवंटित राशि का 2 प्रतिशत रोककर शेष राशि अपने आधीन विभागाध्यक्षो को आवंटित करते है जो उनकी व्यय सीना कहलाती है इसी के अनुसार मासिक अनुपात बनाये जाते है एवं व्यय पर नियंत्रण रखा जाता है

3. राजकोष नियंत्रण व्दारा व्यय पर नियंत्रण -  राजकोषीय नियंत्रण अर्थात नगदी नियंत्रण व्यय नियंत्रण का महत्वपूर्ण साधन है क्योकि बजट का लगभग 70 प्रतिशत भाग नगद तथा 30 प्रतिशत समायोजन होता है अत: यदि नगदी निर्गमन को नियंत्रित कर लिया जाये तो स्वत: ही व्यय नियंत्रित हो जायेगा कर्मचरियों को वेतन, भण्डार क्रय ठेकेदारों को भुगतान इत्यादि  जिन्हें चेक व्दारा भुगतान किया जाता है इसमें आते है इसके लीर बजट राशि के आधार पर नगदी का आंकलन किया जाता है जिसमे स्वित्रण अधिकारी व्दारा नगदी और चेक भुगतान की राशि टी की जाती है रेलों से त्रैमासिक नगदी निर्गमन आंकलन लिये जाते है उसी  के अनुसार उन्हें त्रैमासिक एवं मासिक नगदी निर्गमन आंकलन दिये जाते है  इस प्रकार राजकोष नियंत्रण व्दारा दिन - प्रतिदिन  के आधार पर व्यय की बहुत बड़े हिस्से को नियंत्रित किया जाता है राजकोष नियंत्रण के क्षेत्र से बाहर है हलाकि जारी चेको और बैंको की निकासी सीमा के संबंध में लागू करने का विचार था पर यह अव्यावहारिक माना गया और इसे स्वग्रहित व्यय अनुशासन के रूप में स्थापित किया गया है

एक अच्छी राजकोष नीति यही है की किसी भी समय राजकोष में खर्च के लिए पर्याप्त रकम उपलब्ध हो ताकि सरकार को अपने भुगतानो के निपटान में रिजर्व बैंक से ऑवर ड्राफ्ट न लेना पड़े किसी अवधि विशेष में विभिन्न इकाइयों व्दारा जमा की गई राशि और निकली गई राशि में अंतर को शुद्ध निकासी कहा जाता है जो सामान्यतया धनात्मक होना चाहिए यदि यह ऋणात्मक होती है तो इसका अर्थ जमा से अधिक निकासी होता है जो सरकार के घटे में वृद्धि करता है सरकार व्दारा इसे रोकने के लिए नगद निर्गमन पर रोक लगा दी जाती है इस प्रकार राजकोष नियंत्रण बजट नियंत्रण बजट का एक महत्वपूर्ण औजार है


4. बजट समीक्षाओ व्दारा नियंत्रण -

समीक्षाए हमें गलतियों के बिन्दु ढूढने  और उन्हें सुधार करने में मदद करती है संसद व्दारा स्वीकृत व्यय अर्थात अजत को आधार मानकर वास्तविक व्यय की समीक्षा की जाती है कार्यकारी अधिकारी क यह कर्तव्य है की वह अपने सभी खर्चो की नियमित समीक्षा करे ये समीक्षाए लेखा कार्यालय की मदद से की जाती है समीक्षाए दो प्रकार की होती है -

 अ . मासिक समीक्षाए - किये जाने वाले वास्तविक व्यय की बजट अनुमानों संशोधन आवंटनो और पिछले वर्ष की उसी अवधि क्व वास्तविक व्ययों की तुलना प्रति माह की जाती है इसमें राजस्व व्यय के मामले में आवंटन को अनुपातिक आधार पर 12 महीनो में बांटकर उस माह के वास्तविक व्ययों तथा माह के अंत तक के व्ययों की तुलना की जाती है ये समीक्षाए लेकः विभाग व्दारा कार्यकारी की सहायता से तैयार की जाती है जहा आवश्यक हो बिलों को रोकने अथवा सक्षम प्राधिकारी से आवंटन संशोधित करा क्र व्यय नियंत्रण किया जाता है 

ब. अन्य समीक्षाए - हलाकि नियमित मासिक समीक्षाए तैयार क्र व्ययों पर नियंत्रण रखा जाता है तथापि कुछ समीक्षाए अलग से तैयार क्र रेलवे बोर्ड भेजी जाती है ताकि उन्हें भी समीक्षात्मक स्थिति ज्ञात रहे बोर्ड भेजी जाने वाली समीक्षाए निम्ननुसार है 

         1. अगस्त समीक्षा : प्रथम समीक्षा जिसे अगस्त रिव्यू कहते है अगस्त में तैयार कर पहली सितम्बर को रेलवे बोर्ड भेज दी जाती है इसमें चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम चार माह के वास्तविक व्ययों की तुलना बजट आवंटनो तथा पिछले वर्ष की इसी अवधि के व्ययों से की जाती है एवं व्यय की गति पर निगरानी रखी जाती है जहां आवश्यक हो कमी बेशी ज्ञात कर स्पष्टीकरण दिया जाता है एवं व्यय पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया जाता है 

         2. संशोधित एवं बजट अनुमान : दूसरी समीक्षा माह अक्टूबर - नवम्बर में तैयार रेलवे बोर्ड भेजी जाती है इसे संशोधित एवं बजट अनुमान कहते है इसमें चालू वित्तीय वर्ष के 7 माह के व्ययों की तुलना बजट आवंटनो तथा पिछले वर्ष के उसी अवधि के वास्तविक व्ययों से की जाती है जहां आवश्यक हो निधियो का अभ्यर्पण अथवा और मांग की जाती है इसके साथ ही अगले वित्तीय वर्ष के बजट अनुमान बनाकर 1 दिसम्बर तक रेलवे बोर्ड भेजे जाते है 

        3. प्रथम आशोधन : तीसरी समीक्षा जो रेलवे बोर्ड भेजी जाती है यह प्रथम आशोधन के नाम से जनि जाती है यदि संशोधन बजट अनुमानों व्दारा ग्रांट और मांगी गई है यी अभ्यर्पित की गई है तो संशोधित ग्रांट प्राप्त होने के पश्चात् अथवा न मिले तब भी प्रथम आशोधन तैयार करके 21 फरवरी तक रेलवे बोर्ड को  भेजा जाता है 

       4. अंतिम आशोधन : चालू वित्तीय वर्ष के लिए यदि किसी उर आशोधन की आवश्यकता है या प्रथम आशोधन से कोई दिशा प्राप्त है है जिसे आशोधित कराना है तो यह अंतिम आशोधन व्दारा तैयार कर  1 मार्च तक रेलवे बोर्ड भेज दिया जाता है और तदनुसार 31 मार्च तक फ़ाइनल ग्रांट दे दी जाती है

5. विभागीय लेखा व्दारा व्यय पर नियंत्रण - रेलों का लेखा विभाग व्ययों पर नियंत्रण में बड़ी महत्ती भूमिका अदा करता है रेलवे के संचालन ढांचे और कार्य व्यवस्था में लेखा विभाग रेलवे वित्त पर प्रभावी बियंत्रण के जिम्मेदार है सभी विभाग सीधे तौर पर लेखा से जुड़े है लेखा विभाग आंतरिक जाँच, बजट संकलन, राजकोष नियंत्रण वित्तीय समीक्षाओ कार्यकारी अधिकारियो को वित्तीय सलाह वित्त प्रबंधन दावों की भुगतान स्थानीय निरिक्षण इत्यादि के व्दारा व्ययों पर प्रभावी नियंत्रण रखता है रेलवे के सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष वित्तीय मामले लेखा विभाग व्दारा निष्पादित होते है वित्त आयुक्त से लेकर लेखा क्लर्क तक अपने - अपने स्तर पर रेलवे व्ययों पर नियंत्रण में लगे रहते है 

6. लेखा परीक्षा व्दारा वित्त पर नियंत्रण - हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार एक स्वतंत्र एजेंसी संही सरकारी व्ययों की जाँच परीक्षा एवं समीक्षा करती है C & AG संसद की ओर से सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्य करता है कार्यपालिका व्दारा खर्च उसी प्रयोजन के लिए किया गया है, खर्च आवंटित राशि तक सीमित है  विभागीय लेखा विभाग अपना कार्य सही प्रकार से निष्पादित कर रहा है ये सभी लेखा परीक्षा विभाग देखता है और इस पूरी कार्यवाही में व्ययों पर नियंत्रण कई स्तरों पर स्वत: एवं विशेषतौर पर ध्यान रखा जाता है C&AG अपनी टिप्पणियाँ रेलों के वार्षिक लेखो के साथ संसद में प्रस्तुत करते है अत: इस पूरी एजेसी को व्यय नियंत्रण के संबंध आश्वस्त करना सम्पूर्ण रेलवे की जिम्मेदारी है 



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