अवप्रभार (अंडरचार्ज )
गंतव्य स्टेशन पर रेलवे रसीद की जाँच के दौरान यह पाया जाता है कि बुकिंग स्टेशन के व्दारा भाडा वास्तविक भाड़े से कम चार्ज किया गया है।जितनी भाड़े की राशि कम चार्ज की जाती है वह अवप्रभार कहलाती है।देय माल के मामले में अवप्रभार को वसूल करने की जिम्मेदारी गंतव्य स्टेशन की होती है और दत्त माल के मामले में अवप्रभार वसूल करने की जिम्मेदारी बुकिंग स्टेशन की होती है परन्तु गंतव्य स्टेशन पर अवप्रभार पाये जाने पर इसकी सूची बनाकर बुकिंग स्टेशन को भेजी जाती है ताकि वह वसूल कर सके।
अवप्रभार दो प्रकार का होता है -
चालू अवप्रभार : जिस अवधि में सुपुर्दगी पुस्तक में भाड़े का लेखा किया जाता है यदि उसी अवधि में अवप्रभार का लेखा लिया जाता है तो उसे चालू अवप्रभार कहते है
बकाया अवप्रभार : जिस अवधि में सुपुर्दगी पुस्तक में भाड़े का लेखा किया जाता है यदि उसी अवधि में उसके अवप्रभार का लेखा नही करते हुए बाद में दूसरी अवधि या महीने में लेखा किया जाता है तो उसे बकाया अवप्रभार कहते है
अधिप्रभार (ऑवरचार्ज)
गंतव्य स्टेशन पर रेलवे रसीद की जाँच के दौरान यह पाया जाता है कि बुकिंग स्टेशन के व्दारा भाडा वास्तविक भाड़े से अधिक चार्ज किया गया है।जितनी भाड़े की राशि अधिक चार्ज की जाती है वह अधिप्रभार कहलाती है देय माल के मामले में अधिप्रभार गंतव्य स्टेशन के व्दारा रिफंड अनुमत करके भाडा कम लिया जाता है।दत्त माल के मामले में बुकिंग स्टेशन के व्दारा 25/- रूपये तक के अधिप्रभार के लिए ऑवर चार्जशीट बनाकर स्वेच्छिक रिफंड किया जाता है अधिप्रभार दो प्रकार का होता है -
चालू अधिप्रभार : जिस अवधि में सुपुर्दगी पुस्तक में भाड़े का लेखा किया जाता है यदि उसी अवधि में अधिप्रभार का लेखा क्र लिया जाता है तो उसे चालू अधिप्रभार कहते है।
बकाया अधिप्रभार : जिस अवधि में सुपुर्दगी पुस्तक में भाड़े का लेखा किया जाता है यदि उसी महीने में लेखा किया जाता है तो उसे बकाया अधिप्रभार कहते है।
क्षतिपूर्ति दावे
जब कोई माल रेलवे से बुक कराया जाता है और वह रेलवे से गम ही जाता है या खराब हो जाता है या चोरी हो जाता है तो माल का स्वामी या माल प्राप्त कर्ता इस नुकसान को पूरा करने के लिए रेलवे पर जो दावा करता है।वह क्षतिपूर्ति दावे कहलाते है।ये दावे सामान्यत: छ: माह के भीतर क्र देने चाहिए क्षतिपूर्ति दावों के निम्न कारण है -
- बुकिंग शेडो में चोरी
- माल का ख़राब होना
- गलत डिस्पेच
- गलत हैंडलिंग
- देरी
- आग
- सीलन अनुचित लिंकिंग
- बरसात के मौसम में जो रुकवटे या शर्ते लगाई जाती है उसका स्टेशन कर्मचारियों व्दारा ध्यान नही दिया जाना
लेखा कार्यालय में क्षतिपूर्ति के दावों की जाँच की राशि की सीमा इस प्रकार है -
- 10,000 रूपये तक दावों की एक माह में दो दिन पोस्ट चैक की जाती है।
- 10,000 रूपये से अधिक व 40,000 रूपये तक दावों की सभी मामलो में शत - प्रतिशत पोस्ट - चैक जाँच की जाती है ।
- 40,000 रूपये से अधिक दावों की प्री - चैक शत - प्रतिशत।
वह दावा जो 40,000 रूपये से अधिक है भुगतान करने से पहले लेखा कार्यालय में जाँच किये जाते है इसके साथ जो पे - आर्डर भुगतान के लिए बनाया जाता है वह लेखा कार्यालय में जाँच के लिए आता है उसमे यह देखा जाता है कि वह पे - आर्डर उतनी ही राशि का है जितनी राशि लेखा कार्यालय ने पास की थी ।
लेखा कार्यालय में क्षतिपूर्ति संबंधी जाँच निम्न है -
- यह देखा जाता है कि दावे के साथ मूल दस्तावेज प्राप्त ही गये है।
- बुकिंग का विवरण माल के स्वामी एवं माल प्राप्त करता का नाम सही है उसकी जाँच कर ली गई है।
- दावा समय पर प्राप्त हो गया है और वाणिज्य विभाग व्दारा इसकी जाँच हो गई है।
- माल के ख़राब होने या गुम होने के लिए रेलवे जिम्मेदार है इसकी जाँच हो गई है।
- यदि माल ख़राब हो गया है तो ख़राब माल का पूर्ण विवरण बीजक दर मंडी दर कितना माल ख़राब हुआ इत्यादि वाणिज्य विभाग ने दे दिया है।
- दावा बीजक दर पर मंजूर किया गे है यदि बीजक दर मालूम नही है तो ऐसी दर पर मंजूर किया जो उचित समझा गया।
- भाडा विलम्ब प्रभार, स्थान शुल्क इत्यादि जो कि लेने है वह दावे में से काट लिये गये है।
- क्षतिपूर्ति की राशि जो वापसी देना है वह निर्धारित कर ली गई है।
- मूल रेलवे रसीद प्राप्त कर ली गई है ताकि दूसरा दावा नही किया जा सके
- यदि न्यायिक सलाह की जरुरत है तो वह ले ली गई है।
- यदि दो या अधिक रेलवे दावे के लिए जिम्मेदार है तो दावों की राशि नियमानुसार बाँट ली गई है
- जो कर्मचारी इस गलती के लिए जिम्मेदार है उसके विरुध्द अनुशासनात्मक कार्यवाही कर ली गई है।
- दावा किसी विश्वस्त अधिकारी ने स्वीकृति किया है।