रेलवे यातायात
भारतीय रेले देश का सबसे बड़ा संगठन ही इसमें 13.8 लाख कर्मचारी कार्यरत है। भारतीय रेलवे का मार्ग किलोमीटर 67,368 किमी (बीजी - 61,680 किमी, एमजी - 3,479 किमी व एनजी - 2,209 किमी) है। इसका फैलाव पश्चिम में ओखा से पूर्व में मुरकांग सेलेक और उत्तर में उधमपुर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक है । भारतीय रेलवे मे३ 7,349 रेलवे स्टेशन है और 11,461 लोको इंजन है । भारतीय रेलवे में 64,223 सवारी डिब्बे तथा 2,77,987 माल डिब्बे है भारतीय रेलवे पर प्रारंभिक यात्रियों की संख्या 8,1160 लाख और प्रारंभिक माल 1,1061।5 लाख मैट्रिक टन है। इस संगठन में 1,30, 168.71 करोड़ रूपये का निवेश है। (संदर्भ 31 मार्च 2017 की ईयर के अनुसार)
भारतीय रेलवे राष्ट्र की जीवन रेखा कहलाती है । भारत की सामाजिक आर्थिक संस्कृतिक और राजनैतिक उन्नति में भारतीय रेलवे का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की औधोकिक और कृषि का विकास भी भारतीय रेलवे के व्दारा हो रहा है। भारतीय रेलवे देश के एक कौने से दूसरे कोने तक यात्रियों को लाने - ले जाने का कार्य करती है, जिससे राष्ट्रीय एकता सम्प्रदायिकता धार्मिक सदभावना संस्कृतिक एकता को बल मिलता है।
वर्तमान युग प्रतिस्पर्धा का युग है इसमें रेलवे को अपने मुख्य प्रतिद्वंदी सड़क यातायात से प्रतियोगिता करनी पड़ती है। इसके अलावा वर्तमान में जल और वायु यातायात में भी काफी उन्नति हो रही है, अत: रेलवे के यातायात का स्वाभाविक तौर पर सडक जल और वायु यातायात का रुझान बढ़ता जा रहा है। सडक वायु व जल यातायात व्दारा विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर यातायात बचाना होगा और यातायात में वृद्धि करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देना होगा इसके लिए रेलवे को अपने खर्चो में कमी करनी होगी और आय में वृद्धि करनी होगी रेलवे को अपने संचालन व्यय में कमी करने के लिए कई प्रयास करने होंगे जिसमे कर्मचारियों की संख्या में कमी अनुत्पादक योजनाओ में विनियोग में कमी माल लोडिंग क्षमता बढ़ाना यात्री गाडियों की गति में वृद्धि करना अतिरिक्त यात्री डिब्बे लगाना रेलवे रेवेन्यु की हानि को बचाना कर्मचारियों में ग्राहक सदभावना पैदा करना आदि प्रमुख है
रेलवे को अपनी आय में वृद्धि करना अत्यंत आवश्यक हो गया है क्योकि आगामी वर्षो में परवहन सेवा उपलब्ध कराने के लिए रेलवे की बहुत अधिक पूँजी की आवश्यकता होगी इसके लिए रेलवे के स्कैप की डिग्री करना किराया या भाड़े में वृद्धि करना यात्रियों को रेलवे में यात्रा करने के लिए आकर्षित करना वैगनो का पूरा उपयोग करना अन्य ग्राहक आकर्षक योजनाए लागू करना अनावश्यक रियायते कम करना आदि कदम उठाये जाने चाहिए
आय को बढ़ाने के लिए उठाये गये कदम
बाजार के अनुकूल दरे और नीतिया - इस नीति की निम्न विशेषताए है -
- मार्किट के आधार पर दर निर्धारित करने की नीति
- Busy and Lean Season/Regional Demand में आने वाले अंतर को कम करना
- विभिन्न क्षेत्रो में वेगनो की मांग के बीच असंतुलन को कम करना
- Excessively Prefered Route Terminal से Less Patronised Rout/ Terminals के लिए मांग को बढ़ावा देना
- ट्रांसपोर्ट केपेसीटी तथा आइडलिंग को कम करना इस उद्देश्य से माल भाड़े तथा किराये में प्रोत्साहन देना।
माल यातायात
वहन क्षमता में वृद्धि करना - रेल नेटवर्क की नोटिफाइड वहन क्षमता में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी की जा रही है।कुछ मार्गो को छोडकर सभी मार्गो पर सीसी + 6 + 2 टन क्षमता के साथ माल गाड़िया चलाई जा रही है जिससे 22.32 टन/ एक्सेल लदान किया जा सकता है तथा सी सी + 8 टन वाले रूट भी नोटिफाइड किये गये है।इससे थ्रू पुट में पर्याप्त मात्रा में वृद्धि हुई है।
ग्राहकोंन्मुखी माल यातायात नीतिया
- गैर व्यस्त अवधि और माल डिब्बो के खाली संचालन के दौरान अधिक और अधिक यातायात आकर्षित करना : सक्रिय कीमत निर्धारण योजना/ गैर व्यस्त अवधि में माल भाड़े में रियायत दी जाती है।
- परम्परागत खाली दिशा में माल भाडा छूट योजना के अंतर्गत 700 किमी दूरी वाले यातायत को 30 प्रतिशत तक की छूट दी गई है तथा इस प्रकार की छूट देने के लिए क्षेत्रीय रेलवे को अधिकृत किया गया है।
- महत्वपूर्ण ग्राहकों के साथ लम्बी अवधि के करार को प्रोत्साहन करना: लम्बी अवधि विशेष प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत 3 वर्ष तक की अवधि के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है जिससे यातायात अन्य साधनों की ओर डायवर्ट नही होता है और तो और अन्य साधनों से यातायात रेल की ओर डायवर्ट होता है।
- एक मुश्त विशेष दरो और सेवा स्तर करार के लिए प्रोत्साहन योजना का उद्देश्य निगमों तथा रेलवे के बीच लम्बी अवधि के व्यवसायिक संबंध कायम करना है जिसके अंतर्गत कुल प्राप्त की ह\गई कच्ची सामग्री तैयार माल और मध्यवर्ती उत्पादों की निकासी और रेलवे व्दारा माल यातायात से हासिल की गई आमदनी के आधार पर एक मुश्त माल भाडा दर की संरचना तैयार की जाती है।
ग्राहकों को इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश हेतु प्रोत्साहन करना - माल डिब्बो की टर्मिनल पर डिटेंशन को कम करने की यह एक विशेष योजना है।
- टर्मिनल प्रोत्साहन एवं इंजन ऑन लोड योजना के अंतर्गत बेहत्तर हैंडलिंग के लिए साइडिंग मालिको के व्दारा किये जाने वाले निवेश की लागत की माल भाड़े में छूट देकर रिएम्बर्स किया जाता है।
रेलवे व्दारा कम मात्रा के यातायात की शुरुआत - इनके अंतर्गत कम मात्रा के यातायात को आकर्षित करने के उद्देश्य से निम्न सुविधाए प्रारम्भ की गई है :
- मिनी रेक
- टू पॉइंट रेक
- मल्टीपल पॉइंट रेक
- कार्गो एग्रीगेशन स्कीम
खाली दिशा में फ्रेड फारवर्डर योजना
टू लेग स्कीम : यह योजना रिटर्न ट्रेफिक के लिए जारी की गई प्रथम लेग को गंतव्य स्टेशन तथा व्दीतीय लेग का प्रारंभिक स्टेशन अलग - अलग हो सकते है।
इसी तरह से व्दितीय लेग का गंतव्य स्टेशन तथा प्रथम लेग का प्रारंभिक स्टेशन अलग - अलग हो सकते है।
परिचालन सुधार - वेगन टर्न राउंड में सुधार करने में टर्मिनल डिटेंशन बहुत बड़ी बाधा है इन डिटेशन में कमी करना अनिवार्य है ताकि लदान के लिए वेगनो की उपलब्धता बढाई जा सके इस दिशा में किये गये मुख्य उपाय नीचे दिये गये है :
- एक्स्चेंज यार्ड / मार्शलिंग यार्ड आदि की संख्या में कमी करने के प्रयास किये गये है।
- रोलिंग स्टॉक के डिटेंशन को कम करने के लिए टर्मिनल पर निवेश पर बल :
- उक्त के आधार पर परिवहन की टोटल यूनिट कोस्ट में कमी आयेगी तथा वेगनो की डिटेंशन में कमी आने से वेगनो की उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हुई है जिससे माल यातायात की मांग को पूरा किया जा सकता है।
- वेगनो की गति 100 किमीप्रघ तक की गई है जिससे गंतव्य स्थल पर वेगन जल्दी पहुचते है जिससे वेगनो की बचत होती है तथा ग्राहकों को संतुष्ट होती है।
वेगन इन्वेस्टमेंट स्कीम - वेगनो की प्रोक्योरमेंट में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए लिब्रलाइज्ड वेगन इन्वेस्टमेंट स्कीम लागू की गई है।इस योजना के अंतर्गत खरीदे गये प्रत्येक रेक में किये गये निवेश के लिए ग्राहक को निम्न लाभ दिये जाते है :
- गारेंटड रेक सप्लाई
- माल भाड़े में रियायत - किसी प्रकार के मेंटीनेंस चार्ज के भुगतान की आवश्यकता नही है
रेल साइड वेयरहाऊसिंग - रेल उपयोगकर्ताओ को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सेन्ट्रल वेयरहाउसिंग के साथ मिलकर यह योजना प्रारंभ की गई है।
- मुख्य टर्मिनल /साइडिंग जहा 24 घंटे से अधिक समय लगता है वहा पर यातायात स्म्भलाई की विशेष समीक्षा की गई है
माल यातायात टर्मिनलों का विकास - माल यातायात में उल्लेखनीय सुधार के लीर प्रयास किए जा रहे है।
निर्धारित माल शेडो में यातायात को सम्हलाई के लिए आपेक्षित माल शेड लाइनों की संख्या मानदण्ड नीचे दिए गए है ;
- प्रतिमाह 15 रिको से कम : 1 पूर्ण लम्बाई वाली लाइन
- प्रतिमाह 15 -29 रेको से कम : 2 पूर्ण लम्बाई वाली लाइन
- प्रतिमाह 30 से अधिक रेको : कम से कम 1 उंची सतह वाले छतरपुर प्लेटफार्म के लिए के साथ 3 पूर्ण लम्बाई की लाइने
यात्री यातायात
वहन क्षमता में वृध्दि करना - यात्री गाडियों में कोचों की संख्या कई कारणों से एक सीमा से अधिक नही बढायी जा सकती है अत: प्रति कोच सीट /बर्थ की संख्या में वृध्दि की गई है जिससे बिना कोच की संख्या बढ़ाये यात्रियों की संख्या बढ़ गयी है ।
यात्री गाडियों की गति बढ़ाना - यात्री गाडियों की गति बढाकर यात्रियों को सुरक्षित एवं कम समय में गंतव्य स्टेशन तक पहुचाने का प्रयास किया गया है, जिन मेल एक्सप्रेस गाडियों की वाणिज्यिक गति (औसत0 55 किमी प्रघ या अधिक है उन्हें सुपेरफास्ट ट्रेन बना दिया गया है जिससे रेलवे राजस्व में वृध्दि हो रही है।
नये प्रकार के कोच - क्योकि गाडियों में कोचों की संख्या एक सीमा से अधिक नही बढाई जा सकती इसलिए नये प्रकार के कोचों डिज़ाइन किये गये जिनमे सीट/बर्थ की संख्या बढाई गई है जिससे रेलवे राजस्व में वृध्दि हुई है।
शून्य बेस टाइम टेबल बनाना - टाइम टेबल को शून्य आधार मानते हुए फिर से तैयार किया गया है जिसमें गाडियों को अधिकतम अनुमत गति के आधार पर चलाकर यात्रा समय में बचत की गई जिससे न सिर्फ यातायात समय में बचत हुई बल्कि यातायात के अन्य साधनों से प्रतिस्पर्धा में काफी अग्रणी रहे।
गाडियों में अतिरिक्त कोच लगाना - यात्री गाडियों में कोच की संख्या बढाई जा रही करीब 190 लोकप्रिया यात्री गाडियों में कोचों की संख्या बढ़ाकर 23 -24 तक की जा रही है इस प्रकार चालू वित्त वर्ष 2006 -07 में 500 से अधिक अतिरिक्त कोच लगाये जा रहे है इससे यात्रियों की प्रतीक्षा सूची कम होगी और अधिक यात्रियों को कन्फर्म टिकट मिल सकेगा इस प्रकार रेलवे को इससे प्रति वर्ष 200 करोड़ रूपये अधिक आय होगी
यात्री गाडियों की पार्सल क्षमता बढ़ाना - पिछले वर्षो में पार्सल व्यवसाय में घाटा हो रहा था इसलिये चालू वित्त वर्ष 2006 - 07 में पार्सल क्षमता का उपयोग बढाकर घाटे को कम करने का प्रयास किया जा रहा है पार्सल वहन की लीजिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए नीतियों को सरल और उदार बनाया जा रहा है अब कुल लीज होल्डर उन सभी स्टेशनो पर पार्सल की लोडिंग - अनलोडिंग कर सकेगे जहा पर गाड़ी 5 मिनट से अधिक ठहरती है।
पार्सल गाड़ी में चोरी रोकने के लिए पार्सल ब्रेनवान को स्टील दीवार से बनाया जा रहा है।ब्रेनवान में लगेज बुक करने की 150 किग्रा की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया है।साधारण यात्री गाडियों में आगे और पीछे चार - चार टन के दो ब्रेनवान लगाये जाते है जो कई गाडियों में खाली चलते है इसलिए ब्रेनवान के लगेज वाले हिस्से को व्दितीय श्रेणी के डिब्बे में बदल दिया जायेगा, जिससे अगले दो वर्षो में लगभग 300 सवारी डिब्बो की बचत होगी।
टिकट बुकिंग में सुधार - टिकट काउंटर की लम्बी लाइन को छोटा करने के लिए प्रयास किये जा रहे है इसके लिए प्रतिदिन 10,000 से अधिक आई - टिकट एवं ई - टिकट इंटरनेट के माध्यम से जारी किये जा रहे है।यह सुविधा वर्तमान में मेल एवं एक्सप्रेस गाडियों में उपलब्ध है ई - टिकट पर लिये जनर वाले शुल्क में उच्च श्रेणी के प्रति टिकट 20/ - रूपये एवं स्लीपर क्लास के लिए प्रति टिकट 15/- रूपये कमी की गई है।यात्री आई - टिकट एवं ई - टिकट को रेल ट्रेवल्स सर्विस एजेंट के माध्यम से खरीद सकते है वर्तमान में पोस्ट ऑफिस एवं पेट्रोल पंप भी रेल यात्रा टिकट बेचे जाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।इससे टिकट काउंटर की लम्बी लाइने कम होगी और यात्रियों को सुविधानुसार टिकट खरीदने में सहायता मिलेगी।
वातानुकूलित गरीब रथ चलाना - गरीब यात्रियों के लिए वातानुकूलित गाडियों में यात्रा करने का सपना साकार करने के लिए चालू वित्त वर्ष 2006 -07 में वातानुकूलित गरीब रथ चलाया जा रहा है जो पूरी तरह से वातानूकूलित होगा यह सुपरफास्ट गरीबरथ दिल्ली - पटना दिल्ली - मुंबई दिल्ली चेन्नई एवं सहरसा - अमृतसर के बीच चलाया जायेगा इसमें वर्तमान ए.सी. 3 टीयर किराये से 25 प्रतिशत कम किराया होगा जो गरीब और कम आय वाले यात्रियों के लिए बेह्टर सुविधा होगी।
स्टेशनो पर यात्री सुविधाओ में सुधार - स्टेशन पर स्टाल वैंडर्स टेलीफोन बूथ सुलभ शौचालय साइबर कैफे खान - पान विश्रामालय अमानती सामान घर लाकर आदि सुविधाओ में सुधार किया जा रहा है यात्रियों के दैनिक उपयोगी वस्तुओ को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में स्टेशनो पर सब्जिओ के स्टाल भी लगाये जायेगे।
अर्निग बजट
क्योकि रेलवे एक राजस्व अर्जित करने वाला विभाग है इसलिये रेलवे का वार्षिक बजट आय तथा व्यय के लिए अलग - अलग तैयार किया जाता है।अर्निग बजट मंडल तथा वर्कशॉप जैसी व्यय करने वाली ईकाईयो व्दारा नही बनाकर क्षेत्रीय रेलवे व्दारा तैयार किया जाता है।
इसे वाणिज्य प्रबन्धक (भाडा विपरण) व्दारा वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी (यातायात) की सहायता से तैयार किया जाता है।
वर्तमान यातायात की मात्र में अनुमानित वृध्दि को जोड़ते हुए माल तथा यात्री यातायात के लिए अलग से तैयार किया जाता है क्षेत्रीय रेलवे स्तर पर रेवेन्यू का अनुमान वर्तमान दर पर तथा भारतीय रेलवे स्तर पर परिवर्तित दरो पर लगाया जाता है।
माल यातायात के मामले में संशोधित कमोडिटी ग्रुप्स
- कोल
- स्टील प्लांट के लिए कच्चा माल
- पिग आयरन तथा फिनिस्ड स्टील
- सीमेंट
- फर्टिलाइजर
- फूडग्रेन
- पीओएल
- कंटेनर यातायात
- विविध माल
- अन्य माल
यात्री यातायात के मामले में
क्लासवाईज, सबरबन तथा नॉन सबरबन यातायात के लिए अलग - अलग तैयार किया जाता है।
अर्निग बजट दिसम्बर माह में तैयार करके रेलवे बोर्ड को प्रेषित किया जाता है।