वित्तीय औचित्य

वित्तीय औचित्य 

वित्तीय औचित्य का व्यक्तिगत जीवन में भी महत्वपूर्ण स्थान है एक साधारण व्यक्ति जीवन में किसी कार्य पर खर्च करने से पूर्व सोच विचार करता है, की जो खर्च वह करने जा रहा है, वह आवश्यक है या टाला जा सकता हैऐसा व्यय निकट भविष्य में लाभप्रद रहेगा या नही , यदि लाभप्रद होगा तो कुल खर्च से कितना लाभ होगा आदि इसी प्रकार रेलवे एक व्यापारिक संस्थान है इसलिए इसको अधिक मात्रा में अपनी परिसम्पतियो की देखरेख व मरम्मत इत्यादि पर खर्च करना पड़ता है,  इसलिए रेलवे के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए व्यय करने से पूर्व यह सोच - विचार करना पड़ता है की प्रस्तावित कार्य पर कुल खर्च पर न्यूनतम वापसी अवश्य मिले  

वे मदे जिन पर वित्तीय औचित्य की आवश्यकता है - 
  • रहन - सहन के भवनों पर खर्च, 
  • इमदादी साइडिंग पर खर्च, 
  • चल स्टॉक पर खर्च, 
  • परिसम्पत्तियो का निर्माण संबंधी खर्च, 
  • परिसम्पतियो का बदलाव आदि, 
वे मदे जिन पर वित्तीय औचित्य की आवश्यकता नही है - 
  • 2500 रूपये से कम के खर्च जो साधारण प्रकृति के है और राजस्व को चार्ज होते है, 
  • वे खर्च जो कानूनी आवश्यकता के अनुसार किये जाने हो, जैसे - मशीनरी के चारो ओर प्रतिरक्षात्मक बाड़, 
  • जीवन या सम्पत्ति की सुरक्षा से संबंधित कार्य, 
  • रेल यात्री करने वाले या रेल यातायात को उपयोग करने वाले व्यापारियों के लिए खर्च, 
  • कर्मचारी कल्याण के लिए किये जाने वाले खर्च, परंतु रेलवे कर्मचारी क्वार्टर तथा भवनों के अतिरिक्त, 
वित्तीय औचित्य के मानक 

प्रत्येक खर्च करने वाले अधिकारी को खर्च की मंजूरी देते समय कुछ सिध्दांतो का पालन करना आवश्यक होता है इन सिध्दांतो को वित्तीय औचित्य के मानक कहा जाता है ये सिध्दांत निम्न है 

1. किसी कार्य पर खर्च प्रथम दृष्टि में अवसर की मांग से अधिक नही होने चाहिए तथा प्रत्येक खर्च करने वाले अधिकारी का यह कर्तव्य है, कि वह सरकारी धन को अपना निजी धन की तरह ही खर्च करे अर्थात जो सावधानी  एक साधारण व्यक्ति अपने स्वयं के  धन खर्च  करते में रखता है वही  सावधानी सरकारी धन करते समय रखे 
2. खर्च करने वाले अधिकारी को किये गये खर्च में से स्वयं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ नही होना चाहिए 

3. सरकारी धन का उपयोग किसी व्यक्ति विशेष या जाति विशेष के लाभ के लिए नही करना चाहिए बशर्ते कि - 
  1.         राशि बहुत कम हो,
  2.        राशि के लिए न्यायलय में दावा किया जा सके या, 
  3.        खर्च किसी मान्य रीति - रिवाज या पंरपरा के अनुकूल हो,
4.विभिन्न प्रकार के भत्ते जैसे यात्रा भत्ता आदि की स्वीकृति देते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कोई कर्मचारी उसे लाभ का साधन न बना ले। 


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