कारखाना लेखा
भण्डार - रेलवे के भण्डार से अन्य रेलों और महानिदेशक आपूर्ति एवं निपटान (डीजीएसएण्डडी) व्दारा प्राप्त भुगतान का मूल्य जिसका लेखा समायोजन होता है।
प्रकार
रेलवे में कारखाना ईकाईयो को तीन भागो में बाँट सकते है -
- उत्पादन ईकाइया जहा देशी - विदेशी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चल स्टॉक एवं पुर्जो का विनिर्माण किया जाता है यह पूंजीगत व्यय में आता है ।उत्पादन ईकाइया महाप्रबंधक या मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के अधीन स्वतंत्र संगठन की तरह है जिनके साथ लेखा विभाग भी अलग से होता है ।
- चल स्टॉक और यांत्रिक उपस्करों के अनुरक्षण एवं मरम्मत के लिए तथा कुछ सीमा में पुर्जो के विनिर्माण के अलग कारखाने हिया ये राजस्व व्यय के तहत आते है। अनुरक्षण एवं मरम्मत कारखाने क्षेत्रीय रेलों के महाप्रबंधक के अधीन मुख्य यांत्रिक इंजीनियर की जिम्मेदारी में कार्य करते है एवं इनका लेखा कार्यालय भी इनके साथ ही लगा होता है जो उस रेलवे के वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारियो के अधीन कार्य करता है।
- इनके अतिरिक्त लाइन पर भी सुविधानुसार रनिंग शेडो मरम्मत लाइनो और गाड़ी परिक्षण स्टेशनो का प्रबंध किया गया है ये भी राजस्व व्यय है ये मण्डल प्रबंधक के अधीन परिवहन संगठन के अंग के रूप में कार्य करते है इनका व्यावसायिक नियंत्रण मुख्य यांत्रिक इंजीनियर के व्दारा होता है एवं मंडल लेखा कार्यालय व्दारा लेखा संबंधी मामले नियंत्रित किये जाते है।
कार्य
लाइन पर शेडो और मरम्मत लाइनो के लिए अलग कार्य प्रणाली निर्धारित की गई है। शेष सभी कार्यशालाओ में मोटे तौर पर चल स्टॉक पुर्जो मरम्मत एवं फालतू पुर्जो एवं मंडल हेतु पुर्जो का विनिर्माण दूसरी रेलों के लिए कार्य सुरक्षा विभाग व अन्य सरकारी विभागों के लिए कार्य एवं प्राइवेट पार्टियों के निक्षेप कार्य व रेल कर्मियों क लिए कार्य किये जाते है।
संगठन
जहा नये चल स्टॉक के पुर्जो का का विनिर्माण होता है वहा पुर्जो का ड्राईग तैयार कर उसका अनुक्रम तैयार करना, पुर्जो का निरिक्षण करना कुशलता संबंधी अध्ययन करना एवं रिपोर्ट देने के कार्य होते है। कार्य के व्यवस्थित संचालन के लिए उत्पादन नियंत्रण कार्यालय प्रगति कार्यालय निरिक्षण कार्यालय एवं कार्मिक एवं लेखा संबंधी कार्यो के लिए कार्मिक व लेखा कार्यालय होते है।
कार्यो को उनकी प्रकृति के अनुसार अलग - अलग शॉप में निष्पादित किया जाता है जैसे आरा मशीन शॉप लाहौर शॉप, ढलाई शॉप, प्रोसेस शॉप इत्यादि। इनमे लिपिकीय वर्ग के अतिरिक्त निम्नलिखित वर्गो के श्रमिक कार्य करते है -
- अकुशल कारीगर
- खलासी/हैल्पर
- कुशल ग्रेड - III
- कुशल ग्रेड - II
- कुशल ग्रेड - I
- मास्टर कारीगर
- पर्यवेक्षीय कर्मचारी
व्यय के शीर्ष
रेल कारखानों में किये जाने वाले व्यय मुख्यत: निम्न शीर्षों में रखा जा सकता है -
श्रम _ कारखानों में काम करने वाले कामगारों की मजदूरी भत्तो बोनस आदि के रूप में किये गये भुगतान।
भण्डार - रेलवे के भण्डार से अन्य रेलों और महानिदेशक आपूर्ति एवं निपटान (डीजीएसएण्डडी) व्दारा प्राप्त भुगतान का मूल्य जिसका लेखा समायोजन होता है।
नगद - ठेकेदारों को भण्डार सप्लाई के लिए रोकड़ भुगतान मोटर लारी लाइसेंस फीस बिजली - पानी एवं अन्य खर्चे।
प्रभार - जैसे ईधन भाडा और विविध प्रभार।
अंतरण - कारखाना अंतरण संबंधी विविध खर्चे जैसे विभिन्न शाखाओ से भण्डार का अंतरण।
इन व्ययों को प्रभारित करने की दृष्टि से दो भागो में बाटा जा सकता है -
- प्रत्यक्ष व्यय (सामग्री एवं श्रम )
- अप्रत्यक्ष व्यय (ऊपरी लागत व्यय )
लेखा
कारखाना के साथ लगे हुए लेखा विभाग उपरोक्त व्ययों के लिए आंतरिक जाँच भुगतान एवं समायोजन एवं व्यय का इस प्रकार विश्लेषण सुनिश्चित करता है, कि व्यय का लेखा प्रत्येक कार्य के लिए अलग - अलग हो सके इस हेतु विभिन्न कार्यो के लिए कार्यादेश जारी करने और कार्य पर व्यय की लागत बुक करने की व्यवस्था है।
कार्यादेश
कारखाने में किसी कार्य को करने हेतु सक्षम अधिकारी व्दारा दिया गया आदेश ही कार्यादेश है। ये निर्माण इंजीनियर भण्डार अन्य विभागों आदि की मांग पर प्राक्कलन के आधार पर जारी किये जाते है। इसके अतिरिक्त राजस्व में मरम्मत एवं रखरखाव के स्थाई कार्यादेश भी होते है।
कार्यादेश रेल कारखानों में होने वाले खर्च को कार्य की यूनिट के अंतर्गत इकठ्ठा करने और उसके लेखे ब्यौरेवार शीर्ष के अनुसार विश्लेषण करने का साधन है। इस प्रकार रेल कारखानों में मजदूरी सामग्री प्रभार इत्यादि प्रत्येक प्रकार का व्यय किसी न किसी कार्यादेश पर आवंटित किया जाता है, एवं कार्य की समाप्ति के पश्चात या आवधिक तौर पर बिल बनाकर भुगतान या समायोजन सुनिश्चित किया जाता है। कार्यादेश निम्नलिखित समूह में बांटे जा सकते है -
- राजस्व के स्थाई कार्यादेश
- अप्रत्यक्ष लागत (उपरी लागत ) हेतु स्थाई कार्यादेश
- विनिर्माण हेतु स्थाई कार्यादेश
- पुर्जे निर्माण हेतु स्थाई कार्यादेश
- सामुहिक कार्यादेश
- अन्तर्विभागीय एवं अंतर्मंडलीय कार्यादेश
प्रत्येक जारी कार्यादेश को एक विशिष्ट संख्या प्रदान की जाती है जो उसके जारी करने की वर्ष माह एवं कार्य की प्रकृति के अनुसार होती है।
कारखाना सामान्य रजिस्टर
कारखाने में जारी सभी कार्यादेश में खर्च बुक करने व समायोजन के लिए एक रजिस्टर रखा जाता है। इसमें प्रत्येक कार्यादेश के लिए एक पृथक पृष्ठ होता है जैसे - जैसे उस कार्यादेश पर खर्च किया जाता है प्रविष्टि कर दी जाती है। इस रजिस्टर की मासिक समीक्षा की जाती है पूर्ण हुए कार्यो के व्यय का समायोजन व वसूली तत्काल सुनिश्चित की जाती है इसमें उन्ही कार्यो पर व्यय बिना वसूल या बकाया रहना चाहिये जो अभी चल रहे है।
कारखाना उत्पादन विवरणी
कारखाने सामान्य रजिस्टर की समीक्षा के बाद इसकी सहायता से कारखाना उत्पादन विवरणी बनाई जाती है यह दो भागो में होती है -
- भाग - I
- भाग - II
भाग - I में वे कार्यादेश आते है जो उस माह पूरे हो गये है उनका समायोजन भी उसी माह खाते में होना है।
भाग - II में कार्यादेश आते है जिन पर कार्य अभी चालू है अथवा पूरे तो हो गये है लेकिन संबंधित पार्टियों की स्वीकृति के इंतजार में समायोजन शेष है।
उत्पादन बनाने का उद्देश्य कार्यशालाओ में हुए सम्पूर्ण व्यय का लेखा उचित लेखा शीर्ष में करना है ताकि कारखाना विनिर्माण उचंत खाते में अनावश्यक शेष न रहे।
कारखाना विनिर्माण उचंत खाता
रेल कार्यशालाओ में का सम्पूर्ण व्यय वसूलिया एवं निपटान तथा बकाया को एक स्थान पर लाने के लिए कारखाना विनिर्माण उचंत खाता लेखा कार्यालय में बनाया जाता है। कारखाने के सम्पूर्ण व्यय चाहे हर श्रम के लिए हो या सामग्री या अन्य ऊपरी प्रभार के रूप में हो इस खाते के नाम(Debit) में लिखा जाता है और जितनी राशि वसूल या समायोजित की जा चुकी है वह जमा(Credit) में लिखी जाती है। इसके शेष व्यय के उस भाग को बताते है जो चालू कार्यो पर है एवं वसूली या समायोजन के लिए बकाया है इसके बकाया शेषो का मिलान उत्पादन विवरणी भाग - II से किया जाता है। बकायो की मासिक समीक्षा की जाती है एवं इन्हें यथासंभव कम रखने का प्रयास किया जाता है। समीक्षा के परिणाम वर्ष में कम से कम एक बार वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी को प्रस्तुत किये जाते है।
श्रमिको की उपस्थिति
कारखानों में होने कार्यो पर व्यय का एक बड़ा भाग मजदूरी भुगतान के रूप में होता है। विनिर्माण की लागत कम रखने एवं व्यय पर नियंत्रण के लिए आवश्यक है की श्रम शक्ति का सही उपयोग किया जय एवं उनके समय का भी पूरा हिसाब रखा जाये। सही रेल कारखानों में श्रमिको के समय का हिसाब रखने के लिए अलग समय संगठन है जो लेखा विभाग के नियंत्रण में कार्य करता है।
समय कार्यालय संगठन भारतीय कारखाना अधिनियम 1948 के तहत श्रमिको के साप्ताहिक कार्य के घंटे, छुट्टी के घंटे, अवकाश,निष्क्रिय समय इत्यादि का निर्धारण करता है। सुबह कारखाने के गेट के खोलने का प्रबंध करना, देरी से आने वालो का हिसाब रखना, भोजनावकाश की छुट्टी, उसके बाद लौटने और देरी से आने वालो का सम्पूर्ण हिसाब कारखाने के साथ लगा समय कार्यालय (टाइम ऑफिस ) रखता है। चूंकि श्रमिक एक साथ कारखाने में प्रवेश करते है और सब अपनी -अपनी शॉप पर जाकर काम करने लगते है अत: जरूरी है की इनकी उपस्थिति लगाने हेतु कम से कम समय लगने वाले साधन इस्तेमाल किये जाये और प्रवेश से लेकर काम शुरू करने तक में भी समय की छीजत न हो इसलिए इनकी उपस्थिति गेट उपस्थिति कार्ड व्दारा दर्ज की जाती है।
गेट उपस्थिति कार्ड
गेट उपस्थिति कार्ड के व्दारा श्रमिको की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति दर्ज की जाती है। इस हेतु प्रत्येक श्रमिक को एक कार्ड दिया जाता है। जो उसे कारखाने में आते एवं जाते वक्त समय मशीन (टाइम मशीन) डालना होता है कार्ड मशीन में डालते ही उस पर समय छप जाता है। शेष रहे कार्डो के आधार पर अनुपस्थिति सूची बनाकर प्रत्येक शॉप के फोरमेन के पास भजी जाती है इसी प्रकार काम शुरू करते समय प्रत्येक शॉप का चार्जमेन भी श्रमिको की अनुपस्थिति सूची बनाता है इन दोनों का मिलान किया जाता है।
अनुपस्थिति रजिस्टर में समय कार्यालय व्दारा उस दिन क मिलान की जा चुकी अनुपस्थिति दर्ज की जाती है इसके आधार पर प्रत्येक शॉप के अनुसार अनुपस्थिति विवरण बनाकर मजदूरी भुगतान पत्रक मर दर्ज क्र लेखा कार्यालय में भेजा जाता है जहा मजदूरी पास करते समय अनुपस्थिति अवधि का नियमानुसार वेतन बनाया या काटा जाता है
टाइम शीट
एक श्रमिक विशेष व्दारा कुल कितने घंटे कार्य किया यह टाइम शीट में दर्ज किया जाता है। श्रमिको को किया गया भुगतान उपयुक्त कार्यादेश पर उचित ढंग से प्रभारित कर दिया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए टाइम शीट और मिलान भुगतान हेतु पास किये गये मस्टर रोल के समय से किया जाता है। मिलान से प्राप्त समय का औसत दर पर मौद्रिक मूल्यांकन किया जाता है। औसत दर प्रत्येक शॉप और प्रत्येक कोटि के कर्मगारो के लिए सितम्बर के वास्तविक आंकड़ो के आधार पर अक्टूबर से मार्च तक और मार्च के वास्तविक आंकड़ो के आधार पर अप्रैल से अक्टूबर के लिए लागू की जाती है।
रूट कार्ड
प्रत्येक कार्यादेश के अनुसार कार्य का क्रमानुसार विवरण हेतु प्रक्रिया शीट बनाई जाती है। इसके आधार पर रूट कार्ड तैयार होता है। इसमें कार्य की प्रारंभिक शॉप से अंतिम शॉप तक का पूरा रूट दर्ज होता है। इस कार्यादेश के तहत किस - किस शॉप में क्या - क्या कार्य होना है कितना समय लगेगा, इत्यादि का पूरा विवरण इसमें दर्ज रहता है रूट कार्ड कार्य के साथ - साथ चलता रहता है। प्रत्येक शॉप में वास्तव में कितना समय लगा एवं कार्य की क्या प्रगति है यह भी इसमें दर्ज किया जाता है।
जॉब कार्ड
प्रत्येक कार्य को करने में कर्मकर व्दारा लगाये गये वास्तविक समय को दर्ज करने के लिए जॉब कार्ड काम में लाया जाता है। प्रत्येक कार्य के लिए अलग - अलग जॉब कार्ड प्रयुक्त होते है। जैसे ही किसी शॉप में कोई कार्य प्रारंभ होता है। कार्य शुरू करने का समय उस पर छाप दिया जाता है और कार्य समाप्त होने पर भी समय दर्ज कर दिया जाता है। कार्य पर लगे हुए कर्मकार का विवरण टिकट नंबर व कार्य पर खर्च का समय इत्यादि दर्ज हो जाता है। जब कार्य पूर्ण हो जाता है तो इसे लेखा कार्यालय भेज दिया जाता है। जहा कुल लगाये गये समय के लिए औसत दर से उस कार्य विशेष पर श्रम प्रभार परिकलित किये जाते है।
श्रमिको को मजदूरी भुगतान
- जिन कारखानों में 300 से अधिक श्रमिक कार्यरत है वहा समय पर एवं सुविधाजनक भुगतान के तौर पर लिफाफा पध्दति का प्रयोग किया जाता है।
- इसमें जिस श्रमिक को जितनी मजदूरी भुगतान की जनि है वह पहले ही उसके नाम लिखे लिफाफे या डिब्बे में डाल दी जाती है भुगतान सही व्यक्ति को हो जाल साजी न हो और कम से कम समय लगे इसलिए कुछ व्यवस्थाए एवं सावधानिया रखी जाती है जो निम्न है -
- भुगतान हेतु पर्याप्त संख्या में लेखा विभाग के कर्मचारी लगाये जाते है जिस लेखाकर्मी ने जिस शॉप का भुगतान पास किया है उसे शॉप के भुगतान में नही लगाया जाता है उनके व्दारा भुगतान की शॉप भी प्रत्येक माह बदल दी जाती है।
- भुगतान हेतु लगाये लेककर्मी लेखा विभाग के सुपरवाईजर के अधीन भुगतान कार्य निष्पादित करते है भुगतान के दिन सुबह प्रत्येक भुगतान लिपिक अपने व्दारा भुगतान की जाने वाली राशि का योग क्र उतनी राशि पर्याप्त खुले नोटों के विवरण सहित रोकडिये को बताते है एवं राशि प्राप्त क्र चार्जमैन की मदद से लिफाफों में डालते है।
- लिफाफे उन्ही श्रमिको के बनाये जाते है जो भुगतान के दिन उपस्थित होते है भरे हुए सभी लिफाफे एक बड़ी पेटी में ताला लगाकर भुगतान स्थल पर ले जाये जाते है भुगतान से पहले श्रमिको में भुगतान टोकन बाँट दिये जाते है भुगतान के समय प्रत्येक श्रमिक का टिकट नंबर चार्जमैन व्दारा पुकारा जाता है श्रमिक अपना भुगतान टोकन देता है और लिफाफा प्राप्त करता है एक श्रमिक व्दारा एक टोकन देने और एक लिफाफा लेने का पूरा ध्यान रखा जाता है।
- भुगतान समाप्त होने के बाद शेष राशि न चुकाई मजदूरी विवरण में दर्ज कर दी जाती है चार्जमैन और भुगतान लेखा लिपिक भुगतान के लिए अलग - अलग हस्ताक्षरित प्रमाण - पत्र सुपरवाईजर को सौपते है लिफाफों में बची शेष राशि रोकडिये को लौटाकर उसकी पावती प्राप्त की जाती है।
वर्तमान में अधिकांश कारखानों में श्रमिक को भुगतान उनके बैंक खाते के माध्यम से किया जा रहा है। लेखा कार्यालय में श्रमिक वेतन शीट पास करने के साथ ही प्रत्येक श्रमिक के बैंक में उसके खाते में भुगतान डाल दिया जाता है।
परिणाम के आधार पर भुगतान
कार्यशालाओ श्रमिक मशीन पर कार्य करते है। जब तक श्रमिक कार्य करते है। मशीने चलती है। अगर वे धीरे कार्य करते है तो निर्धारित कार्य की मात्रा तक मशीन अधिक समय चलानी होगी जिससे अधिक शक्ति खर्च होगी। इसे कम करने के लिए श्रमिको को तेजी से कार्य करने के लिए श्रमिको को तेजी से तेजी से कार्य करने को प्रेरित किया जाता है उन्हें भुगतान कार्य पर लगाये गये समय और बचाये गये समय के आधार पर किया जाता है। यह व्यवस्था कामगारों को शीघ्र कार्य हेतु प्रोत्साहित करने के लिए लागू की गई है। इसमें प्रत्येक कार्य हेतु एक निश्चित समय निर्धारित किया जाता है, श्रमिक व्दारा कितना समय लगाया और बचाया गया, इसका आंकलन के भुगतान किया जाता है श्रमिको को कम समय में अधिक भुगतान प्राप्त होता है अत: यह पध्दति उनके हित में भी है।
उपरी लागत
प्रत्येक कार्य पर किये जाने वाले प्रत्यक्ष व्यय के अतिरिक्त कुछ अप्रत्यक्ष भी होते है। ये वे व्यय होते है जिन्हें विनिर्मित वस्तु की लागत पर प्रत्यक्ष रूप से नही लगाया जा सकता। परंतु सही लागत ज्ञात करने के लिए लगाया जाना आवश्यक होता है। ऐसे अप्रत्यक्ष व्यय अधिव्यय या ऊपरी लागत कहलाते है। रेल कारखानों में उपरी लागत व्यय को तीन भागो में बाटा गया है -
प्रत्येक कार्य पर किये जाने वाले प्रत्यक्ष व्यय के अतिरिक्त कुछ अप्रत्यक्ष भी होते है। ये वे व्यय होते है जिन्हें विनिर्मित वस्तु की लागत पर प्रत्यक्ष रूप से नही लगाया जा सकता। परंतु सही लागत ज्ञात करने के लिए लगाया जाना आवश्यक होता है। ऐसे अप्रत्यक्ष व्यय अधिव्यय या ऊपरी लागत कहलाते है। रेल कारखानों में उपरी लागत व्यय को तीन भागो में बाटा गया है -
- शॉप उपरी लागत
- सामान्य उपरी लागत
- प्रोफार्मा उपरी लागत
शॉप उपरी लागत - ऐसे व्यय जो किसी शॉप विशेष से तो संबंधित है लेकिन चुकि किसी कार्य विशेष संबंधित न होकर शॉप के सभी कार्यो पर समग्र रूप से किये जाते है। अत: उन्हें उस कार्य विशेष पर प्रभारित नही किया जा सकता है। शॉप उपरी लागत कहलाते है ऐसे व्यय शॉप में किये गये सभी कार्यो पर प्रभारित किये जाते है इनमे निम्न व्यय आते है।
- प्रत्यक्ष कामकारो के अप्रत्यक्ष समय की मजदूरी जैसे उनके छुट्टी का वेतन निष्क्रिय समय चोट - बीमारी अवकाश का वेतन पूरक भत्ते बकाया वेतन खेलकूद में भाग लेने के समय का वेतन निलंबन भत्ता इत्यादि के भुगतान आते है जिन्हें प्रत्यक्षत: कार्य पर प्रभारित नही किया जा सकता है।
- अप्रत्यक्ष कामगारों जैसे प्रशिक्षुओ चार्जमैन चार्जहैण्ड मिस्त्री अकुशल श्रमिक जिन्हें प्रत्यक्ष काम पर नही लगाया गया हो टैली मैंन शॉप क्लर्क पर्यवेक्षक इत्यादि की मजदूरी वेतन बीमारी अवकाश छुट्टी इत्यादि का वेतन।
- अप्रत्यक्ष शक्ति प्रभार एवं शॉप की रोशनी प्रभार।
- शॉप के काम में आने वाली स्टेशनरी लेखन सामग्री रद्दी सामान छोटे - मोटे औजार उपभोग्य भण्डार आदि।
- प्रायोगिक कार्यो के संबंध में हुई बर्बादी कार्य पर लगाये गये अर्थ दंड मस्टर शीट और टाइम शीट के छोटे - मोटे अंतर का मूल्य।
- यांत्रिक यातायात जैसे क्रेन शंटिंग इंजन लारी ट्रक इत्यादि के संचालन व्यय।
सामान्य उपरी लागत - ऐसे व्यय जो किसी शॉप विशेष संबंधित न होने के कारण उस शॉप के व्यय में नही जोड़े जाते पूरे कारखाने की सभी शॉप के लिए समग्र रूप से किये जाते है सामान्य उपरी लागत कहलाते है। इसमें निम्नलिखित व्यय आते है :
- कारखाने के वे कर्मचारी जो सभी शॉप के लिए काम करते है कि मजदूरी समयोपरि छुट्टी बीमारी अवकाश निलंबन भत्ता नोटिस समय इत्यादि का भुगतान।
- धुलाई प्रभार जिन्हें शॉप विशेष के लिए प्रभारित नही किया जा सकता है।
- सामग्री व उपभोग्य भण्डार जो सभी शॉप के लिए काम आता है के व्यय सामान्य के खो जाने चोरी बदलने इत्यादि के व्यय।
- प्रशिक्षुओ के स्कूल व होस्टल के व्यय।
- कारखाने के सुरक्षा दल के स्टाफ की लागत।
- सेन्ट्रल वर्क्स पंपिंग प्लांट के संचालन के व्यय व जल प्रभार जो किसी शॉप विशेष नही है।
- संपूर्ण कार्यशाला सफाई एवं रोशनी के व्यय ।
- केंटीन के व्यय
प्रोफार्मा उपरी लागत - इसमें वे प्रशासनिक व्यय आते है जिन्हें रेलवे के लिए किये गये कार्यो में शामिल नही किया जाता किंतु वस्तु के वाणिज्यिक मूल्यांकन हेतु शामिल किया जाना आवश्यक है। इसमें निम्न मदे आती है :
- कारखाने के प्रशासनिक विभागों के स्टाफ अर्थात पर्यवेक्षण की लागत जैसे क्षेत्रीय मुख्यालय के यांत्रिक विभाग का हिस्सा वित्तीय कार्मिक प्रबंध और अन्य विभाग।
- कारखानों में कार्यरत श्रमिको एवं पर्यवेक्षको को देय भविष्य निधि अंशदान व पेंशन निधि में विनियोग
- कर्मचारियों को शैक्षणिक भुगतान।
- कारखाने की बिल्डिंग संयत्र एवं मशीनरी की मरम्मत व अनुरक्षण की लागत तथा ब्याज में हिस्सा
- नये लघु कार्यो पर व्यय।
- कर्मकार प्रतिकार अधिनियम के तहत भुगतान।