सर्वेक्षण

सर्वेक्षण 

किसी परियोजना का निर्माण न्यायोचित है या नही, यह निर्णय लेने के लिए एक प्रारंभिक जाँच पड़ताल की जाती है, जिसे सर्वेक्षण कहते है सर्वेक्षण से यह निर्णय  लिया जाता है, कि रेलवे के भावी विकास की सामान्य परिस्थितियों में प्रस्तावित लाइन कितनी उपयुक्त रहेगी और प्रस्तावित परियोजना से कितना लाभ होगा और विभिन्न विकल्पों की तुलना में कौनसी योजना लाभदायी होगी 

सर्वेक्षण दो प्रकार के होते है - 

यातायात सर्वेक्षण - यातायात सर्वेक्षण में किसी क्षेत्र या खंड की यातायात संबंधी परिस्थितियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। नयी लाइन परियोजनाओ फिर से बिछाई जाने वाली लाइनों आसान परिवर्तन योजनाओ दोहरी लाइन बिछाने वालो कार्यो या लाइन की क्षमता से संबंधी अन्य बड़े कार्यो को करने से पहले यातायात की संभावनाओ और वित्तीय लागत का आंकलन यातायात सर्वेक्षण के अंतर्गत आता है

किसी परियोजना के आर्थिक अध्ययन के बाद ही उस नई परियोजित रेलवे लाइन या आमान परिवर्तन के मामले में निर्णय लिया जा सकता है यातायात सर्वेषण में यह जानने की कोशिश की जाती है, कि भविष्य में कुल कितना यातायात मिलने की संभावना है तथा रेल और सडक यातायात के बीच संभावित आय का विभाजन किस प्रकार होगा 
यातायात (वाणिज्य या परिचालन) विभाग के किसी प्रशासकीय अधिकारी व्दारा यातायात सर्वेक्षण किया जाता है वह यह सुनिश्चित करता है, कि प्रत्याशित लागत पूँजी लागत और आवर्ती खर्चे के प्राक्कलन वास्तविक है और परियोजना का वित्तीय मूल्यांकन प्रत्येक चरण पर निवेश और प्रतिफल के प्रावस्थान (फेजिंग) सहित यथासम्भव सही - सही किया गया है

संभावित यातायात का आंकलन करने और पूर्वानुमान लगाने के तरीके - सर्वेक्षण दल व्दारा यातायात की सम्भावनाओ का आंकलन निम्न तरीके से किया जाता है - 
  • वर्तमान परिवहन साधनों का उपयोग करने वाले यात्रियों और माल की वास्तविक गणना का पारम्परिक तरीका, 
  • सांख्यिकी विश्लेषण के आधार पर पूर्वानुमान लगाने के तरीके विशेष रूप से क्षेत्र की मुख्य वस्तुओ से संबंधित यातायात और आर्थिक गतिविधियों के साथ उनके सहसंबंध के बारे, और 
  • परेषनो और डेटा के आधार पर माडल बनाना और यह सुनिश्चित करना की अपनाये गये माडल में जो पूर्वानुमान लगाये गये है वह विश्वसनीय है 
यातायात सर्वेक्षण रिपोर्ट - यातायात सर्वेक्षण पूरा होने के बाद कार्यभारी अधिकारी व्दारा एक रिपोर्ट तैयार की जाती है रिपोर्ट का प्रारूप प्राय: इस बात पर निर्भर करता है, की सर्वेक्षण का विषय किस प्रकार का था और क्या क्या अन्वेषण किये गये सामान्यत: रिपोर्ट का प्रारूप निन्मलिखित हो सकता है _ 
  • प्रस्ताव का इतिहास और विचारार्थ विषय, 
  • सामान्य वर्णन, 
  • संभावनाए और सम्भाव्यताए,
  • ओद्योगिक और आर्थिक विकास तथा यातायात की योजनाए, 
  • जनसँख्या का घनत्व और यात्री यातायात की मात्रा, 
  • मौजूदा दरे और प्रभार्य दरे ,
  • वर्तमान मार्ग या मार्गो की स्थिति वैकल्पिक मार्ग और संभावित विस्तार ,
  • स्टेशन की जगह और उनका महत्व, 
  • आवश्यक गाड़ी सेवाए / खंड की क्षमता बढाने के लिए विभिन्न विकल्प, 
  • कोचिंग यातायात से आय, 
  • माल यातायात से आय, 
  • संचालन व्यय और शुध्द प्राप्तिया, 
  • इंजीनियरिंग संबंधी विशेषताए, 
  • दूर संचार की सुविधाए ,
  • वित्तीय मूल्यांकन तथा, 
  • निष्कर्ष और सिफारिशे, 
इंजीनियरिंग सर्वेक्षण - इंजीनियरिंग सर्वेक्षण तीन प्रकार के होते है :

 टोह सर्वेक्षण - इस सर्वेक्षण में अपेक्षित जल का निकास और स्टेशनों नदी नालो के क्रोसिंग पूलों और सडको के लिए सर्वोत्तम स्थानों का पता लगाने के लिए किस प्रकार की नीव की आवश्यकता होगी, और सर्वेक्षण के क्षेत्र में  उपलब्ध श्रम और सामग्री कितनी लगेगी 
प्रस्तवित लाइन के लिए रूलिंग ग्रेडिएंट और वक्रांश को मोटे मार्गदर्शन सिध्दांत के रूप में माना जाता है, और सर्वेक्षण दल को चाहिए, की क्षेत्र की भूमि की बनावट यतायात के स्तर परिकल्पित रफ्तार कर्षण निर्माण की प्रारंभिक लागत एवं विभिन्न विकल्पों से सेवा की यूनिट लागत को ध्यान में रखते हुए विचार करे और अपनी सिफारिश प्रस्तुत करे 

रिपोर्ट : टोह सर्वेक्षण पूरा होने के बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है जो व्यावहारिक अध्ययन के लिए निर्धारित फार्म में होती है इसमें इस बात की सिफारिश की जाती है कि सर्वेक्षित लाइन की संभावनाए वित्तीय दृष्टि  से ऐसी है, की इस परियोजना के निर्माण की दृष्टि से आगे और निरिक्षण करना उपयोग होगा इसके साथ लाइन के निर्माण के लिए प्रक्कलन भी दिया जाता है 

प्रारंभिक सर्वेक्षण - यह बहुत ही महत्वपूर्ण सर्वेक्षण है, क्योकि यातायात सर्वेक्षण के साथ इस सर्वेक्षण पर विचार करने से ही महत्वपूर्ण परिणाम निकाला जाता है, कि लाइन बनाई जय अथवा नही इस सर्वेक्षण में उस मार्ग अथवा मार्गो की विस्तृत उपकरणीय जाँच की जाती है जो कि टोह सर्वेक्षण व्दारा चुने गये हो इस अन्वेषण व्दारा परियोजना की निकटतम संभावित लागत का अनुमान लगाया जा सकता है इस सर्वेक्षण में संरेखण के खूटे लगाने के लिए थियोडोलाइट की आवश्यकता नही होती है, लेकिन भूमि पर पत्थर के स्तभ या अन्य स्थाई चिन्ह छोड़ दिये जाते है प्रारंभिक सर्वेक्षण कार्य अंतिम स्थान निर्धारण सर्वेक्षण के लिए निर्धारित मानको के आधार पर किया जाता है यह अधिकांशत: प्रदेश की प्रकृति पर निर्भर करता है और प्रत्येक स्थिति में इतना होना चहिए की परियोजना की लागत का निकटतम अनुमान लगाया जा सके 

रिपोर्ट : सर्वेक्षण पूरा होने पर रिपोर्ट दी जाती है जिसमे वे सभी विवरण दिये जाते है जो कि प्रोद्यो  - आर्थिक सर्वेक्षण के लिए निर्धारित है इसके साथ परियोजना की लागत का प्रक्कलन भी भेजा जाता है  ताकि अंतिम स्थान निर्धारण सर्वेक्षण के प्रक्कालनो की तैयारी के लिए निर्धारित नियमो का यथा संभव पालन किया जा सके लागत के आंकड़े निकालने के लिए अपनाये गये तरीके के बारे में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट के साथ मानचित्र और नक़्शे भी भेजे जाते है 

अंतिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण - यातायात सर्वेक्षण टोह सर्वेक्षण और प्रारंभिक सर्वेक्षण से अंतिम मार्ग निर्धारण के लिए आकडे उपलब्ध हो जाते है जिसके आधार पर अंतिम मार्ग का निर्धारण किया जाता है परियोजना के निर्माण का फैसला करने के बाद यह सर्वेक्षण किया जाया है, इसमें अंतिम रूप से चुने हुए संरेखण में जमीन पर खूटे गाड़ दिये जाते है विस्तृत प्लान और रिपोर्ट तैयार की जाती है यह निर्माण प्रक्कलन का आधार बनता है अंतिम मार्ग निर्धारण सर्वेक्षण किसी अच्छे थियोडोलाइट अथवा ट्रेवर्स के आधार पर किया जाता है जिससे अंतिम रूप से अपनाई जाने वाली केंद्र लाइन के यथासंभव सन्निकट रहे यह सर्वेक्षण इतने विस्तृत रूप से किया जाता है की जिससे अपेक्षित विस्तृत नक़्शे एवं सेक्शनो को तैयार करने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त हो सके 

परियोजना लाइन के आस - पास स्थित बांधो बांधयुक्त नदी - नालो तथा सिचाई संबंधी निर्माणों की जाँच - पड़ताल करके यह देखा जाना चाहिए कि भविष्य में लाइन की सुरक्षा पर उनका विपरीत असर नही होगा जब रास्ता पहाड़ी से होकर  जाता है तो इंजीनियर व्दारा उस प्रदेश के भू - गर्भीय लक्षणों का अन्वेषण किया जाना चाहिए ताकि लाइन का सुदृढ़ता के विषय में रेल प्रशासन को जानकारी मिल सकेमिट्टी के काम तरीका मिट्टी की प्रकृति तथा वर्गीकरण पर निर्भर करता है अत: पूरे प्रस्तावित मार्ग में मिट्टी की गहराई से नमूने लेकर जाँच की जनि चाहिए इन नमूनों की परीक्षा करके तटबंधो और कटानो की रूपरेखा महत्वपूर्ण संरचनाओ का डिज़ाइन और मिट्टी के काम की पध्दति तैयार की जानी चाहिए 
यह सर्वेक्षण अत्यधिक विस्तारपूर्वक बनाया जाता है इसके बाद अन्य सर्वेक्षण की आवश्यकता नही होती है 

प्राक्कलन (एस्टीमेट) 

प्राक्कलन एक ऐसा विवरण है जो किसी कार्य पर खर्च के लिए प्रस्ताव का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए सक्षम अधिकारी को स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करने के लिए तैयार किया जाता है प्राक्कलन में कार्य के नाम, स्थल, निधि, व्यवस्था के उल्लेख के अतिरिक्त विभिन्न मदों के अंतर्गत लगभग कितना खर्च रोकड़ मजदूरी और सामग्री आदि पर होगा का विवरण होता है सक्षम अधिकारी की स्वीकृति से पूर्व प्रक्कलन की लेखा विभाग व्दारा जाँच की जाती है और उसे प्रमाणित किया जाता है इस प्रकार प्रक्कलन बनाने का उद्देश्य यह है की सक्षम अधिकारी व्दारा इसमें दिये गये विवरण के आधार पर खर्च के प्रस्ताव के औचित्य के बारे में आश्वस्त होना और यह सुनिश्चित करना कि मंजूरी देने में अनियमितता न हो प्राक्कलन व्यय नियंत्रण एक साधन है और कार्यपालक अधिकारियो का कार्यान्वयन के लिए मार्गदर्शन करता है 

रेलवे में निम्न प्रस्तावों के लिए प्राक्कलन तैयार किये जाते है - 
  • नये निर्माण कार्यो या सम्पतियो का निर्माण या खरीद 
  • वर्तमान निर्माण या परिसंतियो का नवीनीकरण और बदलाव जो मूल्य ह्रास आरक्षित निधि विकास निधी या चालू लाइन निर्माण कार्य राजस्व को प्रभारित होने वाले वे कार्य जिनकी लागत का अनुमान 10,000 रूपये से अधिक हो जो राजस्व को प्रभारित हो और जिनकी लागत 50000 रूपये से अधिक होने का अनुमान हो, 
  • वर्तमान निर्माण या परिसम्पतियो को स्क्रेप करना उखाड़ना या छोड़ देना,
  •  वर्तमान निर्माणों या परिसम्पतियो की मरम्मत जिनके अनुमानित लागत 50, 000 रूपये से अधिक हो, 
  • अस्थाई और परीक्षणात्मक निर्माण कार्य चालू लाइनो पर नवीनीकरण और बदलाव और, 
  • गिट्टी का नवीनीकरण, 
निम्न कार्यो पर व्यय बिना प्राक्कलन बनाये ही किया जा सकता है - 
  • जो कार्य बहुत ही जल्दी करने होते है जिनके न करने से किसी जान या माल की हानि हो सकती है जैसे - बाढ़ दुर्घटना या अन्य आकस्मिक कारणवश रेल पटरी नष्ट हो जाने से रेल यातायात बंद हो जाता है तो उसको चालू करने के लिए व्यय तुरंत बिना समर्थ अधिकारी की स्वीकृति के किया जा सकता है 
  • वह व्यय जो बहुत जल्दी और जरुरी तो समझे जाते है परंतु पहली श्रेणी में नही आते जैसे वह कार्य जो की महाप्रबंधक यह समझता है की यातायात की जरुरतो को देखते हुए बहुत ही जरुरी है और विस्तारपूर्वक प्राक्कलन बनाये बिना ही शुरू कर लेना चाहिए 
उपरोक्त के अतिरिक्त निम्न कार्यो के लिए - 
छोटे - मोटे निर्माण कार्य जिनका अनुमानित खर्च 5000 /- रूपये तक हो 
चालू राजस्व को प्रभार्य नवीनीकरण आदि के कार्य जिनकी लागत 10000/- रूपये तक हो 
विकास निधि मूल्य ह्रास आरक्षित निधि और विकास निधि के कार्य जिनका अनुमानित खर्च 10000/- रूपये तक हो 
राजस्व बदलाव और मरम्मत के कार्य जिनकी अनुमानित लागत 5000/- रूपये तक हो 

प्रकार : रेलवे में सात प्रकार के प्राक्कलन बनाये जाते है - 

संक्षिप्त (सार) प्राक्कलन : किसी भी निर्माण कार्य के लिए विस्तृत प्राक्कलन बनाने के लिए अधिक धन खर्च करना पड़ता है इससे बचने के लिए पहले संक्षिप्त प्राक्कलन बनाये जाते है संक्षिप्त बनाने का मुख्य उद्देश्य प्रशासनिक स्वीकृति देने के लिए सक्षम प्राधिकारी को सम्भावित खर्च के बारे में उचित और सही रूप से विचार करने के लिए प्रस्ताव देना है इसका उद्देश्य निर्माण कार्यो के प्रस्ताव की वित्तीय सम्भावनाओ के लिए आवश्यक डाटा प्रस्तुत करना है संक्षिप्त प्राक्कलन में निर्माण कार्यो की आवश्यकता या सामान्य वांछनीयता के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया जाता है, ताकि सक्षम अधिकारी व्दारा उस निर्माण कार्य को करने के बारे में निर्णय लिया जा सके इसमें निर्माण कार्य एवं विशिष्टियो के बारे में संक्षिप्त रिपोर्ट व  औचित्य के साथ - साथ मुख्य शीर्षों और उपशीर्षों में या विशिष्ट मदों में लागत दिखाई जाती है व निधि स्त्रोत व एलोकेशन का वर्णन किया जाता है 

ब्यौरेवार प्राक्कलन : संक्षिप्त प्राक्कलन के व्दारा सक्षम पप्राधिकारी से प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त होने के बाद कार्य तब तक प्रारंभ नही किया जाता है जब तक की संबंधित कार्य का ब्यौरेवार प्राक्कलन तैयार एवं स्वीकृति नही हो जाता और सक्षम अधिकारी व्दारा राशि की मंजूरी प्राप्त नही हो जाती है यह प्राक्कलन पैरा 703 ई के अनुसार नई रेलवे लाइन के निर्माण के अतिरिक्त अन्य कार्यो के लिए बनाये जाते है यह सभी कार्यो की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करने के लिए बनाया जाया है इसमें प्रत्येक मद पर होने वाले खर्च को बहुत विस्तारपूर्वक दर्शाये जाते है। 

पूरक प्राक्कलन : पूरक प्राक्कलन उस मद के लिए तैयार किया जाता है जो पहले से स्वीकृत कार्यो में सम्मिलित किया जाना चाहिए था अथवा मूल प्राक्कलन की स्वीकृति के बाद यह अनुभव किया जाता है कि नया कार्य स्वीकृत प्रक्कलन एक अंग या अवस्था है जिसको मूल प्रक्कलन का एक अंग माना जाना चाहिए पूरक प्रक्कलन मूल प्राक्कलन की तरह बहुत विस्तारपूर्वक बनाये जाते है 

संशोधित प्राक्कलन : निर्माण कार्य पर किये जाने वाले व्यय की राशि के ब्यौरेवार प्राक्कलन में स्वीकृति राशि में अधिक या कम होने की संभावना होती है तब सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के लिए तत्काल ही विस्तार से बनाया जाता है इसके साथ अंतिम स्वीकृति प्राप्ति तक की स्थिति तक किये गये व्ययाधिक्य या बचत की उपशीर्षकों के अंतर्गत स्वीकृत राशि एवं वास्तविक व्यय को तुलनात्मक रूप में दर्शाया जाता है 

परियोजना का संक्षिप्त (सार) प्राक्कलन : किसी परियोजना का संक्षिप्त प्राक्कलन निर्माण योजना का सार प्राक्कलन है केवल निर्माण कार्यो के लिए ही संक्षिप्त योजना तैयार करने की आवश्यकता होती है इसे फार्म 554 ई में भरकर रेलवे बोर्ड की प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए बनाया जाता है 

निर्माण प्राक्कलन : किसी योजना में सम्मिलित सभी कार्यो के ब्यौरेवार प्राक्कलन को सामूहिक व्यय पर नियंत्रण के रूप से निर्माण प्राक्कलन की संज्ञा दी जाती है जब किसी योजना के कार्य को प्रारंभ करने का रेल प्रशासन व्दारा निर्णय कर लिया जाता है तब अंतिम सर्वेक्षण के दौरान एकत्र की गई सूचनाओ के आधार पर योजना में शामिल सभी कार्यो का विस्तार से प्रक्कलन तैयार किया जाया है इसमें कोई भी मत छोड़ी नही जाती है यह प्रक्कलन तैयार किया जाता है इसमें कोई भी मत छोड़ी नही जाती है यह प्राक्कलन किसी योजना के कार्यो के लिए तकनिकी स्वीकृति प्राप्ति के लिए तैयार किया जाता है 

समापन प्राक्कलन : यह प्राक्कलन निर्माण प्राक्कलन का अधिक्रमण करते हुए बनाया जाता है इसमें निम्न विवरण दर्शाये जाते है - 
  • स्वीकृत प्राक्कलन की राशि, 
  • निर्माण प्राक्कलन के अंतिम दिन तक सभी कार्यो पर किये गये वास्तविक खर्च की राशि, 
  • तिथि विशेष पर भावी लक्ष्य प्राप्ति के लिए वचन बध्दताए, 
  • प्रत्याशित खर्च ,
  • कुल प्राक्कलित लागत, 
  • स्वीकृति और प्राक्कलन लागत में अंतर, 
यह प्राक्कलन नई लाइन के चालू होने के 18 महीने के पूर्व तैयार किया जाता है जिस वित्तीय छ: माही में समापन प्राक्कलन प्रस्तुत किया जाता है उसके बाद के तीन छ: माही अवधि के भीतर समाप्ति रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत की जाती है 

जमा निर्माण कार्य 

जमा निर्माण कार्य ऐसे निर्माण या मरम्मत कार्य होते है जिनकी लागत रेलवे निधियो से नही बल्कि गैर रेलवे स्त्रोतों से प्राप्त निधियो से पूरी की जाती है रेल प्रशासन व्दारा दूसरे सरकारी विभागों, नगर पालिकाओ तथा अन्य स्थानीय निकायों और प्राइ वेट फर्मो एवं व्यक्तियों के लिए जो कार्य किये जाते है उन्हें जमा निर्माण कार्य कहते है 

जब किसी व्यक्ति फर्म अन्य सरकारी विभाग अथवा स्थानीय निकायों व्दारा कोई जमा निर्माण कार्य किया जाता  है तो इनके व्दारा रेलवे के मंडल अधिकारी से अनुरोध किया जाता है अनुरोध करते समय अनुरोधकर्ता अपेक्षित कार्य एक कच्चा खाका और अन्य ब्यौरा भी प्रस्तुत करते है तथा भूमि और सामग्री की लागत सहित पर्यवेक्षक की लागत आदि रेलवे के पास जमा कराते है 























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