भण्डार कार्य विधि
रेल संगठन पर नियमित रूप से काम आने वाले भण्डार का स्टॉक रखना इसलिए आवश्यक है कि -
- तात्कालिक आवश्यकताओ की पूर्ति हो सके,
- आपूर्ति एवं निपटान विभाग से बार - बार आंशिक रूप से मांग न करनी पड़े,
- भण्डार की बार - बार खरीद करने में लगने वाला समय व श्रम बचाया जा सके तथा,
- इकट्ठी खरीद से मितव्ययता रह सके,
भण्डार विभाग प्रत्येक रेलवे के भण्डार नियंत्रक के प्रशासनिक एवं व्यावसायिक नियंत्रण में कार्य करता है। भण्डार नियंत्रक महाप्रबंधक के आधीन विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। रेलवे हेतु आवश्यक आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सामग्री और भण्डार की यथासंभव कुशलता किफ़ायत और शीघ्र आपूर्ति करना भण्डार की प्राप्ति निरीक्षण अभिरक्षण वितरण व्यवस्था एवं फालतू अधिशेष का निपटान इत्यादि सभी कार्य भण्डार विभाग व्दार निष्पादित किये जाते है।
सामग्री एवं भण्डार की कुशल अभिरक्षा एवं वितरण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न स्थलों पर मुख्य डिपो और उनके अंतर्गत उप डिपो होते है।
भण्डार लेखा विभाग मुख्य भण्डार के साथ लगा होता है जो उपरोक्त सभी कार्यो में वित्तीय प्रबंध एवं व्यय पर नियंत्रण करता है।
भण्डार को स्टॉक की दृष्टि से तीन भागो में बाटा जा सकता है -
स्टॉक मदे : वे मदे जो सामान्यत: रेलवे पर काम आती रहती है और जिन्हें निर्बाध आपूर्ति के लिए स्टॉक किया जाना आवश्यक है।
नॉन स्टॉक मदे : ऐसी सामग्री जो भण्डारण के उद्देश्य से नही खरीदी जाती है जं आवश्यकता होती है तब उतनी ही खरीदी जाती है नॉन स्टॉक मदे कहलाती है।
विशेष स्टॉक : ऐसे भण्डार जो किसी कार्य विशेष के लिए खरीदे जाते है एवं सीधे कार्य पर भेज दिये जाते है विशेष स्टॉक कहलाते है।
प्रत्येक प्रकार के भण्डार के सही पहचान के लिए उनका वर्गीकरण किया गया है उन्हें 9 मुख्य समूह और 75 उप समूहों में वर्गीकृत किया गया है प्रत्येक भण्डारित वस्तु को अंको के आधार पर इस प्रकार कोडिंग किया गया है कि प्रत्येक कोड की डिकोडिंग के साथ ही उस वस्तु का मुख्य समूह उप समूह और वस्तु के बारे में पता चल जाता है।
रेलवे में भण्डार की आपूर्ति के स्त्रोत मुख्यत: निम्न है -
- विभिन्न मंत्रालयों से जैसे रेल मंत्रालय निर्माण आवास एवं आपूर्ति मंत्रालय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय संचार मंत्रालय इत्यादि
- सीधी केन्द्रीयकृत खरीद व्दारा
- दूसरी रेलवे से
भण्डार खरीद के वित्तीय औचित्य के सिध्दांत के पालन एवं मितव्ययता के लिए प्रयोगात्मक दरे प्राप्त करने हेतु टेंडर एवं ठेके के तहत खरीद की जाती है विभिन्न स्त्रोतों से भण्डार प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन नियम बनाये जाते है एवं उसके तहत बजट बनाया जाता है खरीद के संबंध में भण्डार नियंत्रक को शक्तियाँ प्रत्योजित की गई है।
अनावश्यक भण्डार और पूँजी के अवरोध को रोकने एवं निर्बाध आपूर्ति बनाये रखने के लिए प्रत्येक सामग्री के भण्डारण की न्यूनतम व अधिकतम सीमा निश्चित की गई है भण्डार डिपाओ में भण्डार के साथ केवल उनका संख्यात्मक रिकोर्ड रखा जाता है मूल्यांकित रिकोर्ड एवं विस्तृत लेखा लेखा कार्यालय में रखा जाता है भण्डार का नियमित विभागीय सत्यापन होता है इसके अतिरिक्त लेखा विभाग व्दारा भी नियमित कार्यक्रम के तहत आवधिक सत्यापन भण्डार लेखा सत्यापन व भण्डार लेखा निरिक्षण व्दारा किया जाता है।
भण्डार बजट
रेलवे कार्यो पर व्यय का एक बड़ा हिस्सा भण्डार का होता है हर समय आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में भण्डार रहे और पूँजी भी अवरूध्द न हो इस लिये भण्डार काबजट अलग से तैयार किया जाता है। यह भण्डार नियंत्रण व्दारा भण्डार लेखा अधिकारी की सहायता से तैयार कर हर वर्ष 23 दिसंबर तक रेलवे बोर्ड भेज दिया जाता है। बजट के साथ क्रय का ब्यौरा तथा स्टॉक अधिशेष का विश्लेषण विवरण भी भेजा जाता है। भण्डार का बजट निम्न शीर्षों में बनाया जाता है -
- गत वर्ष के वास्तविक व्यय के आंकडे
- वर्तमान वर्ष का मूल बजट
- वर्तमान वर्ष का संशोधित बजट अनुमान
- आगामी वर्ष का बजट अनुमान
प्रक्रिया
भण्डार बजट तैयार करने हेतु निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है -
- आगामी वर्ष के बजट अनुमान के आंकड़े तैयार करने के लिए वर्तमान वर्ष के संभावित अंतिम शेषो का अनुमानित मूल्य में भण्डार उचंत के तहत खरीद (देशी व विदेशी ) जोड़ कर विक्रय घटा दिया जाता है। तथा इसमें वर्तमान वर्ष के भण्डार समायोजन लेखा के अनुमानित शेषो का समायोजन भी सुनिश्चित कर लिया जाता है।
- जमा के अनुमान ज्ञात करने हेतु किये गये निर्माण कार्य के तहत निर्गमन पूँजी विनिर्माण उचंत को निर्गमन विविध अग्रिमो को निर्गमन एवं राजस्व के लिये निर्गमन के अनुमानित आंकड़े सभी संबंधित विभागों से प्राप्त अनुमानों के आधार पर तैयार किये जाते है।
- विक्रय व हस्तांतरण के तहत निर्माण कार्यो से लौटाई जाने वाली सम्भावित सामग्री ईधन और ईधन तेल कोयला कोक इत्यादि के आंकड़े अलग - अलग प्रदर्शित किये जाते है।
- अंतिम शेष भी संबंधित विभागों व्दारा आपातकालीन भण्डार साधारण भण्डार रद्दी सामग्री के तहत प्राप्त आंकड़ो से तैयार किये जाते है ।
- डेबिट का अनुमान वार्षिक प्राप्तियो निर्माण भण्डार में निर्माण केन्द्रो से प्राप्ति निर्माण कार्यो से लौटाई गई सामग्री एवं अन्य डेबिट जैसे भण्डार समायोजन लेखा के तहत समायोजनो को ध्यान में रख क्र तैयार किये जाते है।
निविदा के प्रकार
भण्डार की प्राप्ति हेतु निविदा प्रणाली काम में ली जाती है भण्डार निविदाए तीन प्रकार की होती है -
खुली निविदा : जब आपूर्ति हेतु प्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक विज्ञापित की विधि काम में ली जाये तो उसे खुली निविदा कहते है। इस प्रणाली में फर्मे जो अनुमोदित सूची में नही है वे भी अपनी निविदा भेज सकती है प्राय: सबसे कम मूल्य की निविदा स्वीकार की जाती है।
सीमित निविदा : ऐसे मामलो में जब सार्वजनिक विज्ञापन लाभकारी नही हो तो सूचियत फर्मो से निविदा प्रस्ताव मंगाये जाते है कम से कम तीन निविदा प्राप्त होनी चाहिये।
एकल निविदा : जब या तो बहुत कम मूल्य की सामग्री है अथवा बाजार में उस सामग्री की एक ही फर्म हो तो उसी फर्म से निविदा प्रस्ताव आमंत्रित क्र ठेका दिया जाता है इसे एकल निविदा कहते है।
वेश्विक निविदा : ऐसी सामग्री जिनके आपूर्तिकर्ता देश के बाहर भी होते है वेश्विक निविदा प्रणाली काम में ली जाती है एवं इसमें विश्व के सभी प्रमुख समाचार पत्रों और सूचना एवं प्रसार के अन्य माध्यमो का प्रयोग कर विश्व स्तर पर निविदा प्रस्ताव मंगाये जाते है। प्राप्त सभी निविदाओ का तुलनात्मक विवरण बना कर न्यूनतम मूल्य की निविदा प्राय: स्वीकार की जाती है। स्वीकृत निविदा प्रस्ताव के अनुसार सप्लाई के ठेके दिये जाते है उसके लिये अलग से ठेके की मानक शर्तो एवं अन्य निर्धारित शर्तो को ध्यान में रखा जाता है।
भण्डार लेखा का कम्प्यूटरीकरण
प्राप्ति भण्डार निर्गमन और शेषो को सही प्रकार से व्यवस्थित रखने फ्रोड व अनावश्यक छीजत चोरी इत्यादि से बचने एवं शेषो को सही रखने के लिये भण्डार लेखो का कम्प्यूटरीकरण के तहत समस्त लेखे विवरण, रिपोर्ट इत्यादि कम्प्यूटर पर तैयार किये जा रहे है कम्प्यूटर का कार्य पांच चरणों में पूरा किया गया जिसमे -
- मूल्यांकित बही खाते - प्रथम चरण में
- संख्यात्मक बही खाते - I दूसरे चरण में
- आदेश प्रगति तीसरे चरण में
- भुगतान बिलों का लेखा जोखा चौथे चरण में
- संख्यात्मक बही खाते - II पांचवे चरण में
प्रत्येक लेखा इकाई एवं डिपो को दो अंकीय मूल्य सूची के प्रत्येक वस्तु को आठ अंकीय पाने वाले काके 5 अंकीय भण्डार की कोटि को 2 अंकीय एवं आवंटन को 8 अंकीय कोड दिया गया।
कम्प्यूटरीकरण के उद्देश्य
- यह सुनिश्चित करना कि भण्डार का लेन - देन जिस माह में हुआ है उसी माह में उसका लेखा पूरी तरह सही रूप में हो जाये।
- मूल्यांकन खातो का रख - रखाव और उनके अधिशेषो का सामान्य खातो से मिलान सुनिश्चित करना
- निर्गमित माल की कीमत एवं विभागीय शुल्क का वसूल विवरण बनाना।
- प्रबंध संबंधी ऐसे विवरण तैयार करना जिससे प्रभावी वस्तु सूची नियंत्रण हो सके।
वस्तु सूची
परिभाषा
सामन्यत: किसी भी संस्थान उपक्रम या फर्म के पास उपलब्ध आवश्यक सामग्री सम्पति आदि की सूची को वस्तु सूची कहते है। किसी भी व्यापारिक संस्थान में वह सम्पत्ति जो की कच्चे पुर्जो आदि के रूप में रहती है। वस्तु सूची कहलाती है।
भारतीय रेलवे में जो सम्पत्ति कच्चे माल प्लांट और मशीनरी डिपो में भंडारित सामान आदि की सूची को वस्तु सूची कहते है।
आवश्यकता
वस्तु सूची की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है -
- जब आवश्यकता हो तब वे वस्तुए बाजार में उपलब्ध रहे यह आवश्यक नही है, रेलवे में बड़े पैमाने में भण्डार की आवश्यकता होती है इसलिए वस्तु सूची आवश्यक है।
- इकट्ठी खरीद करने से बचत होती है।
- बाजार में वस्तुओ के मूल्य में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
- परिवहन लागत में कमी लाने के लिए।
- आपूर्तिकर्ता व्दारा निश्चित समय पर निश्चित स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित हो यह आवश्यक नही है।
प्रकार
सामान्यत: वस्तु सूची निम्न दो प्रकार की होती है -
A. मशीनरी और औजार संयंत्र के रूप में पड़ी अचल सम्पत्ति।
B. नियमित निष्क्रिय इन्वैंटरी - इसमें निम्न मदे शामिल की जाती है।
- राजस्व शीर्षों के लिए भण्डारित की गई नियमित स्टॉक की मदे।
- पूँजी लेखा शीर्ष के लिए भण्डारित स्टॉक की मदे।
- मशीनरी औजार और संयंत्र एवं प्लांट्स के रूप में अचल सम्पत्ति की मदे वर्कशॉप में निर्मित माल की मदे।
- ऐसी पूँजी जिसका निवेश ऋण इत्यादि देने के रूप में नही हुआ हो।
नियंत्रण
वस्तु सूची नियंत्रण से तात्पर्य भण्डार डिपो में भण्डार की सभी मदों का शेष उस स्तर पर रखा जाय कि उपभोक्ताओ की आवश्यकताओ की बिना किसी कठिनाई के पूरा किया जा सके परन्तु साथ ही साथ यह ध्यान रखा जाय कि वस्तु सूची का स्तर इतना न हो कि परिणामस्वरूप अनावश्यक रूप से पूँजीरोध न हो इसका मूलभूत उद्देश्य यह है कि कार्यकुशलता में बाधा डाले बिना यथासंभव कम से कम सीमा तक ही वस्तु सूची को रखा जाय। रेलवे के पास पूजी की सीमितता होती है अत: सीमित पूँजी ब्लाक न हो, मूल्य पर नियंत्रण रहते हुए भण्डार की मूल्य वृद्धि न हो जैसे - एक रूपये में 64 पैसे भण्डार वस्तु की खरीद एवं 36 पैसे उसके रख - रखाव लदान उतराई और स्टॉक बनाये रखने के खर्च आते है ये खर्च तभी कम हो सकते है जबकि वस्तु सूची का नियंत्रण कर लिया गया है।
वस्तु सूची नियंत्रण के उपाय
वस्तु सूची नियंत्रण करने में निम्न उपाय सफल सिध्द होते है -
- मांग की सही भविष्यवाणी करते समय सावधानी बरती जाय।
- प्रावधान में पूर्ण सावधानी रखना।
- अधिशेष भण्डार की पहचान और उनका शीघ्र निपटारा करना भण्डार की किस्मो में कमी करना।
- नयी वस्तुओ के शीर्ष खोलने में सावधानी रखना।
- आवश्यकता से अधिक उपलब्ध माल का निपटारा शीघ्रता से करना मूल्य का वार्गिकारना करना।
- वर्कशॉप में निर्मित कराये या खरीदे का निर्णय शीघ्रता से करना।
- अचल और रद्दी भण्डार का निपटारा करना।
- स्टॉक शीट का निपटारा करना।
- उचंत खाते में पड़ी मदों का निपटारा करना।
- वस्तु सूची नियंत्रण को प्रभावशाली बनाने के लिए सही नीति और कार्यप्रणाली का निर्णय करना।
वस्तु सूची नियंत्रण की पध्दतिया
वस्तु सूची नियंत्रण में निम्नलिखित पध्दतिया अपनाई जाती है -
एबीसी वर्गीकरण : एबीसी वर्गीकरण वस्तु सूची नियंत्रण की आधुनिकतम तकनीक है। डिपो में वस्तुओ का भण्डारण अधिक महंगी वस्तुओ का अधिक समय के लिए नही होना चाहिए। भारतीय रेलों पर लगभग 20.8 लाख वस्तुए भण्डारित की जाती है। भारतीय रेले वर्ष में सात हजार करोड़ रूपये से अधिक माल की खरीद करती है। रेलवे को शेष रह गये भण्डार की कीमत पर भारी ब्याज चुकाना पड़ता है। वस्तुओ की संख्या अधिक होने के कारण सब पर नियंत्रण करना आसान नही है अत: कुछ ही वस्तुओ पर नियंत्रण को प्रभावी बनाने का प्रयास किया जाता है।
भण्डारित वस्तुओ को उनके औसत वार्षिक मूल्य के आधार पर एबीसी में वर्गीकृत क्र स्टॉक को भण्डारित वस्तुओ को उनके औसत वार्षिक मूल्य के आधार पर एबीसी में वर्गीकृत कर स्टॉक को भण्डार करने की सीमा अवधि निर्धारित की जाती है जो निम्न प्रकार है -
उपरोक्त ए और बी श्रेणी की वस्तुओ पर कठोर नियंत्रण रखा जाये तो लाभकारी परिणाम हो सकते है क्योकि -
- कुल भंडारित वस्तुओ में से पांच प्रतिशत वस्तुओ ऐसी हो सकती है जिनका कुल मूल्य भण्डारित वस्तुओ के कुल मूल्य का 70 प्रतिशत तक होता है ऐसी वस्तुए ए श्रेणी में आती है।
- कुल भण्डारित वस्तुओ में से 15 प्रतिशत वस्तुए ऐसी होती है जिनका मूल्य कुल भण्डारित वस्तुओ के मूल्य का 15 प्रतिशत होता है ऐसी वस्तुए बी श्रेणी में आती है।
- कुल भण्डारित वस्तुओ में से 80 प्रतिशत वस्तुए ऐसी होती है जिनका मूल्य कुल भण्डारित वस्तुओ का 5 से 10 प्रतिशत तक होता है ऐसी वस्तुए सी श्रेणी की होती है।
उपरोक्त वर्गीकरण के अनुसार ए श्रेणी की वस्तुओ पर कंट्रोल करने पर 70 से 80 प्रतिशत तक वस्तु सूची नियंत्रण हो जाता है अत: सी और डी श्रेणी की तुलना में ए श्रेणी की वस्तुओ पर अधिक कंट्रोल की आवश्यकता है।
एफ. एस. एन. वर्गीकरण : यह तीव्र (फ़ास्ट) धीमी (स्लो) व निष्क्रिय (नॉन - मूविंग ) गति के अनुसार वस्तुओ के जारी होने का वर्गीकरण है।
वी.ई.डी. वर्गीकरण : महत्वपूर्ण आवश्यक और अपेक्षित के आधार पर किया जाता है -
महत्वपूर्ण : इस श्रेणी की वस्तु के आभाव में रेलवे का संचालन का रुक सकता है जैसे ईधन आदि के आभाव में मोटिव पावर।
आवश्यक : यह भी कम महत्व की वस्तु नही होती है यदि इनका अभाव होने पर कार्य कुछ समय तक तो चल सकता है परंतु लम्बे में रेलों के संचालन पर विपरित प्रभाव पड़ता है जैसे - ग्रीस अथवा लुब्रीकेटिंग आयल।
अपेक्षित : इसमें वे वस्तुए आती है जिनके अभाव में उनकी एवजी वस्तु व्दारा काम निकाला जा सकता है जैसे- वस्तुओ में पुर्जे पंखे आयने आदि।
अधिकतम / न्यूनतम पध्दति : अधिकतम वह निम्नतम मात्रा है जिसकी खरीद का आदेश किसी भी समय दिया जा सकता है जिसमे भण्डार अपनी न्यूनतम निर्धारित सीमा से कमी भी कम नही होने पाये।
अधिकतम निर्धारित करते समय इंवेट्री भण्डारित करने के खर्च एवं भण्डार की प्राप्ति तक प्रक्रिया पर होने वाले खर्च का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए।
न्यूनतम भण्डारन की वह सीमा है जिसके नीचे बिना उचित पुन: आपूर्ति प्रक्रिया के भण्डार को नही जाने देना चाहिए।
मितव्ययी मात्रा आदेश : वह मात्रा जो खरीद के कुल आदेश के कुल मूल्य को अत्यंत कम करने एवं वस्तु सूची के रख रखाव पर होने वाले खर्च को कम करने में सहायक हो मितव्ययी मात्रा आदेश कहलाती है।
वस्तु सूची टर्न ऑवर - यह भण्डार डिपो में भण्डारित वस्तुओ का अनुपात है जो प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है यह जितना कम होता है उतना ही अच्छा होता है वर्तमान में यह 11 और 12 प्रतिशत तक है इसे ज्ञात करने का सूत्र -
वस्तु सूची टर्न ऑवर अनुपात = कुल भण्डारित वस्तुओ का मूल्य / वर्ष में जारी वस्तुओ का कुल मूल्य X 100
निर्गमन
रेलवे भण्डार से सामग्री प्राप्त करने के लिए उपयोगकर्ताओ की मांग पत्र प्रस्तुत करने होते है। भण्डार का निर्गमन निर्गमन नोट जारी करके किया जाता है। जिस विभाग व्दारा जितना भण्डार लिया जाता है लेखा विभाग व्दारा उस सामग्री के मूल्य का डेबिट उस विभाग को दे दिया जाता है। संबंधित विभाग व्दारा अनावश्यक सामग्री और अत्यधिक सामग्री न मांगी जाये इसलिए निधि रजिस्टर और अधिक मूल्य की मांग पत्रों की पूर्व वित्तीय विधिक्षा का प्रावधान है।
मूल्य सूची दर : भण्डार नियंत्रण व्दारा प्रत्येक सामग्री की दर जो मूल्य सूची में प्रदर्शित की जाती है मूल्य सूची दर कहलाती है। यह निर्गमित हुए भण्डार के मूल्याकन के लिए नही बल्कि उपयोग करने वाले विभागों की सूचनार्थ भण्डारित वस्तु का अनुमानित मूल्य होता इन दरो के आधार पर ही उपयोगकर्ता विभाग अपने प्राक्कलन एवं बजट तैयार क्र निधि आवंटन कराता है। यह दर मासिक या वार्षिक होती है और नित्य प्रति की औसत दर से भिन्न होती है। नये भण्डार की मूल्य सूची दर औसत दर या बाजार दर में से जो भी कम होती है वह होती है एवं कारखाने में निर्मित स्टॉक की मूल्य सूची दर हर 6 माह में यांत्रिक विभाग व्दारा निश्चित की जाती है रद्दी सामान की मूल्य सूची दर रद्दी सामग्री अनुसूची में प्रदर्शित दर होती है।
औसत खाता दर : मूल्यांकित खातो में उपलब्ध मूल्य शेषो में उस सामग्री विशेष की संख्या का भाग देने से जो दर प्राप्त होती है। वह औसत खाता दर होती है कम्प्यूटरीकृत प्रणाली में हर प्राप्ति के बाद औसत खाता दर स्वत: बदल जाती है। सभी विभागीय निर्गमन के मूल्यांकन के लिए औसत खाता दर काम में ली जाती है जबकि विक्रय के लिए वह दर होगी जो विक्रय की शर्तो के अनुसार तय की जायेगी।
भण्डार समायोजन लेखा
कई बार लेखो में दर्ज सामग्री और वास्तविक सामग्री में अंतर आ जाता है यह अंतर संख्या में अंतर के कारण, मूल्यों में अंतर के कारण चोरी होने छीनत होने राशि पूर्णाकित करने रद्दी माल में वर्गीकृत होने इत्यादि के कारण होता है, इस अंतर को भण्डार समायोजन लेखा भण्डार मुख्य उचंत शीर्ष के अंतर्गत उप शीर्ष है यह तीन भागो में तैयार किया जाता है -
स्टॉक में अंतर -
लेखा विभाग के सत्यापको व्दारा निकाला गया अंतर जो पुस्तक शेषो और वास्तविक शेषो में पाया गया है।
विभागीय सत्यापन के दौरान पाया मूल्यांकित खातो और स्थल शेषो में पाया गया अंतर।
मूल्यों में अंतर
- बाजार में उतार - चढ़ाव के कारण आया अंतर
- कारखाने व्दारा निर्मित माल के बाजार भाव में अंतर
अन्य विविध अंतर
- खाता मूल्य और विक्रय मूल्य में आया अंतर
- नये माल को रद्दी माल में वर्गीकृत करने के कारण आया अंतर
- रिसाव टूट - फूट छीजत घिसाई ह्रास के कारण आया अंतर
- रकमों को पूर्णाकित करने के कारण आया अंतर
- वाउचर न आने के कारण डिपो स्टॉक शीट के माध्यम से लाये गये मूल्यों के अंतर
- विविध अन्य अंतर
इस शीर्ष में शेषो का समायोजन राजस्व मामलो में हर 6 माह बाद क्र दिया जाता है एवं निर्माण कार्यो से संबंधित अंतर हर तीन महीने बाद कर दिया जाता है।
रद्दी एवं फालतू भण्डार का निपटान
रद्दी भण्डार वे भण्डार होते है जो रेलवे के किसी प्रयोग के लायक नही है एवं फालतू भण्डार उसे कहा जाता है जिसे 2 वर्षो से निर्गमित नही किया गया है लेकिन आगे काम में आने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए होता है कि प्रयोग में अप्रत्याशित कमी के कारण अथवा विनिर्दिष्टियो में अंतर आने के कारण सामग्री अप्रचलित या फालतू हो जाती है।
फालतू भण्डार के संचित होने के मुख्य कारण
- स्टॉक सीमा में वृद्धि
- चल स्टॉक प्रतिस्थापन
- संयंत्र और औजारों की डिज़ाइन में अंतर
- प्रयोग में अप्रात्याशित गिरावट
- उपयोगकर्ता विभागों व्दारा अनावश्यक भण्डार थोक में लौटा देना नये मानक या कार्यविधि के लागू होना
फालतू भण्डार के प्रकार
इनको दो भागो में बाटा जा सकता है -
- चल अधिशेष भण्डार : ये वे अधिशेष भण्डार होते है जिन्हें पिछले 24 महीने में निर्गमित नही किया है लेकिन निकट भविष्य में निर्गमित किये जाने की संभावना है
- अचल अधिशेष भण्डार : ये वे अधिशेष भण्डार है जिन्हें आगामी 24 महीने में भी निर्गमित किये जाने की संभावना नही है
फालतू भण्डार के निपटान के तरीके
- सार्वजनिक नीलामी व्दारा
- टेंडर आमंत्रित करके
- सीधी बिक्री व्दारा
भण्डार व्यय का वार्षिक विवरण
हर वर्ष क्रय किये गये भण्डार का कूल मूल्य जिसमे भण्डार की प्रत्येक श्रेणी जैसे 'ए' आयातित भण्डार, 'बी' भारत में क्रय किया गया आयतित भण्डार 'सी - I' लघु और कुटीर उद्योगों से क्रय किया गे भण्डार और 'सी - II' अन्य देशी भण्डार पृथक - पृथक रूप से एक विवरण में तैयार कर अगले वर्ष की 25 मई तक रेलवे बोर्ड भेजा जाता है। इसमें आंकड़ो का संकलन कम्प्यूटर की सहायता से गत वर्ष के आंकड़ो से तुलना एवं महत्वपूर्ण परिवर्तन बताते हुए तैयार किया जाता है।
भण्डार का वार्षिक विवरण
प्रत्येक श्रेणी में अलग - अलग सामान्य भण्डार के अधिशेष विशेष निर्माण कार्यो के लिए उपलब्ध किया गया आपात भण्डार के आंकड़े एक विवरण में बनाकर रेलवे बोर्ड भेजा जाता है। इसमें कार्य स्थली सामग्री से संबंधित विवरण भी दिया जाता है। यह 1 अगस्त तक रेलवे बोर्ड भेज दिया जाता है