भारतीय रेल का एक परिचय
भारतीय रेल ने आम आदमी के यात्रा करना बहुत ही सरल बनाया है साथ ही भारत को एक सूत्र में बांधने का प्रयास करती है । भारतीय रेल के कारण धर्मो जातियों और वर्गो के बीच लोगो का आपस में मिलन हुआ है। भारतीय रेलों के द्वारा व्यापार और व्यवसाय का विस्तार हुआ है और उद्योगों का विकास तथा शिक्षा के प्रसार में योगदान किया है। भारतीय रेलों में कीमतों को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शहरीकरण, गावो का विकास और रोजगार के अवसरो में वृद्धि, भारतीय रेलों के व्दारा ही संभव हो पाई है। इस प्रकार भारतीय रेले राष्ट्र की जीवनदायिनी रेखा बन गई है।
रेलवे का इतिहास एवं संगठन
विश्व की सबसे पहली रेलगाड़ी सन् 1825 में इंग्लैंड में स्टाकटन और डार्लिंगटन के बीच सफलता पूर्वक चलाई गई। इसके सिर्फ 28 वर्ष बाद ही भारत में 16 अप्रैल, 1853 को बोरीबंदर (छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) और थाना के बीच चलाई गई थी, जिसकी दूरी प्रारंभ में 34 किलोमीटर ही थी।
भारत में पहले रेले प्राइवेट स्टर्लिग कम्पनियों द्वारा निर्मित और संचालित की जाती थी, बाद में सन्1854-60 के दौरान भारत में रेलों का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा या (1858 के बाद ) भारत सचिव द्वारा ईस्ट इंडिया रेलवे कम्पनी, ग्रेट इंडियन पैनिनसुला रेलवे कम्पनी, मद्रास रेलवे कम्पनीम बम्बई बडौदा एंड सैंट्रल इंडिया रेलवे कम्पनी, सिंध रेलवे कम्पनी, ईस्टर्न बंगाल रेलवे कम्पनी, ग्रेट सदर्न ऑफ इंडिया रेलवे कम्पनी और कलकत्ता और साउथ ईस्टर्न रेलवे कम्पनी को ठेके दिये गये।
सन 1869 के बाद कई वर्षो तक रेलों पर पुंजीगत खर्च मुख्यत: सीधे सरकार द्वारा ही किया जाता रहा और छोटे मोटे लाइन विस्तार कार्यो के सिवाय किसी गारंटीवाली कंपनी के साथ कोई नई संविदा नही की गई।
संचालक कंपनियों का प्रबंध निम्नलिखित तिथियों में सरकार द्वारा सीधे अपने हाथ में ले लिया गया :
क्र. | रेलवे का नाम | सरकार द्वारा अपने हाथ में लेने की तिथि |
1. | ईस्ट इंडियन रेलवे | 1 जनवरी, 1925 |
2. | ग्रेट इंडियन पैनिनसुला रेलवे | 1 जुलाई, 1925 |
3. | बाम्बे बडौदा एण्ड सैंट्रल इंडिया रेलवे | 1 जनवरी , 1942 |
4. | आसाम बंगाल रेलवे | 1 जनवरी, 1942 |
5. | अवध एण्ड पिरुहुत रेलवे | 1 जनवरी,1943 |
6. | मद्रास एण्ड सन्दर्भ मराठा रेलवे | 1 अप्रैल, 1944 |
7. | साउथ इंडियन रेलवे | 1 अप्रैल, 1942 |
8. | बंगाल नागपुर रेलवे | 1 अक्टूबर, 1944 |
15 अगस्त, 1947 को स्वाधीनता की प्राप्ति और देश विभाजन से पूर्व देश में कई क्षेत्रीय रेले थी, इन पर अधिकार रियासतों का था ।
इन रेलो को सरकार ने अपने हाथ में निम्नलिखित तिथियों से लिया :
क्र | रेलवे का नाम | दूरी (मील) | सरकार द्वारा अपने हाथ में लेने की तिथि |
1 | गायकवाड - बडौदा स्टेट रेलवे | 736 | 1 अगस्त, 1949 |
2 | बीकानेर स्टेट रेलवे | 883 | 1 अप्रैल, 1950 |
3 | कच्छ स्टेट रेलवे | 72 | 1 अप्रैल, 1950 |
4 | धोलपुर स्टेट रेलवे | 56 | 1 अप्रैल, 1950 |
5 | जयपुर स्टेट रेलवे | 253 | 1 अप्रैल, 1950 |
6 | जोधपुर रेलवे | 807 | 1 अप्रैल, 1950 |
7 | मैसूर स्टेट रेलवे | 712 | 1 अप्रैल, 1950 |
8 | निजाम स्टेट रेलवे | 1396 | 1 अप्रैल, 1950 |
9 | राजस्थान रेलवे | 179 | 1 अप्रैल, 1950 |
10 | सौराष्ट्र रेलवे | 1279 | 1 अप्रैल, 1950 |
11 | सिंधिया स्टेट रेलवे | 974 | 1 अप्रैल, 1950 |
रेलों का पुनर्गठन - सन् 1944 में सभी प्रमुख भारतीय रेलों के राष्ट्रीयकरण और फिर आगे भारतीय रियासतों की रेलों में एकीकरण किया गया।
विभिन्न रेल प्रणालियों का पुनर्गठन निम्नानुसार किया गया था -
विभिन्न रेल प्रणालियों का पुनर्गठन निम्नानुसार किया गया था -
- दक्षिण रेलवे
- मध्य रेलवे
- पश्चिम रेलवे
- पूर्व रेलवे उत्तर रेलवे
- पूर्वोत्तर रेलवे
- उत्तर रेलवे
वर्तमान भारतीय रेलों की कोटियां :
वर्तमान में रेल प्रणाली निम्नलिखित कोटियो के अंतर्गत आती है -
वर्तमान में रेल प्रणाली निम्नलिखित कोटियो के अंतर्गत आती है -
- सरकार स्वामित्व तथा प्रबंध में भारतीय रेले
- कंपनियों के स्वामित्व में , परंतु सरकार संचालित रेले
सांख्यकीय वर्गीकरण के प्रयोजन के लिए, इन्हें कहा जाता है -
- सरकारी रेले
- गैर सरकारी रेले
वर्तमान में गैर सरकारी रेले जिन पर कंपनियों का स्वामित्व है परंतु जो सरकार द्वारा संचालित की जाती है वे इस प्रकार है -
- अहमदाबाद - कटवा रेलवे
- बांकुरा - दामोदर नदी रेलवे
उपरोक्त 6 क्षेत्रीय रेलों का विस्तार किया गया और 2 अक्टूबर, 1966 को इनकी संख्या बढ़कर नौ हो गई ।पंचवर्षीय योजना से देश हुए विकास के कारण और कम्पनी के प्रबंध में रहने वाली कुछ रेलों को सरकार द्वारा अपने स्वामित्व में लेने के फलस्वरूप नौ क्षेत्रीय रेलों के मार्ग किलोमीटर में वृद्धि हुई 31 मार्च 2001 को स्थिति इस प्रकार थी -
क्र | रेलवे | 31 मार्च, 2001 को यातायात के लिए खुला मार्ग कि.मी. |
1 | मध्य रेलवे | 7,182 |
2 | पूर्व रेलवे | 4,246 |
3 | उत्तर रेलवे | 11,047 |
4 | पूर्वोत्तर रेलवे | 5,044 |
5 | पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे | 3,917 |
6 | दक्षिण रेलवे | 7,165 |
7 | दक्षिण मध्य रेलवे | 7,137 |
8 | दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे | 7,324 |
9 | पश्चिम रेलवे | 10,0 |
सन् 2003 में क्षेत्रीय रेलों का पुन: पुनर्गठन किया गया सात नये जोन बनाये गये, जो इस प्रकार है -
क्र | रेलवे | प्रधान कार्यालय |
1 | पूर्व तटीय रेलवे | भुवनेश्वर |
2 | उत्तर मध्य रेलवे | इलाहबाद |
3 | पूर्व मध्य railway | हाजीपुर |
4 | उत्तर पश्चिम रेलवे | जयपुर |
5 | दक्षिन पश्चिम रेलवे | हुबली |
6 | पश्चिम मध्य रेलवे | जबलपुर |
7 | दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे | बिलासपुर |
इस प्रकार वर्तमान में 16 रेलवे एवं इनके कुल 68 मंडल अस्तित्व में है