Paperback Book - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
eBook - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
रेलवे वित्तीय अनुशासन एवं नियंत्रण (Financial
Discipline & Control in Railways)
भारतीय रेल
प्रतिवर्ष लाखों करोड़ रुपये का व्यय और आय दर्ज करता है। रेलवे का वार्षिक बजट कई
मंत्रालयों के संयुक्त बजट से भी अधिक होता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि रेलवे का वित्तीय तंत्र कितना व्यापक और जटिल है।
इतने विशाल संगठन के लिए वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) और नियंत्रण (Financial Control) बनाए रखना केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह
संस्थान की स्थिरता, पारदर्शिता
और दीर्घकालिक विकास का आधार है। यदि वित्तीय अनुशासन कमजोर हो, तो न केवल
परियोजनाएँ समय पर पूरी नहीं होंगी, बल्कि संसाधनों की बर्बादी, भ्रष्टाचार
और जनधन (Public
Money) का दुरुपयोग भी होगा। इस अध्याय में रेलवे वित्तीय अनुशासन एवं नियंत्रण के
विभिन्न आयामों का गहन अध्ययन प्रस्तुत किया गया है।
1. वित्तीय
अनुशासन का अर्थ (Meaning of Financial Discipline)
वित्तीय अनुशासन का सीधा अर्थ है—स्वीकृत बजट सीमाओं (Budget Limits) के भीतर रहते हुए, सभी व्यय को नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार संपन्न करना और प्रत्येक लेन-देन का सटीक और पारदर्शी लेखा (Accounting) रखना। इसका उद्देश्य केवल धन की बचत करना नहीं है, बल्कि संसाधनों का सर्वोत्तम और तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करना है।
रेलवे
वित्तीय अनुशासन में दो मुख्य तत्व निहित हैं:
- बजटीय
अनुशासन (Budgetary
Discipline): जिसमें
यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यय स्वीकृत प्रावधान से अधिक न हो।
- नैतिक
अनुशासन (Ethical
Discipline): जिसमें
यह देखा जाता है कि व्यय उचित, वैध और संगठन के लक्ष्यों के अनुरूप हो।
भारतीय रेल
में वित्तीय अनुशासन केवल लेखा विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर
स्तर के प्रशासनिक अधिकारी (Administrative
Officer) और परियोजना प्रबंधक (Project
Manager) भी इसके लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं।
2. रेलवे में
वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता (Need for Financial Discipline in Railways)
भारतीय रेल
की संरचना और कार्यप्रणाली इतनी विशाल है कि बिना वित्तीय अनुशासन के इसे सुचारू
रूप से चलाना संभव नहीं। इसके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
- विशाल
वित्तीय ढाँचा: भारतीय रेल का वार्षिक बजट लगभग ₹2.5–3 लाख
करोड़ रुपये (Union
Budget 2024-25 के अनुसार) के आसपास है। इतने बड़े वित्तीय ढाँचे के
संचालन में यदि अनुशासन न हो तो संसाधनों की बर्बादी निश्चित है।
- जनधन
का उपयोग: रेलवे
की आय मुख्यतः यात्रियों, माल
भाड़े और सरकारी अनुदानों (Grants) से होती है। चूँकि यह धन सीधे जनता से आता है, इसलिए
इसे पारदर्शी और उचित तरीके से खर्च करना संवैधानिक और नैतिक दोनों दृष्टियों
से आवश्यक है।
- संसदीय
उत्तरदायित्व (Parliamentary
Accountability): भारतीय
रेल का बजट संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। संसद के प्रति जवाबदेही
- तभी
सुनिश्चित हो सकती है जब प्रत्येक व्यय का हिसाब स्पष्ट और नियमसम्मत हो।
- परियोजनाओं
की सफलता: रेलवे
की बड़ी परियोजनाएँ जैसे Dedicated
Freight Corridor, Bullet
Train Project (Mumbai–Ahmedabad HSR) और नई
लाइनों का निर्माण तभी समय पर पूरा हो सकता है जब वित्तीय अनुशासन का कड़ाई
से पालन किया जाए।
- भ्रष्टाचार
और अपव्यय की रोकथाम: वित्तीय अनुशासन से अनुचित व्यय, ग़लत
अनुबंध और भ्रष्टाचार की संभावनाएँ न्यूनतम होती हैं।
3. वित्तीय
अनुशासन के प्रमुख सिद्धांत (Key Principles of Financial Discipline)
रेलवे
वित्तीय अनुशासन कुछ निश्चित सिद्धांतों पर आधारित है, जिन्हें
रेलवे बोर्ड (Railway
Board) और रेलवे कोड (Railway
Codes) में स्पष्ट किया गया है।
- बजट
सीमा का पालन (Adherence
to Budget Limits): स्वीकृत
प्रावधान से अधिक व्यय किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जा सकता।
- नियमों
का अनुपालन (Compliance
with Rules): रेलवे
वित्तीय संहिता (Indian
Railway Financial Code) और रेलवे अकाउंट्स कोड (Railway Accounts Code) के
प्रावधानों का पालन अनिवार्य है।
- औचित्य
और वैधता (Justification
& Legality): प्रत्येक
व्यय का औचित्य होना चाहिए और वह कानूनी रूप से मान्य होना चाहिए।
- पारदर्शिता
(Transparency): सभी
लेन-देन स्पष्ट और सार्वजनिक जांच के योग्य होने चाहिए।
- उत्तरदायित्व
(Accountability): प्रत्येक
अधिकारी अपने वित्तीय निर्णयों और व्ययों के लिए उत्तरदायी होता है।
4. रेलवे में
वित्तीय नियंत्रण की प्रणाली (System of Financial Control in Railways)
भारतीय रेल
ने वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए बहुस्तरीय नियंत्रण प्रणाली विकसित की
है।
(क) प्रशासनिक नियंत्रण (Administrative Control)
प्रत्येक
विभागाध्यक्ष (Head of
Department) और मंडल रेल प्रबंधक (Divisional
Railway Manager – DRM) अपने-अपने क्षेत्र में वित्तीय निर्णय लेने और उनकी
निगरानी करने के लिए उत्तरदायी हैं।
(ख) वित्तीय सलाहकार का नियंत्रण (Control by Financial Advisors)
वित्तीय
सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी (Financial Adviser & Chief Accounts Officer – FA&CAO) सभी प्रमुख
व्ययों की समीक्षा और परीक्षण (Financial
Scrutiny) करते हैं। उनकी सहमति के बिना कोई बड़ा वित्तीय निर्णय लागू नहीं किया जा
सकता।
(ग) बजटीय नियंत्रण (Budgetary
Control)
रेलवे का हर
व्यय संसद से स्वीकृत अनुदान (Grants) की सीमा में
रहना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर Re-appropriation
और Supplementary
Grants की व्यवस्था भी होती है।
(घ) आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal Audit)
ज़ोनल रेलवे
और उत्पादन इकाइयों में आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal Audit) दल नियुक्त रहते हैं जो नियमित रूप से खर्चों की जाँच
करते हैं।
(ङ) बाहरी लेखा परीक्षा (External Audit)
नियंत्रक
एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller
& Auditor General – C&AG) भारतीय रेल का वार्षिक लेखा परीक्षण (Annual Audit) करते हैं।
5. वित्तीय
अनुशासन बनाए रखने के साधन (Tools for Maintaining Financial Discipline)
- वर्क्स
प्रोग्राम (Works
Programme): सभी
परियोजनाओं और कार्यों को पूर्व स्वीकृत वर्क्स प्रोग्राम के अंतर्गत ही
संचालित किया जाता है।
- अनुदान
और विनियोजन (Grants
& Appropriations): संसद द्वारा स्वीकृत अनुदान वित्तीय अनुशासन की
प्राथमिक सीमा निर्धारित करते हैं।
- ऑब्जेक्ट
हेड्स (Object
Heads): प्रत्येक
व्यय को एक निश्चित वर्ग में दर्ज किया जाता है जिससे विश्लेषण और निगरानी
सरल हो जाती है।
- परफॉर्मेंस
बजट (Performance
Budget): यह
व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि खर्च सीधे परिणामों से जुड़ा हो।
- Outcome Budgeting: केवल
व्यय ही नहीं, बल्कि
उससे प्राप्त उपलब्धियों की भी समीक्षा की जाती है।
- IPAS (Integrated Payroll
and Accounting System) और IFMS (Integrated Financial Management System): ये
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म रेलवे वित्तीय लेन-देन को पारदर्शी और रियल-टाइम (Real-Time) बनाते
हैं।
6. वित्तीय
अनुशासन के उल्लंघन के उदाहरण (Instances of Lapses in Financial
Discipline)
भारतीय रेल
में कई बार वित्तीय अनुशासन के उल्लंघन की घटनाएँ सामने आई हैं:
- स्वीकृत
सीमा से अधिक व्यय करना।
- अनुचित
वस्तुओं या सेवाओं पर खर्च।
- परियोजनाओं
की लागत वृद्धि (Cost
Overruns)।
- समय
पर लेखा प्रस्तुत न करना।
- अनुचित
या अपारदर्शी अनुबंध और खरीद प्रक्रियाएँ।
7. आधुनिक
सुधार, चुनौतियाँ, भविष्य की दिशा और
विशेष परिप्रेक्ष्य
भारतीय रेल ने पिछले दो
दशकों में वित्तीय अनुशासन को सुदृढ़ करने हेतु कई आधुनिक सुधार लागू किए हैं। ई-प्रोक्योरमेंट (E-Procurement) के अंतर्गत सभी टेंडर और
खरीद प्रक्रियाएँ ऑनलाइन की जाने लगीं, जिससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा दोनों बढ़ी हैं। डिजिटल भुगतान (Digital Payments) व्यवस्था से नकद लेन-देन समाप्त कर अधिकांश भुगतान
इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सुनिश्चित किए गए। Outcome और Performance
Budgeting ने व्यय को सीधे परिणामों और उपलब्धियों से जोड़ने की दिशा में महत्त्वपूर्ण
योगदान दिया है। इसके साथ ही, डेटा एनालिटिक्स
(Data Analytics) का उपयोग कर
व्ययों की प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया जाता है, जबकि Artificial
Intelligence Tools के प्रयोग से धोखाधड़ी और अनियमितताओं की पहचान के लिए
आधुनिक प्रणालियाँ विकसित की जा रही हैं।
इसके बावजूद, रेलवे को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में अनेक
चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कई बार परियोजनाओं में राजनीतिक दबाव के चलते ऐसी स्वीकृतियाँ दी जाती हैं जो आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य नहीं
होतीं। रेलवे की लगभग 55 प्रतिशत आय वेतन
और पेंशन पर खर्च हो जाती
है, जिससे निवेश और विकास
कार्यों के लिए संसाधन सीमित हो जाते हैं। आकस्मिक व्यय जैसे दुर्घटनाएँ, प्राकृतिक आपदाएँ और सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ
अतिरिक्त वित्तीय बोझ उत्पन्न करती हैं। PPP मॉडल के अंतर्गत निजी
क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करना कठिन होता है क्योंकि इसमें वित्तीय अनुशासन
और रिस्क-शेयरिंग दोनों जटिल रहते हैं। इसके अतिरिक्त, नई डिजिटल और AI आधारित तकनीकों
का धीमा क्रियान्वयन सभी ज़ोनल और
उत्पादन इकाइयों में समान रूप से सुनिश्चित करना भी अभी एक बड़ी बाधा है।
भविष्य की दिशा में
रेलवे को कई रणनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है। Accrual Accounting को अपनाकर नकद आधारित लेखा प्रणाली से आगे बढ़ना
आवश्यक है, जिससे दायित्व
और परिसंपत्तियों का सटीक चित्रण हो सके। Outcome-linked Disbursement द्वारा व्यय को सीधे परिणामों से जोड़ा जाना चाहिए।
सभी ज़ोनल और उत्पादन इकाइयों को जोड़ने वाला एक Integrated Digital Dashboard वास्तविक समय में वित्तीय निगरानी को संभव बनाएगा। AI-enabled Audit वित्तीय निगरानी को अधिक
स्वचालित और विश्वसनीय बनाएगा, जबकि Capacity Building के तहत अधिकारियों को
आधुनिक वित्तीय प्रबंधन तकनीकों में प्रशिक्षित करना होगा।
विशेष परिप्रेक्ष्य के
रूप में, Dedicated Freight
Corridor (DFC) Project भारतीय रेल की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है।
इसकी प्रारंभिक लागत लगभग ₹28,000
करोड़
आंकी गई थी, किंतु बाद में
यह लगभग दोगुनी हो गई। इसके मुख्य कारण थे—भूमि अधिग्रहण में देरी, अनुबंध शर्तों का उल्लंघन और अपर्याप्त वित्तीय
अनुशासन व निगरानी। इस अनुभव से रेलवे ने परियोजना प्रबंधन और वित्तीय नियंत्रण की
प्रक्रियाओं को और सख़्त किया। यह उदाहरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बड़े निवेश
वाली परियोजनाओं के लिए वित्तीय अनुशासन और पारदर्शी प्रबंधन कितने आवश्यक हैं।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल
का वित्तीय अनुशासन एवं नियंत्रण केवल एक तकनीकी व्यवस्था नहीं, बल्कि इसकी
आर्थिक सेहत और सार्वजनिक विश्वास का मूल आधार है। बजट सीमा, पारदर्शिता, जवाबदेही और
आधुनिक डिजिटल सुधारों के माध्यम से ही रेलवे एक विश्वसनीय और सक्षम वित्तीय
प्रणाली बनाए रख सकता है। आने वाले वर्षों में Outcome Budgeting, Accrual Accounting और AI आधारित
निगरानी इसे और सशक्त बनाएंगे।
रेलवे
वित्तीय अनुशासन को बनाए रखना न केवल संगठन की दक्षता बढ़ाने का साधन है, बल्कि यह
सीधे-सीधे जनता के धन की सुरक्षा, संसद के प्रति उत्तरदायित्व और राष्ट्रीय आर्थिक प्रगति से जुड़ा हुआ है।
इसलिए वित्तीय अनुशासन और नियंत्रण भारतीय रेल के सतत विकास (Sustainable Development) की आधारशिला
है।
