अध्याय 17
रेलवे में लेखा प्रणाली (Accounting System in
Railways)
भारतीय रेल विश्व की
सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक है, जिसका
वित्तीय ढाँचा (Financial
Framework) भी उतना ही विशाल और जटिल है। यह न केवल प्रतिदिन लाखों यात्रियों और करोड़ों
टन माल को परिवहन करता है, बल्कि इसके
संचालन के लिए विशाल संसाधनों की आवश्यकता होती है। इतने बड़े पैमाने पर होने वाले
राजस्व, व्यय , पूँजीगत निवेश (Capital Investment), और पेंशन दायित्वों (Pension Liabilities) का लेखा-जोखा रखना किसी सामान्य प्रणाली से संभव
नहीं। इसीलिए रेलवे में एक सुदृढ़, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम लेखा प्रणाली (Accounting System) विकसित की
गई है, जो न केवल
लेन-देन को रिकॉर्ड करती है, बल्कि
प्रबंधन को निर्णय लेने, संसदीय
उत्तरदायित्व निभाने और भविष्य की योजना बनाने के लिए आधार प्रदान करती है।
रेलवे की
लेखा प्रणाली का संचालन रेलवे बोर्ड और वित्त
सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी (FA&CAO) द्वारा
सुनिश्चित किया जाता है। साथ ही, रेलवे की
लेखा प्रणाली पर
Comptroller & Auditor General of India की
संवैधानिक निगरानी रहती है। इसके अतिरिक्त Indian
Railway Finance Corporation जैसी संस्थाएँ पूँजीगत वित्तपोषण और लेखा पारदर्शिता में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाती हैं।
1. रेलवे
लेखा प्रणाली का उद्देश्य (Objectives of Railway Accounting System)
रेलवे लेखा प्रणाली के बहुआयामी उद्देश्य हैं, जो इसे सामान्य सरकारी विभागों की लेखा प्रणाली से अलग करते हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं—
(क) वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency):
भारतीय रेल
प्रतिदिन लाखों लेन-देन करती है। प्रत्येक लेन-देन का सही समय पर और सटीक रिकॉर्ड
तैयार करना लेखा प्रणाली की पहली आवश्यकता है। यह पारदर्शिता संसद और जनता के
समक्ष रेलवे की विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।
(ख) वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline):
रेलवे के
प्रत्येक व्यय और निवेश को स्वीकृत प्रावधानों, नियमों और कोड्स के अनुरूप होना चाहिए। लेखा प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि
धन का उपयोग केवल अनुमोदित कार्यों और परियोजनाओं पर ही किया जाए।
(ग) प्रबंधन सूचना (Management
Information):
रेलवे
प्रबंधन को संचालन, रखरखाव, निवेश और
नीतिगत निर्णयों के लिए विश्वसनीय वित्तीय आंकड़े चाहिए। लेखा प्रणाली सटीक डेटा
उपलब्ध कराकर प्रबंधन सूचना प्रणाली (Management Information System) का आधार बनती है।
(घ) संसदीय उत्तरदायित्व (Parliamentary Accountability):
भारतीय रेल
का वार्षिक बजट संसद में प्रस्तुत किया जाता है। संसद को प्रस्तुत होने वाले
विवरणों की शुद्धता और सटीकता लेखा प्रणाली पर निर्भर करती है।
(ङ) भविष्य की योजना (Future Planning):
परियोजनाओं
का मूल्यांकन, भविष्य की
आवश्यकताओं का अनुमान और निवेश की प्राथमिकताएँ तय करने के लिए लेखा प्रणाली
आवश्यक आँकड़े उपलब्ध कराती है।
2. रेलवे
लेखा प्रणाली की विशेषताएँ (Salient Features of Railway Accounting
System)
रेलवे की
लेखा प्रणाली कुछ विशेष गुणों से संपन्न है, जो इसे विशिष्ट बनाते हैं—
- विस्तृत
एवं जटिल संरचना (Comprehensive
Structure):
अन्य सरकारी विभागों की तुलना में रेलवे की लेखा प्रणाली कहीं अधिक विस्तृत और तकनीकी है। - दोहरे
लेखांकन (Double
Entry System):
प्रत्येक
लेन-देन को डेबिट और क्रेडिट के रूप में दर्ज किया जाता है, जिससे लेखे
संतुलित रहते हैं।
- लेखा
शीर्षों का वर्गीकरण (Classification under Heads of Account):
हर व्यय और
आय को विशिष्ट Major Head और Minor Head में दर्ज
किया जाता है, जिससे
वित्तीय रिपोर्टिंग मानकीकृत हो सके।
- केन्द्रीयकृत
और विकेन्द्रीकृत स्वरूप (Centralized & Decentralized):
कुछ कार्य जैसे बजट निर्माण और नीति निर्धारण केन्द्र स्तर पर होते हैं, जबकि दैनिक व्यय का लेखा डिवीजन और ज़ोनल स्तर पर रखा जाता है।
3. रेलवे में
लेखा प्रणाली की संरचना (Structure of Railway Accounts System)
रेलवे की
लेखा प्रणाली विभिन्न श्रेणियों में विभाजित है—
(क) राजस्व लेखा (Revenue
Accounts):
इसमें
यात्री भाड़ा, माल भाड़ा, कोचिंग आय
और गैर-भाड़ा आय शामिल हैं। साथ ही दैनिक संचालन और रखरखाव से जुड़े व्यय भी इसी
श्रेणी में आते हैं।
(ख) पूँजीगत लेखा (Capital
Accounts):
नई
परियोजनाएँ, स्टेशन
पुनर्विकास, विद्युतीकरण, नई लाइनों
का निर्माण, और आधुनिक
तकनीक में निवेश – इन सभी का विवरण पूँजीगत लेखे में आता है।
(ग) ऋण और जमा लेखा (Debt &
Deposit Accounts):
इसमें ऋण (Loan), अग्रिम (Advance) और अन्य जमा
(Deposit) राशियों का
लेखा रखा जाता है।
(घ) पेंशन लेखा (Pension
Accounts):
रेलवे
कर्मचारियों की पेंशन देनदारियाँ रेलवे के वित्तीय बोझ का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
इनका रिकॉर्ड अलग से रखा जाता है।
4. रेलवे
लेखा प्रणाली के स्तर (Levels of Accounts in Railways)
रेलवे लेखा
प्रणाली को विभिन्न स्तरों पर संगठित किया गया है—
- डिवीजनल
स्तर (Divisional
Level):
यहाँ Divisional Accounts Office द्वारा
प्राथमिक स्तर का रिकॉर्ड रखा जाता है।
- ज़ोनल
स्तर (Zonal
Level):
ज़ोनल FA&CAO व्ययों का
समेकन करता है और वार्षिक विवरण तैयार करता है।
- रेलवे
बोर्ड स्तर (Railway
Board Level):
सभी ज़ोनल
रिपोर्टों का संकलन कर एक समेकित वित्तीय विवरण तैयार किया जाता है।
- राष्ट्रीय
स्तर (National
Level):
- अंततः
यह विवरण वित्त मंत्रालय और संसद को प्रस्तुत किया जाता है।
5. रेलवे
लेखा प्रणाली की प्रमुख पुस्तिकाएँ (Major Books of Accounts)
रेलवे में
उपयोग की जाने वाली मुख्य पुस्तिकाएँ निम्नलिखित हैं—
कैश बुक (Cash Book) – नकद लेन-देन का
विवरण।
जर्नल (Journal) – दैनिक लेन-देन
का प्राथमिक रिकॉर्ड।
लेज़र (Ledger) – आय और व्यय का
वर्गीकृत विवरण।
सस्पेंस रजिस्टर (Suspense Register) – लंबित मदों का विवरण।
पेरोल रजिस्टर (Payroll Register) – वेतन और पेंशन का रिकॉर्ड।
6. रेलवे
लेखा वर्गीकरण (Classification of Accounts)
रेलवे लेखा
को Demand Numbers और Major/Minor Heads में
वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिए—
Demand No. 1 – General Superintendence &
Services
Demand No. 7 – Repairs & Maintenance of
Locomotives
Demand No. 14 – Repairs & Maintenance of
Track
यह वर्गीकरण
सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यय पारदर्शी और नियंत्रित ढंग से दर्ज हो।
7. रेलवे में
आधुनिक लेखा प्रणाली (Modern Accounting Systems in Railways)
सूचना
प्रौद्योगिकी के युग में रेलवे ने लेखा प्रणाली को आधुनिक बनाने की दिशा में कई
कदम उठाए हैं—
- IPAS (Integrated Payroll
& Accounting System):
डिजिटल लेखा प्रणाली जिसमें वेतन, पेंशन, व्यय और आय का रियल-टाइम रिकॉर्ड उपलब्ध होता है। - IFMS (Integrated Financial
Management System):
बजट, लेखा और व्ययों का एकीकृत प्रबंधन। - E-Billing System:
ठेकेदारों
और आपूर्तिकर्ताओं के बिलों का ऑनलाइन प्रसंस्करण।
- E-Accounting & E-Audit:
डिजिटल
माध्यम से पारदर्शी और तीव्र लेखांकन व ऑडिट।
8. रेलवे
लेखा प्रणाली में सुधार (Reforms in Railway Accounting System)
हाल के
वर्षों में रेलवे ने कई सुधार लागू किए हैं—
Outcome Based Accounting: केवल व्यय
नहीं, बल्कि उसके
परिणामों का आकलन।
Accrual Accounting: परिसंपत्तियों
और देनदारियों का वास्तविक मूल्यांकन।
AI एवं Data Analytics: वित्तीय
आंकड़ों का गहन विश्लेषण।
Blockchain Accounting: छेड़छाड़-रोधी
और पारदर्शी प्रणाली।
9. रेलवे
लेखा प्रणाली की चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
भारतीय रेलवे की लेखा
प्रणाली विश्व की सबसे बड़ी और जटिल व्यवस्थाओं में से एक है। प्रतिदिन लाखों
लेन-देन का सटीक प्रबंधन इस प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती है। आकस्मिक व्यय जैसे
दुर्घटनाएँ, प्राकृतिक
आपदाएँ या सुरक्षा संबंधी खर्चों को तुरंत और सही ढंग से दर्ज करना भी एक कठिन
कार्य है। इसके अलावा, आधुनिक तकनीक को
अपनाने की गति अभी अपेक्षाकृत धीमी है, जिससे कार्यकुशलता और पारदर्शिता पर असर पड़ता है। प्रशिक्षित मानव संसाधन की
उपलब्धता सीमित है, विशेषकर डिजिटल
और कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित लेखा प्रणालियों में दक्ष कर्मचारियों की कमी देखी
जाती है। साथ ही, PPP परियोजनाओं के पारदर्शी लेखांकन की
चुनौती भी बनी हुई है, क्योंकि निजी और
सार्वजनिक साझेदारी में वित्तीय लेन-देन का सटीक और निष्पक्ष रिकॉर्ड रखना जटिल
होता है।
भविष्य की दृष्टि से
रेलवे लेखा प्रणाली कई सुधारों की ओर अग्रसर है। सबसे पहले, Accrual Based Accounting को अपनाना
आवश्यक है, जिससे केवल नकद
आधारित नहीं बल्कि दायित्व-आधारित वित्तीय स्थिति स्पष्ट हो सके। AI-सक्षम प्रणालियाँ धोखाधड़ी और अनियमितताओं की स्वतः पहचान कर सकती हैं
और ऑडिट प्रक्रिया को अधिक विश्वसनीय बना सकती हैं। एक Digital Dashboard के माध्यम से
राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे की वास्तविक समय की वित्तीय स्थिति का समग्र दृश्य उपलब्ध
कराया जा सकता है। Outcome-Oriented Reports से केवल व्यय और आय ही नहीं, बल्कि उनके परिणाम और उपलब्धियाँ भी स्पष्ट रूप से
सामने आएँगी। अंततः, International
Practices को अपनाकर भारतीय रेलवे अपनी लेखा प्रणाली को विश्वस्तरीय
मानकों के अनुरूप ढाल सकेगा, जिससे
पारदर्शिता और दक्षता दोनों में वृद्धि होगी।
10. विशेष
परिप्रेक्ष्य (Special Perspective) – IPAS का प्रभाव
IPAS के लागू
होने से रेलवे की लेखा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव आया है। पहले जहाँ वेतन और बिल
भुगतान में महीनों लग जाते थे, अब अधिकांश
भुगतान समय पर और डिजिटल माध्यम से किए जाते हैं। Audit Trail की सुविधा
से किसी भी गड़बड़ी का तुरंत पता लगाया जा सकता है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ी, बल्कि
वित्तीय अनुशासन और उत्तरदायित्व भी मजबूत हुआ।
11. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल
की लेखा प्रणाली केवल हिसाब-किताब का साधन नहीं है, बल्कि यह पूरे संगठन की वित्तीय नींव है। ऐतिहासिक रूप से नकद आधारित और
मैनुअल पद्धति से शुरू होकर आज यह Digital
& AI-enabled Accounting तक पहुँच चुकी है। IPAS और IFMS जैसी
प्रणालियों ने रेलवे को विश्वस्तरीय लेखा मानकों के करीब लाया है। भविष्य में Accrual Accounting, Blockchain और Artificial Intelligence जैसी
तकनीकें रेलवे की वित्तीय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, दक्ष और
जवाबदेह बनाएँगी।
रेलवे का यह
सतत सुधार–यात्रा दर्शाता है कि लेखा प्रणाली केवल अतीत और वर्तमान का लेखा-जोखा
नहीं रखती, बल्कि यह
भविष्य की योजना और नीतिगत निर्णयों का आधार भी है।
