अध्याय 21
वर्कशॉप एवं निर्माण लेखा(Workshop &
Manufacturing Accounts)
भारतीय रेल
विश्व की सबसे बड़ी परिवहन प्रणालियों में से एक है, जिसकी सफलता केवल ट्रेनों के संचालन तक सीमित नहीं है, बल्कि उन
विशाल अवसंरचनाओं पर भी निर्भर है जो इस प्रणाली को निरंतर और सुरक्षित बनाए रखती
हैं। इन अवसंरचनाओं में रेलवे वर्कशॉप्स (Railway Workshops) की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वर्कशॉप्स भारतीय
रेल के लिए "रीढ़" (Backbone) का कार्य
करती हैं, जहाँ
लोकोमोटिव, कोच, वैगन और
अन्य यांत्रिक उपकरणों का मरम्मत (Repair), पुनर्निर्माण (Rebuilding),
ओवरहॉलिंग (Overhauling)
तथा आंशिक निर्माण (Limited Manufacturing)
किया जाता है।
रेलवे वर्कशॉप्स में होने वाले कार्य अत्यधिक विविधतापूर्ण होते हैं – कभी-कभी यह कार्य केवल किसी छोटे पुर्जे की मरम्मत तक सीमित होता है, तो कभी पूरे लोकोमोटिव या कोच को पुनः तैयार करने तक विस्तृत हो जाता है। इन कार्यों की जटिलता और लागत की विविधता को देखते हुए रेलवे ने एक विशेष वर्कशॉप एवं निर्माण लेखा प्रणाली (Workshop & Manufacturing Accounts System) विकसित की है। यह प्रणाली न केवल प्रत्येक कार्य की लागत का आकलन करती है, बल्कि संसाधनों के उपयोग, कार्यकुशलता तथा वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने में भी सहायक होती है।
1. वर्कशॉप
का परिचय (Introduction to Workshops)
भारतीय रेल
के वर्कशॉप्स 19वीं शताब्दी
से ही अस्तित्व में हैं। प्रारंभिक काल में जब भाप इंजन का प्रचलन
था, तब इनकी
देखभाल और मरम्मत हेतु वर्कशॉप्स की स्थापना की गई। समय के साथ-साथ ये वर्कशॉप्स
केवल मरम्मत केंद्र न रहकर उत्पादन और पुनर्निर्माण के महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गए।
मुख्य
उद्देश्य:
- रोलिंग
स्टॉक की मरम्मत और ओवरहॉलिंग – यात्री कोच, मालगाड़ी वैगन, लोकोमोटिव आदि की समय-समय पर मरम्मत एवं नवीनीकरण।
- अतिरिक्त
पार्ट्स और उपकरणों का निर्माण – रेल संचालन हेतु आवश्यक स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन।
- स्क्रैप
सामग्री का पुनः उपयोग– लागत
नियंत्रण और संसाधन संरक्षण के लिए।
- आर्थिक
एवं सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करना – उच्च गुणवत्ता वाले रख-रखाव से रेल संचालन की सुरक्षा
और विश्वसनीयता बनाए रखना।
आज भारतीय
रेल के प्रमुख वर्कशॉप्स जैसे – पेराम्बूर, चेन्नई), कपूरथला, रायबरेली, भोपाल, जमालपुर, कोलकाता, करखाना
(करनाल), और लखनऊ में
न केवल मरम्मत होती है बल्कि उच्च तकनीक युक्त आधुनिक कोच एवं इंजनों का निर्माण
भी किया जाता है।
2. वर्कशॉप
लेखा प्रणाली की आवश्यकता (Need for Workshop Accounting System)
रेलवे
वर्कशॉप्स में कार्य व्यापक और खर्चीले होते हैं। यदि उचित लेखा प्रणाली न हो तो न
तो लागत का आकलन संभव होगा और न ही कार्यकुशलता का मापन। इसीलिए रेलवे बोर्ड एवं
लेखा महानियंत्रक ने एक विस्तृत वर्कशॉप लेखा प्रणाली लागू की है।
इसकी
आवश्यकता निम्न कारणों से है:
- वास्तविक
लागत का आकलन – प्रत्येक Job की सटीक लागत ज्ञात करना।
· बजटीय नियंत्रण (Budgetary
Control) – रेल बजट एवं
वर्कशॉप बजट का सही प्रबंधन।
- कार्यकुशलता
एवं संसाधनों का मूल्यांकन – श्रम (Labour), सामग्री (Material) एवं ओवरहेड्स का कुशल उपयोग।
- लागत
विचलन का विश्लेषण (Cost Variance Analysis) – मानक लागत (Standard Cost) और वास्तविक लागत के अंतर का पता लगाना।
- आधिकारिक
रिपोर्टिंग – संसद, रेलवे बोर्ड एवं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को
पारदर्शी डेटा उपलब्ध कराना।
3. वर्कशॉप
खर्च का वर्गीकरण (Classification of Workshop Expenditure)
वर्कशॉप
लेखा प्रणाली में खर्चों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया जाता है – प्रत्यक्ष
(Direct) और
अप्रत्यक्ष (Indirect)।
(क) प्रत्यक्ष खर्च (Direct
Expenditure)
- Direct Materials – स्टील, कॉपर, अलॉय, पेंट, स्पेयर
पार्ट्स इत्यादि।
- Direct Labour – तकनीशियन, वेल्डर, मशीनिस्ट
एवं अन्य कुशल श्रमिकों की मजदूरी।
- Direct Expenses – विशेष
मशीनरी का किराया, पेटेंट
शुल्क, विशिष्ट
प्रौद्योगिकी शुल्क।
(ख) अप्रत्यक्ष खर्च (Indirect Expenditure)
- Overheads – बिजली, पानी, सुरक्षा, प्रशासनिक
एवं प्रबंधन संबंधी खर्च।
- Depreciation – मशीनरी
एवं उपकरणों पर वार्षिक मूल्यह्रास।
- Repairs & Maintenance – वर्कशॉप
इमारतों, मशीनों
एवं अवसंरचना का रखरखाव।
4. जॉब ऑर्डर
कॉस्टिंग (Job Order Costing System)
वर्कशॉप्स
में जॉब ऑर्डर
कॉस्टिंग (Job Order
Costing) अपनाई जाती
है। इसमें प्रत्येक कार्य को एक पृथक जॉब (Job) माना जाता
है और उसकी लागत अलग से दर्ज की जाती है।
प्रक्रिया:
·
प्रत्येक Job के लिए Job Card/Job Sheet जारी की
जाती है।
·
सामग्री, श्रम एवं
ओवरहेड्स की प्रविष्टि Job Card में की जाती
है।
·
कार्य पूरा
होने पर Cost Sheet तैयार होती
है।
·
Cost Sheet का तुलना विभागीय मानकों एवं Budgetary
Provisions से की जाती
है।
5. निर्माण
लेखा (Manufacturing Accounts)
कई
वर्कशॉप्स केवल मरम्मत कार्य नहीं करतीं, बल्कि उत्पादन भी करती हैं। उदाहरणस्वरूप – कपूरथला की कोच फैक्ट्री (RCF) में उच्च
गति वाले आधुनिक LHB कोच का
निर्माण होता है।
निर्माण
लेखा (Manufacturing
Account) निम्न सूत्र पर आधारित है:
Opening Stock + Purchases + Direct & Indirect Expenses – Closing
Stock = Cost of Production
यह लागत
संबंधित विभाग या मुख्य राजस्व खाते में चार्ज की जाती है।
6. वर्कशॉप
अकाउंट्स की संरचना (Structure of Workshop Accounts)
वर्कशॉप
लेखा प्रणाली अत्यंत संगठित होती है। इसकी प्रमुख पुस्तिकाएँ एवं रजिस्टर
निम्नलिखित हैं:
- Workshop General Register – सभी Jobs का
संकलन।
- Cost Ledger – Direct Materials, Labour
एवं Overheads की प्रविष्टियाँ।
- Job Cards & Cost Sheets – व्यक्तिगत
कार्य की लागत विवरण।
- Monthly/Annual Workshop
Accounts – समेकित
रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत।
7. दक्षता
मूल्यांकन (Performance Evaluation)
वर्कशॉप्स की दक्षता
मापने हेतु विभिन्न आधुनिक तकनीकें अपनाई जाती हैं। इनमें सबसे पहले Standard Costing vs
Actual Cost शामिल है, जिसके माध्यम से मानक
लागत की तुलना वास्तविक लागत से की जाती है। इसके अतिरिक्त, Variance
Analysis का प्रयोग किया जाता है, जिसमें Material,
Labour एवं Overheads में किसी भी अंतर का
आकलन किया जाता है। दक्षता को मापने के लिए Productivity Ratio
(Output/Input) का उपयोग भी किया जाता है, जो
श्रम एवं संसाधनों की उत्पादकता को दर्शाता है। इसके साथ ही, Idle Time
Analysis के माध्यम से गैर-उत्पादक समय की पहचान की जाती है और उसका
नियंत्रण सुनिश्चित किया जाता है।
8. आंतरिक नियंत्रण एवं ऑडिट (Internal Control & Audit)
रेलवे वर्कशॉप में
आंतरिक नियंत्रण अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि यहाँ खर्चे उच्च होते हैं और
संसाधनों की चोरी एवं अपव्यय (Wastage) की संभावना रहती है।
इस नियंत्रण को सुनिश्चित करने के लिए Internal Check एवं Surprise
Audit नियमित रूप से किए जाते हैं। इसके साथ ही, Job
Completion Reports को Cost Sheets से मिलाया
जाता है ताकि खर्च और संसाधनों के उपयोग की पारदर्शिता बनी रहे। Scrapped
Material का उचित मूल्यांकन एवं पुनः उपयोग सुनिश्चित किया जाता है,
और सभी संबंधित विवरणों को Appropriation Accounts में समावेश किया जाता है।
9. वर्कशॉप
लेखा प्रणाली की चुनौतियाँ, सुधार एवं केस स्टडी
भारतीय रेलवे की वर्कशॉप
लेखा प्रणाली उत्पादन, मरम्मत और
रखरखाव से जुड़े खर्चों के सटीक प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण है। हालाँकि, आज भी यह प्रणाली अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है।
सबसे बड़ी समस्या खर्चों का सही
वर्गीकरण है, विशेषकर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खर्चों में स्पष्टता
बनाए रखना कठिन होता है।
अप्रत्यक्ष
लागत (Indirect Cost) का सटीक आवंटन न हो पाने से वास्तविक
लागत निर्धारण प्रभावित होता है। इसके साथ ही, कई वर्कशॉप्स अब भी Material
Wastage और Pilferage की समस्या से
जूझ रही हैं। उत्पादन बढ़ाने के दबाव में कई बार गुणवत्ता एवं उत्पादन लक्ष्यों के बीच संतुलन बिगड़ जाता है। इसके
अतिरिक्त, अधिकांश वर्कशॉप्स को मैनुअल प्रणाली से डिजिटल
प्रणाली की ओर संक्रमण करने में तकनीकी
और प्रशिक्षण संबंधी कठिनाइयाँ आती हैं।
इन चुनौतियों को दूर
करने के लिए रेलवे बोर्ड ने हाल के वर्षों में कई आधुनिक सुधार लागू किए हैं। वर्कशॉप
में अब ERP(Enterprise Resource
Planning) आधारित लेखा प्रणाली
को
लागू किया जा रहा है, जिससे वित्त, स्टोर और उत्पादन का एकीकृत प्रबंधन संभव हो रहा है। Digital Job Cards और e-Cost Sheets से कार्य-आधारित लागत की
निगरानी अधिक पारदर्शी हुई है। सामग्री प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए Barcode एवं RFID आधारित Material Tracking System अपनाए गए हैं। इसके अलावा, Lean Manufacturing Practices के माध्यम से
अपव्यय कम करने और उत्पादन दक्षता बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। साथ ही, Energy Efficient Systems का उपयोग लागत
नियंत्रण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण साबित हो
रहा है।
विशेष परिप्रेक्ष्य में रेलवे कोच फैक्ट्री, कपूरथला का उदाहरण उल्लेखनीय है। इस वर्कशॉप ने ERP एवं डिजिटल कॉस्टिंग प्रणाली अपनाकर लागत नियंत्रण और दक्षता में उल्लेखनीय सुधार
किया है। यहाँ LHB Coaches का निर्माण समयबद्ध और लागत-प्रभावी
तरीके से हो रहा है। डिजिटल कॉस्टिंग से लागत निगरानी और Inventory Management अधिक पारदर्शी बने हैं। सबसे
महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि इस वर्कशॉप ने भारतीय रेल की वंदे भारत जैसी आधुनिक परियोजनाओं के लिए आवश्यक
आधारभूत संरचना तैयार की है। यह उदाहरण सिद्ध करता है कि सुधार और आधुनिक तकनीक
वर्कशॉप लेखा प्रणाली को न केवल दक्ष बना सकते हैं, बल्कि भविष्य की उन्नत परियोजनाओं के लिए भी आधार तैयार कर सकते हैं।
10. निष्कर्ष (Conclusion)
वर्कशॉप एवं
निर्माण लेखा भारतीय रेल की वित्तीय और तकनीकी प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। यह न
केवल लागत नियंत्रण में सहायक है, बल्कि दक्षता, पारदर्शिता
और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। रेलवे बोर्ड एवं नियंत्रक संस्थाओं के लिए यह
प्रणाली सटीक डेटा प्रदान करती है, जो दीर्घकालीन नीतिगत निर्णयों का आधार बनता है।
भविष्य में
जब भारतीय रेल उच्च गति (High Speed
Rail), हरित ऊर्जा (Green
Energy) और स्मार्ट डिजिटल नेटवर्क की ओर अग्रसर होगी, तब वर्कशॉप
की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण होगी। यदि आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता
और संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित किया जाए, तो वर्कशॉप न केवल लागत-प्रभावी
(Cost
Effective) होंगी बल्कि
भारत की रेल प्रणाली को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य भी बनाएंगी।
