Paperback Book - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
eBook - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
रेल मंत्रालय एवं वित्त विभाग की भूमिका
(Role of Ministry of Railways & Finance Department)
भारतीय रेल का संचालन और वित्तीय प्रबंधन केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया भर नहीं है, बल्कि यह एक जटिल और व्यापक राष्ट्रीय उत्तरदायित्व है। भारतीय रेल (Indian Railways) एशिया का सबसे बड़ा तथा विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिसके संचालन में प्रतिदिन करोड़ों यात्री और लाखों टन माल परिवहन होते हैं। इतनी विशाल संस्था के कुशल प्रबंधन के लिए केवल इंजीनियरिंग और संचालन व्यवस्था पर्याप्त नहीं होती; इसके साथ एक सुदृढ़ वित्तीय ढाँचा भी आवश्यक है। इस ढाँचे को सुनिश्चित करने में रेल मंत्रालय (Ministry of Railways – MoR) तथा उससे संबद्ध वित्त विभाग (Finance Department) केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
इन दोनों की भूमिकाएँ न केवल स्पष्ट रूप से परिभाषित
हैं, बल्कि वे एक-दूसरे को
पूरक भी करती हैं। जहाँ रेल मंत्रालय समग्र नीति-निर्माण और दिशा तय करता है,
वहीं वित्त विभाग यह सुनिश्चित करता
है कि नीतियों का कार्यान्वयन वित्तीय अनुशासन और व्यवहार्यता के अनुरूप हो। यहाँ हम
रेल मंत्रालय और वित्त विभाग की संरचना, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान
व्यवस्था, वित्तीय भूमिकाएँ,
आधुनिक सुधार और भविष्य की चुनौतियों
का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
1. रेल
मंत्रालय का स्वरूप और संगठन
रेल मंत्रालय भारत सरकार का एक प्रमुख मंत्रालय है,
जो विशेष रूप से रेलवे से संबंधित सभी
विषयों का प्रशासनिक और वित्तीय नियंत्रण करता है। भारत की अन्य परिवहन एजेंसियों
(जैसे सड़क परिवहन या नागरिक उड्डयन) की तुलना में रेलवे का अलग मंत्रालय होना
इसकी विशालता और महत्त्व को दर्शाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय रेलवे का संचालन प्रारंभिक समय में अलग-अलग
निजी कंपनियों और ब्रिटिश सरकार के अधीन था। स्वतंत्रता के बाद, 1951 में विभिन्न रेल कंपनियों का विलय कर भारतीय
रेल को एक राष्ट्रीयकृत (Nationalized) इकाई बनाया गया और उसके संचालन के लिए रेल मंत्रालय का गठन हुआ। प्रारंभ में
रेलवे का वित्तीय कार्य अलग बजट (Railway Budget) के रूप में संसद में प्रस्तुत किया जाता था। यह
परंपरा 1924 से चली आ रही थी,
परंतु वर्ष 2017-18 से रेल बजट को आम बजट में विलय कर दिया गया।
रेल मंत्रालय
के संरचना (Structure of Ministry of Railways)
- रेल मंत्री (Railway Minister):
मंत्रालय के सर्वोच्च राजनीतिक
पदाधिकारी होते हैं, जो
नीतियों की दिशा तय करते हैं और संसद के प्रति जवाबदेह रहते हैं।
- राज्य मंत्री (Minister of
State): रेल मंत्री की
सहायता करते हैं और विशिष्ट विषयों का प्रभार लेते हैं।
- रेलवे बोर्ड (Railway Board):
मंत्रालय का कार्यकारी अंग है,
जो वास्तविक प्रशासन और संचालन
का दायित्व निभाता है।
रेलवे बोर्ड (Railway Board)
रेलवे बोर्ड में अध्यक्ष (Chairman) और विभिन्न कार्यक्षेत्रों के सदस्य (Members)
शामिल होते हैं।
- सदस्य (Members): ट्रैफ़िक, इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलेक्ट्रीकल, कार्मिक आदि।
- वित्त आयुक्त (Financial
Commissioner): विशेष
पदाधिकारी, जिन्हें वित्त
मंत्रालय (Ministry of Finance) से प्रतिनियुक्त किया जाता है।
वर्ष 2019 में रेल मंत्रालय ने संगठनात्मक सुधार करते हुए रेलवे बोर्ड की संरचना को छोटा
और अधिक पेशेवर बनाने का निर्णय लिया। अब बोर्ड में केवल कुछ ही सदस्य रहते हैं और
विशेषज्ञों को शामिल करने की व्यवस्था भी की गई है।
2. रेल
मंत्रालय की वित्तीय भूमिका (Financial Role of MoR)
रेल मंत्रालय का वित्तीय पक्ष उसके अस्तित्व का आधार
है। रेलवे केवल यातायात सेवा नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक गतिविधि भी है, जिसके माध्यम से राजस्व (Revenue) उत्पन्न होता है और पूँजीगत निवेश (Capital Investment) किए जाते हैं।
प्रमुख वित्तीय
जिम्मेदारियाँ
- नीति निर्धारण (Policy
Formulation):
रेलवे के राजस्व स्रोतों का विविधीकरण, यात्री किराया और माल भाड़ा दरों का
निर्धारण, तथा दीर्घकालिक
वित्तीय रणनीति बनाना।
- बजट प्रस्तुति (Budget
Presentation):
2017 से पहले रेल मंत्रालय स्वतंत्र बजट पेश करता था। अब
यह प्रक्रिया आम बजट में समाहित है, परंतु रेल मंत्रालय आंतरिक स्तर पर अपना विस्तृत वित्तीय दस्तावेज तैयार करता
है।
- पूँजी निवेश (Capital
Investment):
नई परियोजनाओं जैसे समर्पित माल गलियारे (Dedicated
Freight Corridors), हाई-स्पीड रेल, स्टेशन पुनर्विकास और विद्युतीकरण के
लिए निवेश निर्णय लेना।
- अनुदान की माँग (Demands for
Grants):
संसद में स्वीकृति के लिए प्रस्तुत करना और प्राप्त
धन का उपयोग तय करना।
- अंतर-मंत्रालयी समन्वय (Inter-Ministerial
Coordination):
वित्त मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय आदि से सहयोग।
- विदेशी सहयोग (Foreign
Collaboration):
विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB), जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) आदि से वित्तीय सहायता और ऋण प्राप्त करना।
3 रेलवे
बोर्ड में वित्त आयुक्त की भूमिका और प्रमुख कार्य
भारतीय रेलवे में
वित्तीय अनुशासन और व्यावसायिक दक्षता बनाए रखने में वित्त आयुक्त (Financial Commissioner – Railways) की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। वे वित्त मंत्रालय से प्रतिनियुक्त होकर
रेलवे बोर्ड में पूर्ण सदस्य के रूप में कार्य करते हैं। उनकी स्थिति केवल
परामर्शी नहीं होती, बल्कि उनके पास
संवैधानिक और निर्णायक अधिकार निहित होते हैं। इस कारण से वे रेलवे के समस्त
वित्तीय निर्णयों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं
कि सभी व्यय संसद द्वारा स्वीकृत प्रावधानों और वित्तीय नियमों के अनुरूप हों।
उनकी यह भूमिका रेलवे की वित्तीय पारदर्शिता, अनुशासन और संसाधनों के कुशल उपयोग के लिए मूल आधार मानी जाती है।
वित्त आयुक्त के कार्य
अत्यंत व्यापक और निर्णायक हैं। वे रेलवे बजट की जाँच और अनुमोदन करते हैं, जिससे राजस्व और
व्यय का संतुलन सुनिश्चित होता है। साथ ही, वे पूँजीगत व्यय और
परियोजना निवेशों पर सलाह प्रदान करते हैं ताकि संसाधनों का इष्टतम उपयोग हो सके और दीर्घकालिक वित्तीय
स्थिरता बनी रहे। इसके अतिरिक्त,
वे विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts) पर प्रत्यक्ष नियंत्रण रखते हैं और संसद द्वारा
स्वीकृत अनुदानों के अनुरूप व्यय की निगरानी करते हैं। उनका एक अन्य महत्त्वपूर्ण
कार्य यह है कि रेलवे के सभी वित्तीय निर्णय वित्त मंत्रालय की नीतियों और नियमों के अनुरूप हों। इस प्रकार, वित्त आयुक्त एक सेतु (Bridge) की भूमिका
निभाते हैं, जो एक ओर रेलवे
की वित्तीय स्वायत्तता को बनाए रखता है और दूसरी ओर सरकार द्वारा अपेक्षित अनुशासन
और पारदर्शिता की गारंटी देता है।
4. ज़ोनल और
डिवीजन स्तर पर वित्त विभाग
भारतीय रेल एक विकेंद्रीकृत ढाँचे पर आधारित है, इसलिए वित्त विभाग की भूमिका केवल
मंत्रालय स्तर तक सीमित नहीं रहती, बल्कि ज़ोनल और डिवीजन
स्तर पर भी सक्रिय रूप से परिलक्षित होती है।
ज़ोनल स्तर पर प्रत्येक ज़ोन में FA&CAO (Financial Adviser & Chief
Accounts Officer) नियुक्त होते हैं। उनके प्रमुख कार्यों में बजट
नियंत्रण, व्ययों की जाँच, लेखा
प्रणाली का प्रबंधन तथा विभिन्न परियोजनाओं की व्यवहार्यता पर विशेषज्ञ राय देना
शामिल है। इस स्तर पर वित्तीय अनुशासन और परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रारंभिक
जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
डिवीजन स्तर पर Sr.DFM/DFM (Divisional Finance Manager) की नियुक्ति होती है,
जो डिवीजनल रेल प्रबंधक (DRM) के वित्तीय
सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं। उनका कार्यक्षेत्र अनुबंधों की स्वीकृति,
दैनिक व्ययों की जाँच तथा आंतरिक लेखा परीक्षा तक फैला होता है। इस
स्तर पर वित्त विभाग यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिदिन होने वाला व्यय स्वीकृत
प्रावधानों और वित्तीय अनुशासन के अनुरूप हो।
इस प्रकार, ज़ोनल और डिवीजन दोनों स्तरों पर वित्त विभाग भारतीय रेल की
वित्तीय संरचना को मजबूत बनाने और व्यावसायिक दक्षता बनाए रखने में अहम भूमिका
निभाता है।
5. वित्त
विभाग की मुख्य जिम्मेदारियाँ
रेलवे वित्त विभाग का कार्य बहुआयामी है और इसमें कई
महत्वपूर्ण पहलुओं का समावेश होता है।
बजटीय नियंत्रण (Budgetary
Control)
इस अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्वीकृत
बजट सीमा से बाहर कोई व्यय न हो। साथ ही, सभी व्यय का उचित वर्गीकरण किया जाए ताकि वित्तीय प्रबंधन में
पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे।
आर्थिक व्यवहार्यता (Financial
Viability)
नई परियोजनाओं की शुरुआत से पहले उनका लागत-लाभ (Cost-Benefit) विश्लेषण किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, निवेश के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन भी
किया जाता है ताकि वित्तीय दृष्टि से परियोजनाएँ व्यवहार्य और स्थायी सिद्ध हो
सकें।
अनुबंध और निविदाएँ (Contracts
& Tenders)
निविदाओं
की वित्तीय शर्तों की जाँच की जाती है और इस प्रक्रिया में सर्वाधिक लाभकारी
विकल्प का चयन किया जाता है। इसका उद्देश्य संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित
करना है।
आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal
Audit)
आंतरिक लेखा परीक्षा के माध्यम से फिजूलखर्ची और
अनियमितताओं पर रोक लगाई जाती है। यह प्रक्रिया वित्तीय अनुशासन को बनाए रखने में
सहायक होती है।
वेतन और पेंशन प्रबंधन (Salary
& Pension Management)
वेतन और पेंशन प्रबंधन के क्षेत्र में IPAS (Integrated Payroll & Accounting System) के माध्यम से डिजिटलीकरण किया जाता है। इससे प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी,
त्वरित और कुशल बनती हैं।
6. वित्त
मंत्रालय और रेल मंत्रालय का संबंध
रेल मंत्रालय को यद्यपि पर्याप्त वित्तीय स्वायत्तता
प्राप्त है, किंतु यह
स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है। बड़े निवेशों या मेगा प्रोजेक्ट्स के मामले में
अनिवार्य रूप से वित्त मंत्रालय की स्वीकृति आवश्यक होती है। इसी प्रकार, यदि रेलवे को विदेशी ऋण या अंतरराष्ट्रीय सहायता प्राप्त करनी हो, तो इसके लिए वित्त मंत्रालय से परामर्श किया जाता है। वेतन और पेंशन
संबंधी निर्णय राष्ट्रीय नीति के अनुरूप ही लिए जाते हैं ताकि पूरे सरकारी ढांचे
में समानता बनी रहे। इसके अतिरिक्त, जब भी रेलवे में वित्तीय
नियमों में परिवर्तन की आवश्यकता होती है, तो इसके लिए वित्त
मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होती है। इस प्रकार यह संबंध राष्ट्रीय वित्तीय अनुशासन
और रेलवे की स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाए रखता है, जिससे
एक ओर केंद्रीय वित्तीय नियंत्रण सुनिश्चित होता है और दूसरी ओर रेलवे की
परिचालनिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी होती रहती है।
7. आधुनिक
सुधार, वित्त विभाग की भूमिका, चुनौतियाँ
और भविष्य की दिशा
हाल के वर्षों में वित्त विभाग ने भारतीय रेलवे में
पारदर्शिता, दक्षता और
जवाबदेही बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं। इन सुधारों में प्रमुख
हैं e-Procurement (IREPS), जिसके माध्यम से निविदा
प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन हो गई है, और IPAS, जो लेखा और वेतन प्रबंधन को डिजिटलीकृत करता है। इसके अलावा,
Outcome Budgeting का कार्यान्वयन किया गया, जिससे
व्यय केवल आवंटन तक सीमित न रहकर वास्तविक परिणामों पर केंद्रित हो गया। निजी
साझेदारी (PPP Projects) के माध्यम से वित्तीय आकलन और
रिस्क-शेयरिंग की व्यवस्था को मजबूत किया गया, जबकि
Green Bonds और CSR के जरिए सतत विकास और
सामाजिक जिम्मेदारी में निवेश बढ़ाया गया।
इसके बावजूद, वित्त विभाग कई चुनौतियों का सामना करता है। प्रमुख चुनौतियों
में बढ़ता पेंशन भार, यात्री सेवाओं में लगातार घाटा,
सीमित राजस्व स्रोत, बड़े पैमाने पर पूँजी
निवेश की आवश्यकता और राजनीतिक दबाव व नीतिगत बाधाएँ शामिल हैं। ये चुनौतियाँ
वित्तीय प्रबंधन और दीर्घकालिक योजना की सटीकता को प्रभावित कर सकती हैं।
भविष्य की दिशा में रेलवे के लिए कई अवसर मौजूद हैं।
डिजिटलीकरण और पूर्ण पेपरलेस प्रबंधन से संचालन में दक्षता बढ़ेगी, जबकि PM Gati Shakti योजना लॉजिस्टिक्स और गति शक्ति के माध्यम से राजस्व वृद्धि के नए अवसर
प्रस्तुत करती है। इसके अलावा, विदेशी निवेश और PPP मॉडल नए संसाधन जुटाने का अवसर प्रदान करते हैं। आधुनिक प्रबंधन तकनीकों
जैसे Cost Accounting, Performance Audit और Activity-Based
Costing का उपयोग व्यय प्रबंधन और वित्तीय पारदर्शिता को और सुदृढ़
करेगा। इन पहलुओं को अपनाकर रेलवे वित्तीय नियंत्रण, पारदर्शिता
और प्रभावशीलता के मामले में भविष्य में एक आदर्श उदाहरण बन सकता है।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की धड़कन है।
इसके सफल संचालन के लिए रेल मंत्रालय और वित्त विभाग की समन्वित भूमिका अपरिहार्य है। रेल
मंत्रालय जहाँ नीतियों और विकास की दिशा तय करता है, वहीं वित्त विभाग यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय
आर्थिक रूप से व्यवहार्य हों और सरकारी अनुशासन के अनुरूप हों।
भविष्य में बढ़ती प्रतिस्पर्धा, डिजिटलीकरण और पूँजीगत आवश्यकताओं के बीच इन
दोनों संस्थाओं की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाएगी। यदि वित्तीय अनुशासन और
नवाचार दोनों का संतुलन बनाए रखा जाए, तो भारतीय रेल न केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक आदर्श संगठन के
रूप में स्थापित होगी।
