Paperback Book - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
eBook - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
अध्याय 3
सरकारी लेखांकन एवं वित्तीय सिद्धांत
(Government
Accounting & Financial Principles)
भारतीय रेल के वित्तीय प्रबंधन को गहराई से समझने के
लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि भारत सरकार की लेखांकन प्रणाली (Government
Accounting System) और वित्तीय
सिद्धांत (Financial Principles) किस प्रकार कार्य करते हैं। रेलवे का वित्तीय ढाँचा यद्यपि व्यावसायिक तत्वों
(Commercial Elements) से
युक्त है, किंतु इसकी मूलभूत
संरचना भारतीय संविधान (Constitution of India), भारत सरकार के वित्तीय नियमों (General
Financial Rules – GFRs), तथा संसद की
अनुमोदन प्रक्रिया पर आधारित है।
रेलवे का वित्तीय प्रबंधन केवल खर्च और आय के आकलन
तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक
व्यापक तंत्र है जिसमें संसदीय नियंत्रण, प्रशासनिक पारदर्शिता, व्यय
की उत्तरदायित्वपूर्ण स्वीकृति, और वित्तीय अनुशासन प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यहाँ सरकारी लेखांकन की संरचना,
सिद्धांत, प्रणाली, आंतरिक नियंत्रण, लेखा
परीक्षा तथा रेलवे के संदर्भ में इसके विशेष पहलुओं का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत
किया गया है।
1. सरकारी
लेखांकन का आधार (Basis of Government Accounting)
भारत में सरकारी लेखांकन की नींव भारतीय संविधान में
निहित है। संविधान के अनुच्छेद 112 से 117 तक में वार्षिक
वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement), अनुदान की मांगें (Demands for Grants), और अनुदानों का विनियोजन (Appropriation
of Grants) संबंधी प्रावधान स्पष्ट
रूप से दिए गए हैं। संसद की यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक आय और व्यय
संसदीय नियंत्रण के अधीन रहे।
सरकारी लेखांकन का उद्देश्य केवल लेन-देन का रिकार्ड
रखना नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक धन (Public
Money) का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए
हो जिसके लिए वह आवंटित किया गया है, तथा व्यय पूरी तरह पारदर्शी और उत्तरदायी हो। वित्तीय अनुशासन, सार्वजनिक उत्तरदायित्व और संसदीय नियंत्रण
सरकारी लेखांकन के मूलभूत स्तंभ हैं।
रेलवे, जो भारत सरकार का एक प्रमुख विभाग है, उसी व्यापक सरकारी लेखांकन प्रणाली के अधीन कार्य करता है। हालाँकि, रेलवे के वित्तीय प्रबंधन में वाणिज्यिक
तत्व (Commercial Considerations) भी शामिल किए गए हैं ताकि इसकी विशाल परिचालन और परियोजना गतिविधियों का सही
आकलन हो सके।
2. सरकारी
लेखांकन के मुख्य घटक (Main Components of Government Accounting)
भारत सरकार की लेखांकन प्रणाली को तीन मुख्य हिस्सों
में बाँटा जा सकता है – आवक (Receipts), जावक (Expenditure), और लेखा वर्गीकरण (Accounting
Classification)।
(क) आवक (Receipts)
- कर राजस्व (Tax Revenue): इसमें आयकर, सीमा शुल्क, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (GST) से राज्यों को प्राप्त हिस्सा तथा अन्य
कर राजस्व शामिल हैं।
- गैर-कर राजस्व (Non-Tax
Revenue): इसमें सरकारी
सेवाओं से प्राप्त शुल्क, ब्याज, डिविडेंड,
जुर्माना तथा विभिन्न सेवाओं से
अर्जित आय शामिल होती है। रेलवे के मामले में टिकट बिक्री, मालभाड़ा और सहायक सेवाएँ भी गैर-कर
राजस्व के अंतर्गत आती हैं।
- पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital
Receipts): इसमें ऋण (Borrowings),
उधार की पुनर्भुगतान राशि (Repayment
of Loans), तथा सार्वजनिक
उपक्रमों के शेयरों की बिक्री (Disinvestment) शामिल हैं।
(ख) जावक (Expenditure)
- राजस्व व्यय (Revenue
Expenditure): इसमें वेतन,
पेंशन, भत्ते, संचालन व्यय, सब्सिडी
तथा सामान्य प्रशासनिक खर्च सम्मिलित होते हैं। रेलवे के सन्दर्भ में यह वेतन,
डीज़ल/बिजली खर्च, पटरियों और डिब्बों का नियमित रखरखाव
इत्यादि पर होता है।
- पूँजीगत व्यय (Capital
Expenditure): इसमें नई
परियोजनाओं का निर्माण, रेलवे
लाइन का विस्तार, विद्युतिकरण
(Electrification), सिग्नलिंग
आधुनिकीकरण, स्टेशन
पुनर्विकास आदि सम्मिलित होते हैं।
(ग) लेखा वर्गीकरण (Accounting
Classification)
सरकारी लेखांकन का एक महत्वपूर्ण पहलू है
प्राप्तियों और व्यय का विशिष्ट मदों (Heads of Accounts) के अंतर्गत वर्गीकरण। प्रत्येक लेन-देन को
एक कोड या हेड के अंतर्गत दर्ज किया जाता है ताकि तुलनात्मक अध्ययन, विश्लेषण और लेखा परीक्षा सुगमता से हो सके।
3. वित्तीय
सिद्धांत (Financial Principles)
सरकारी वित्तीय व्यवस्था को सुव्यवस्थित और
उत्तरदायी बनाए रखने हेतु कुछ सार्वभौमिक वित्तीय सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं।
रेलवे पर भी ये सिद्धांत समान रूप से लागू होते हैं।
- वार्षिकता का सिद्धांत (Principle
of Annuality): बजट और व्यय
एक निश्चित वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए ही स्वीकृत होते हैं। अव्ययित राशि (Unspent
Amount) स्वतः अगले वर्ष में
स्थानांतरित नहीं की जा सकती।
- संपूर्णता का सिद्धांत (Principle
of Universality): सभी आय और
व्यय को वार्षिक बजट में सम्मिलित करना अनिवार्य है। कोई भी आय सीधे किसी
व्यय से समायोजित नहीं की जा सकती।
- विशिष्टता का सिद्धांत (Principle
of Specificity): प्रत्येक
अनुदान केवल उसी उद्देश्य के लिए उपयोग किया जा सकता है जिसके लिए संसद ने
स्वीकृति दी है।
- शुचिता का सिद्धांत (Principle
of Propriety): प्रत्येक
व्यय सार्वजनिक अपेक्षाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप होना चाहिए तथा अनावश्यक
विलासिता (Extravagance) या फिजूलखर्ची (Wastefulness) से बचा जाना चाहिए।
ये सिद्धांत वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता
सुनिश्चित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
4. लेखा
प्रणाली (Accounting System)
भारत सरकार की लेखांकन प्रणाली
कैश आधारित प्रणाली (Cash
Based System of Accounting) पर
आधारित है। इस प्रणाली के अंतर्गत:
- आय तभी दर्ज होती है जब वास्तविक नकद
प्राप्ति हो।
- व्यय तभी दर्ज होता है जब वास्तविक
भुगतान हो।
इसके विपरीत, आरोपण आधारित प्रणाली (Accrual Based
Accounting) में आय और व्यय को उस
समय दर्ज किया जाता है जब वे अर्जित या देय हो जाते हैं, चाहे नकद प्रवाह हुआ हो या नहीं।
वर्तमान में भारतीय रेल मुख्यतः कैश आधारित प्रणाली
का पालन करती है, किंतु आधुनिक
वित्तीय प्रबंधन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए रेलवे में Accrual Accounting के कुछ तत्व भी शामिल किए जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, रेलवे PSUs और परियोजना लेखांकन में आरोपण आधारित पद्धति अपनाने की दिशा में पायलट
प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं।
5. वित्तीय
नियम और कोड (Financial Rules & Codes)
भारतीय रेल का वित्तीय ढाँचा विभिन्न कोड्स और
नियमों से नियंत्रित होता है। प्रमुख कोड हैं:
- Indian
Railways Financial Code (IRFC): इसमें रेलवे के व्यय, लेखांकन, बजटीय
प्रक्रिया और वित्तीय नियंत्रण से संबंधित विस्तृत प्रावधान हैं।
- Railway
Codes for the Accounts Department (RCAD): यह लेखा विभाग के दैनिक कार्यों और प्रक्रियाओं
के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
- General
Financial Rules (GFRs): भारत
सरकार द्वारा बनाए गए ये नियम सभी मंत्रालयों और विभागों के लिए लागू होते
हैं और रेलवे में भी समान रूप से प्रभावी हैं।
- Indian
Railway Establishment Code (IREC): यह सेवा शर्तों और कर्मचारियों से संबंधित वित्तीय प्रावधानों का नियमन
करता है।
इन कोड्स और नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना
है कि प्रत्येक व्यय की पूर्व अनुमति (Prior Sanction) हो, उसका सही वर्गीकरण किया जाए, और संसदीय अनुमोदन प्राप्त हो।
6. विनियोजन
और नियंत्रण (Appropriation & Control)
सरकारी लेखांकन का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है अनुदान का
विनियोजन (Appropriation of Grants)। संसद द्वारा स्वीकृत प्रत्येक अनुदान को उसी कार्य के लिए व्यय किया जाना
चाहिए जिसके लिए वह स्वीकृत हुआ है।
यदि किसी विशेष मद में अधिक व्यय आवश्यक हो, तो पुनर्विनियोजन (Re-appropriation)
या अतिरिक्त अनुदान (Supplementary
Grant) की स्वीकृति अनिवार्य है। इस
प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिकारियों के पास अनियंत्रित
वित्तीय स्वतंत्रता (Uncontrolled Financial Autonomy) न हो और संसदीय नियंत्रण सुदृढ़ बना रहे।
7. आंतरिक
नियंत्रण
सरकारी लेखांकन में आंतरिक नियंत्रण एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके अंतर्गत:
- बजटीय नियंत्रण (Budgetary
Control): स्वीकृत बजट की
सीमाओं का पालन और निरंतर समीक्षा।
- आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal
Audit): वित्तीय अनियमितताओं
और अपव्यय की पहचान।
- द्वैध नियंत्रण (Dual Control):
प्रशासनिक अधिकारी व्यय का
प्रस्ताव करते हैं और वित्त अधिकारी उसकी जाँच और अनुमोदन करते हैं।
- निगरानी (Monitoring): समय-समय पर प्रगति रिपोर्ट और वित्तीय
समीक्षा बैठकें आयोजित की जाती हैं।
रेलवे जैसी विशाल संगठनात्मक इकाई के लिए आंतरिक
नियंत्रण तंत्र अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें एक साथ हजारों परियोजनाएँ और व्यय मद चलते रहते हैं।
8. वित्तीय
उत्तरदायित्व और लेखा परीक्षा (Financial Accountability & Audit)
सरकारी लेखांकन की अंतिम उत्तरदायित्व संसद के प्रति
है। इसके प्रमुख तत्त्व हैं:
- कैग (Comptroller and Auditor
General – C&AG): यह
भारत का सर्वोच्च लेखा परीक्षक है, जो रेलवे सहित सभी सरकारी खातों का स्वतंत्र रूप से परीक्षण करता है।
- लोक लेखा समिति (Public
Accounts Committee – PAC): संसद की यह समिति C&AG की रिपोर्टों की समीक्षा करती है और अधिकारियों से जवाबदेही तय करती है।
- वित्तीय आयुक्त (Financial Commissioner): रेल मंत्रालय में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और उच्च स्तर पर वित्तीय नियंत्रण का दायित्व निभाते हैं।
9. आधुनिक
सुधार, रेलवे में विशेषताएँ, चुनौतियाँ
और भविष्य की दिशा
समय के साथ सरकारी लेखांकन में कई महत्वपूर्ण सुधार
किए गए हैं, जिनका भारतीय रेल
में भी सफलतापूर्वक अनुप्रयोग हुआ है। प्रमुख सुधारों में Outcome
Budgeting शामिल है, जिसके अंतर्गत व्यय का मूल्यांकन केवल
आवंटित राशि के आधार पर नहीं, बल्कि प्राप्त परिणामों (Outcomes) के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा, Zero Based Budgeting (ZBB) का प्रयोग होता है, जिसमें प्रत्येक व्यय को शून्य आधार से औचित्य सिद्ध
करना आवश्यक होता है। कुछ रेलवे ज़ोन और PSUs में Accrual Accounting Pilot Projects शुरू किए गए हैं, जिससे आरोपण आधारित लेखांकन का परीक्षण किया जा रहा
है। e-Procurement और e-Budgeting
के माध्यम से सभी खरीद और बजट
प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जोड़कर पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाई गई है।
इसके साथ ही, Integrated Financial Management System (IFMS) ने सभी भुगतान और प्राप्तियों का एकीकृत
ऑनलाइन मंच प्रदान किया है।
रेलवे का सरकारी लेखांकन अन्य मंत्रालयों से भिन्न
है। इसमें प्रमुख विशेषताएँ हैं विशेष बजट स्वरूप, जिसमें राजस्व और पूँजीगत अनुदान अलग-अलग दर्ज होते
हैं, और लागत लेखांकन (Cost
Accounting) तथा ट्रैफिक राजस्व
विश्लेषण को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, रेलवे को प्रतिवर्ष संसद में विनियोजन लेखा (Appropriation
Accounts) प्रस्तुत करना अनिवार्य है,
जिससे वित्तीय अनुशासन और जवाबदेही
सुनिश्चित होती है।
वर्तमान में रेलवे वित्तीय प्रबंधन कई चुनौतियों का
सामना कर रहा है। इसमें वेतन और पेंशन पर बढ़ता बोझ, कैश आधारित प्रणाली की सीमाएँ, जटिल परियोजनाओं में लागत अनुमान और
वास्तविक व्यय के बीच अंतर, और
डिजिटल संक्रमण (Digital Transition) के दौरान साइबर सुरक्षा जोखिम शामिल हैं। भविष्य की दिशा में रेलवे धीरे-धीरे
Accrual Accounting की ओर संक्रमण कर
रहा है। Data Analytics और Artificial
Intelligence (AI) आधारित वित्तीय
मॉनिटरिंग से व्यय का सटीक मूल्यांकन संभव होगा। इसके अलावा, Green Finance
और Sustainable Development
Goals (SDGs) से जुड़ी रिपोर्टिंग,
तथा Real-time Accounting के माध्यम से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाई
जाएगी। इन सुधारों से रेलवे वित्तीय नियंत्रण, दीर्घकालिक स्थिरता और सतत विकास सुनिश्चित कर
सकेगा।
10. निष्कर्ष (Conclusion)
सरकारी लेखांकन और वित्तीय सिद्धांत भारतीय रेल के
वित्तीय प्रबंधन की नींव हैं। वार्षिकता, संपूर्णता, विशिष्टता और
शुचिता जैसे सिद्धांत संसदीय नियंत्रण को मजबूत करते हैं तथा यह सुनिश्चित करते
हैं कि सार्वजनिक धन का उपयोग केवल राष्ट्रहित और जनकल्याण में हो। रेलवे जैसी
विशाल इकाई में वित्तीय अनुशासन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, और इसके लिए आधुनिक लेखा प्रणाली, डिजिटल तकनीक और सुधारात्मक उपाय लगातार
अपनाए जा रहे हैं।
भविष्य की दिशा स्पष्ट है – आरोपण आधारित लेखांकन,
डिजिटलाइजेशन, डेटा-आधारित निर्णय और पारदर्शिता। यदि इन सुधारों
को निरंतरता से लागू किया गया तो भारतीय रेल का वित्तीय प्रबंधन न केवल राष्ट्रीय
स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर भी एक आदर्श प्रणाली के रूप में स्थापित हो सकेगा।
