अध्याय 10 - रेलवे में वित्तीय कोड एवं नियमावली (Railway Financial Code & Manuals)

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अध्याय 10

रेलवे में वित्तीय कोड एवं नियमावली (Railway Financial Code & Manuals)


भारतीय रेल विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, जिसका संचालन प्रतिदिन लाखों यात्रियों और माल ढुलाई के माध्यम से होता है। इतने बड़े संगठन में वित्तीय गतिविधियों का महत्व अत्यधिक है क्योंकि रेलवे प्रतिदिन करोड़ों रुपये के राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) का प्रबंधन करता है। इस विशाल वित्तीय ढाँचे को सुव्यवस्थित, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिए रेलवे ने समय-समय पर वित्तीय कोड (Financial Code) और विभिन्न नियमावलियाँ (Manuals) विकसित की हैं। ये दस्तावेज़ न केवल प्रशासनिक कार्यों का मार्गदर्शन करते हैं बल्कि संसद (Parliament), नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General – C&AG) तथा रेलवे बोर्ड (Railway Board) के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने का आधार भी प्रदान करते हैं।


1. वित्तीय कोड एवं नियमावली का महत्व (Importance of Financial Code & Manuals)

भारतीय रेल का वित्तीय कोड और संबंधित नियमावलियाँ इसकी वित्तीय प्रणाली की रीढ़ (Backbone) मानी जाती हैं। इनका महत्व कई दृष्टियों से है:

नियमबद्धता (Regulation): वित्तीय कोड में प्रत्येक कार्यवाही के लिए स्पष्ट नियम और प्रक्रियाएँ निर्दिष्ट हैं। उदाहरणस्वरूप, किसी व्यय की स्वीकृति (Sanction) या पुनर्विनियोजन (Re-appropriation) की प्रक्रिया चरणबद्ध रूप से लिखी गई है, जिससे मनमाने ढंग से व्यय करने की संभावना समाप्त हो जाती है।

पारदर्शिता (Transparency): चूँकि भारतीय रेल सार्वजनिक धन से संचालित होती है, इसलिए इसका प्रत्येक लेन-देन पारदर्शी होना आवश्यक है। वित्तीय कोड प्रत्येक भुगतान, बजट और अनुबंध की प्रक्रिया में स्पष्टता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

अनुशासन (Discipline): वित्तीय अनुशासन का अर्थ है कि कोई भी व्यय स्वीकृत सीमा और निर्धारित प्रक्रिया के भीतर ही किया जाए। इस नियमबद्धता से अनधिकृत व्यय और संभावित भ्रष्टाचार की रोकथाम होती है।

प्रशिक्षण (Training): नए अधिकारियों, विशेषकर लेखा (Accounts) और वित्तीय (Finance) कैडर में भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए कोड और नियमावलियाँ प्रशिक्षण का प्रमुख स्रोत हैं। ये दस्तावेज़ उन्हें वित्तीय उत्तरदायित्वों और दायित्वों से परिचित कराते हैं।

संसदीय उत्तरदायित्व (Parliamentary Accountability): संसद में प्रस्तुत होने वाले Demands for Grants और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्टों के लिए वित्तीय कोड आधार प्रदान करता है। इससे न केवल वित्तीय प्रणाली पारदर्शी बनती है, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही भी सुनिश्चित होती है।

2. रेलवे वित्तीय कोड (Railway Financial Code – RFC)

रेलवे वित्तीय कोड भारतीय रेल का प्रमुख वित्तीय दस्तावेज़ है, जिसे रेलवे बोर्ड द्वारा संकलित और प्रकाशित किया जाता है। यह रेलवे में होने वाली सभी वित्तीय कार्यवाहियों के लिए मानक मार्गदर्शक (Standard Guide) की भूमिका निभाता है।

(क) परिचय

रेलवे वित्तीय कोड में राजस्व प्राप्तियों, व्यय, बजट निर्माण, खातों के रख-रखाव, आंतरिक नियंत्रण तथा ऑडिट संबंधी विस्तृत नियम शामिल हैं। इसे दो भागों में विभाजित किया गया है, ताकि प्रशासनिक और लेखा संबंधी प्रावधानों को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।

(ख) भाग – I (Part I)

भाग – I मुख्यतः राजस्व और व्यय से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करता है। इसमें निम्नलिखित प्रमुख विषय शामिल हैं:

  • राजस्व और व्यय का वर्गीकरण (Classification of Revenue & Expenditure)
  • वार्षिक बजट निर्माण, Demands for Grants और संसद में प्रस्तुति की प्रक्रिया।
  • अनुदान (Grant), पुनः विनियोजन (Re-appropriation) तथा अतिरिक्त मांग (Supplementary Demands) की प्रणाली।
  • नकदी प्रबंधन (Cash Management) और बिल भुगतान

(ग) भाग – II (Part II)

भाग – II लेखा प्रणाली (Accounts System) और ऑडिट संबंधी प्रावधानों पर केंद्रित है। इसमें शामिल हैं:

  • विभिन्न खातों का संकलन और संधारण (Compilation & Maintenance of Accounts)
  • आंतरिक नियंत्रण (Internal Control) और आंतरिक/बाहरी ऑडिट की प्रक्रियाएँ।
  • पूँजीगत व्ययों (Capital Expenditure) का लेखांकन।
  • मासिक और वार्षिक रिपोर्टिंग प्रणाली।

रेलवे वित्तीय कोड को इस प्रकार बनाया गया है कि यह न केवल वर्तमान परिस्थितियों में उपयोगी हो, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार भी संशोधित और अद्यतन किया जा सके।

3. अन्य महत्वपूर्ण नियमावली (Other Important Manuals)

रेलवे वित्तीय प्रबंधन केवल एक कोड तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ कई नियमावलियाँ (Manuals) भी जुड़ी हुई हैं, जो विशिष्ट विभागों और कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।

(क) रेलवे कोड फॉर द अकाउंट्स डिपार्टमेंट (Railway Code for the Accounts Department – RCAD):

यह कोड लेखा विभाग (Accounts Department) की कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है। इसमें खातों के संकलन, रख-रखाव, निरीक्षण और रिपोर्टिंग से संबंधित विस्तृत प्रावधान हैं। इसके अंतर्गत सस्पेंस खातों (Suspense Accounts), एडवांस (Advances) तथा समायोजन प्रविष्टियों (Adjustment Entries) का भी प्रबंधन किया जाता है।

(ख) रेलवे एस्टैब्लिशमेंट कोड (Railway Establishment Code – REC):

यह कोड कर्मचारियों की भर्ती, पदोन्नति, सेवा शर्तें, वेतन, पेंशन और अन्य लाभों को नियंत्रित करता है। इसे अक्सर मानव संसाधन प्रबंधन (Human Resource Management) का मूल दस्तावेज़ माना जाता है।

(ग) रेलवे एस्टैब्लिशमेंट मैनुअल (Railway Establishment Manual – REM):

यह कोड की तुलना में अधिक व्यावहारिक दिशा-निर्देश प्रदान करता है। इसमें अवकाश (Leave), अनुशासनात्मक कार्यवाही (Disciplinary Proceedings), पदोन्नति (Promotion) और अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं का विस्तार से उल्लेख है।

(घ) इंजीनियरिंग कोड (Engineering Code):

यह कोड रेलवे के निर्माण, मरम्मत और रखरखाव संबंधी वित्तीय कार्यों को नियंत्रित करता है। इसमें कार्यों की स्वीकृति (Sanction of Works), अनुबंध (Contract) प्रक्रिया और बजटीय प्रावधान शामिल हैं।

(ङ) स्टोर कोड (Stores Code):

रेलवे में सामग्री की खरीद, भंडारण और निर्गम का कार्य स्टोर विभाग द्वारा किया जाता है। E-Procurement और टेंडरिंग प्रक्रिया इसी कोड के अधीन आती है।

(च) वर्क्स प्रोग्राम मैनुअल (Works Programme Manual):
यह मैनुअल रेलवे की योजनाओं और परियोजनाओं का वित्तीय नियोजन प्रस्तुत करता है। इसमें वार्षिक और पाँच वर्षीय  कार्य कार्यक्रमों का विवरण दिया गया है।

(छ) इंडियन रेलवे कोड फॉर द डिसबर्सिंग ऑफिसर्स:
यह नियमावली नकद भुगतान, चेक के उपयोग और वित्तीय उत्तरदायित्वों की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है।

4. वित्तीय कोड में प्रमुख प्रावधान (Major Provisions in Financial Code)

रेलवे वित्तीय कोड में अनेक प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य वित्तीय व्यवस्था को संगठित और पारदर्शी बनाना है। इनमें प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

  1. बजट निर्माण (Budget Preparation): Demands for Grants की तैयारी, रेलवे बोर्ड द्वारा अनुमोदन और संसद में प्रस्तुति की विस्तृत प्रक्रिया।
  2. व्यय की स्वीकृति (Sanction of Expenditure): प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति की सीमा का निर्धारण।
  3. विनियोजन (Appropriation): स्वीकृत व्यय को बजट सीमा से मिलान करना।
  4. पुनर्विनियोजन (Re-appropriation): एक मद (Head) से दूसरे मद में राशि का स्थानांतरण करने की प्रक्रिया।
  5. कैश एवं बिल प्रक्रिया (Cash & Bill Procedure): नकदी का सुरक्षित संधारण और ठेकेदारों के बिलों का समय पर भुगतान।
  6. ऑडिट और निरीक्षण (Audit & Inspection): आंतरिक (Internal) और बाहरी (External) ऑडिट की प्रक्रिया तथा निरीक्षण रिपोर्टों पर कार्रवाई।

5. रेलवे वित्तीय नियमों का अनुपालन (Compliance with Financial Rules)

रेलवे में वित्तीय नियमों का अनुपालन अनिवार्य है। प्रत्येक अधिकारी अपने वित्तीय निर्णयों और अनुमोदनों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है। किसी भी अनियमित व्यय की जिम्मेदारी उसी अधिकारी पर होती है जिसने उसे स्वीकृत किया है। अनुबंध और खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित नियमों का पालन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG) की ऑडिट रिपोर्टों पर समयबद्ध कार्रवाई करना भी एक महत्त्वपूर्ण दायित्व है।

6. आधुनिक सुधार, वित्तीय उल्लंघन, चुनौतियाँ और भविष्य की

भारतीय रेल ने समय के साथ अपनी वित्तीय प्रणाली में कई आधुनिक सुधार लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य दक्षता (Efficiency), पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) बढ़ाना है। प्रमुख सुधारों में ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम (E-Procurement System) शामिल है, जो 2015 से लागू होकर सभी टेंडर और खरीद प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ले आया। इससे भ्रष्टाचार में कमी आई और लागत बचत संभव हुई। ई-ऑफिस और ई-लेखांकन (E-Office & E-Accounting) ने पेपरलेस कार्य संस्कृति को बढ़ावा दिया, जिससे समय की बचत और पारदर्शिता बढ़ी। IPAS और IFMS (Integrated Payroll & Accounting System और Integrated Financial Management System) ने लेखा और भुगतान प्रणालियों को एकीकृत किया। इसके अतिरिक्त, Outcome Budgeting ने व्यय का मूल्यांकन केवल राशि के आधार पर नहीं बल्कि परिणामों (Outcomes) के आधार पर किया। Data Analytics और AI Tools का प्रयोग वित्तीय अनियमितताओं की पहचान और रोकथाम के लिए किया गया।

हालांकि, कई बार वित्तीय नियमों का पालन न होने से गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इसमें प्रमुख उदाहरण हैं स्वीकृत बजट सीमा से अधिक व्यय, अनुबंध प्रक्रिया में अनियमितता और अपारदर्शिता, नकद प्रबंधन (Cash Management) में गड़बड़ी, और परियोजनाओं में लागत वृद्धि व समय से अधिक विलंब।

भारतीय रेल जैसे विशाल संगठन में वित्तीय नियमों का पालन कराना चुनौतीपूर्ण है। प्रमुख चुनौतियों में विशाल वित्तीय ढाँचा और जटिलता, नियमों का बार-बार संशोधन और अद्यतन, नए अधिकारियों और कर्मचारियों में अपर्याप्त प्रशिक्षण, तथा Public Private Partnership और निजी भागीदारी परियोजनाओं का नियमन शामिल हैं।

भविष्य की दिशा में रेलवे वित्तीय प्रणाली को और सुदृढ़ बनाने हेतु कई कदम उठाए जा सकते हैं। इसमें डिजिटल कोड और नियमावली तैयार करना, सभी नियम ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन पर उपलब्ध कराना, AI आधारित मॉनिटरिंग के माध्यम से वित्तीय लेन-देन की स्वचालित जाँच और अनियमितताओं की पहचान करना शामिल है। इसके अलावा, ब्लॉकचेन आधारित अनुबंध (Blockchain Contracts) से छेड़छाड़-रोधी और पारदर्शी अनुबंध प्रणाली सुनिश्चित होगी। नियमों को सरलीकरण (Simplification) करके उपयोगकर्ता-मित्र (User Friendly) बनाया जा सकता है, और अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए निरंतर प्रशिक्षण (Continuous Training) कार्यक्रम आवश्यक हैं।

ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम के अंतर्गत रेलवे की खरीद प्रणाली को लंबे समय तक पेपर आधारित और समय लेने वाली प्रक्रिया से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर स्थानांतरित किया गया। इससे न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित हुई, बल्कि प्रतिस्पर्धा (Competition) बढ़ी और लागत में उल्लेखनीय बचत हुई। यह सुधार रेलवे के वित्तीय प्रबंधन में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

 

7. निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय रेल का वित्तीय कोड और नियमावली इसकी वित्तीय प्रणाली की आधारशिला हैं। इन दस्तावेज़ों ने संगठन को वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदान की है। आज जब रेलवे आधुनिक तकनीकी सुधारों की ओर अग्रसर है, तब इन कोड और नियमावलियों का महत्व और भी बढ़ गया है। ई-प्रोक्योरमेंट, ई-ऑफिस, IPAS, Outcome Budgeting जैसी पहलें इस दिशा में उल्लेखनीय हैं।

भविष्य में डिजिटलाइजेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों के उपयोग से रेलवे की वित्तीय प्रणाली और अधिक पारदर्शी, कुशल और विश्वसनीय बनेगी। अतः यह कहा जा सकता है कि रेलवे के वित्तीय कोड और नियमावलियाँ न केवल अतीत की धरोहर हैं बल्कि भविष्य के लिए मार्गदर्शक भी हैं।


 

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