अध्याय 9 रेलवे लेखा कोड (Railway Accounts Code)

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रेलवे लेखा कोड (Railway Accounts Code)

भारतीय रेल का वित्तीय प्रबंधन केवल आय और व्यय की गणना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सुव्यवस्थित, बहुस्तरीय और तकनीकी लेखा प्रणाली पर आधारित है। भारतीय रेल विश्व की सबसे बड़ी रेल व्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी वित्तीय गतिविधियाँ कई केंद्रीय मंत्रालयों से भी अधिक विस्तृत होती हैं। ऐसे में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए रेलवे लेखा कोड (Railway Accounts Code – RAC) की स्थापना की गई। यह कोड रेलवे में लेखांकन (Accounting), वित्तीय रिपोर्टिंग (Financial Reporting), आंतरिक नियंत्रण (Internal Control) तथा लेखा परीक्षा (Audit) की मानक पद्धति को परिभाषित करता है।


1. रेलवे लेखा कोड का परिचय (Introduction to RAC)

रेलवे लेखा कोड भारतीय रेल की वित्तीय प्रणाली की रीढ़ है। यह एक मानकीकृत प्रणाली (Standard System of Accounting) है, जिसके अंतर्गत रेलवे के सभी वित्तीय लेन-देन को दर्ज, वर्गीकृत और संकलित किया जाता है। कोड यह सुनिश्चित करता है कि आय और व्यय को उनके निर्धारित हेड ऑफ अकाउंट के अंतर्गत दर्ज किया जाए और समय पर रिपोर्टिंग की जा सके।

RAC केवल वित्तीय लेखांकन का तकनीकी साधन ही नहीं है, बल्कि यह संसदीय उत्तरदायित्व का भी आधार है। भारतीय रेल का बजट संसद द्वारा अनुमोदित होता है और RAC यह सुनिश्चित करता है कि व्यय स्वीकृत सीमा के भीतर हो तथा संसद और जनता के प्रति रेलवे का विश्वास बना रहे।

2. रेलवे लेखा कोड का उद्देश्य (Objectives of RAC)

रेलवे लेखा कोड के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  1. सटीक और व्यवस्थित लेखांकन (Systematic and Accurate Accounting): प्रतिदिन होने वाले असंख्य वित्तीय लेन-देन का व्यवस्थित रिकॉर्ड तैयार करना।
  2. संसदीय नियंत्रण (Parliamentary Control): संसदीय विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts) के लिए विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध कराना।
  3. निर्णय-निर्माण में सहयोग (Decision-making Support): रेलवे बोर्ड, ज़ोनल रेलों और मंत्रालय को आवश्यक वित्तीय जानकारी उपलब्ध कराना।
  4. वित्तीय शुचिता और नियंत्रण (Financial Propriety & Control): यह सुनिश्चित करना कि व्यय औचित्यपूर्ण हो और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग न हो।
  5. पारदर्शिता (Transparency): जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए वित्तीय प्रणाली को पारदर्शी बनाना।

3. रेलवे लेखा कोड की उत्पत्ति (Origin of RAC)

स्वतंत्रता पूर्व काल में भारतीय उपमहाद्वीप की विभिन्न रेल कंपनियों की लेखा प्रणाली एक समान नहीं थी। अलग-अलग कंपनियाँ अपनी सुविधानुसार लेखांकन करती थीं, जिससे समग्र वित्तीय स्थिति का स्पष्ट चित्र सामने नहीं आता था।

स्वतंत्रता के बाद भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण हुआ और एकीकृत व्यवस्था बनी। तब यह महसूस किया गया कि एक मानकीकृत लेखा प्रणाली (Standardized Accounting System) की आवश्यकता है। इस दिशा में भारत सरकार के General Financial Rules को आधार बनाकर, रेलवे की विशिष्ट आवश्यकताओं को सम्मिलित करते हुए रेलवे लेखा कोड तैयार किया गया।

इस कोड का उद्देश्य केवल प्रशासनिक अनुशासन नहीं था, बल्कि संसदीय उत्तरदायित्व और सार्वजनिक धन के उचित उपयोग को सुनिश्चित करना भी था। समय-समय पर इसमें संशोधन और आधुनिकीकरण होते रहे, ताकि यह बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप प्रासंगिक बना रहे।


4. रेलवे लेखा कोड की संरचना (Structure of RAC)

रेलवे लेखा कोड को 5 प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:

  1. भाग I – लेखांकन प्रणाली (Accounting System):
    इसमें नकद आधारित लेखांकन (Cash-based Accounting) की प्रक्रिया का वर्णन है। प्रत्येक वित्तीय लेन-देन को दर्ज करने और मूल रिकॉर्ड तैयार करने के नियम दिए गए हैं।
  2. भाग II – वर्गीकरण (Classification of Accounts):
    इसमें आय और व्यय के विभिन्न हेड ऑफ अकाउंट (Heads of Account) निर्धारित किए गए हैं। राजस्व (Revenue), पूँजीगत (Capital) और ऋण (Loan) खातों का पृथक वर्गीकरण इसी भाग का हिस्सा है।
  3. भाग III – वित्तीय रिपोर्टिंग (Financial Reporting):
    मासिक और वार्षिक खातों की तैयारी, विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts) और वित्तीय समीक्षा की पद्धति इसमें वर्णित है।
  4. भाग IV – आंतरिक नियंत्रण (Internal Control):
    यह भाग सुनिश्चित करता है कि वित्तीय लेन-देन पर प्रशासनिक और वित्तीय दोनों अधिकारियों की निगरानी रहे। द्वंद्वीय नियंत्रण (Dual Control) की व्यवस्था इसी भाग में परिभाषित है।
  5. भाग V – ऑडिट और निरीक्षण (Audit & Inspection):
    इसमें आंतरिक ऑडिट (Internal Audit) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG) द्वारा किए जाने वाले बाहरी ऑडिट की रूपरेखा दी गई है।

5. रेलवे लेखा कोड के मुख्य प्रावधान (Key Provisions of RAC)

(क) नकद आधारित लेखांकन प्रणाली (Cash-based Accounting System):

भारतीय रेल अभी भी नकद आधारित लेखांकन प्रणाली अपनाती है, जिसमें आय और व्यय को वास्तविक प्राप्ति और भुगतान के आधार पर दर्ज किया जाता है। यद्यपि आधुनिक वित्तीय प्रबंधन में Accrual Accounting की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

(ख) हेड ऑफ अकाउंट (Head of Account):

प्रत्येक लेन-देन को निर्धारित हेड में दर्ज करना अनिवार्य है। जैसे – वेतन, पेंशन, ईंधन, रख-रखाव, यात्री आय (Passenger Earnings), माल भाड़ा आय (Freight Earnings) इत्यादि।

(ग) विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts):

संसद द्वारा स्वीकृत अनुदानों के भीतर ही व्यय होना चाहिए। RAC यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक व्यय का मिलान अनुमोदित अनुदान से किया जाए।

(घ) मासिक और वार्षिक रिपोर्ट: प्रत्येक माह ज़ोनल रेलवे वित्तीय रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजते हैं। वर्षांत में तैयार की गई संकलित वार्षिक रिपोर्ट संसद के समक्ष प्रस्तुत की जाती है।


6. लेखा कोड और रेलवे बजट (RAC & Railway Budget)

रेलवे बजट और लेखा प्रणाली आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। रेलवे बजट संसद द्वारा स्वीकृत व्यय की सीमा तय करता है, जबकि रेलवे लेखा कोड यह सुनिश्चित करता है कि व्यय का सही रिकॉर्ड रखा जाए और स्वीकृत अनुदान के भीतर ही खर्च हो।

इस प्रकार बजट नीति-निर्माण का साधन है और लेखा कोड उसकी अनुपालन प्रणाली। दोनों मिलकर रेलवे की वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता को सुनिश्चित करते हैं।


7. रेलवे लेखा कोड और आंतरिक नियंत्रण (RAC & Internal Control)

रेलवे में आंतरिक नियंत्रण (Internal Control) की व्यवस्था अत्यंत सुव्यवस्थित है, जिससे प्रत्येक व्यय की जाँच प्रशासनिक अधिकारी और वित्तीय अधिकारी दोनों द्वारा सुनिश्चित की जाती है। ज़ोनल स्तर पर, Financial Adviser & Chief Accounts Officer (FA&CAO) इस कार्य के लिए जिम्मेदार होते हैं और वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं, मंडल स्तर पर, Divisional Finance Manager (DFM) वित्तीय नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि सभी खर्च नियमानुसार हों। इसके अतिरिक्त, आंतरिक ऑडिट (Internal Audit) विभाग नियमित निरीक्षण करता है और संभावित गड़बड़ियों का पता लगाकर सुधारात्मक उपायों की सिफारिश करता है, जिससे रेलवे में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।


8. रेलवे लेखा कोड और C&AG (RAC & Audit by C&AG)

रेलवे खातों का बाहरी परीक्षण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG) करते हैं। C&AG की रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के सामने प्रस्तुत की जाती है।

इस प्रक्रिया से रेलवे के वित्तीय उत्तरदायित्व (Financial Accountability) को लोकतांत्रिक मान्यता मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग पारदर्शिता और दक्षता के साथ हुआ है।


9. आधुनिक सुधार, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

पिछले दो दशकों में रेलवे लेखा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए गए हैं। IPAS (Integrated Payroll & Accounting System) ने कर्मचारियों के वेतन और लेखांकन को पूरी तरह डिजिटलीकृत किया। E-Accounts के माध्यम से कागज़ रहित (Paperless) कार्यालय की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। Data Analytics का उपयोग वित्तीय आँकड़ों के गहन विश्लेषण और निर्णय-निर्माण में किया जा रहा है। इसके साथ ही, Outcome Budgeting ने केवल व्यय का नहीं, बल्कि परिणामों का भी मूल्यांकन सुनिश्चित किया। विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए ERP Systems का कार्यान्वयन किया गया है।


हालांकि, रेलवे लेखा प्रणाली में कई चुनौतियाँ भी हैं। नकद आधारित लेखांकन प्रणाली में दीर्घकालिक दायित्वों का सही चित्रण नहीं होता। इतने विशाल संगठन में त्रुटिरहित लेखांकन सुनिश्चित करना कठिन है और विभिन्न ज़ोन तथा मंडलों में एकरूपता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्रणालियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण और अद्यतन आवश्यक है।


भविष्य की दिशा में रेलवे धीरे-धीरे Accrual Accounting System की ओर बढ़ रहा है, ताकि दायित्व आधारित लेखांकन को अपनाया जा सके। Artificial Intelligence (AI) आधारित निगरानी से आय और व्यय की स्वचालित जाँच संभव होगी। Integrated Financial Management System (IFMS) रेलवे और वित्त मंत्रालय के बीच प्रत्यक्ष समन्वय सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही, जनता के लिए Public Dashboard के माध्यम से ऑनलाइन वित्तीय जानकारी उपलब्ध कराना और Blockchain आधारित रिकॉर्ड-कीपिंग से डेटा की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना भी प्राथमिकता होगी। इन पहलुओं से रेलवे लेखा प्रणाली की पारदर्शिता, दक्षता और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी।


12. निष्कर्ष (Conclusion)

रेलवे लेखा कोड भारतीय रेल की वित्तीय व्यवस्था का आधार स्तंभ है। यह न केवल लेखांकन की तकनीकी प्रक्रिया को व्यवस्थित करता है, बल्कि संसदीय उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक नियंत्रण को भी सुनिश्चित करता है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर वर्तमान तक इसमें लगातार सुधार किए गए हैं, ताकि यह आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप बना रहे।


आज के डिजिटल युग में, जब रेलवे IPAS, Data Analytics और Outcome Budgeting जैसी आधुनिक प्रणालियों को अपना रही है, RAC की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। भविष्य में Accrual Accounting और AI आधारित प्रणालियों के माध्यम से रेलवे की वित्तीय पारदर्शिता और मजबूती और अधिक बढ़ेगी।


अंततः, रेलवे लेखा कोड केवल एक नियमावली नहीं, बल्कि भारतीय रेल की वित्तीय शुचिता, अनुशासन और पारदर्शिता का प्रतीक है।

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