अध्याय 19
भारतीय रेल
(Indian Railways) न केवल देश
का सबसे बड़ा परिवहन नेटवर्क है, बल्कि यह
विश्व की भी सबसे विस्तृत रेलवे प्रणालियों में से एक है। यह संगठन प्रतिदिन लाखों
यात्रियों और हजारों टन माल का परिवहन करता है। इतने विशाल नेटवर्क को संचालित
करने के लिए रेलवे को न केवल ट्रेनों और ट्रैक की आवश्यकता होती है, बल्कि
अत्याधुनिक इंजन, कोच, वैगन, पहिए, धुरी (Axles) और अनेक
तकनीकी उपकरणों का निरंतर उत्पादन और आधुनिकीकरण भी करना पड़ता है। यही कार्य
रेलवे की उत्पादन इकाइयाँ करती हैं।
भारत में
वर्तमान समय में प्रमुख उत्पादन इकाइयाँ हैं –
- चित्तरंजन
लोकोमोटिव वर्क्स (CLW),
- बनारस
लोकोमोटिव वर्क्स (BLW, पूर्व
में DLW),
- इंटीग्रल
कोच फैक्ट्री (ICF, चेन्नई),
- रेल
कोच फैक्ट्री (RCF, कपूरथला),
- मॉडर्न
कोच फैक्ट्री (MCF, रायबरेली),
- व्हील
एंड एक्सल प्लांट (Yelahanka,
Bengaluru)।
ये इकाइयाँ न केवल भारतीय रेल के लिए आधुनिक रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock) का उत्पादन करती हैं, बल्कि देश को आत्मनिर्भर रेलवे बनाने और निर्यात (Export) क्षमता विकसित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन इकाइयों का वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) रेलवे की समग्र कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ पूँजीगत निवेश (Capital Investment), उत्पादन लागत (Production Cost), संसाधन प्रबंधन (Resource Management) और गुणवत्ता नियंत्रण (Quality Control) प्रत्यक्ष रूप से रेलवे के संचालन की गुणवत्ता और दीर्घकालिक स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
1. उत्पादन
इकाइयों की भूमिका (Role of Production Units)
भारतीय
रेलवे की उत्पादन इकाइयाँ केवल निर्माण केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे
अनुसंधान, नवाचार और
आधुनिकीकरण की धुरी भी हैं।
- लोकोमोटिव, कोच
और वैगनों का निर्माण
रेलवे के संचालन के लिए आवश्यक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव, डीज़ल लोकोमोटिव अब मुख्यतः Electric Traction में परिवर्तन, पैसेंजर कोच और मालवाहक वैगन यहीं निर्मित होते हैं। उदाहरण के लिए, CLW भारत का प्रमुख इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता है, जबकि ICF और RCF यात्री कोच निर्माण में अग्रणी हैं। - उच्च
गति और आधुनिक तकनीक पर आधारित रोलिंग स्टॉक का विकास
हाल के
वर्षों में, रेलवे ने
उच्च गति की परियोजनाओं, जैसे
"वंदे भारत एक्सप्रेस" (Vande Bharat Express), को साकार किया है। इस सफलता के पीछे ICF चेन्नई का
योगदान उल्लेखनीय है। उत्पादन इकाइयाँ अब न केवल पारंपरिक कोच और इंजन बना रही हैं, बल्कि
हाई-टेक और ऊर्जा दक्ष (Energy
Efficient) रोलिंग स्टॉक भी विकसित कर रही हैं।
- अनुसंधान
एवं नवाचार (R&D)
उत्पादन
इकाइयाँ रेलवे के अनुसंधान एवं विकास का भी केंद्र हैं। नए प्रकार के कोच डिज़ाइन, हल्के
एल्यूमिनियम बॉडी, स्वचालित
नियंत्रण प्रणाली (Automatic
Control Systems), और हरित तकनीक (Green
Technologies) इन्हीं इकाइयों से विकसित होती हैं।
- आत्मनिर्भर
रेलवे की दिशा में योगदान
"मेक इन इंडिया" (Make in
India) और "आत्मनिर्भर भारत" (Atmanirbhar Bharat) अभियानों के अंतर्गत उत्पादन इकाइयाँ विदेशी आयात पर
निर्भरता कम कर रही हैं और स्वदेशी उत्पादन क्षमता को बढ़ा रही हैं।
- निर्यात
(Export)
के अवसर
उत्पादन
इकाइयाँ भारतीय रेलवे के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी देशों के लिए भी कोच और लोकोमोटिव का निर्यात करती हैं। यह
भारतीय रेलवे की वित्तीय सुदृढ़ता और वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ाने में सहायक है।
2. वित्तीय
प्रबंधन की आवश्यकता (Need of Financial Management in PUs)
उत्पादन
इकाइयों का संचालन अत्यंत पूँजी-गहन (Capital Intensive) होता है। मशीनरी, भारी-भरकम संयंत्र, उच्च तकनीकी
श्रम और कच्चे माल पर बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है। इस कारण वित्तीय
प्रबंधन निम्नलिखित दृष्टिकोण से आवश्यक है –
- संसाधनों
का सर्वोत्तम उपयोग (Optimal Utilization of Resources) – उपलब्ध पूँजी, मशीनरी और मानव संसाधन का कुशल प्रबंधन।
- समयबद्ध
एवं लागत-प्रभावी उत्पादन (Time-bound & Cost-effective Production) – निर्धारित
समय सीमा में उत्पादन लक्ष्य हासिल करना और अनावश्यक लागत वृद्धि से बचना।
- पारदर्शी
लेखा प्रणाली (Transparent
Accounting System) – वित्तीय
लेनदेन और व्ययों का सटीक लेखा-जोखा रखना।
- राष्ट्रीय
बजट में योगदान (Contribution
to National Budget) – रेलवे
बोर्ड और वित्त मंत्रालय को सटीक लागत डेटा उपलब्ध कराना ताकि राष्ट्रीय बजट
तैयार करने में पारदर्शिता बनी रहे।
भारतीय
रेलवे का वित्तीय अनुशासन (Financial
Discipline) सीधे-सीधे इन इकाइयों की दक्षता से जुड़ा हुआ है। यदि यहाँ लागत नियंत्रण और
संसाधनों का प्रबंधन सुदृढ़ होगा, तो समग्र रेलवे नेटवर्क भी आर्थिक दृष्टि से अधिक सुदृढ़ होगा।
3. उत्पादन
इकाइयों की लेखा प्रणाली (Accounting System of PUs)
भारतीय रेल
की उत्पादन इकाइयों में Cost Accounting System अपनाया गया
है। यह प्रणाली उत्पादन प्रक्रिया की प्रत्येक गतिविधि की लागत पर विस्तृत दृष्टि
रखती है। इसके अंतर्गत –
- Direct Material (प्रत्यक्ष
सामग्री) – इंजन
और कोच निर्माण में प्रयुक्त स्टील, एलॉय, कॉपर, पेंट, फिटिंग्स आदि।
- Direct Labour (प्रत्यक्ष
श्रम) – तकनीशियनों, इंजीनियरों
और मजदूरों की मजदूरी।
- Overheads (अप्रत्यक्ष
व्यय) – बिजली, पानी, मशीनरी
की मरम्मत, प्रशासनिक
खर्च।
- Job Order Costing (कार्य
आदेश आधारित लेखा) – प्रत्येक
उत्पादन आदेश (Job) का
अलग-अलग लागत लेखा तैयार करना।
- Cost Sheets (लागत
विवरण पत्र) – किसी
विशिष्ट अवधि में उत्पादित इकाइयों का लागत विवरण तैयार करना।
लेखा
प्रणाली के संचालन में Indian Railway Code for the
Accounts Department और Railway Budget Manual का अनुपालन
किया जाता है।
4. बजट एवं
लागत नियंत्रण (Budget and Cost Control)
उत्पादन
इकाइयों का वार्षिक बजट रेलवे बोर्ड द्वारा अनुमोदित होता है। इसमें तीन प्रमुख
प्रकार के बजट शामिल होते हैं –
- Works Budget – नई
मशीनरी, भवन
निर्माण और तकनीकी उन्नयन पर होने वाला खर्च।
- Revenue Budget – उत्पादन
सामग्री, श्रम
लागत और रखरखाव व्यय।
- Performance Budget – उत्पादन
लक्ष्य और वास्तविक लागत की तुलना पर आधारित।
कास्ट
कंट्रोल (Cost
Control) के लिए उत्पादन इकाइयों में निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग किया जाता है –
- Standard Costing – मानक
लागत से वास्तविक लागत की तुलना।
- Variance Analysis – सामग्री, श्रम
और ओवरहेड में हुए विचलन का विश्लेषण।
- Budgetary Control Reports – मासिक
रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत करना।
5. वित्तीय
अनुशासन और आंतरिक नियंत्रण (Financial Discipline & Internal Control)
रेलवे
उत्पादन इकाइयों में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए विस्तृत Internal Control Mechanisms अपनाए जाते
हैं।
- लेखा
संहिताएँ (Codes
of Accounts) – सभी
व्यय Indian Railway Financial
Code और Indian Railway Code for
Accounts Department के
अनुसार किए जाते हैं।
- Internal Audit (आंतरिक
लेखा परीक्षा) – खर्चों
की जाँच और अनुशासन की पुष्टि।
- Store Accounting System – कच्चे
माल की आपूर्ति और उपयोग की निगरानी।
- Appropriation Accounts – बजट
आवंटन और वास्तविक खर्च का तुलनात्मक अध्ययन।
- Performance Audit (प्रदर्शन
लेखा परीक्षा) – कार्यकुशलता
का मूल्यांकन।
6. उत्पादन
इकाइयों की चुनौतियाँ और सुधार
भारतीय रेल की उत्पादन
इकाइयाँ संगठन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यहीं से इंजन, डिब्बे और अन्य
आवश्यक सामग्रियाँ निर्मित होती हैं। हालाँकि, इन इकाइयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी कठिनाई उच्च पूँजीगत लागत और
विदेशी तकनीक पर निर्भरता
है, जिससे उत्पादन की स्वायत्तता प्रभावित होती है। इसके
साथ ही, उत्पादन लागत का
नियंत्रण हमेशा चुनौती
बना रहता है, विशेषकर जब
कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। सामग्री की समय पर उपलब्धता भी आपूर्ति शृंखला प्रबंधन की जटिलताओं के कारण
प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त,
श्रम
प्रबंधन और उत्पादकता का संतुलन बनाए
रखना कठिन होता है, जबकि वैश्विक
स्तर पर बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय
प्रतिस्पर्धा उत्पादन इकाइयों
पर अतिरिक्त दबाव डालती है। अंततः,
अनुसंधान
एवं विकास (R&D) में सीमित निवेश
इन इकाइयों की नवाचार क्षमता को बाधित करता है।
इन चुनौतियों के समाधान
हेतु हाल के वर्षों में कई सुधार और आधुनिक तकनीकें लागू की गई हैं। ERP (Enterprise Resource Planning) प्रणाली के
माध्यम से वित्त, स्टोर और
उत्पादन का एकीकरण सुनिश्चित किया गया है। SAP System ने सामग्री और लागत प्रबंधन को अधिक सुव्यवस्थित बनाया है।
उत्पादन में Lean Manufacturing तकनीक अपनाकर
अपव्यय को कम करने और दक्षता बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल उत्पादन हेतु Green Manufacturing पद्धतियाँ विकसित की गई हैं। इसके अतिरिक्त, Digital Twin और Simulation तकनीकें लागत और उत्पादन
दक्षता का सटीक आकलन करने में सहायक हैं। साथ ही, PPP मॉडल के माध्यम से निवेश और नवाचार में निजी क्षेत्र की भागीदारी को
प्रोत्साहित किया गया है, जिससे उत्पादन
इकाइयों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि हो रही है।
7. विशेष
परिप्रेक्ष्य – ICF चेन्नई
इंटीग्रल
कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई
भारतीय रेलवे की सबसे महत्त्वपूर्ण उत्पादन इकाई है। वित्तीय प्रबंधन सुधारों और ERP आधारित
प्रणाली अपनाने के बाद ICF ने उच्च गति
के "वंदे भारत एक्सप्रेस" कोच का सफल निर्माण किया। इससे न केवल उत्पादन
लागत कम हुई, बल्कि
समयबद्ध आपूर्ति भी संभव हुई।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
रेलवे
उत्पादन इकाइयाँ भारतीय रेल की रीढ़ हैं। इनके वित्तीय प्रबंधन की गुणवत्ता
सीधे-सीधे रेलवे की लागत दक्षता, प्रतिस्पर्धा
और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करती है। यदि उत्पादन इकाइयों में पारदर्शी लागत लेखा, बजट
नियंत्रण और आधुनिक तकनीक का प्रयोग बढ़ेगा, तो भारतीय रेल न केवल अपनी आंतरिक आवश्यकताओं को पूरा कर पाएगी बल्कि वैश्विक
स्तर पर भी भारत को मजबूत पहचान दिला सकेगी।
भविष्य की
चुनौतियों, जैसे उच्च
गति रेल परियोजनाएँ, हरित तकनीक, डिजिटल
ट्रांसफ़ॉर्मेशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, उत्पादन
इकाइयों के वित्तीय प्रबंधन को और अधिक सुदृढ़ बनाना आवश्यक है। ERP, Artificial Intelligence
(AI), Lean Practices और PPP मॉडल के
माध्यम से ये इकाइयाँ "आत्मनिर्भर भारत" के लक्ष्य को साकार कर सकती
हैं।
