भारतीय रेल
विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक है, जो प्रतिदिन
लाखों यात्रियों और विशाल माल परिवहन का प्रबंधन करती है। यह केवल एक यातायात साधन
नहीं बल्कि देश की आर्थिक धड़कन है, क्योंकि यह औद्योगिक उत्पादन, व्यापार, कृषि, और सेवा
क्षेत्र के लिए आधारभूत ढाँचा (Infrastructure)
उपलब्ध कराती है। भारतीय रेल एक सार्वजनिक सेवा संगठन (Public Service Organization) होने के
साथ-साथ वाणिज्यिक दृष्टि से भी कार्य करती है। इसकी आय का बड़ा हिस्सा माल ढुलाई (Freight) और यात्री
किराए से आता है, जबकि व्यय
में वेतन, पेंशन, ऊर्जा लागत, और रखरखाव
पर भारी बोझ रहता है। बदलते समय में रेलवे के सामने सबसे बड़ी चुनौती है – आय
प्रबंधन (Revenue
Management) और संसाधन संवर्धन (Resource
Augmentation), ताकि वित्तीय स्थिरता बनी रहे और विकास कार्य निरंतर जारी रह सकें।
इस अध्याय में हम आय प्रबंधन की आवश्यकता, रेलवे की आय के प्रमुख स्रोत, संसाधन जुटाने की रणनीतियाँ, गैर-किराया राजस्व (Non-fare Revenue) का महत्व, आधुनिक सुधार, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. आय
प्रबंधन का महत्व (Importance of Revenue Management)
भारतीय रेल
का वार्षिक बजट लाखों करोड़ रुपये का होता है, जिसमें आय और व्यय के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। यदि आय प्रबंधन
मजबूत नहीं हो, तो रेलवे
लगातार घाटे में जा सकती है।
वित्तीय
स्थिरता (Financial
Stability): संचालन, रखरखाव और
नई परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन की उपलब्धता तभी संभव है जब आय प्रबंधन कुशल हो।
रेलवे बोर्ड (Railway
Board) के अनुसार, भारतीय रेल
की कुल परिचालन आय का 90% हिस्सा माल
और यात्री भाड़े से आता है, अतः इन
दोनों क्षेत्रों में प्रबंधन का विशेष महत्व है।
यात्रियों
और ग्राहकों की संतुष्टि: राजस्व प्रबंधन केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सेवा गुणवत्ता से भी जुड़ा है। बेहतर सुविधाएँ, समय पर
गाड़ियाँ, और डिजिटल
सेवाएँ यात्रियों को आकर्षित करती हैं, जिससे आय बढ़ती है।
प्रतिस्पर्धा
(Competition): आज रेलवे को
सड़क परिवहन और वायु परिवहन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना
पड़ रहा है। यदि उचित किराया नीति और सेवा सुधार न किए जाएँ तो यात्रियों और माल
परिवहन का बड़ा हिस्सा अन्य माध्यमों की ओर चला जाएगा।
निवेश
आकर्षण (Investment
Attraction): राजस्व
प्रबंधन की स्थिरता निजी निवेशकों और सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाओं
को आकर्षित करने के लिए आवश्यक है। वित्तीय अनुशासन और आय में विविधता निवेशकों का
विश्वास बढ़ाती है।
दीर्घकालिक
विकास: रेलवे का
भविष्य केवल वर्तमान आय पर निर्भर नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक संसाधन संवर्धन (Resource Augmentation) पर आधारित है। नई लाइनों का निर्माण, हाई-स्पीड
रेल, और स्टेशन
पुनर्विकास जैसी परियोजनाओं के लिए मजबूत आय स्रोत चाहिए।
2. रेलवे की
आय के मुख्य स्रोत (Major Sources of Railway Revenue)
रेलवे की आय
को मोटे तौर पर चार प्रमुख हिस्सों में बाँटा जा सकता है – मालभाड़ा, यात्री
किराया, विविध आय, और
गैर-किराया राजस्व।
(क) मालभाड़ा आय (Freight
Revenue):
भारतीय रेल
की कुल आय का लगभग 65–70% हिस्सा
मालभाड़े से आता है। कोयला, लोहा, सीमेंट, अनाज), उर्वरक (Fertilizers), और कंटेनर
यातायात (Container
Traffic) इसके प्रमुख घटक हैं। रेलवे की माल परिवहन क्षमता उद्योगों और बिजली संयंत्रों
के लिए जीवनरेखा है। Dedicated
Freight Corridors (DFC) इस क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने का एक बड़ा कदम है।
(ख) यात्री आय (Passenger
Revenue):
यात्री
किराए से लगभग 20–25% आय प्राप्त
होती है। इसमें उपनगरीय रेल और लंबी दूरी की गाड़ियाँ शामिल हैं। रेलवे की यात्री
सेवाओं को पाँच प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है – जनरल, स्लीपर, एसी चेयर
कार, एसी 3 टियर और एसी
2/1 टियर।
यात्री आय पर राजनीतिक हस्तक्षेप अधिक होता है, जिससे यथार्थवादी किराया निर्धारण कठिन हो जाता है।
(ग) विविध आय (Miscellaneous
Earnings):
इसमें रेलवे
की परिसंपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग से होने वाली आय शामिल है। लाइसेंस शुल्क, भूमि पट्टे, विज्ञापन, और संपत्ति
किराए से आय बढ़ती है।
(घ) गैर-किराया राजस्व (Non-fare Revenue):
हाल के
वर्षों में रेलवे ने गैर-किराया राजस्व बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। इसमें PPP परियोजनाएँ, स्टेशन
पुनर्विकास, रियल एस्टेट
विकास, लॉजिस्टिक
पार्क, और
वेयरहाउसिंग प्रमुख हैं।
3. आय
प्रबंधन की रणनीतियाँ (Strategies for Revenue Management)
भारतीय रेल
ने आय प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई हैं।
- डायनेमिक
प्राइसिंग (Dynamic
Pricing): हवाई
जहाज़ों की तर्ज पर, मांग
और समय के अनुसार यात्री किराए में लचीलापन लागू किया गया है। इससे लोकप्रिय
मार्गों पर अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
- फ्रेट
कॉरिडोर (Dedicated
Freight Corridors): माल
गाड़ियों के लिए विशेष कॉरिडोर तैयार करने से गति और दक्षता में वृद्धि होगी, जिससे
उद्योगों को सस्ती और तेज सेवाएँ मिलेंगी।
- लॉजिस्टिक
हब्स और मल्टी-मॉडल टर्मिनल्स: आधुनिक टर्मिनल और वेयरहाउसिंग सुविधाएँ माल ढुलाई में
वृद्धि करेंगी।
- यात्री
सुविधाओं में सुधार: वातानुकूलित कोच, ऑन-बोर्ड सेवाएँ और डिजिटल टिकटिंग से यात्रियों को
आकर्षित किया जा सकता है।
- ई-टिकटिंग
और डिजिटल सेवाएँ: IRCTC
द्वारा ऑनलाइन टिकटिंग, ई-कैटरिंग और पर्यटन सेवाएँ राजस्व में वृद्धि करती
हैं।
- गैर-किराया
आय में वृद्धि: स्टेशन परिसरों में मॉल, होटल, विज्ञापन और PPP मॉडल से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।
4. संसाधन
संवर्धन के साधन (Means of Resource Augmentation)
रेलवे के
संसाधन संवर्धन को आंतरिक और बाहरी स्रोतों में विभाजित किया जा सकता है।
(क) आंतरिक संसाधन (Internal
Resources):
इनमें
यात्री किराया, मालभाड़ा और
अन्य विविध सेवाओं से प्राप्त आय शामिल है। यह रेलवे की मूलभूत और स्थायी आय है।
(ख) बाहरी संसाधन (External
Resources):
- बजटीय
समर्थन (Gross
Budgetary Support – GBS): केंद्र सरकार रेलवे को पूँजीगत व्यय के लिए सहायता
प्रदान करती है।
- बाजार
उधार (Market
Borrowings): इंडियन
रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) के
माध्यम से रेलवे बॉण्ड जारी करती है।
- संस्थागत
ऋण (Institutional
Loans): विश्व
बैंक, एशियाई
विकास बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से ऋण प्राप्त किया जाता है।
- PPP और
निजी निवेश: स्टेशन
पुनर्विकास और हाई-स्पीड रेल जैसी परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी
बढ़ रही है।
5. गैर-किराया
राजस्व का महत्व (Importance of Non-fare Revenue)
गैर-किराया
राजस्व रेलवे के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- विविधता
(Diversification): इससे
रेलवे की आय केवल यात्री और माल भाड़े पर निर्भर नहीं रहती।
- स्टेशन
विकास: मॉल, होटल, और
ऑफिस कॉम्प्लेक्स से स्थायी आय स्रोत तैयार होते हैं।
- विज्ञापन: स्टेशनों, ट्रेनों
और टिकटों पर विज्ञापन से बड़ी आय प्राप्त होती है।
- रेलवे
भूमि का वाणिज्यिक उपयोग: रेलवे के पास देशभर में विशाल भूमि है, जिसका
पट्टा और वाणिज्यिक उपयोग आय का बड़ा स्रोत है।
- डिजिटल
सेवाएँ:
Wi-Fi, ई-कॉमर्स साझेदारी और डिजिटल प्लेटफॉर्म गैर-किराया आय
बढ़ाते हैं।
6. रेलवे में
संसाधन जुटाने के आधुनिक मॉडल (Modern Models of Resource Mobilization)
- Public Private Partnership
(PPP): स्टेशन
पुनर्विकास, मालभाड़ा
कॉरिडोर और टर्मिनलों में PPP मॉडल
का प्रयोग हो रहा है।
- Build-Operate-Transfer
(BOT) Model: निजी
निवेशक परियोजना का निर्माण और संचालन कर निर्धारित अवधि के बाद रेलवे को
सौंपते हैं।
- Lease & License Model: रेलवे
परिसंपत्तियों को किराए या लाइसेंस पर देकर आय प्राप्त करती है।
- Joint Ventures: राज्य
सरकारों और निजी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम से नई लाइनों और परियोजनाओं
को बढ़ावा मिलता है।
- Green Bonds: नवीकरणीय
ऊर्जा परियोजनाओं और पर्यावरण अनुकूलन योजनाओं के लिए ग्रीन बॉण्ड जारी किए
जाते हैं।
7. आय
प्रबंधन और संवर्धन: आधुनिक सुधार, चुनौतियाँ, भविष्य की दिशा और केस स्टडी
भारतीय रेल ने हाल के
वर्षों में आय प्रबंधन और
संवर्धन (Revenue Management
& Augmentation) के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं। सबसे
पहले, Dedicated Freight
Corridors (DFC) के निर्माण से माल ढुलाई की गति और क्षमता में अभूतपूर्व
वृद्धि हुई है, जिससे माल
राजस्व में दीर्घकालिक बढ़ोतरी की संभावना है। इसी प्रकार, High Speed Rail Projects शुरू किए गए हैं, जो प्रीमियम श्रेणी के यात्रियों को आकर्षित कर रेलवे
को अतिरिक्त आय प्रदान करेंगे। इसके साथ-साथ Station Redevelopment Program के अंतर्गत प्रमुख स्टेशनों को आधुनिक वाणिज्यिक
परिसंपत्तियों में परिवर्तित किया जा रहा है, जहाँ मॉल, होटल और
दफ़्तरों से दीर्घकालिक आय प्राप्त होगी।
डिजिटल सेवाओं के
विस्तार ने भी आय वृद्धि में योगदान दिया है। IRCTC की ई-कैटरिंग, टूर पैकेज और ऑनलाइन टिकटिंग सेवाओं से रेलवे की गैर-किराया आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, रेलवे ने Renewable Energy Projects जैसे सौर और पवन ऊर्जा का उपयोग कर न केवल परिचालन
लागत घटाई है, बल्कि Carbon Credits से अतिरिक्त आय प्राप्त
करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
हालाँकि, रेलवे को राजस्व प्रबंधन में अनेक
चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। माल ढुलाई में सड़क और वायु परिवहन जैसी प्रतिस्पर्धी सेवाएँ तेज़ और लचीला विकल्प प्रस्तुत करती हैं, जिससे रेलवे की हिस्सेदारी प्रभावित होती है। यात्री किराए में
राजनीतिक हस्तक्षेप अक्सर आय वृद्धि
के लिए बाधक साबित होता है, क्योंकि किराया
बढ़ाने के निर्णय कई बार राजनीतिक दबाव में स्थगित हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, राजस्व व्यय का दबाव—विशेषकर वेतन, पेंशन और ऊर्जा
लागत—रेलवे की आय का बड़ा हिस्सा समाप्त कर देता है। PPP परियोजनाओं में निवेशकों को आकर्षित करना कठिन बना हुआ है, और पुरानी अधोसंरचना तथा परिचालन अक्षमताएँ रेलवे की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करती हैं।
भविष्य की दृष्टि से, रेलवे को नवाचार और समन्वित दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसमें प्रमुख है
Integrated Transport Solutions, जिसके अंतर्गत सड़क, जल और वायु परिवहन के साथ समन्वय स्थापित कर मल्टी-मॉडल परिवहन प्रणाली को
प्रोत्साहित किया जाएगा। Digital
Transformation के तहत ई-टिकटिंग, मोबाइल ऐप और कैशलेस भुगतान से यात्रियों को सहजता और रेलवे को अतिरिक्त
राजस्व मिलेगा। माल राजस्व बढ़ाने के लिए Private Freight Terminals स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, Green Financing और Carbon Credits से आय के नए स्रोत
विकसित होंगे। पर्यटन के क्षेत्र में, Tourism Rail Projects जैसे हेरिटेज ट्रेन और लग्ज़री सेवाएँ रेलवे को
अतिरिक्त और स्थायी आय दिला सकती हैं।
एक विशेष केस स्टडी इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। वर्ष 2021 से रेलवे ने स्टेशन पुनर्विकास योजना आरंभ की, जिसके अंतर्गत प्रमुख स्टेशनों को विश्वस्तरीय
सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इन स्टेशनों पर मॉल,
होटल
और ऑफिस कॉम्प्लेक्स का निर्माण हो
रहा है, जिससे यात्रियों को
आधुनिक सुविधाएँ प्राप्त होंगी और रेलवे को दीर्घकालिक गैर-किराया आय प्राप्त
होगी। यह पहल दर्शाती है कि रेलवे केवल पारंपरिक यात्री किराए और माल ढुलाई पर
निर्भर न रहकर विविध स्रोतों
से आय संवर्धन की दिशा में
सक्रिय है।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल
के लिए आय प्रबंधन और संसाधन संवर्धन केवल वित्तीय आवश्यकता नहीं बल्कि अस्तित्व
का प्रश्न है। मालभाड़ा और यात्री किराए पर अत्यधिक निर्भरता दीर्घकाल में टिकाऊ
नहीं है। इसलिए गैर-किराया आय, PPP मॉडल, डिजिटल
सेवाएँ और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ भविष्य की दिशा तय करेंगी। यदि रेलवे
पारंपरिक ढाँचे से आगे बढ़कर आधुनिक नवाचार अपनाए तो यह आत्मनिर्भर बनने के
साथ-साथ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत आधार प्रदान करेगी।
