अध्याय 28
रेलवे में वित्तीय अनुशासन एवं भ्रष्टाचार निवारण (Financial
Discipline & Corruption Prevention in Railways)
भारतीय रेल (Indian Railways) विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और इसे देश की आर्थिक धमनियों में से एक माना जाता है। यह न केवल यात्रियों और माल की आवाजाही का मुख्य साधन है, बल्कि राष्ट्रीय आय, औद्योगिक विकास, रोजगार और क्षेत्रीय संतुलन में भी इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इतने विशाल संगठन का संचालन प्रतिदिन करोड़ों रुपये के व्यय, राजस्व संग्रहण और वित्तीय लेन-देन के माध्यम से होता है। स्वाभाविक रूप से, ऐसे परिदृश्य में वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) और भ्रष्टाचार निवारण (Corruption Prevention) दोनों ही संगठन की विश्वसनीयता, दक्षता और सतत विकास के लिए अनिवार्य शर्त हैं। रेलवे बोर्ड, रेलवे मंत्रालय, और लेखा संहिता जैसे संस्थागत ढांचे इन मूलभूत आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने हेतु नियम और दिशानिर्देश निर्धारित करते हैं।
1. वित्तीय
अनुशासन का अर्थ (Meaning of Financial Discipline)
वित्तीय
अनुशासन का आशय यह है कि सार्वजनिक धन (Public Funds) का प्रयोग केवल अनुमोदित सीमाओं और निर्धारित प्रक्रियाओं के अंतर्गत किया
जाए। इसमें अनावश्यक, अनधिकृत या
अपव्ययी व्यय से बचाव, नियमों का
पालन और लेखा प्रणाली की सटीकता सुनिश्चित करना शामिल है। भारतीय रेल में Railway Financial Code, Indian Railway Code for the
Accounts Department, और General
Financial Rules (GFRs) जैसे
आधिकारिक स्रोत वित्तीय अनुशासन की बुनियाद रखते हैं।
वित्तीय
अनुशासन में निम्नलिखित पहलू विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं:
- अनुमोदित
बजट सीमा का पालन: प्रत्येक
वित्तीय वर्ष के लिए संसद द्वारा अनुमोदित बजट ही व्यय का आधार होता है।
रेलवे बजट (पूर्व में पृथक, अब
सामान्य बजट का हिस्सा) और अनुदान खाते का पालन अनिवार्य है।
- अनधिकृत
व्यय की रोकथाम: किसी
भी विभाग या अधिकारी को निर्धारित शक्तियों (Delegated Financial Powers) से अधिक व्यय करने का अधिकार नहीं है।
- सटीक
लेखांकन और रिपोर्टिंग: आय-व्यय
का समयबद्ध और सटीक लेखा-जोखा रखना, ताकि आंतरिक और बाहरी ऑडिट के समय पारदर्शिता बनी रहे।
- जवाबदेही
और पारदर्शिता: प्रत्येक
स्तर पर यह स्पष्ट होना चाहिए कि किसी वित्तीय निर्णय या व्यय की जिम्मेदारी
किस अधिकारी की है।
इस प्रकार
वित्तीय अनुशासन न केवल संसाधनों के संरक्षण का साधन है, बल्कि
संगठनात्मक दक्षता और जन विश्वास का भी मूल आधार है।
2. भ्रष्टाचार
निवारण का महत्व (Importance of Corruption Prevention)
भ्रष्टाचार
किसी भी सार्वजनिक संगठन की पारदर्शिता और कार्यकुशलता को गम्भीर रूप से प्रभावित
करता है। भारतीय रेल जैसे विशाल संगठन में यदि भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगाया जाए तो
यह न केवल वित्तीय हानि का कारण बनता है, बल्कि सेवा की गुणवत्ता, परियोजनाओं
की समयबद्धता और सार्वजनिक छवि को भी प्रभावित करता है।
भ्रष्टाचार
निवारण के प्रमुख महत्व निम्नलिखित हैं:
- जन
विश्वास (Public
Trust): जनता
रेलवे की सेवाओं का प्रत्यक्ष उपभोक्ता है। यदि पारदर्शिता नहीं होगी तो
यात्रियों और व्यवसायिक साझेदारों का विश्वास डगमगाएगा।
- वित्तीय
हानि की रोकथाम: भ्रष्टाचार
के कारण ठेके (Contracts),
खरीद (Procurement) और परियोजनाओं में अतिरिक्त लागत आती है। इससे
रेलवे की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है।
- संसाधनों
का कुशल उपयोग: सार्वजनिक
धन यदि भ्रष्टाचार में नष्ट न हो तो वही धन सेवा सुधार, अवसंरचना
विकास और नई परियोजनाओं में लगाया जा सकता है।
- गुणवत्ता
और समयबद्धता: भ्रष्टाचार
रहित व्यवस्था में कार्य की गुणवत्ता और निर्धारित समय सीमा का पालन
सुनिश्चित होता है।
- संसदीय
और जन उत्तरदायित्व: चूँकि
रेलवे संसद और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के प्रति उत्तरदायी है, अतः भ्रष्टाचार निवारण उसकी प्रशासनिक जिम्मेदारी भी
है।
3. रेलवे में
वित्तीय अनुशासन के साधन (Instruments of Financial Discipline in
Railways)
भारतीय रेल
में वित्तीय अनुशासन को लागू करने के लिए कई औपचारिक साधन (Instruments) विकसित किए
गए हैं।
- Railway Financial Code – यह
संहिता रेलवे में वित्तीय प्रबंधन के सिद्धांतों, प्रक्रियाओं
और नियमों को निर्धारित करती है।
- Indian Railway Code for
Accounts Department – इसमें
लेखांकन (Accounting),
बजटिंग (Budgeting) और ऑडिट (Audit) से जुड़े विस्तृत निर्देश दिए गए हैं।
- Delegation of Financial
Powers Rules (DFPR) – इसके
अंतर्गत प्रत्येक अधिकारी के वित्तीय अधिकार और उनकी सीमाएँ तय की जाती हैं।
- General Financial Rules
(GFRs) – भारत
सरकार द्वारा जारी ये नियम सभी केंद्रीय संगठनों, जिसमें
रेलवे भी शामिल है, पर
लागू होते हैं।
- Budgetary Control System – यह
प्रणाली सुनिश्चित करती है कि व्यय संसद द्वारा अनुमोदित अनुदानों की सीमा के
भीतर हो।
- Internal Audit &
Inspection – आंतरिक
लेखा परीक्षण और निरीक्षण समय-समय पर वित्तीय लेन-देन की जांच करते हैं।
- Appropriation Accounts – यह
दस्तावेज संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें वास्तविक व्यय और अनुमोदित अनुदानों का
तुलनात्मक विवरण होता है।
- Management Information
System (MIS) – आधुनिक
सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित यह प्रणाली विभिन्न व्ययों और आय स्रोतों पर
समयबद्ध जानकारी उपलब्ध कराती है।
4. भ्रष्टाचार
के संभावित क्षेत्र
रेलवे की
विशाल संरचना में कई ऐसे संवेदनशील क्षेत्र हैं, जहाँ भ्रष्टाचार की संभावनाएँ अधिक होती हैं।
- अनुबंध
और निविदा प्रक्रिया (Tendering & Contract Management): बड़ी
परियोजनाओं और खरीद अनुबंधों में कमीशनखोरी, पक्षपात और मिलीभगत की शिकायतें अक्सर सामने आती हैं।
- सामग्री
की खरीद और आपूर्ति (Procurement & Supply): गुणवत्ता में कमी, फर्जी बिलिंग और अधिक कीमत वसूलने की प्रवृत्ति देखी
जाती है।
- कार्य
निष्पादन और भुगतान (Execution & Payments): कार्य पूर्ण न होने पर भी भुगतान कर देना, या
भुगतान में देरी करके रिश्वत की अपेक्षा करना।
- भूमि
और संपत्ति का उपयोग (Land & Property Use): रेलवे के पास बड़ी मात्रा में भूमि और संपत्ति है, जिसका
अवैध उपयोग भ्रष्टाचार का प्रमुख क्षेत्र रहा है।
- नियुक्ति
और पदस्थापन (Recruitment
& Posting): संवेदनशील
पदों पर नियुक्ति और तबादले में भी अनियमितताओं की संभावना रहती है।
5. भ्रष्टाचार
निवारण के उपाय (Measures of Corruption Prevention)
भ्रष्टाचार
को रोकने के लिए रेलवे ने कई स्तरों पर संस्थागत और तकनीकी उपाय किए हैं।
(क) पारदर्शिता (Transparency)
- ई-टेंडरिंग
और ई-प्रोक्योरमेंट (E-Tendering & E-Procurement): Indian Railway E-Procurement System (IREPS) के
माध्यम से अधिकांश टेंडर ऑनलाइन किए जाते हैं।
- निविदा
की सार्वजनिक सूचना: सभी
निविदाओं की सूचना वेबसाइट और समाचार पत्रों में दी जाती है।
- डिजिटल
भुगतान प्रणाली: PFMS
(Public Financial Management System) और IPAS (Integrated Payroll
& Accounting System) द्वारा सभी भुगतान सीधे बैंक खाते में किए जाते
हैं।
(ख) जवाबदेही (Accountability)
- प्रत्येक
अधिकारी की वित्तीय जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से परिभाषित होती है।
- नियमित
आंतरिक और बाहरी ऑडिट पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं।
(ग) सतर्कता तंत्र (Vigilance
Mechanism)
- रेलवे
बोर्ड स्तर पर Vigilance Directorate कार्यरत
है।
- प्रत्येक
ज़ोनल रेलवे और उत्पादन इकाई में Chief
Vigilance Officer (CVO) नियुक्त होता है।
- CVC (Central Vigilance
Commission) के दिशा-निर्देशों के अनुसार शिकायत निवारण प्रणाली
संचालित होती है।
(घ) तकनीकी उपाय (Technological
Measures)
- AI और
Data
Analytics द्वारा
असामान्य व्यय पैटर्न की पहचान की जाती है।
- CCTV और
डिजिटल निगरानी से संवेदनशील स्थानों पर अनियमितताओं पर नजर रखी जाती
है।
6. रेलवे
सतर्कता संगठन (Railway Vigilance Organization)
रेलवे में
सतर्कता संगठन बहुस्तरीय है। शीर्ष स्तर पर रेलवे बोर्ड का Vigilance Directorate कार्यरत है।
इसके अंतर्गत विभिन्न ज़ोनल रेलों और उत्पादन इकाइयों में CVO की नियुक्ति
की जाती है, जो स्वतंत्र
रूप से सतर्कता जांच (Vigilance
Enquiry), Surprise Inspection और संदेहास्पद मामलों की जाँच करते हैं।
संवेदनशील
पदों पर लंबे समय तक कार्य करने से भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए
सतर्कता संगठन Job Rotation Policy लागू करता
है। इसके अतिरिक्त, CVC के
दिशा-निर्देशों के अनुरूप सभी ज़ोनल रेलवे में शिकायत निवारण हेल्पलाइन और ऑनलाइन
पोर्टल भी सक्रिय हैं।
7. वित्तीय
अनुशासन, भ्रष्टाचार निवारण और भविष्य की दिशा
भारतीय रेल ने हाल के
वर्षों में वित्तीय अनुशासन को सुदृढ़ करने और भ्रष्टाचार निवारण के लिए अनेक
आधुनिक सुधार अपनाए हैं। इनमें प्रमुख हैं IREPS (Indian Railway E-Procurement System), जिसके माध्यम से निविदा
और अनुबंध प्रक्रिया पूर्णतः ऑनलाइन हो गई है, तथा Government
e-Marketplace (GeM), जिसने केंद्रीय स्तर पर पारदर्शी खरीद मंच उपलब्ध कराया।
कुछ योजनाओं में Direct Benefit
Transfer (DBT) लागू किया गया, जिससे लाभ सीधे खातों में पहुँचे। E-Office प्रणाली ने कागज रहित कार्यालय की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं Whistle Blower
Protection Mechanism ने शिकायतकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की। इसके अतिरिक्त, Social Audit और Public Participation ने वित्तीय गतिविधियों
में पारदर्शिता और जवाबदेही को और मजबूत किया।
हालाँकि सुधारों के
बावजूद, रेलवे को अनुशासन और
भ्रष्टाचार निवारण में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। विशाल संगठनात्मक
संरचना के कारण लाखों कर्मचारियों और हज़ारों कार्यालयों में एकरूपता बनाए रखना
कठिन है। उच्च स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव वित्तीय अनुशासन को कमजोर कर
सकता है। लम्बी और जटिल अनुबंध प्रक्रिया भ्रष्टाचार की गुंजाइश छोड़ देती है, जबकि प्रशिक्षित ऑडिट और सतर्कता कर्मियों की कमी
स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बनाती है। इसके अलावा, तकनीकी अवसंरचना की सीमाएँ अब भी मौजूद हैं और डिजिटल निगरानी पूरे नेटवर्क
में समान रूप से उपलब्ध नहीं हो पाई है।
भविष्य की दिशा में
रेलवे को तकनीकी और नैतिक दोनों स्तरों पर सुधार करना होगा। AI आधारित Vigilance System पैटर्न रिकग्निशन और प्रिडिक्टिव एनालिटिक्स के माध्यम से
धोखाधड़ी का पूर्वानुमान लगाने में सहायक होगा। Blockchain Technology अनुबंध और भुगतान को छेड़छाड़-रोधी और पारदर्शी बना
सकती है। परियोजनाओं की निगरानी हेतु e-Inspection और Drone
Surveillance को अपनाया जा सकता है। साथ ही,
कर्मचारियों
के लिए Ethics Training Program नैतिक मूल्यों
और वित्तीय ईमानदारी को प्रोत्साहित करेगा। पारदर्शिता को और बढ़ाने के लिए Public Dashboard उपलब्ध कराया जाना चाहिए, जहाँ व्ययों और परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति
सार्वजनिक रूप से देखी जा सके।
इस संदर्भ में ई-टेंडरिंग का उदाहरण विशेष रूप से
उल्लेखनीय है। 2005 से पहले रेलवे
की निविदा प्रक्रिया ऑफलाइन होती थी, जिसमें मिलीभगत, पक्षपात और
पारदर्शिता की कमी जैसी शिकायतें आम थीं। किंतु 2005 के बाद IREPS लागू किया गया, जिसके अंतर्गत अधिकांश निविदाएँ ऑनलाइन होने लगीं।
इससे प्रक्रिया पारदर्शी हुई, प्रतिस्पर्धा
बढ़ी और भ्रष्टाचार की संभावनाएँ घटीं। रेलवे बोर्ड की रिपोर्टों के अनुसार, ई-टेंडरिंग से औसत अनुबंध लागत में कमी आई और
ठेकेदारों की भागीदारी भी बढ़ी। यह केस स्टडी इस बात का प्रमाण है कि तकनीकी सुधार
न केवल प्रशासनिक दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि भ्रष्टाचार निवारण के लिए भी प्रभावी साधन सिद्ध होते हैं।
8. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल
जैसे विशाल संगठन के लिए वित्तीय अनुशासन और भ्रष्टाचार निवारण केवल प्रशासनिक
आवश्यकता नहीं, बल्कि
अस्तित्व का प्रश्न है। यदि वित्तीय लेन-देन पारदर्शी, जवाबदेह और
परिणामोन्मुख होंगे, तो रेलवे की
वित्तीय मजबूती, सेवा
गुणवत्ता और जन विश्वास स्वतः बढ़ेंगे। डिजिटल तकनीक, आधुनिक
सतर्कता तंत्र और नैतिक मूल्यों का संयोजन भारतीय रेल को भविष्य में और अधिक
भ्रष्टाचार-मुक्त एवं दक्ष बना सकता है।
