अध्याय 29 - रेलवे में वित्तीय सुधार एवं डिजिटलीकरण (Financial Reforms & Digitization in Railways)

 

भारतीय रेल (Indian Railways) विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक है। इसका वार्षिक बजट कई छोटे देशों की अर्थव्यवस्था से बड़ा होता है और लाखों कर्मचारियों का वेतन, करोड़ों यात्रियों की टिकट आय तथा हज़ारों ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के भुगतान प्रतिदिन इसमें शामिल रहते हैं। इतनी विशाल वित्तीय व्यवस्था को लंबे समय तक पारंपरिक मैनुअल पद्धतियों पर चलाया गया। लेकिन बदलते आर्थिक परिवेश, डिजिटल क्रांति और पारदर्शिता की बढ़ती मांग ने रेलवे को वित्तीय सुधार (Financial Reforms) और डिजिटलीकरण (Digitization) की दिशा में ठोस कदम उठाने को प्रेरित किया। इन सुधारों का मुख्य उद्देश्य है— वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता, त्वरित निर्णय क्षमता, जवाबदेही तथा संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना।

1. वित्तीय सुधारों का महत्व (Importance of Financial Reforms)

भारतीय रेल जैसी विशाल संस्था में वित्तीय सुधार केवल प्रक्रियात्मक बदलाव नहीं बल्कि प्रशासनिक दक्षता (Administrative Efficiency) और संगठनात्मक पारदर्शिता (Organizational Transparency) की रीढ़ माने जाते हैं। पारंपरिक लेखांकन व्यवस्था में मैनुअल फाइलें, कागज़ी बिल और लंबी स्वीकृति प्रक्रियाएँ होती थीं, जिससे भुगतान में विलंब, अनावश्यक व्यय और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएँ सामने आती थीं। वित्तीय सुधारों का महत्व निम्न बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

(क) पारदर्शिता (Transparency):

हर वित्तीय लेन-देन को ट्रैक करने की व्यवस्था से किसी भी व्यय पर निगरानी आसान हो गई है। डिजिटल रिकॉर्ड और ऑडिट ट्रेल (Audit Trail) के माध्यम से अब हर खर्च का स्रोत और गंतव्य तुरंत पता चल जाता है।

(ख) जवाबदेही (Accountability):

Railway Accounts Code और Ministry of Railways के दिशा-निर्देशों के अनुसार अब प्रत्येक अधिकारी की वित्तीय जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से निर्धारित की जाती है। इससे अनावश्यक व्यय या देरी की स्थिति में जवाबदेही तय की जा सकती है।

(ग) गति (Speed):

नवीन प्रणालियों जैसे IPAS (Integrated Payroll & Accounting System) और PFMS (Public Financial Management System) से बिल प्रोसेसिंग और भुगतान की गति कई गुना बढ़ गई है।

(घ) लागत नियंत्रण (Cost Control):

Zero Based Budgeting (ZBB) और Outcome Budgeting जैसी पद्धतियों से अब प्रत्येक मद की वास्तविक उपयोगिता का आकलन किया जाता है, जिससे अनुत्पादक व्यय कम हुआ है।

(ङ) निवेश आकर्षण (Investment Attraction):

Railway Finance Corporation (IRFC) द्वारा मार्केट बॉन्ड और ऋण जुटाने की प्रक्रिया ने निजी निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है। वित्तीय सुधारों से रेलवे एक विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश गंतव्य बना है।

2. डिजिटलीकरण का महत्व (Importance of Digitization)

डिजिटलीकरण केवल तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि प्रशासनिक सोच (Administrative Mindset) में क्रांतिकारी परिवर्तन है। भारतीय रेल ने डिजिटल साधनों को अपनाकर न केवल वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ाई है, बल्कि निर्णय प्रक्रिया को भी त्वरित और कुशल बनाया है।

(क) Paperless Transactions:

ई-ऑफिस (E-Office) और डिजिटल फाइल प्रणाली से अब कागज़ी दस्तावेज़ों का प्रयोग घटा है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण हुआ है, बल्कि रिकॉर्ड प्रबंधन (भी सरल हो गया है।

(ख) Real-time Data:

PFMS और Management Information System रिपोर्टिंग से अब तत्काल आंकड़े उपलब्ध रहते हैं, जो नीतिगत निर्णय में सहायक हैं।

(ग) Audit Trail:

डिजिटल लेन-देन में हर भुगतान और स्वीकृति का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उपलब्ध रहता है, जिससे ऑडिट प्रक्रिया सरल और अधिक विश्वसनीय बनती है।

(घ) Integrated Systems:

वेतन, लेखांकन, प्रोक्योरमेंट और मानव संसाधन सभी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जुड़े हैं, जिससे विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बेहतर हुआ है।

(ङ) भ्रष्टाचार में कमी:

मैनुअल हस्तक्षेप घटने से रिश्वत और गड़बड़ी की संभावनाएँ कम हुई हैं।

3. रेलवे में प्रमुख वित्तीय सुधार (Major Financial Reforms in Railways)

भारतीय रेल ने पिछले दो दशकों में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं:

  • Outcome Budgeting: केवल व्यय का आकलन नहीं, बल्कि व्यय से प्राप्त परिणाम (Outcome) को मापना। यह प्रक्रिया Railway Budget Documents में अपनाई गई है।
  • Zero Based Budgeting (ZBB): हर बजटीय मद का आकलन शून्य से करना। इससे अनुत्पादक और पुराने प्रोजेक्ट्स पर अनावश्यक खर्च रोकने में मदद मिली।
  • PPP (Public Private Partnership): रेलवे ने स्टेशन विकास, मालभाड़ा गलियारे (Freight Corridors) और रोलिंग स्टॉक में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
  • Internal Audit Reforms: Audit को केवल लेखांकन जांच तक सीमित न रखकर रिस्क-बेस्ड बनाया गया है।
  • Green Financing: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के लिए विशेष वित्त पोषण योजनाएँ।
  • Market Borrowings & Bonds: IRFC और Railway Development Fund के माध्यम से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार से धन जुटाना।

4. रेलवे में डिजिटलीकरण के प्रमुख पहल (Major Initiatives of Digitization in Railways)

भारतीय रेल ने कई डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म शुरू किए, जो आज इसके वित्तीय संचालन की रीढ़ हैं:

  1. IPAS (Integrated Payroll & Accounting System):
    वेतन, बिल और अकाउंटिंग का एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म, जिससे समय पर भुगतान और पारदर्शी अकाउंटिंग संभव हुई।
  2. IREPS (Indian Railways E-Procurement System):
    ई-टेंडरिंग और ई-प्रोक्योरमेंट से निविदा प्रक्रिया पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक हुई।
  3. PFMS (Public Financial Management System):
    Ministry of Finance द्वारा विकसित इस प्लेटफ़ॉर्म से रेलवे के फंड फ्लो और भुगतान की रियल-टाइम निगरानी होती है। DBT (Direct Benefit Transfer) आधारित भुगतान भी इसमें शामिल हैं।
  4. E-Office:
    फाइल प्रबंधन की पेपरलेस प्रणाली, जिसमें अनुमोदन और ट्रैकिंग तेज हुई है।
  5. HRMS (Human Resource Management System):
    कर्मचारियों की सेवा, पदोन्नति, वेतन और अवकाश संबंधी सूचनाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाती हैं।
  6. IRCTC Digital Platforms:

ई-टिकटिंग, ई-कैटरिंग, ई-टूर पैकेज जैसी सेवाएँ, जो रेलवे की नागरिक सेवाओं को आधुनिक स्वरूप देती हैं।

5. डिजिटलीकरण से रेलवे को लाभ

  • भुगतान प्रक्रिया तेज हुई और Contractors तथा Employees को समय पर भुगतान मिलने लगा।
  • Fraud और Duplicate भुगतान की रोकथाम संभव हुई।
  • फाइल मूवमेंट और अनुमोदन की गति कई गुना बढ़ी।
  • MIS और Data Analytics के माध्यम से नीति-निर्माण वैज्ञानिक आधार पर होने लगा।
  • नागरिक सेवाओं में सुधार से रेलवे की छवि (Public Image) बेहतर हुई।

6. चुनौतियाँ, आधुनिक सुधार, केस स्टडी और भविष्य की दिशा

हालाँकि वित्तीय सुधारों और डिजिटलीकरण ने भारतीय रेल को अनेक लाभ पहुँचाए हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी विद्यमान हैं। तकनीकी अवसंरचना की कमी, विशेषकर ग्रामीण और छोटे स्टेशनों पर, नई प्रणालियों को पूरी तरह लागू करने में बाधा डालती है। कर्मचारियों का प्रशिक्षण और डिजिटल प्रणालियों के प्रति उनका अनुकूलन भी एक बड़ा मुद्दा है। इसके साथ ही, साइबर सुरक्षा जोखिम बढ़ते जा रहे हैं, जिससे संवेदनशील वित्तीय डेटा की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण हो जाती है। बड़ी परियोजनाओं में विभिन्न डेटा प्रणालियों का समन्वय (Integration) कठिन है और पुरानी Legacy Systems को नई तकनीक से जोड़ना जटिल और समयसाध्य साबित होता है।

भविष्य की ओर देखते हुए रेलवे कई आधुनिक सुधारों पर काम कर रही है। Artificial Intelligence (AI) के माध्यम से असामान्य व्यय की पहचान और Predictive Analysis संभव है। Blockchain Technology अनुबंध और भुगतान को छेड़छाड़-रोधी और पारदर्शी बनाएगी। Cloud Computing सुरक्षित डेटा स्टोरेज और एक्सेस सुनिश्चित करेगा, जबकि Mobile Apps for Officers अधिकारियों को वास्तविक समय पर निगरानी और निर्णय समर्थन प्रदान करेंगे। इसके अलावा, नागरिक सहभागिता बढ़ाने हेतु Digital Dashboard for Public एक पारदर्शी रिपोर्टिंग मंच के रूप में कार्य करेगा।

इस संदर्भ में का प्रभाव उल्लेखनीय है। इसके लागू होने से पहले कर्मचारियों को वेतन और ठेकेदारों को भुगतान में कई सप्ताह या महीने लग जाते थे। मैनुअल प्रोसेसिंग, हस्ताक्षर और फाइल मूवमेंट के कारण देरी आम बात थी। किंतु IPAS लागू होने के बाद सभी लेन-देन डिजिटल रूप से रिकॉर्ड होने लगे। उदाहरणस्वरूप, पूर्व रेलवे में IPAS लागू होने के बाद भुगतान समय में लगभग 60% की कमी आई और ऑडिट रिपोर्ट अधिक पारदर्शी हो गई। यह स्पष्ट करता है कि डिजिटलीकरण से दक्षता और पारदर्शिता में व्यापक सुधार संभव है।

भविष्य की दिशा में रेलवे को कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। लेखांकन का पूर्ण डिजिटलीकरण (Full Digitization of Accounts) आवश्यक है ताकि प्रणाली पूरी तरह पेपरलेस बन सके। One Nation One Financial Platform के माध्यम से रेलवे सहित सभी मंत्रालयों के वित्तीय लेन-देन को एकीकृत किया जा सकता है। साथ ही, Cyber Security को और मजबूत बनाने के लिए उन्नत प्रणालियों की आवश्यकता है। Outcome-linked Financing व्यय को केवल खर्च तक सीमित नहीं रखेगा बल्कि इसे परिणामों से जोड़ेगा। अंततः, AI आधारित Predictive Analysis भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं का वैज्ञानिक और सटीक अनुमान लगाने में सहायक होगा। इन सभी कदमों से भारतीय रेल वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में एक और मज़बूत और पारदर्शी प्रणाली स्थापित कर सकेगी।

7. निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय रेल के वित्तीय सुधार और डिजिटलीकरण ने संगठन की दक्षता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। पारंपरिक कागज़ी व्यवस्था से हटकर आधुनिक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने न केवल समय और लागत की बचत की, बल्कि भ्रष्टाचार और विलंब जैसी समस्याओं को भी कम किया। IRFC द्वारा किए गए वित्तीय नवाचार, IPAS और IREPS जैसे डिजिटल टूल्स, तथा Outcome Budgeting जैसे सुधार भारतीय रेल को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं। भविष्य में AI, Blockchain और Cloud आधारित प्रणालियाँ भारतीय रेल को पूरी तरह Digital Smart Organization के रूप में स्थापित करेंगी। इस दिशा में निरंतर प्रगति न केवल रेलवे की कार्यक्षमता बढ़ाएगी, बल्कि राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में भी निर्णायक योगदान देगी।

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