अध्याय 30
भारतीय रेल
(Indian Railways) को देश की
आर्थिक धड़कन कहा जाता है। प्रतिदिन लगभग दो करोड़ से अधिक यात्री इसकी सेवाओं का
उपयोग करते हैं और करोड़ों टन माल की ढुलाई इसके माध्यम से की जाती है। यह न केवल
परिवहन व्यवस्था की रीढ़ है बल्कि राष्ट्रीय आय, क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक एकीकरण का भी प्रमुख साधन है। इतने विशाल संगठन
में वित्तीय प्रबंधन (Financial
Management) एक अत्यंत जटिल कार्य है। बदलती आर्थिक परिस्थितियाँ, तकनीकी
नवाचार, बढ़ती
प्रतिस्पर्धा और वैश्विक मानकों के अनुरूप सेवाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता, भारतीय रेल
के वित्तीय प्रबंधन को नई चुनौतियों और अवसरों के समक्ष खड़ा करती है।
भारतीय रेल के बजट का आकार लगभग एक मध्य आकार के राष्ट्र के वार्षिक बजट के बराबर होता है। Ministry of Railways एवं Railway Board के माध्यम से इसकी वित्तीय गतिविधियों का नियमन होता है। इसके अतिरिक्त Indian Railway Finance Corporation (IRFC) जैसी संस्थाएँ वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था में सहायक भूमिका निभाती हैं। इस अध्याय में रेलवे के वित्तीय प्रबंधन के महत्व, प्रमुख चुनौतियों, अनुशासन संबंधी समस्याओं, तकनीकी बाधाओं और भविष्य के सुधार की संभावनाओं का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया जा रहा है।
1. वित्तीय
प्रबंधन का महत्व (Importance of Financial Management)
रेलवे के
वित्तीय प्रबंधन का महत्व केवल लेखा-जोखा बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह
संचालन दक्षता, दीर्घकालिक
स्थिरता और राष्ट्रीय आर्थिक विकास से सीधे जुड़ा हुआ है।
(क) संचालन दक्षता (Operational
Efficiency):
इतने विशाल
नेटवर्क में संसाधनों का इष्टतम उपयोग (Optimal Utilization of Resources) वित्तीय प्रबंधन की सबसे पहली आवश्यकता है। ट्रेन
संचालन, पटरियों का
रख-रखाव, लोकोमोटिव
की उपलब्धता और स्टाफ प्रबंधन, सब कुछ
वित्तीय नियोजन पर आधारित है। यदि संसाधनों का नियोजन कुशलतापूर्वक किया जाए तो न
केवल परिचालन लागत कम होती है बल्कि यात्री और माल दोनों सेवाओं की गुणवत्ता भी
बढ़ती है।
(ख) वित्तीय स्थिरता (Financial Stability):
भारतीय रेल
लंबे समय से घाटे (Deficit) और लागत
बढ़ोतरी की समस्या से जूझ रही है। वित्तीय प्रबंधन का उद्देश्य केवल घाटा रोकना
नहीं, बल्कि
दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करना भी है। यह तभी संभव है जब राजस्व स्रोतों में
विविधता लाई जाए और व्यय पर नियंत्रण रखा जाए।
(ग) विकास परियोजनाओं का वित्तपोषण:
नई रेल
लाइनें, डेडिकेटेड
फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated
Freight Corridor), हाई-स्पीड रेल (High Speed
Rail) जैसी परियोजनाएँ भारी पूंजी निवेश की मांग करती हैं। इनके लिए वित्तीय संसाधन
जुटाना और योजनाबद्ध ढंग से उपयोग करना, वित्तीय प्रबंधन की प्रमुख जिम्मेदारी है।
(घ) सार्वजनिक उत्तरदायित्व और पारदर्शिता:
रेलवे एक
सार्वजनिक संस्था है। इसके व्यय और आय सीधे जनता के संसाधनों से जुड़े हैं। अतः
पारदर्शी लेखा प्रणाली, समयबद्ध
ऑडिट और सार्वजनिक उत्तरदायित्व (Public Accountability) वित्तीय प्रबंधन का मूल आधार हैं।
(ङ) राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि में योगदान:
भारतीय रेल
राष्ट्रीय उत्पादन और व्यापार को गति प्रदान करती है। उद्योगों, कृषि और
सेवा क्षेत्रों की उत्पादकता सीधे तौर पर रेल परिवहन से जुड़ी है। इसलिए वित्तीय
प्रबंधन की स्थिरता राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की प्रगति में योगदान करती है।
2. रेलवे
वित्तीय प्रबंधन की प्रमुख चुनौतियाँ (Key Challenges of Financial
Management in Railways)
भारतीय रेल
का वित्तीय प्रबंधन अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है।
(क) संचालन लागत का दबाव (Rising Operating Costs):
वेतन, पेंशन और
भत्तों पर रेलवे का व्यय लगातार बढ़ रहा है। Railway Board Budget Documents के अनुसार
कुल राजस्व व्यय का लगभग 55% से अधिक
हिस्सा वेतन और पेंशन पर ही खर्च होता है। इसके अतिरिक्त ईंधन (Fuel) और ऊर्जा (Energy) लागत में
निरंतर वृद्धि हो रही है, जिससे
संचालन लागत असामान्य रूप से बढ़ जाती है।
(ख) राजस्व में असंतुलन (Revenue Imbalance):
यात्री किराया
(Passenger Fare) को राजनीतिक
कारणों से लंबे समय तक कृत्रिम रूप से कम रखा गया है। दूसरी ओर, मालभाड़ा (Freight) दरें बढ़ाकर
घाटे की भरपाई की जाती रही है। इस असंतुलन के कारण रेलवे माल ढुलाई में निजी
ट्रकों और सड़क परिवहन से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहा है।
(ग) अधोसंरचना निवेश की कमी (Inadequate Infrastructure Investment):
नई
परियोजनाओं और आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक पूंजी निवेश की कमी हमेशा महसूस की जाती
है। योजनाओं में देरी (Project
Delays) और लागत वृद्धि (Cost
Overruns) वित्तीय बोझ को और बढ़ा देती है।
(घ) निजी निवेश आकर्षित करने में कठिनाई (Difficulty in Attracting Private
Investment):
पब्लिक-प्राइवेट
पार्टनरशिप (PPP) मॉडल को
बढ़ावा देने के बावजूद निजी क्षेत्र रेलवे में निवेश करने से हिचकिचाता है। इसका
कारण जोखिम अधिक होना, अनुबंध
शर्तों की जटिलता और परियोजनाओं की लंबी अवधि है।
(ङ) पुरानी प्रणालियाँ (Legacy Systems):
रेलवे अब भी
कई मामलों में मैनुअल और कागज़ी प्रक्रियाओं पर निर्भर है। लेखा प्रणाली में
डिजिटलीकरण (Digitalization)
धीमी गति से हो रहा है, जिससे
पारदर्शिता और दक्षता प्रभावित होती है।
(च) भ्रष्टाचार और अपारदर्शिता (Corruption & Lack of Transparency):
खरीद (Procurement), अनुबंध (Contracts) और भूमि
प्रबंधन में गड़बड़ियाँ सामने आती रहती हैं। इस कारण संसाधनों की बर्बादी होती है
और वित्तीय अनुशासन प्रभावित होता है।
3. वित्तीय
अनुशासन से जुड़ी समस्याएँ (Issues in Financial Discipline)
भारतीय रेल
की वित्तीय व्यवस्था Indian Railway Codes and Manuals से संचालित
होती है, फिर भी
अनुशासन संबंधी समस्याएँ लगातार देखी जाती हैं।
- बजट
का पालन न होना: स्वीकृत बजट के मुकाबले अक्सर व्यय अधिक हो जाता है।
- पुनर्विनियोजन
और अनधिकृत व्यय: कई बार स्वीकृति के बिना निधियों का पुनर्विनियोजन
किया जाता है।
- Appropriation Accounts में
गड़बड़ी: Comptroller and Auditor
General (CAG) की
रिपोर्टों में बार-बार गंभीर आपत्तियाँ दर्ज होती हैं।
- ऑडिट
में आपत्तियाँ: Railway
Accounts Code और Financial Rules का
पालन न होने से बार-बार ऑडिट आपत्तियाँ उठती हैं।
4. तकनीकी और
डिजिटल चुनौतियाँ (Technological & Digital Challenges)
आधुनिक युग
में वित्तीय प्रबंधन का आधार डिजिटल प्रणाली है।
- सिस्टम
का एकीकरण (Integration
of Systems):
Public Financial Management System (PFMS), Integrated Payroll and
Accounting System (IPAS), तथा Indian Railways E-Procurement System (IREPS) जैसे सिस्टम
अभी पूर्ण रूप से एकीकृत नहीं हुए हैं।
- साइबर
सुरक्षा जोखिम (Cyber
Security Risks): बड़े
पैमाने पर डिजिटलीकरण से डेटा सुरक्षा की चुनौती बढ़ गई है।
- प्रशिक्षण
का अभाव (Lack
of Training): कर्मचारियों
को नई डिजिटल प्रणालियों के बारे में पर्याप्त प्रशिक्षण उपलब्ध नहीं है, जिसके
कारण प्रणाली का प्रभावी उपयोग बाधित होता है।
5. सुधार की
संभावनाएँ (Future Prospects for Reforms)
रेलवे
वित्तीय प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक सुधारों की संभावनाएँ हैं।
(क) वित्तीय संरचना में सुधार (Structural Reforms):
यात्री
किराए में यथार्थवादी मूल्य निर्धारण आवश्यक है। मालभाड़ा और यात्री आय में संतुलन
लाना होगा। सार्वजनिक और निजी निवेश का संतुलित मिश्रण रेलवे के लिए लाभकारी होगा।
(ख) बजट सुधार (Budget
Reforms):
Outcome Budgeting, Zero
Based Budgeting और Multi-year Rolling Plans को लागू कर
बजट को अधिक परिणामोन्मुख बनाया जा सकता है।
(ग) डिजिटल सुधार (Digital
Reforms):
पूरी तरह से
डिजिटल लेखा प्रणाली, AI
और Data Analytics आधारित
निर्णय और Blockchain आधारित
अनुबंध रेलवे वित्तीय प्रबंधन को पारदर्शी और आधुनिक बनाएंगे।
(घ) संसाधन संवर्धन (Resource
Augmentation):
Non-fare Revenue बढ़ाने के
लिए स्टेशन विकास, विज्ञापन और
भूमि उपयोग जैसे विकल्पों का प्रयोग करना होगा। Green Bonds और
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्रोत (International
Financing) भी सहायक हो सकते हैं।
(ङ) व्यय प्रबंधन (Expenditure
Management):
ऊर्जा लागत
में कमी हेतु विद्युतीकरण (Electrification)
और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable
Energy) पर जोर देना होगा। Outcome-linked Expenditure को
प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
(च) संस्थागत सुधार (Institutional
Reforms):
विजिलेंस
मैकेनिज़्म (Vigilance
Mechanism) को मजबूत करना, सामाजिक
अंकेक्षण (Social
Audit) और सार्वजनिक भागीदारी (Public
Participation) सुनिश्चित करना आवश्यक है।
6. आधुनिक
सुधारों की दिशा (Modern Reforms for the Future)
- Integrated National
Transport Policy: सड़क, जल और
वायु परिवहन से समन्वय द्वारा समग्र राष्ट्रीय परिवहन नीति बनाना।
- High Speed Rail Projects: राजस्व
और तकनीकी कौशल में वृद्धि के नए अवसर।
- Green Railways Initiative: वर्ष 2030 तक Net Zero Carbon Railway का
लक्ष्य।
- Global Best Practices: जापान, जर्मनी
और चीन की रेल प्रणालियों से सीख लेकर सुधार लागू करना।
- Digital Dashboard: वित्तीय
डेटा को सार्वजनिक करने हेतु पारदर्शी डिजिटल मंच का निर्माण।
7. केस स्टडी
– डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Dedicated Freight Corridor - DFC)
डीएफसी
परियोजना रेलवे की आय संवर्धन और लागत प्रबंधन का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।
पूर्वी और पश्चिमी कॉरिडोर पर तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। इसके माध्यम से
माल यातायात अधिक तेज़, सस्ता और
कुशल होगा। हालांकि, वित्तपोषण (Financing) और समय पर
पूर्णता बड़ी चुनौती रही है। World Bank और Japan International Cooperation
Agency (JICA) के सहयोग से
यह परियोजना आंशिक रूप से वित्तपोषित है।
8. भविष्य की
संभावनाएँ (Future Prospects)
- आत्मनिर्भर
रेलवे (Atmanirbhar
Railway): स्वदेशी
उत्पादन और वित्तीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
- स्मार्ट
रेलवे (Smart
Railways): AI,
IoT और Big Data आधारित
संचालन।
- Public-Private Synergy: निवेश
और विकास के लिए साझा मंच।
- Sustainable Finance: पर्यावरण
मित्र वित्तीय साधनों का प्रयोग।
- Global Connectivity: पड़ोसी
देशों से रेल संपर्क और व्यापार को प्रोत्साहन।
9. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल
के वित्तीय प्रबंधन के समक्ष चुनौतियाँ बहुआयामी हैं – बढ़ती संचालन लागत, राजस्व
असंतुलन, अधूरी
परियोजनाएँ, डिजिटल
अवसंरचना की कमजोरी और पारदर्शिता की कमी। लेकिन दूसरी ओर सुधार की संभावनाएँ भी
व्यापक हैं। यदि रेलवे संरचनात्मक बदलाव, आधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग, पारदर्शी शासन और संसाधन संवर्धन की दिशा में ठोस कदम उठाता है तो यह
आत्मनिर्भर एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकता है। रेलवे का वित्तीय
प्रबंधन केवल संगठन की स्थिरता के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक विकास की गति के लिए भी अनिवार्य है।
