Annexure – I - Constitutional Provisions related to Railway Finance

 

Annexure – I

Constitutional Provisions related to Railway Finance


भारतीय रेल का वित्तीय प्रबंधन केवल प्रशासनिक या तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से भारतीय संविधान (Constitution of India) द्वारा निर्धारित प्रावधानों और संसद की वित्तीय शक्तियों के अधीन है। भारतीय रेल का आकार इतना विशाल है कि उसका वार्षिक बजट अकेले कई मंत्रालयों के बजट से बड़ा होता है। इसी कारण इसके वित्तीय नियम और प्रक्रियाएँ संविधान के अनुच्छेदों के अनुसार बनाई गई हैं। नीचे प्रमुख अनुच्छेदों का विस्तृत विवरण दिया गया है।


1. Article 112 – Annual Financial Statement (Budget)

अनुच्छेद 112 को "Annual Financial Statement" या साधारण भाषा में Budget Article कहा जाता है। इसके अनुसार राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए संसद के दोनों सदनों के समक्ष केंद्र सरकार का वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करते हैं। इस विवरण में अनुमानित प्राप्तियाँ (Receipts) और व्यय (Expenditure) दोनों का ब्यौरा शामिल होता है।

रेलवे के संदर्भ में, भारतीय रेल का बजट लंबे समय (1924 से 2017 तक) तक सामान्य बजट से अलग प्रस्तुत किया जाता था, जिसे "Railway Budget" कहा जाता था। इसका कारण रेलवे का विशाल आकार और इसकी विशेष वित्तीय आवश्यकताएँ थीं। 1920-21 की Acworth Committee ने सुझाव दिया था कि रेलवे के वित्त को अलग रखा जाए ताकि सामान्य वित्त (General Revenues) पर बोझ न पड़े। इसके आधार पर 1924 से Separation Convention of 1924 लागू हुई और तब से 2016-17 तक रेलवे बजट हर वर्ष अलग प्रस्तुत होता रहा। वर्ष 2017-18 से वित्त मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने निर्णय लिया कि रेलवे बजट को सामान्य बजट में मिला दिया जाए।


महत्व के रूप में, अनुच्छेद 112 ने यह सुनिश्चित किया कि रेलवे का बजट भी भारत सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण का हिस्सा बने। पहले रेलवे अलग से Yellow Book, Blue Book और Pink Book के रूप में संसद में दस्तावेज प्रस्तुत करता था, लेकिन अब ये दस्तावेज सामान्य बजट में सम्मिलित होते हैं।


निष्कर्षतः, अनुच्छेद 112 भारतीय रेल के बजटीय ढाँचे की आधारशिला है। यह स्पष्ट करता है कि रेलवे का बजट केवल आंतरिक प्रशासनिक प्रक्रिया न होकर एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसे संसद के समक्ष रखना अनिवार्य है।


2. Article 113 – Expenditure Charged on the Consolidated Fund of India

अनुच्छेद 113 (Article 113) भारत सरकार के वार्षिक बजट से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। इसके अंतर्गत कुछ ऐसे व्यय शामिल होते हैं जिन्हें "Charged Expenditure" कहा जाता है। इन व्ययों पर संसद में मतदान (Vote) की आवश्यकता नहीं होती। संसद केवल इन पर चर्चा कर सकती है, लेकिन इन्हें अस्वीकार या परिवर्तित नहीं कर सकती। इस प्रकार, ये व्यय सरकार की मूल वित्तीय प्रतिबद्धताओं की निरंतरता सुनिश्चित करते हैं।

भारतीय रेल के संदर्भ में भी कुछ खर्च Charged Expenditure की श्रेणी में आते हैं। इनमें ऋणों पर ब्याज और उनकी अदायगी (Interest & Debt Redemption Charges), Comptroller & Auditor General of India (C&AG) का वेतन, भत्ते और पेंशन, न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों द्वारा दिए गए निर्णयों या आदेशों की अदायगी, तथा वे अन्य व्यय शामिल हैं जिन्हें संसद या संविधान ने Charged घोषित किया हो।

रेलवे का अधिकांश खर्च "Voted Expenditure" होता है, जिसे संसद की स्वीकृति की आवश्यकता होती है। लेकिन Charged Expenditure यह सुनिश्चित करता है कि सरकार ऋण भुगतान जैसे अपने अनिवार्य वित्तीय दायित्वों को बिना किसी अवरोध के पूरा कर सके।

अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 113 रेलवे के वित्तीय अनुशासन को मजबूती प्रदान करता है। यह स्पष्ट करता है कि किन खर्चों पर संसद का प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं है, जिससे Railway Finance की स्थिरता और वित्तीय प्रबंधन की निरंतरता बनी रहती है।

3. Article 114 – Appropriation Bills

अनुच्छेद 114 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह सुनिश्चित करता है कि केंद्र सरकार संसद की स्वीकृति के बिना भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से कोई भी धनराशि व्यय नहीं कर सकती। इसका अर्थ यह है कि सरकार का हर खर्च जनता के प्रतिनिधियों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए। इसके लिए संसद में Appropriation Bill प्रस्तुत किया जाता है, जिससे यह कानूनी रूप से सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग केवल संसद की अनुमति से ही हो।

रेलवे के संदर्भ में, रेलवे मंत्रालय प्रत्येक वर्ष संसद के समक्ष अपने Demands for Grants प्रस्तुत करता है। संसद इन मांगों पर विचार-विमर्श करती है और मतदान के बाद उन्हें स्वीकृति देती है। इसके उपरांत Railway Appropriation Bill संसद में पेश किया जाता है, और जब राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हो जाती है, तो यह Appropriation Act का रूप ले लेता है। इस अधिनियम के अंतर्गत रेलवे मंत्रालय को Consolidated Fund of India से आवश्यक धनराशि निकालने और उसका व्यय करने की वैधानिक अनुमति प्राप्त होती है।

महत्व की दृष्टि से, Appropriation Bill वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता (Financial Discipline and Transparency) को मजबूत करता है। यह सुनिश्चित करता है कि रेलवे का प्रत्येक व्यय कानूनी, उत्तरदायी और संसद द्वारा अधिकृत हो। इससे एक ओर सरकार की वित्तीय गतिविधियों पर लोकतांत्रिक नियंत्रण बना रहता है, वहीं दूसरी ओर जनता के धन की सुरक्षा भी होती है।

निष्कर्षतः, अनुच्छेद 114 रेलवे की Spending Authority का संवैधानिक आधार है। यह केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि संसद की सर्वोच्चता और सार्वजनिक धन पर उसके नियंत्रण का प्रतीक है। इसके माध्यम से यह संदेश मिलता है कि भारत में संसदीय व्यवस्था के अंतर्गत वित्तीय निर्णय पारदर्शी, जिम्मेदार और संवैधानिक ढांचे के अनुरूप ही लिए जाते हैं।

4. Article 266 – Consolidated Fund of India

अनुच्छेद 266 भारतीय वित्तीय ढांचे का मूल आधार है। इसके अंतर्गत भारत सरकार की सभी आय और व्यय Consolidated Fund of India (CFI) में सम्मिलित किए जाते हैं। इसमें कर राजस्व (Tax Revenue), ऋण प्राप्तियाँ (Borrowings), गैर-कर राजस्व (Non-Tax Revenue) आदि सभी स्रोतों से प्राप्त धन शामिल होता है। इसी प्रकार, सरकार का प्रत्येक व्यय – चाहे वह राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) हो या पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure) – इसी निधि से किया जाता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग केवल संसद की अनुमति और उसके नियंत्रण के अधीन ही हो।

रेलवे के संदर्भ में, अनुच्छेद 266 का विशेष महत्व है। रेलवे की सभी कमाई, जैसे – मालभाड़ा (Freight Earnings), यात्री आय (Passenger Revenue), अन्य कोचिंग आय (Other Coaching Revenue) और गैर-भाड़ा आय (Non-Fare Revenue) – पूरी तरह Consolidated Fund of India में जमा की जाती है। इसी प्रकार रेलवे का हर खर्च, चाहे वह दैनिक संचालन से जुड़ा Revenue Expenditure हो या नई परियोजनाओं एवं अधोसंरचना विकास से जुड़ा Capital Expenditure, इसी फंड से किया जाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि संसद की स्वीकृति के बिना इस फंड से कोई व्यय संभव नहीं है, जिससे वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहती है।

महत्व की दृष्टि से, अनुच्छेद 266 रेलवे वित्त को सरकार की समेकित वित्तीय प्रणाली से जोड़ता है। इससे रेलवे बजट पूरी तरह पारदर्शी, नियंत्रित और उत्तरदायी रहता है। साथ ही, यह सुनिश्चित होता है कि रेलवे का वित्तीय प्रबंधन संसद की सर्वोच्चता के अधीन हो और सार्वजनिक धन का उपयोग केवल अधिकृत एवं वैधानिक उद्देश्यों के लिए किया जाए।

निष्कर्षतः, अनुच्छेद 266 रेलवे वित्त को राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से गहराई से जोड़ता है। यह न केवल रेलवे के प्रत्येक लेन-देन को संसद की स्वीकृति के अधीन बनाता है, बल्कि सार्वजनिक धन की सुरक्षा, पारदर्शिता और संसदीय नियंत्रण का भी सशक्त प्रतीक है।

5. Article 267 – Contingency Fund of India

अनुच्छेद 267 के तहत भारत सरकार के पास एक विशेष निधि स्थापित की गई है जिसे Contingency Fund of India कहा जाता है। इस फंड का उपयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है जब कोई आकस्मिक या अप्रत्याशित व्यय (Unforeseen Expenditure) सामने आ जाए और संसद से तत्काल स्वीकृति लेना संभव न हो। यह व्यवस्था सरकार को आपातकालीन स्थितियों में त्वरित वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है ताकि आवश्यक कार्यों को बिना विलंब के पूरा किया जा सके।

रेलवे के संदर्भ में, इस फंड का विशेष महत्व है। रेलवे में कई बार ऐसी आकस्मिक और आपातकालीन परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जैसे – प्राकृतिक आपदा, बड़ी दुर्घटनाएँ, या किसी आपातकालीन परियोजना की त्वरित आवश्यकता। ऐसे समय में व्यय की पूर्ति के लिए Contingency Fund का उपयोग किया जाता है। इस फंड का नियंत्रण राष्ट्रपति के पास रहता है, परंतु रेलवे से संबंधित मामलों में इसका संचालन Financial Commissioner (Railways) करते हैं। इस फंड से किया गया व्यय अस्थायी माना जाता है और संसद के अगले सत्र में इसे Appropriation Bill के माध्यम से Consolidated Fund of India (CFI) से नियमित (Regularize) किया जाता है।

महत्व की दृष्टि से, Contingency Fund रेलवे वित्त को लचीलापन (Flexibility) और त्वरित प्रतिक्रिया (Quick Response) प्रदान करता है। इससे रेलवे आपातकालीन परिस्थितियों में बिना किसी प्रशासनिक बाधा के तुरंत कार्यवाही कर पाता है। यह न केवल वित्तीय प्रबंधन की दक्षता को दर्शाता है बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं की निरंतरता को भी सुनिश्चित करता है।

निष्कर्षतः, अनुच्छेद 267 रेलवे वित्तीय प्रणाली में Emergency Preparedness का संवैधानिक आधार है। यह व्यवस्था रेलवे को अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने की क्षमता प्रदान करती है और संसद की स्वीकृति के अधीन रहते हुए त्वरित तथा जिम्मेदार वित्तीय प्रबंधन को संभव बनाती है।

6. Parliamentary Control Mechanism over Railway Finance

भारतीय रेलवे का वित्तीय ढाँचा पूरी तरह संसद के प्रति जवाबदेह है। संसद का नियंत्रण केवल औपचारिक प्रक्रिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बहुआयामी तंत्र (Multi-dimensional Mechanism) के माध्यम से कार्य करता है। सबसे पहले Budget Presentation की प्रक्रिया आती है, जिसमें रेलवे मंत्रालय अपने Demands for Grants संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है। इसके आधार पर संसद मतदान करके इन अनुदानों को स्वीकृत करती है। इसके बाद Appropriation Accounts के माध्यम से स्वीकृत व्यय और वास्तविक व्यय की तुलना कर जाँच की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अनुमोदित राशि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य के अनुरूप ही हुआ है।

संसदीय समितियों की भूमिका इस निगरानी प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण है। Public Accounts Committee (PAC) रेलवे व्ययों की वैधता (Legality) और प्रामाणिकता (Authenticity) की समीक्षा करती है। वहीं, Estimates Committee बजट प्रावधानों की दक्षता (Efficiency) और व्यवहार्यता (Practicability) का मूल्यांकन करती है। इसके अतिरिक्त, Railway Convention Committee रेलवे और सामान्य वित्त के बीच समन्वय स्थापित करती है, विशेष रूप से रेलवे से सामान्य राजस्व को दिए जाने वाले योगदान और उससे जुड़े वित्तीय संबंधों पर सिफारिशें देती है। इन सबके अलावा Comptroller and Auditor General (C&AG) द्वारा रेलवे व्ययों की बाहरी लेखा परीक्षा (External Audit) की जाती है, जिससे एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मूल्यांकन संभव हो पाता है।

महत्व की दृष्टि से, संसद का यह नियंत्रण सुनिश्चित करता है कि रेलवे का प्रत्येक व्यय न केवल कानूनी रूप से स्वीकृत हो, बल्कि वह व्यावहारिक (Practical), कुशल (Efficient) और जनहितकारी (People-oriented) भी हो। इस व्यवस्था से रेलवे वित्त की पारदर्शिता (Transparency) और उत्तरदायित्व (Accountability) निरंतर बनाए रखा जाता है।

निष्कर्षतः, रेलवे बजट और वित्तीय प्रबंधन संवैधानिक अनुच्छेदों (112, 113, 114, 266 और 267) से संचालित होता है। रेलवे व्ययों का मुख्य आधार Consolidated Fund और Contingency Fund हैं। व्यय की अनुमति संसद की स्वीकृति के बाद ही Appropriation Bill/Act द्वारा मिलती है। संसदीय समितियाँ – PAC, Estimates Committee और Railway Convention Committee – रेलवे वित्त की निरंतर निगरानी करती हैं। इस समेकित व्यवस्था से रेलवे में वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और जन-उत्तरदायित्व सुनिश्चित होता है, जो लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था का अभिन्न अंग है।

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