अध्याय 4 - वित्तीय शुचिता / नीतिशास्त्र (Canons of Financial Propriety)

 Paperback Book भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन 

eBook भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन


अध्याय 4

वित्तीय शुचिता / नीतिशास्त्र (Canons of Financial Propriety)


किसी भी सार्वजनिक संगठन की सफलता और उसकी सामाजिक विश्वसनीयता (Public Credibility) का मूलाधार उसकी वित्तीय व्यवस्था होती है। यदि वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) और शुचिता (Propriety) का पालन न हो, तो संगठन की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है और जनता का विश्वास डगमगा सकता है। भारतीय रेल (Indian Railways) जैसा विशाल संगठन, जो विश्व के सबसे बड़े सरकारी उपक्रमों में से एक है और प्रतिदिन करोड़ों रुपये का वित्तीय लेन-देन करता है, उसके लिए वित्तीय शुचिता केवल प्रशासनिक आवश्यकता नहीं बल्कि संवैधानिक और नैतिक दायित्व (Constitutional & Ethical Obligation) भी है।

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय, रेलवे बोर्ड, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG), लोक लेखा समिति (PAC) तथा रेलवे के आंतरिक वित्तीय तंत्र ने समय-समय पर वित्तीय शुचिता के सिद्धांतों को परिभाषित किया है। ये सिद्धांत अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct) की तरह कार्य करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सार्वजनिक धन (Public Money) का उपयोग जिम्मेदारी, पारदर्शिता और राष्ट्रहित में हो।

1. वित्तीय शुचिता का महत्व (Importance of Financial Propriety)

1. वित्तीय शुचिता का महत्व (Importance of Financial Propriety)

भारतीय रेल जैसे संगठन में वित्तीय शुचिता का महत्व बहुआयामी है।

  • जनता का धन: सार्वजनिक धन मूलतः जनता का धन है और सरकारी अधिकारी केवल उसके संरक्षक हैं। यदि इसका दुरुपयोग हो, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि जनता के विश्वास का भी हनन है।
  • कार्यक्षमता एवं स्थिरता: वित्तीय अनुशासन की कमी से संगठन की कार्यकुशलता (Efficiency) और वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) प्रभावित होती है।
  • सरकार की साख: रेलवे केवल वाणिज्यिक संस्था (Commercial Entity) नहीं बल्कि सार्वजनिक सेवा प्रदाता (Public Service Provider) भी है। इसलिए वित्तीय अनुशासन की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है।

2. वित्तीय शुचिता के मूलभूत सिद्धांत (Fundamental Canons of Financial Propriety)

भारत सरकार और भारतीय रेल ने वित्तीय शुचिता के चार पारंपरिक तथा कई पूरक सिद्धांत निर्धारित किए हैं। इन्हें Railway Finance Code और Accounts Code में स्पष्ट किया गया है।

(क) कोई व्यय जनता की स्वीकृति और वैधानिकता के बिना न हो

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 और 267 यह स्पष्ट करते हैं कि संसद की स्वीकृति के बिना कोई व्यय वैध नहीं है। रेलवे का वार्षिक बजट संसद द्वारा अनुमोदित होता है और अधिकारी उस सीमा से बाहर खर्च नहीं कर सकते।

(ख) कोई व्यय सार्वजनिक उद्देश्य के अतिरिक्त न हो

सार्वजनिक धन का उपयोग केवल लोक-कल्याण (Public Purpose) हेतु होना चाहिए। व्यक्तिगत विलासिता, उपहार, आतिथ्य या गैर-आवश्यक प्रयोजनों पर व्यय करना सीधा उल्लंघन है।

(ग) व्यय औचित्यपूर्ण और आवश्यकता-आधारित हो

हर खर्च का औचित्य सिद्ध होना चाहिए। जैसे—नई रेल लाइन का निर्माण तभी जब उसका योगदान क्षेत्रीय विकास और यात्री सुविधा में हो।

(घ) व्यय में फिजूलखर्ची न हो

सार्वजनिक धन का उपयोग किफ़ायत (Economy), कार्यकुशलता (Efficiency) और प्रभावशीलता (Effectiveness) के साथ होना चाहिए।

3. रेलवे-विशिष्ट सिद्धांत (Railway-Specific Canons)

भारतीय रेलवे में वित्तीय प्रबंधन केवल सामान्य सरकारी नियमों पर आधारित नहीं होता, बल्कि कुछ विशेष सिद्धांत भी लागू होते हैं, जो रेलवे के व्यापक नेटवर्क और विशाल व्यय संरचना को देखते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

(i) खर्च की मितव्ययिता का सिद्धांत (Expenditure Economy Principle)

हर व्यय का औचित्य केवल वास्तविक आवश्यकता पर आधारित होना चाहिए। दिखावे, अनावश्यक विस्तार, या राजनीतिक दबाव के कारण होने वाला खर्च न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि वित्तीय शुचिता के विरुद्ध भी है।

(ii) निष्पक्षता और निजी लाभ से बचाव (Impartiality & Avoidance of Personal Gain)

रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे अपने पद का उपयोग किसी भी प्रकार के निजी लाभ या पक्षपात के लिए न करें। ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुँचाना या व्यक्तिगत स्वार्थ साधना इस सिद्धांत का उल्लंघन है।

(iii) सार्वजनिक धन केवल जनहित में (Public Money for Public Good)

रेलवे का बजट सीधे तौर पर जनता के कर और राजस्व पर आधारित है। इसलिए इस धन का उपयोग केवल यात्रियों और समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए। व्यक्तिगत या सीमित वर्ग के हितों में इसका उपयोग वित्तीय अनुशासन के विपरीत है।

(iv) भत्तों का विनियमन (Regulation of Allowances)

TA, DA, HRA जैसे सभी भत्तों का भुगतान केवल वास्तविक खर्च की भरपाई के लिए होना चाहिए। इन्हें आय का अतिरिक्त स्रोत मानना वित्तीय शुचिता की भावना के विपरीत है।

(v) उत्तरदायित्व और लेखा-परीक्षा योग्यता (Accountability and Auditability)

रेलवे में किया गया प्रत्येक व्यय रिकॉर्ड में दर्ज होना चाहिए और उसे किसी भी समय आंतरिक अथवा बाहरी ऑडिट में परखा जा सके। पारदर्शिता और उत्तरदायित्व इसी सिद्धांत से सुनिश्चित होता है।

4. रेलवे में वित्तीय शुचिता का अनुप्रयोग (Application in Indian Railways)

रेलवे में वित्तीय शुचिता केवल सैद्धांतिक अपेक्षा नहीं है, बल्कि व्यवहारिक स्तर पर भी इसे विभिन्न प्रक्रियाओं और नीतियों के माध्यम से लागू किया गया है।

(i) अनुबंध एवं निविदाएँ (Contracts & Tenders)

निविदा प्रक्रिया को प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी बनाने के लिए IREPS (Indian Railways E-Procurement System) के माध्यम से ई-निविदा प्रणाली अपनाई गई है। इससे ठेके प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार की संभावना घटी है।

(ii) सामग्री भंडारण (Stores Management)

रेलवे में अनुपयोगी और निष्प्रयोजन सामग्री का समय पर निपटान किया जाता है। इससे संसाधनों का अनावश्यक जमाव रोकता है और आर्थिक दक्षता सुनिश्चित होती है।

(iii) यात्रा एवं ठहराव व्यय (Travel & Hospitality)

रेलवे में कार्य-संबंधी यात्रा को ही स्वीकृति दी जाती है। विलासितापूर्ण अथवा गैर-जरूरी यात्राओं पर रोक लगाकर व्यय को नियंत्रित किया जाता है।

(iv) भत्तों का विनियमन (Allowances Regulation)

भत्तों का भुगतान रेलवे बोर्ड और 7th CPC की सिफारिशों के अनुसार होता है। इससे वित्तीय शुचिता और निष्पक्षता बनी रहती है।

(v) बजटीय नियंत्रण (Budgetary Control)

रेलवे का प्रत्येक व्यय केवल संसद द्वारा स्वीकृत अनुदानों के भीतर ही किया जा सकता है। इस प्रकार वित्तीय अनुशासन और वैधानिक अनुपालन दोनों सुनिश्चित होते हैं।

(vi) इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ (Infrastructure Projects)

नई लाइन, विद्युतीकरण, स्टेशन पुनर्विकास जैसी परियोजनाओं पर खर्च तभी किया जाता है जब उसका औचित्य और लागत-लाभ विश्लेषण स्पष्ट हो। इससे संसाधनों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित होता है।

5. जवाबदेही और लेखा परीक्षा (Accountability & Audit)

रेलवे में वित्तीय शुचिता केवल नैतिक आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह एक संवैधानिक उत्तरदायित्व भी है। प्रत्येक अधिकारी को अपने कार्य और व्यय के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

(i) आंतरिक नियंत्रण (Internal Control)

आंतरिक स्तर पर वित्तीय अनुशासन की निगरानी FA&CAO (Financial Adviser & Chief Accounts Officer) और DFM (Divisional Finance Manager) जैसे अधिकारी करते हैं। वे सभी व्ययों की स्वीकृति, समीक्षा और नियंत्रण सुनिश्चित करते हैं।

(ii) बाहरी नियंत्रण (External Control)

बाहरी स्तर पर रेलवे की वित्तीय गतिविधियों की निगरानी C&AG (Comptroller and Auditor General of India) तथा PAC (Public Accounts Committee) करते हैं। ये संस्थाएँ वित्तीय पारदर्शिता और जन-जवाबदेही को मजबूती प्रदान करती हैं।

(iii) लेखा-परीक्षा दस्तावेज (Audit Records)

सभी व्यय Appropriation Accounts और Re-appropriation Orders में दर्ज करना अनिवार्य है। इससे न केवल खर्च का वैधता-पत्र तैयार होता है, बल्कि भविष्य में होने वाली ऑडिट जांच भी सुगम होती है।

उल्लंघन के उदाहरण (Examples of Violation)

वित्तीय शुचिता के सिद्धांतों का उल्लंघन विभिन्न रूपों में सामने आता है, जिनसे रेलवे की विश्वसनीयता और संसाधनों की दक्षता प्रभावित होती है।

(i) अनुचित परियोजनाएँ (Improper Projects)

बिना लागत-लाभ विश्लेषण (Cost-Benefit Analysis) किए परियोजनाओं को स्वीकृति देना संसाधनों की बर्बादी का कारण बनता है।

(ii) अनुपयोगी सामग्री का जमाव (Stockpiling of Idle Material)

स्टोर्स में वर्षों तक अनुपयोगी सामग्री का पड़े रहना वित्तीय अनुशासन की कमी को दर्शाता है।

(iii) पक्षपातपूर्ण निविदाएँ (Biased Tendering)

निविदा प्रक्रिया में पक्षपात या व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किसी ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुँचाना गंभीर उल्लंघन है।

(iv) अनावश्यक यात्रा एवं समारोह व्यय (Excessive Travel & Hospitality Expenditure)

कार्य की आवश्यकता से अधिक यात्राएँ करना अथवा समारोहों पर अत्यधिक खर्च करना भी वित्तीय शुचिता के सिद्धांतों के विपरीत है।

व्यावहारिक उदाहरण:

यदि किसी ज़ोनल रेलवे ने नई AC Waiting Hall बनाने के लिए ₹50 लाख का अनुमान प्रस्तुत किया, लेकिन वास्तविक खर्च ₹80 लाख हो गया और उसमें अधिकारी ने अपने परिचित ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुँचाया, तो यह "Economy Principle" और "Impartiality Principle" दोनों का उल्लंघन होगा।

7. आधुनिक संदर्भ में वित्तीय शुचिता (Financial Propriety in Modern Context)

डिजिटलीकरण और PPP (Public-Private Partnership) मॉडल के दौर में वित्तीय शुचिता का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

(i) ई-निविदा (E-Tendering)

IREPS प्रणाली ने निविदा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बना दिया है।

(ii) ई-लेखा (E-Accounting)

IPAS (Integrated Payroll and Accounting System) ने रेलवे लेखांकन को स्वचालित और पारदर्शी बनाया है।

(iii) निगरानी प्रणाली (Monitoring Mechanisms)

Outcome Budgeting और Performance Audit जैसी प्रणालियों ने रेलवे परियोजनाओं की निगरानी को अधिक प्रभावी बनाया है।

(iv) साइबर सुरक्षा (Cyber Security)

डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन प्रणालियों के बढ़ते उपयोग के कारण साइबर सुरक्षा एक नई चुनौती बनकर उभरी है, जिसके लिए अतिरिक्त सतर्कता आवश्यक है।

8. भविष्य की चुनौतियाँ और उपाय (Future Challenges & Solutions)

आने वाले समय में भारतीय रेलवे को वित्तीय शुचिता बनाए रखने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा।

(i) चुनौतियाँ (Challenges)

  • पूँजीगत व्यय में लगातार वृद्धि और सीमित राजस्व स्रोत।
  • राजनीतिक दबाव और लोकलुभावन योजनाओं का वित्तीय संतुलन पर प्रभाव।
  • PPP मॉडल में निजी कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना।
  • डिजिटल प्रणालियों में साइबर सुरक्षा की बढ़ती चिंताएँ।

(ii) उपाय (Solutions)

  • प्रत्येक परियोजना के लिए Cost-Benefit Analysis को अनिवार्य बनाना।
  • वार्षिक स्तर पर Internal Audit करना।
  • अधिकारियों के लिए नियमित Ethics & Finance Training आयोजित करना।
  • Public Oversight के लिए रिपोर्ट और डैशबोर्ड सार्वजनिक करना।

9. वित्तीय शुचिता और नीतिशास्त्र (Propriety & Ethics)

वित्तीय शुचिता केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह Administrative Ethics का अभिन्न हिस्सा है। इसके तीन मूल स्तंभ हैं – Integrity (ईमानदारी), Transparency (पारदर्शिता), और Accountability (जवाबदेही)

रेलवे अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह निर्णय व्यक्तिगत लाभ, बाहरी दबाव, या राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त होकर ही ले। इस प्रकार वित्तीय शुचिता केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि नैतिक आचरण और सुशासन की भावना भी है।

10. निष्कर्ष (Conclusion)

Canons of Financial Propriety भारतीय रेलवे के वित्तीय प्रशासन की नैतिक रीढ़ (Moral Backbone) हैं। इन सिद्धांतों का उद्देश्य केवल लेखा-परीक्षा या औपचारिक नियंत्रण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यय—

·        औचित्यपूर्ण और मितव्ययी हो,

·        व्यक्तिगत लाभ से मुक्त होकर केवल सार्वजनिक हित में किया जाए,

·        किसी भी समय Audit scrutiny की कसौटी पर खरा उतरे,

·        और अंततः जनता के विश्वास को बनाए रखे।

यदि भारतीय रेल इन सिद्धांतों का कठोरता और निरंतरता के साथ पालन करती है, तो वह केवल एक तकनीकी रूप से सक्षम संगठन ही नहीं रहेगी, बल्कि एक ऐसा संस्थान भी बनेगी जो नैतिक मूल्यों, पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास पर आधारित हो। यही संतुलन भारतीय रेलवे को दीर्घकाल तक सुदृढ़, विश्वसनीय और जनोन्मुखी (People-Oriented) बनाए रखेगा।


.

Disclaimer: The Information/News/Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.

Labels

Short Notes (25) Question Bank (17) Account & Finance (15) FINANCIAL RULES (13) Question & Answer (7) RAILWAY BUDGET (4) Railway Finance (4) Functions of Accounts Department (3) STATION BALANCE SHEET (3) 6.2 Consolidated Fund Of India (2) Contract Management (2) H.07 लेखा निरीक्षण (2) INDEX (2) 0 FINANCIAL RULES SYLLABUS (1) 1. RAILWAY BUDGET (1) 2. Rules of Allocation (1) 3. INVESTMENT PLANNING AND WORKS BUDGET (1) 5. STATION OUTSTANDING. (1) 6.0 RAILWAY BUDGET (Short Note) (1) 6.1 Cannons/Standards of Financial Propriety (1) 6.10 CONTROL OVER EXPENDITURE (1) 6.4 RULES OF RE-APPROPRIATION (1) 6.7 AUGUST REVIEW (1) 6.9 APPROPRIATION ACCOUNT (1) 8.1 निविदा (Tender) (1) APPROPRIATION ACCOUNT (1) Account (1) Accounting System in Railways (1) Accounts (1) Annual Financial Statement (1) Appropriation Accounts & Process (1) Audit & Audit Report (1) Audit of Railway Expenditure & Revenue (1) BOT / BOOT Schemes (1) Budgetary Practices (1) Budgetary Process & Approval Mechanism (1) CONTINGENCY FUND OF INDIA (1) Cannons/Standards of Financial Propriety (1) Capital Expenditure & Estimates (1) Challenges & Future Prospects . Financial Management (1) Charged Expenditure (1) Classification of Railway Expenditure (1) Constitutional Provisions (1) Contract & Its Types (1) Corruption Prevention (1) Demands for Grants (1) Departmental Exam (1) Digital Reforms (1) Digitization in Railways (1) Earnest Money (1) Expenditure Management (1) FINAL MODIFICATION (1) Financial Commissioner – FC (1) Financial Control (1) Financial Discipline (1) Financial Discipline & Control in Railways (1) Financial Framework. (1) Financial Management (1) Financial Powers & Delegation (1) Financial Reforms (1) GeM (1) Government Accounting & Financial Principles (1) Government e-Marketplace (1) Green Initiatives (1) H 1 रेलवे टेंडर सिस्टम (Railway Tender System) (1) H.01 रेलवे का इतिहास एवं संगठन (1) H.01.1रेलवे की परिभाषा और प्रबंध की संरचना (1) H.02 लेखा एवं वित्त (1) H.03 रेल लेखा की संकल्पना (1) H.04 रेल बजट (1) H.05 वित्त एवं व्यय पर नियंत्रण (1) H.06 सांविधिक लेखा - परीक्षा (1) H.08 सामान्य व्यय (1) H.09 कारखाना लेखा (1) H.10 भंडार लेखा (1) H.11 यातायात लेखा (1) H.12 रेलवे यातायात (1) H2. 19 बजट आदेश (Budget Order) / बजट आबंटन (Budget Allotment) में अन्तर (1) H2.01 Revised Estimate/Details Estimate में अंतर (1) H2.02 Abstract Estimate / Details Estimate में अंतर (1) H2.03 Revised Estimate / Supplementary Estimate में अंतर (1) H2.04 Completion Estimate / Completion Report में अंतर (1) H2.05 Delay Tender / Late Tender में अन्तर (1) H2.06 Single Tender / Single offer में अंतर (1) H2.07 ओपन टेंडर / लिमिटेड टेंडर में अंतर (1) H2.08. Earnest Money Deposit / Security Deposit में अन्तर (1) H2.09 Security Deposit / Performance Guarantee में अन्तर (1) H2.10 Deposit Miscellaneous / Miscellaneous Advance में अंतर (1) H2.11 On Account Bill / Final Bill में अंतर (1) H2.12 Rate Contract / Running Contract में अंतर (1) H2.13 Demand Payable / Demand Recoverable में अन्तर (1) H2.14 General Books / Subsidiary Books में अंतर (1) H2.15 Consolidated Fund समेकित निधि / Contingency Fund आकस्मिक में अंतर (1) H2.16 मूल्यह्रास संचय कोष (Depreciation Reserve Fund) / विकास कोष (Development Fund) में अन्तर (1) H2.17 Draft Para / Audit Para में अन्तर (1) H2.18 Traffic (Gross) Earning / Traffic (Gross) Receipt में अन्तर (1) H2.20 स्वीकृत व्यय (वोटेड Expenditure) / प्रभ्रत व्यय (Charged Expenditure) में अन्तर (1) H2.21 Estimate Committee / Public Committee में अन्तर (1) H2.22 Public Committee / Railway Convention committee में अन्तर (1) H2.23 Remittance Transaction / Transfer Transaction में अन्तर (1) H2.24 Stock Item / Non-Stock Items में अन्तर (1) H2.25 Co6 / Co7 में अंतर (1) H2.26 TC / JV में अन्तर (1) H8.2 परिचालन अनुपात (1) H8.3 वित्तीय औचित्य (1) H8.4 सर्वेक्षण (1) Indian Railways (1) Inventory Management (1) Letter of credit (1) Limited Tender (1) Local Purchase (1) OPS/NPS/UPS (1) Open Tender (1) Pension & Retirement Benefits in Railways (1) Procurement System in Railways (1) Procurement in Indian Railways (1) REVISED AND DETAIL ESTIMATE में अंतर (1) Railway Accounts Code (1) Railway Financial Code (1) Railway Financial Code & Manuals (1) Railway Financial Rules (1) Railway Funds & Reserves (1) Railway Investment Plan (1) Railway Production Units (1) Railways (1) Resource Augmentation in Railways (1) Revenue Management (1) Role of Ministry of Railways & Finance Department (1) Rules of Re-appropriation (1) Security Deposit (1) Single Tender (1) Sources of Railway Revenue (1) Special Limited Tender (1) Stores Accounting (1) Tender Committee (1) Tender Notice & Tender Documents (1) Traffic Earnings (1) Work Contracts (1) Works Programme (1) Workshop & Manufacturing Accounts (1) Zero Base Budget. (1) यातायात लेखा विभाग के कार्य (1)