Paperback Book - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
eBook - भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन
अध्याय 5
रेलवे बजट का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और केन्द्रीय बजट में
विलय (Historical Perspective of Railway Budget & Merger with
Union Budget)
रेलवे बजट का
इतिहास 1924 से प्रारंभ होता है जब रेलवे को एक अलग विभागीय
उपक्रम माना गया और इसका बजट अलग से संसद में प्रस्तुत किया जाने लगा।
1. रेलवे बजट
का अलग से प्रस्तुत होने का कारण
रेलवे बजट को अलग से प्रस्तुत करने के पीछे कई कारण
हैं। सबसे पहले, रेलवे का
विशाल आकार इसे अन्य क्षेत्रों से अलग करता है। इसके साथ ही, आय-व्यय की जटिलता इसे स्वतंत्र रूप से
प्रस्तुत करने की आवश्यकता उत्पन्न करती है। रेलवे का वाणिज्यिक स्वरूप भी इसके
बजट को विशेष बनाता है, क्योंकि
यह केवल सरकारी विभाग न होकर एक वाणिज्यिक इकाई के रूप में कार्य करता है। अंततः,
संसद के प्रति उत्तरदायित्व और
पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रेलवे बजट को अलग से प्रस्तुत किया जाता
है।
2. स्वतंत्र
भारत में रेलवे बजट
1947 के बाद रेलवे बजट अलग से संसद में
प्रस्तुत किया जाता रहा। इसमें सामान्य बजट जैसी ही प्रक्रिया होती थी, लेकिन Railway Convention Committee इसकी समीक्षा करती थी।
3. रेलवे बजट
और सामान्य बजट में भिन्नताएँ
रेलवे बजट और सामान्य बजट के बीच कई बुनियादी अंतर
थे। रेलवे बजट की अवधि, प्रक्रिया
और अनुदान (Grants) सामान्य
बजट से अलग होते थे। इसे एक अलग मंत्रालयीय प्रस्तुति के रूप में संसद में
प्रस्तुत किया जाता था। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि रेलवे बजट का आकार कई
मंत्रालयों के बजट से बड़ा होता था।
4. रेलवे बजट
का महत्व
रेलवे बजट का महत्व इस बात में निहित था कि इससे
संसद में रेलवे की कार्यप्रणाली पर व्यापक चर्चा का अवसर मिलता था। यह वित्तीय
पारदर्शिता और अनुशासन को प्रोत्साहित करता था। इसके अतिरिक्त, जनता और हितधारकों को रेलवे की प्राथमिकताओं
तथा भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती थी।
5. 2017 में
रेलवे बजट का केन्द्रीय बजट में विलय
भारत सरकार ने 2016 में यह घोषणा की कि रेलवे बजट को सामान्य बजट में
विलय कर दिया जाएगा और 2017-18 से इसे लागू भी कर दिया गया। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य दोहराव की समाप्ति करना था, क्योंकि स्वतंत्र रेलवे बजट और सामान्य बजट
दोनों में कई वित्तीय विवरण समान रूप से प्रस्तुत होते थे। इसके अतिरिक्त, यह कदम वित्तीय अनुशासन को और मजबूत करने तथा देश के लिए एक समेकित राष्ट्रीय
बजट प्रस्तुत करने की दिशा में आवश्यक समझा गया।
विलय की प्रक्रिया औपचारिक रूप से 2017-18 से लागू की गई। इसके बाद से रेलवे का राजस्व,
व्यय, घाटा और अनुदान सभी विवरण सीधे सामान्य बजट का
हिस्सा बन गए। इस परिवर्तन से रेलवे की वित्तीय स्थिति अब अलग से न देखकर
राष्ट्रीय वित्तीय ढाँचे का हिस्सा मानी जाने लगी।
इस कदम के प्रभाव कई स्तरों पर दिखाई दिए। एक ओर,
रेलवे के घाटे और अनुदानों का सीधा
संबंध सामान्य बजट से स्थापित हुआ, जिससे Railway Convention Committee की भूमिका सीमित हो गई। दूसरी ओर, संसद में रेलवे पर अलग से विस्तृत चर्चा का
अवसर कम हो गया, क्योंकि अब
इसकी समीक्षा सामान्य बजट के साथ मिलकर ही की जाती है। हालांकि, इस परिवर्तन ने रेलवे को राष्ट्रीय आर्थिक
परिप्रेक्ष्य में और गहराई से जोड़ दिया तथा संसाधनों के समग्र उपयोग में एकरूपता
सुनिश्चित की।
6. आधुनिक सुधार और भविष्य की संभावनाएँ (Modern Reforms & Future
Prospects)
सरकारी
लेखांकन और बजट प्रबंधन में रेलवे ने समय के साथ कई आधुनिक सुधार लागू किए हैं।
इनमें Outcome Budgeting प्रमुख है, जिसके तहत
व्यय का मूल्यांकन केवल राशि के आधार पर नहीं, बल्कि प्राप्त
परिणामों के आधार पर किया जाता है। Zero-Based Budgeting (ZBB) के माध्यम से प्रत्येक व्यय का शून्य आधार से मूल्यांकन किया जाता है,
जिससे अनावश्यक खर्चों को रोका जा सके। इसके अतिरिक्त,
Gender Budgeting और Green Budgeting सामाजिक
और पर्यावरणीय दृष्टिकोण को शामिल करते हुए बजट तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण
कदम हैं।
भविष्य की
संभावनाओं के संदर्भ में, रेलवे Digitization आधारित Real-time Budget Monitoring को अपनाकर व्यय
और राजस्व पर सटीक निगरानी कर सकता है। इसके साथ ही, Performance-linked
Appropriations के माध्यम से बजट आवंटन को परिणामों से जोड़ा जा
सकता है। निजी निवेश और PPP Model के समावेश से वित्तीय
संसाधनों में वृद्धि और परियोजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के नए अवसर उत्पन्न
होंगे। इस तरह के सुधार और भविष्य की पहल रेलवे को वित्तीय दक्षता, पारदर्शिता और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करेंगे।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
