अध्याय 7 विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts)

 Paperback Book भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन 

eBook भारतीय रेल : वित्तीय नियम एवं प्रबंधन

अध्याय 7

विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts)

भारतीय रेल (Indian Railways) देश की जीवनरेखा कही जाती है। यह न केवल यात्री और माल परिवहन का सबसे बड़ा साधन है, बल्कि यह भारत सरकार का सबसे बड़ा वाणिज्यिक उपक्रम भी है। प्रतिदिन लाखों यात्री इसकी सेवाओं का लाभ उठाते हैं और करोड़ों टन माल विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में पहुँचाया जाता है। इस प्रकार का विशाल नेटवर्क केवल परिचालन और सेवाओं पर आधारित नहीं होता, बल्कि इसकी नींव मजबूत वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) और उत्तरदायित्व पर भी टिकी होती है। भारतीय रेल का बजट आकार इतना बड़ा होता है कि यह कई मंत्रालयों के संयुक्त बजट से भी अधिक हो जाता है। जब इतना विशाल वित्तीय प्रबंधन प्रतिदिन चल रहा हो, तो पारदर्शिता (Transparency) और विधिक नियंत्रण (Legislative Control) सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त प्रणाली की आवश्यकता होती है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts) की व्यवस्था की गई है।


विनियोजन लेखा मात्र संख्यात्मक विवरण नहीं है। यह संसद और जनता के प्रति रेलवे की वित्तीय जवाबदेही का औपचारिक प्रमाण है। इसके माध्यम से स्पष्ट रूप से यह प्रदर्शित किया जाता है कि संसद द्वारा स्वीकृत अनुदान (Demands for Grants) और वास्तविक व्यय (Actual Expenditure) में क्या अंतर रहा और उस अंतर के पीछे क्या कारण थे। यह दस्तावेज़ वित्तीय उत्तरदायित्व (Financial Accountability) की भावना को जीवित रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि रेलवे का प्रत्येक खर्च जनता के प्रति जवाबदेह हो।


1. विनियोजन लेखा का अर्थ

विनियोजन लेखा को समझने के लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि संसद प्रत्येक मंत्रालय और विभाग को एक निश्चित राशि के रूप में अनुदान स्वीकृत करती है। यह स्वीकृत राशि ही उस मंत्रालय या विभाग के लिए वैधानिक व्यय सीमा निर्धारित करती है। जब वर्ष के अंत में यह देखा जाता है कि स्वीकृत राशि और वास्तविक व्यय में कितना अंतर रहा, तो जो दस्तावेज़ तैयार होता है उसे विनियोजन लेखा कहा जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो विनियोजन लेखा वह दस्तावेज़ है जो यह दर्शाता है कि संसद द्वारा स्वीकृत राशि का उपयोग किस प्रकार किया गया और उसमें से कितना वास्तव में खर्च हुआ। यह केवल लेखांकन की तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता का प्रतीक है।


2. संवैधानिक आधार

विनियोजन लेखा की अवधारणा केवल प्रशासनिक आवश्यकता पर आधारित नहीं है, बल्कि इसका आधार भारतीय संविधान में निहित है। संविधान के अनुच्छेद 266 के अनुसार, केंद्र सरकार की सभी प्राप्तियाँ और व्यय Consolidated Fund of India के माध्यम से ही संचालित होंगे। इसका अर्थ यह है कि किसी भी मंत्रालय या विभाग को स्वीकृति के बिना व्यय करने की अनुमति नहीं है। अनुच्छेद 114 के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया है कि संसद द्वारा पारित विनियोजन विधेयक (Appropriation Bill) के आधार पर ही किसी भी प्रकार का व्यय किया जा सकता है। यदि संसद की स्वीकृति प्राप्त नहीं होती, तो व्यय करना असंवैधानिक होगा।

इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 149 के अंतर्गत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General – C&AG) को यह अधिकार दिया गया है कि वे विनियोजन लेखों का परीक्षण करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी व्यय संसद की स्वीकृति के अनुरूप हुए हैं या नहीं। इस प्रकार विनियोजन लेखा संविधान की दृष्टि से एक अनिवार्य प्रावधान है, जो यह दर्शाता है कि लोकतंत्र में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद के नियंत्रण के बिना कोई भी व्यय नहीं किया जा सकता।


3. रेलवे में विनियोजन लेखा की विशेषताएँ

भारतीय रेल में विनियोजन लेखा का स्वरूप अन्य मंत्रालयों की तुलना में अधिक जटिल और विस्तृत है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रेलवे का बजट आकार अत्यंत विशाल है और इसमें वाणिज्यिक (Commercial) तथा गैर-वाणिज्यिक (दोनों प्रकार के तत्व शामिल होते हैं। एक ओर रेलवे यात्री और माल ढुलाई से राजस्व अर्जित करता है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक दायित्व (Social Obligations) भी निभाता है, जैसे कि सामान्य श्रेणी के यात्रियों को रियायती दरों पर यात्रा सुविधा देना अथवा दूरदराज़ क्षेत्रों में रेल संपर्क उपलब्ध कराना।

रेलवे में एक स्वतंत्र वित्त आयुक्त (Financial Commissioner – Railways) होता है, जो रेलवे बोर्ड का सदस्य होता है और वित्तीय प्रबंधन की समूची प्रक्रिया की निगरानी करता है। यह व्यवस्था अन्य मंत्रालयों में नहीं पाई जाती। इसके अतिरिक्त, रेलवे के सभी ज़ोनल कार्यालय (Zonal Railways), उत्पादन इकाइयाँ (Production Units) और विशेष संगठन अपने-अपने विनियोजन लेख तैयार करते हैं, जिन्हें रेलवे बोर्ड स्तर पर समेकित किया जाता है। इस प्रकार रेलवे में विनियोजन लेखा बहु-स्तरीय (Multi-layered) और विकेंद्रीकृत (Decentralized) प्रक्रिया के रूप में कार्य करता है।


4. विनियोजन लेखा तैयार करने की प्रक्रिया

रेलवे में विनियोजन लेखा तैयार करने की प्रक्रिया कई चरणों में संपन्न होती है। सबसे पहले संसद से स्वीकृत अनुदान प्राप्त होते हैं, जिनके आधार पर प्रत्येक व्यय की अधिकतम सीमा निर्धारित होती है। इसके पश्चात् वर्ष भर में किए गए व्ययों का नियमित रूप से लेखांकन (Accounting) किया जाता है और उन्हें संबंधित हेड ऑफ अकाउंट (Head of Account) में दर्ज किया जाता है। वित्तीय वर्ष के अंत में जब सभी आँकड़े संकलित हो जाते हैं, तो स्वीकृत राशि और वास्तविक व्यय का तुलनात्मक विवरण तैयार किया जाता है।

इस तुलना से यह स्पष्ट होता है कि किस मद में स्वीकृत राशि से अधिक व्यय हुआ है और किस मद में राशि बची हुई है। यदि व्यय स्वीकृत राशि से अधिक हुआ है तो उसे अधिशेष (Excess Expenditure) कहा जाता है, जबकि यदि व्यय कम हुआ है तो उसे बचत (Savings) माना जाता है। तत्पश्चात् नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG) इन लेखों की जाँच करते हैं और अपनी रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह समिति विस्तृत समीक्षा करती है और आवश्यकता पड़ने पर मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगती है। इस प्रकार एक सुदृढ़ प्रणाली के अंतर्गत वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जाता है।


5. अधिशेष और बचत का महत्व

अधिशेष और बचत दोनों ही रेलवे के वित्तीय प्रबंधन की गुणवत्ता को दर्शाते हैं। अधिशेष व्यय संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत गंभीर विषय है, क्योंकि यह संसद की स्वीकृति से अधिक व्यय को इंगित करता है। इस स्थिति में सरकार को संसद से अतिरिक्त अनुदान (Excess Grant) की स्वीकृति लेनी पड़ती है। बार-बार अधिशेष व्यय होना वित्तीय अनुशासन की कमी और योजनाबद्धता की कमजोरियों को प्रदर्शित करता है।

दूसरी ओर, बचत का अर्थ यह है कि स्वीकृत राशि का पूरा उपयोग नहीं हो सका। यदि बचत प्रशासनिक कार्यकुशलता या लागत बचत के कारण हुई है, तो इसे सकारात्मक माना जा सकता है। किंतु यदि यह बचत योजनागत व्ययों (Planned Expenditure) या पूँजीगत निवेश (Capital Investment) में हुई है, तो यह परियोजनाओं की धीमी प्रगति, अनुबंधों में विलंब या प्रशासनिक कमियों की ओर संकेत करता है। अतः अधिशेष और बचत दोनों ही वित्तीय प्रबंधन के स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण मापदंड हैं।


6. प्रमुख विनियोजन हेड्स

रेलवे का व्यय विभिन्न माँगों (Demands for Grants) में वर्गीकृत किया जाता है। इनमें प्रमुख रूप से वेतन और भत्ते (Pay & Allowances), पेंशन (Pension), परिचालन व्यय (Operating Expenses), रख-रखाव और मरम्मत (Maintenance & Repairs), पूँजीगत निवेश (Capital Expenditure), सुरक्षा कार्य (Safety Works) और यात्री सुविधाएँ (Passenger Amenities) शामिल हैं। वेतन और पेंशन पर रेलवे का सबसे बड़ा व्यय होता है, जो बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा घेरता है। इसके अलावा, नई परियोजनाओं, पटरियों के विस्तार, इलेक्ट्रिफिकेशन और स्टेशन आधुनिकीकरण जैसे कार्यों पर भी भारी निवेश किया जाता है।

आंतरिक नियंत्रण

रेलवे में विनियोजन लेखा तैयार करने के लिए एक सुदृढ़ आंतरिक नियंत्रण प्रणाली कार्यरत है। डिवीजन स्तर पर Divisional Finance Manager (DFM) सभी व्ययों का स्वीकृति से मिलान करता है। ज़ोनल स्तर पर Financial Adviser & Chief Accounts Officer (FA&CAO) इस प्रक्रिया की संपूर्ण निगरानी करता है। अंततः रेलवे बोर्ड स्तर पर सभी आँकड़ों का समेकन किया जाता है और वित्त आयुक्त की स्वीकृति के पश्चात् अंतिम विनियोजन लेख तैयार होता है। इस बहु-स्तरीय व्यवस्था से वित्तीय त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।


7. लेखा परीक्षा की भूमिका

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG) की भूमिका विनियोजन लेखा प्रणाली को विश्वसनीय बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। C&AG यह सुनिश्चित करता है कि रेलवे ने संसद द्वारा स्वीकृत अनुदानों के अनुरूप ही व्यय किया है। यदि किसी मद में बिना स्वीकृति के व्यय किया गया है, तो यह रिपोर्ट संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। लोक लेखा समिति इस पर विस्तृत चर्चा करती है और मंत्रालय से उत्तरदायित्व तय करती है। इस प्रकार C&AG और PAC मिलकर यह सुनिश्चित करते हैं कि रेलवे का वित्तीय प्रबंधन न केवल संवैधानिक ढाँचे के अनुरूप है, बल्कि यह जनता के प्रति भी पारदर्शी और जवाबदेह बना रहे।


8. आधुनिक सुधार, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय रेलवे ने विनियोजन लेखा प्रणाली को अधिक आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं। Integrated Payroll & Accounting System (IPAS) के माध्यम से पेरोल और लेखांकन पूरी तरह डिजिटलीकृत किए गए हैं। E-Appropriation Accounts की शुरुआत से रिपोर्टिंग प्रक्रिया अधिक तीव्र और सटीक हो गई है। इसके साथ ही, Outcome Budget की अवधारणा ने व्यय को केवल संख्याओं तक सीमित न रहकर प्राप्त परिणामों से जोड़ा। इसके अतिरिक्त, Data Analytics का उपयोग अधिशेष और बचत के कारणों की गहन जाँच के लिए किया जा रहा है। इन सुधारों से न केवल पारदर्शिता बढ़ी है, बल्कि वित्तीय दक्षता और विश्वसनीयता में भी वृद्धि हुई है।

इसके बावजूद, रेलवे को विनियोजन लेखा प्रणाली में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इतने विशाल संगठन में व्ययों का सटीक वर्गीकरण करना कठिन है। राजनीतिक घोषणाएँ और त्वरित परियोजनाएँ व्ययों के अनुमान को प्रभावित करती हैं। बचत की अधिकता कभी-कभी परियोजनाओं की धीमी प्रगति को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, कैश आधारित लेखा प्रणाली में वास्तविक दायित्व कई बार प्रतिबिंबित नहीं होते। आधुनिक IT प्रणालियों के प्रभावी उपयोग के लिए कर्मचारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है।

भविष्य की दिशा में रेलवे को विनियोजन लेखा प्रणाली को और सुदृढ़ बनाने के लिए कई कदम उठाने होंगे। Accrual Accounting को अपनाना आवश्यक है ताकि दीर्घकालिक दायित्व और परिसंपत्तियाँ बेहतर ढंग से प्रदर्शित हो सकें। Real-time Monitoring से प्रत्येक व्यय का वास्तविक समय में ट्रैक करना संभव होगा। Artificial Intelligence आधारित विश्लेषण से अधिशेष और बचत के कारण स्वतः ज्ञात किए जा सकेंगे। इसके अलावा, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए विनियोजन लेखों को ऑनलाइन पोर्टलों पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि जनता सीधे इसकी जानकारी प्राप्त कर सके। रेलवे को अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं (Best Practices) से भी सीख लेनी चाहिए, जिससे यह प्रणाली वैश्विक स्तर पर आदर्श बन सके।


निष्कर्ष (Conclusion)

विनियोजन लेखा भारतीय रेल की वित्तीय व्यवस्था का एक मूल स्तंभ है। यह न केवल संसद को यह बताता है कि स्वीकृत राशि का कितना उपयोग हुआ, बल्कि यह भी दर्शाता है कि रेलवे अपने संसाधनों का कितना विवेकपूर्ण और प्रभावी उपयोग कर रहा है। संवैधानिक आधार, आंतरिक नियंत्रण और C&AG की लेखा परीक्षा इस प्रणाली को मजबूती प्रदान करते हैं। आधुनिक सुधारों जैसे IPAS और E-Appropriation Accounts ने पारदर्शिता और कार्यकुशलता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।

फिर भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं – विशाल संगठनात्मक ढाँचा, राजनीतिक हस्तक्षेप और कैश आधारित प्रणाली की सीमाएँ। यदि भविष्य में रेलवे Accrual Accounting, Real-time Monitoring और AI-based Analytics जैसी उन्नत प्रणालियाँ अपनाता है, तो न केवल यह अपनी वित्तीय पारदर्शिता को और अधिक सुदृढ़ करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक आदर्श उदाहरण भी प्रस्तुत करेगा।

.

Disclaimer: The Information/News/Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.

Labels

Short Notes (25) Question Bank (17) Account & Finance (15) FINANCIAL RULES (13) Question & Answer (7) RAILWAY BUDGET (4) Railway Finance (4) Functions of Accounts Department (3) STATION BALANCE SHEET (3) 6.2 Consolidated Fund Of India (2) Contract Management (2) H.07 लेखा निरीक्षण (2) INDEX (2) 0 FINANCIAL RULES SYLLABUS (1) 1. RAILWAY BUDGET (1) 2. Rules of Allocation (1) 3. INVESTMENT PLANNING AND WORKS BUDGET (1) 5. STATION OUTSTANDING. (1) 6.0 RAILWAY BUDGET (Short Note) (1) 6.1 Cannons/Standards of Financial Propriety (1) 6.10 CONTROL OVER EXPENDITURE (1) 6.4 RULES OF RE-APPROPRIATION (1) 6.7 AUGUST REVIEW (1) 6.9 APPROPRIATION ACCOUNT (1) 8.1 निविदा (Tender) (1) APPROPRIATION ACCOUNT (1) Account (1) Accounting System in Railways (1) Accounts (1) Annual Financial Statement (1) Appropriation Accounts & Process (1) Audit & Audit Report (1) Audit of Railway Expenditure & Revenue (1) BOT / BOOT Schemes (1) Budgetary Practices (1) Budgetary Process & Approval Mechanism (1) CONTINGENCY FUND OF INDIA (1) Cannons/Standards of Financial Propriety (1) Capital Expenditure & Estimates (1) Challenges & Future Prospects . Financial Management (1) Charged Expenditure (1) Classification of Railway Expenditure (1) Constitutional Provisions (1) Contract & Its Types (1) Corruption Prevention (1) Demands for Grants (1) Departmental Exam (1) Digital Reforms (1) Digitization in Railways (1) Earnest Money (1) Expenditure Management (1) FINAL MODIFICATION (1) Financial Commissioner – FC (1) Financial Control (1) Financial Discipline (1) Financial Discipline & Control in Railways (1) Financial Framework. (1) Financial Management (1) Financial Powers & Delegation (1) Financial Reforms (1) GeM (1) Government Accounting & Financial Principles (1) Government e-Marketplace (1) Green Initiatives (1) H 1 रेलवे टेंडर सिस्टम (Railway Tender System) (1) H.01 रेलवे का इतिहास एवं संगठन (1) H.01.1रेलवे की परिभाषा और प्रबंध की संरचना (1) H.02 लेखा एवं वित्त (1) H.03 रेल लेखा की संकल्पना (1) H.04 रेल बजट (1) H.05 वित्त एवं व्यय पर नियंत्रण (1) H.06 सांविधिक लेखा - परीक्षा (1) H.08 सामान्य व्यय (1) H.09 कारखाना लेखा (1) H.10 भंडार लेखा (1) H.11 यातायात लेखा (1) H.12 रेलवे यातायात (1) H2. 19 बजट आदेश (Budget Order) / बजट आबंटन (Budget Allotment) में अन्तर (1) H2.01 Revised Estimate/Details Estimate में अंतर (1) H2.02 Abstract Estimate / Details Estimate में अंतर (1) H2.03 Revised Estimate / Supplementary Estimate में अंतर (1) H2.04 Completion Estimate / Completion Report में अंतर (1) H2.05 Delay Tender / Late Tender में अन्तर (1) H2.06 Single Tender / Single offer में अंतर (1) H2.07 ओपन टेंडर / लिमिटेड टेंडर में अंतर (1) H2.08. Earnest Money Deposit / Security Deposit में अन्तर (1) H2.09 Security Deposit / Performance Guarantee में अन्तर (1) H2.10 Deposit Miscellaneous / Miscellaneous Advance में अंतर (1) H2.11 On Account Bill / Final Bill में अंतर (1) H2.12 Rate Contract / Running Contract में अंतर (1) H2.13 Demand Payable / Demand Recoverable में अन्तर (1) H2.14 General Books / Subsidiary Books में अंतर (1) H2.15 Consolidated Fund समेकित निधि / Contingency Fund आकस्मिक में अंतर (1) H2.16 मूल्यह्रास संचय कोष (Depreciation Reserve Fund) / विकास कोष (Development Fund) में अन्तर (1) H2.17 Draft Para / Audit Para में अन्तर (1) H2.18 Traffic (Gross) Earning / Traffic (Gross) Receipt में अन्तर (1) H2.20 स्वीकृत व्यय (वोटेड Expenditure) / प्रभ्रत व्यय (Charged Expenditure) में अन्तर (1) H2.21 Estimate Committee / Public Committee में अन्तर (1) H2.22 Public Committee / Railway Convention committee में अन्तर (1) H2.23 Remittance Transaction / Transfer Transaction में अन्तर (1) H2.24 Stock Item / Non-Stock Items में अन्तर (1) H2.25 Co6 / Co7 में अंतर (1) H2.26 TC / JV में अन्तर (1) H8.2 परिचालन अनुपात (1) H8.3 वित्तीय औचित्य (1) H8.4 सर्वेक्षण (1) Indian Railways (1) Inventory Management (1) Letter of credit (1) Limited Tender (1) Local Purchase (1) OPS/NPS/UPS (1) Open Tender (1) Pension & Retirement Benefits in Railways (1) Procurement System in Railways (1) Procurement in Indian Railways (1) REVISED AND DETAIL ESTIMATE में अंतर (1) Railway Accounts Code (1) Railway Financial Code (1) Railway Financial Code & Manuals (1) Railway Financial Rules (1) Railway Funds & Reserves (1) Railway Investment Plan (1) Railway Production Units (1) Railways (1) Resource Augmentation in Railways (1) Revenue Management (1) Role of Ministry of Railways & Finance Department (1) Rules of Re-appropriation (1) Security Deposit (1) Single Tender (1) Sources of Railway Revenue (1) Special Limited Tender (1) Stores Accounting (1) Tender Committee (1) Tender Notice & Tender Documents (1) Traffic Earnings (1) Work Contracts (1) Works Programme (1) Workshop & Manufacturing Accounts (1) Zero Base Budget. (1) यातायात लेखा विभाग के कार्य (1)