अध्याय 8 - रेलवे वित्तीय कोड (Railway Financial Code))

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अध्याय 8

रेलवे वित्तीय कोड (Railway Financial Code)


भारतीय रेल विश्व की सबसे बड़ी परिवहन व्यवस्थाओं में से एक है, जिसकी वित्तीय संरचना और संचालन बहु-स्तरीय (Multi-layered) तथा अत्यंत जटिल है। लाखों कर्मचारियों, हजारों किलोमीटर लंबे रेलमार्ग, यात्री सेवाओं, माल परिवहन और अधोसंरचना (Infrastructure) के निरंतर विस्तार को देखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि वित्तीय गतिविधियों का संचालन एक संगठित और अनुशासित ढाँचे के अंतर्गत किया जाए। इसी उद्देश्य से रेलवे वित्तीय कोड (Indian Railways Financial Code – IRFC) तैयार किया गया। इसे भारतीय रेल का वित्तीय संविधान (Financial Constitution) भी कहा जाता है क्योंकि यह न केवल व्यय और आय के संचालन को नियंत्रित करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक वित्तीय निर्णय संविधान, संसद की स्वीकृति और भारत सरकार के वित्तीय सिद्धांतों के अनुरूप हो।


1. रेलवे वित्तीय कोड का परिचय (Introduction to IRFC)

रेलवे वित्तीय कोड भारतीय रेल की वित्तीय प्रक्रियाओं, नियमों और शक्तियों का एक मानक संकलन (Codified Compilation) है। इसका प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी वित्तीय लेन-देन केवल संसद द्वारा स्वीकृत अनुदानों (Grants) की सीमा में हों। साथ ही, व्यय और आय का लेखांकन (Accounting) पारदर्शी, सत्यापनीय और उत्तरदायित्वपूर्ण रहे। इस कोड का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि वित्तीय नियंत्रण और आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal Audit) की व्यवस्था स्पष्ट रूप से परिभाषित हो।

यह कोड General Financial Rules (GFRs) का पूरक है। यद्यपि GFRs सभी केंद्रीय सरकारी विभागों पर लागू होते हैं, किंतु भारतीय रेल की विशिष्ट संरचना, विशाल आकार और विशेष आवश्यकताओं के कारण एक अलग वित्तीय कोड तैयार किया गया। इस कोड में रेलवे-विशेष व्यवस्थाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है, जैसे फंडों का संचालन, अनुबंधों का क्रियान्वयन और भंडार प्रबंधन।


2. रेलवे वित्तीय कोड की उत्पत्ति (Origin of Railway Financial Code)

भारतीय रेल की शुरुआत 1853 में हुई थी। प्रारंभिक दशकों में वित्तीय प्रक्रियाएँ अलग-अलग नियमों, अधिसूचनाओं और परिपत्रों (Circulars) द्वारा नियंत्रित की जाती थीं। चूँकि रेल विभाग धीरे-धीरे एक बहुत बड़े संगठन में परिवर्तित हो रहा था, इसलिए अलग-अलग नियमों से उत्पन्न भ्रम और असंगति को समाप्त करना आवश्यक हो गया।

1905 में रेलवे बोर्ड की स्थापना हुई, जिसने वित्तीय मामलों पर अधिक सुव्यवस्थित नियंत्रण की आवश्यकता महसूस की। स्वतंत्रता के पश्चात् 1950 और 1951 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation) हुआ। इसके बाद वित्तीय अनुशासन और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिए कोड के रूप में संकलित नियमावली की आवश्यकता महसूस हुई।

अतः रेलवे वित्तीय कोड को एक संगठित स्वरूप में संकलित किया गया। इसका उद्देश्य सभी अधिकारियों के लिए एक मानक मार्गदर्शन (Standard Guidance Document) उपलब्ध कराना था ताकि विभिन्न ज़ोन और मंडलों में वित्तीय कार्यों की एकरूपता बनी रहे।


3. रेलवे वित्तीय कोड की संरचना (Structure of IRFC)

रेलवे वित्तीय कोड मुख्यतः दो भागों में विभाजित है।

भाग I – वित्तीय अधिकार और नियंत्रण (Financial Powers & Control):

इस भाग में विभिन्न स्तरों के अधिकारियों को प्रदत्त वित्तीय शक्तियों का विवरण दिया गया है। इसमें व्यय की स्वीकृति, पुनर्विनियोजन तथा अनुबंध संबंधी शक्तियों का स्पष्ट निर्धारण किया गया है। इस भाग का प्रमुख उद्देश्य कार्यकुशलता को बढ़ाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया को त्वरित बनाना है।

भाग II – रेलवे वित्तीय नियम (Railway Financial Rules):
इस भाग में रेलवे से संबंधित विशेष वित्तीय प्रक्रियाओं का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया गया है। इसमें बजट निर्माण, लेखांकन, निविदा एवं अनुबंध, भंडार प्रबंधन तथा निधियों के संचालन जैसे विषयों को शामिल किया गया है। यह भाग वित्त और लेखा विभागों के कार्यप्रवाह को परिभाषित करता है।


4. रेलवे वित्तीय कोड के मुख्य प्रावधान (Key Provisions of IRFC)

रेलवे वित्तीय कोड में अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जिनका उद्देश्य वित्तीय अनुशासन बनाए रखना और संसाधनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करना है।

(क) बजटीय नियंत्रण (Budgetary Control)

प्रत्येक व्यय केवल संसद द्वारा स्वीकृत अनुदानों की सीमा के भीतर ही किया जा सकता है। किसी अधिकारी को अपने अधीनस्थ व्यय के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया गया है। यदि किसी परिस्थिति में अधिक व्यय आवश्यक हो, तो पुनर्विनियोजन (Re-appropriation) अथवा संसद से अतिरिक्त स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है।


(ख) वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers)

रेलवे बोर्ड, महाप्रबंधक (General Manager), मंडल रेल प्रबंधक (Divisional Railway Manager – DRM), तथा विभिन्न विभागाध्यक्षों को अलग-अलग स्तर की वित्तीय शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। इन शक्तियों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छोटे-छोटे मामलों में उच्च स्तर की स्वीकृति पर निर्भरता न रहे और निर्णय शीघ्र लिए जा सकें।


(ग) अनुबंध और निविदा नियम (Contract & Tender Rules)

सभी अनुबंध प्रतिस्पर्धात्मक और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किए जाने चाहिए। निविदाओं की विभिन्न श्रेणियाँ हैं – ओपन टेंडर (Open Tender), लिमिटेड टेंडर (Limited Tender), और सिंगल टेंडर (Single Tender)। विशेष परिस्थितियों में ही अपवादस्वरूप अन्य प्रक्रियाओं की अनुमति दी जाती है।


(घ) भंडार प्रबंधन (Stores Management)

सामग्री की खरीद केवल वास्तविक आवश्यकता और स्वीकृत बजट के अंतर्गत की जा सकती है। अनुपयोगी वस्तुओं की नीलामी और निपटान के लिए स्पष्ट प्रक्रिया तय की गई है। आधुनिक काल में “Just in Time” सिद्धांत के अनुरूप खरीद को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि भंडारण लागत को कम किया जा सके।


(ङ) निधियों का संचालन (Management of Funds)

रेलवे के विभिन्न फंड जैसे डेप्रिसिएशन रिज़र्व फंड (Depreciation Reserve Fund – DRF), पेंशन फंड (Pension Fund), और विकास फंड (Development Fund) का संचालन कोड के अंतर्गत किया जाता है। इन फंडों के उपयोग की प्राथमिकताएँ और सीमाएँ स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं।


5. वित्तीय अनुशासन और उत्तरदायित्व (Discipline & Accountability)

रेलवे वित्तीय कोड यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यय संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के बाहर न हो। प्रत्येक अधिकारी अपने कार्य के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी है। इसके अतिरिक्त, व्यय की शुचिता (Propriety) और न्यायोचितता (Justification) बनी रहे, और संसाधनों का उपयोग राष्ट्रहित और दक्षता के सिद्धांतों के अनुसार किया जाए।


6. रेलवे वित्तीय कोड और लेखा प्रणाली (IRFC & Accounting System)

भारतीय रेल की लेखा प्रणाली का आधार भी रेलवे वित्तीय कोड है। इसमें व्यय और आय का वर्गीकरण (Classification of Expenditure & Receipts) निर्धारित है। लेखा हेड्स (Heads of Accounts) और विनियोजन लेखा (Appropriation Accounts) की संरचना स्पष्ट की गई है। यह कोड वित्त (Finance) और लेखा (Accounts) विभागों के बीच समन्वय की रूपरेखा भी प्रस्तुत करता है।


7. रेलवे वित्तीय कोड और आंतरिक नियंत्रण (IRFC & Internal Control)

प्रत्येक व्यय को दो स्तरों पर जाँचा जाता है – प्रशासनिक अधिकारी और वित्त अधिकारी। आंतरिक लेखा परीक्षा (Internal Audit) की सुव्यवस्थित व्यवस्था मौजूद है। बड़े व्ययों के लिए दोहरे अनुमोदन (Dual Sanction) की आवश्यकता होती है। यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, बल्कि वित्तीय त्रुटियों और अपव्यय (Wasteful Expenditure) को रोकने में भी सहायक है।


8. रेलवे वित्तीय कोड और C&AG (IRFC & Audit by C&AG)

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General – C&AG) भारतीय रेल के सभी व्ययों की स्वतंत्र लेखा परीक्षा करता है। वित्तीय कोड यह सुनिश्चित करता है कि सभी अभिलेख (Records) और प्रक्रियाएँ परीक्षण योग्य (Auditable) हों। C&AG की टिप्पणियों पर रेलवे बोर्ड और लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) कार्यवाही करती है। यह व्यवस्था लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व (Democratic Accountability) को सुदृढ़ बनाती है।


9. आधुनिक युग में रेलवे वित्तीय कोड: महत्व, चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

डिजिटलीकरण और सूचना-प्रौद्योगिकी के इस युग में भी रेलवे वित्तीय कोड (IRFC) की प्रासंगिकता अत्यधिक बनी हुई है। आधुनिक प्रणालियाँ जैसे IPAS (Integrated Payroll and Accounting System) और IREPS (Indian Railways E-Procurement System) को कोड के अनुरूप ढाला गया है। इसके अलावा, ई-निविदा (E-Tendering), ई-बिलिंग (E-Billing) और ई-पेमेंट (E-Payment) जैसी व्यवस्थाएँ वित्तीय पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ा रही हैं। रेलवे बोर्ड और वित्त मंत्रालय द्वारा हाल के वर्षों में Outcome Budgeting और Zero-Based Budgeting जैसे प्रयोग भी कोड के ढाँचे के अंतर्गत लागू किए गए हैं, जिससे व्यय और संसाधनों का परिणाम-आधारित प्रबंधन सुनिश्चित हो रहा है।

यद्यपि रेलवे वित्तीय कोड अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसके अनुपालन में कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। नियमों का समय-समय पर अद्यतन (Updation) आवश्यक होता है, लेकिन यह प्रक्रिया प्रायः विलंबित हो जाती है। जटिल परियोजनाओं और Public-Private Partnership (PPP) मॉडल में कोड की व्याख्या कठिन हो जाती है। अत्यधिक प्रक्रियात्मक औपचारिकताएँ कभी-कभी कार्यकुशलता (Efficiency) में बाधा डालती हैं, और वित्तीय नियंत्रण तथा तीव्र निर्णय-प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है।

भविष्य की दिशा में रेलवे वित्तीय कोड को और अधिक सशक्त और प्रासंगिक बनाने के लिए कई कदम आवश्यक हैं। सबसे पहले, कोड का डिजिटल वर्ज़न (Digital Version) तैयार किया जाना चाहिए, जो सभी अधिकारियों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध हो। इसके साथ ही, डायनामिक अपडेट सिस्टम (Dynamic Update System) सुनिश्चित करेगा कि नियमों में संशोधन स्वतः डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर अपडेट हो जाएँ। AI आधारित अनुपालन जाँच (AI-based Compliance Checks) से अनुबंध और व्यय की वास्तविक समय में निगरानी संभव होगी। अंततः, अंतरराष्ट्रीय मानकों (International Best Practices) के साथ सामंजस्य स्थापित करना भारतीय रेल को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा।


10. निष्कर्ष (Conclusion)

संक्षेप में, रेलवे वित्तीय कोड भारतीय रेल का वित्तीय संविधान है। यह न केवल बजट, व्यय और आय का ढाँचा निर्धारित करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग न्यायोचित, पारदर्शी और राष्ट्रहित में हो। समय के साथ इसमें अनेक सुधार किए गए हैं और आधुनिक डिजिटल प्रणालियों को कोड के अनुरूप ढाला गया है। भविष्य में जब भारतीय रेल अधिक तकनीकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में आगे बढ़ेगी, तब इस कोड का और अधिक सशक्त, लचीला और तकनीकी रूप में अद्यतन होना अनिवार्य होगा।

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