Annexure – II
भारतीय रेल में अनुदान की माँगें (16) – समूहवार वर्गीकरण
भारतीय रेल का बजट संसद में
Demands for Grants के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह
प्रणाली भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों जैसी ही है, लेकिन
रेलवे का पैमाना इतना बड़ा है कि इसके लिए अलग-अलग श्रेणियों में व्यय को बाँटकर
16 प्रमुख अनुदानों में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक Demand
का उद्देश्य रेलवे की विशिष्ट कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा
करना है।
1. Demand No. 1 – Railway Board (Group I: Policy Formation
& Services Common to All Railways)
Railway Board भारतीय रेल की सर्वोच्च नीति-निर्माण संस्था है, जो समूचे रेलवे तंत्र का नेतृत्व और संचालन करती है। Demand No. 1 में रेलवे बोर्ड और उसके कार्यालयों के संचालन से संबंधित सभी व्यय शामिल किए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से प्रशासनिक खर्च जैसे अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन, भत्ते तथा कार्यालय संचालन से जुड़े व्यय आते हैं। इसके साथ ही नीति-निर्माण, दीर्घकालिक रणनीतिक योजना (Strategic Planning), और संसद के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक संसाधनों पर होने वाला खर्च भी इसी मांग के अंतर्गत शामिल होता है।
Railway Board के कार्यों
में मंत्रालय और बोर्ड स्तर पर गठित विभिन्न सलाहकार समितियों, विशेषज्ञों तथा बाहरी परामर्शदाताओं की सेवाओं का उपयोग भी किया जाता
है, जिन पर होने वाला व्यय भी Demand No. 1 का हिस्सा है। इन खर्चों का उद्देश्य रेलवे की नीतियों को अधिक प्रभावी
और समयानुकूल बनाना है ताकि पूरे देश में रेलवे सेवाओं का कुशलतापूर्वक संचालन हो
सके।
इस Demand का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भारतीय रेल के शीर्ष स्तर पर
नीति-निर्माण और निर्णय-प्रक्रिया को सुचारु बनाए रखने के लिए आवश्यक वित्तीय आधार
प्रदान करता है। जहाँ अन्य मांगें पूँजीगत विकास (Capital Expenditure) या संचालन (Operations) पर केंद्रित होती हैं,
वहीं Demand No. 1 का ध्यान प्रशासनिक
कार्यों, रणनीतिक नियंत्रण और समग्र नीतिगत ढाँचे को
मजबूत करने पर होता है। इस प्रकार, यह Demand भारतीय रेल की दीर्घकालिक दिशा और सुशासन (Good Governance) के लिए अत्यंत आवश्यक है।
2. Demand No. 2 – Research, Audit & Miscellaneous
Establishment (Group I)
Demand No. 2 में भारतीय
रेल से संबंधित अनुसंधान संस्थानों, लेखा-परीक्षा संगठनों
तथा अन्य विविध प्रतिष्ठानों के संचालन पर होने वाले व्यय सम्मिलित किए जाते हैं।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण संस्था RDSO (Research Designs and Standards
Organisation) है, जो रेलवे के डिज़ाइन,
मानकों और तकनीकी नवाचारों के लिए जिम्मेदार है। इसके अंतर्गत
रेलवे में नए उपकरणों, कोचों, इंजनों,
पटरियों और सुरक्षा प्रणालियों के परीक्षण और मानकीकरण (Standardisation)
से संबंधित कार्य किए जाते हैं।
इस Demand में Railway Audit Department का व्यय भी
शामिल है, जिसे भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG)
के अधीन संचालित किया जाता है। यह विभाग रेलवे की वित्तीय
गतिविधियों की स्वतंत्र जाँच-पड़ताल करता है और पारदर्शिता (Transparency) व जवाबदेही (Accountability) सुनिश्चित करता
है। इसके अतिरिक्त, रेलवे के प्रशिक्षण केंद्र (Training
Centres), विशेष अध्ययन समूह (Special Study Groups) और अन्य सहायक इकाइयों के संचालन पर होने वाला खर्च भी इसी Demand
के अंतर्गत रखा जाता है।
इस Demand का महत्व इस तथ्य में है कि अनुसंधान और ऑडिट की भूमिका रेलवे की
दीर्घकालिक दक्षता (Efficiency), नवाचार क्षमता (Innovation
Capacity), और वित्तीय शुचिता (Financial Integrity) को बनाए रखने में अत्यंत अहम है। अनुसंधान संस्थाएँ रेलवे को तकनीकी
रूप से आधुनिक बनाती हैं, जबकि लेखा-परीक्षा संगठन
संसाधनों के सही उपयोग की गारंटी देते हैं। इस प्रकार, Demand No. 2 भारतीय रेल को भविष्य के लिए सक्षम, उत्तरदायी
और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक आधारशिला है।
3. Demand No. 3 – General Superintendence & Services
(Group II)
Demand No. 3 रेलवे के
सामान्य प्रशासन और पर्यवेक्षण (General Superintendence) से संबंधित है। इसमें ज़ोनल और डिवीजनल स्तर पर होने वाले जनरल
मैनेजमेंट तथा प्रशासनिक कार्यों के संचालन हेतु किए जाने वाले व्यय सम्मिलित हैं।
इस Demand के अंतर्गत General Managers,
Divisional Railway Managers और अन्य प्रशासनिक स्टाफ के वेतन,
भत्ते तथा संबंधित सुविधाएँ आती हैं। इसके अलावा, कार्यालयों के रखरखाव, प्रशासनिक सेवाओं की
उपलब्धता तथा आवश्यक संसाधनों पर होने वाला खर्च भी इसी Demand में शामिल होता है।
रेलवे के कुशल संचालन के
लिए केवल तकनीकी और परिचालन पक्ष ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि
मजबूत प्रशासनिक ढाँचा भी आवश्यक है। इसी कारण इस Demand में
प्रशिक्षण (Training) और मानव संसाधन विकास (Human
Resource Development) से जुड़े व्यय को भी शामिल किया गया है।
इसका उद्देश्य रेलवे कर्मचारियों की क्षमता-विकास, कौशल
वृद्धि और नेतृत्व गुणों को सुदृढ़ करना है, ताकि
संगठनात्मक दक्षता (Organizational Efficiency) और समन्वय
(Coordination) बेहतर हो सके।
इस Demand का महत्व इसलिए है क्योंकि यह भारतीय रेल की संगठनात्मक क्षमता (Organizational
Capacity) को मजबूत आधार प्रदान करता है। इसके माध्यम से
सुनिश्चित होता है कि विशाल रेलवे नेटवर्क का संचालन, पर्यवेक्षण
और समन्वय सुव्यवस्थित रूप से हो सके। इस प्रकार, Demand No. 3 रेलवे प्रशासन को प्रभावी, उत्तरदायी और सक्षम
बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
4–7. Demands No. 4 to 7 – Repairs & Maintenance (Group
III)
Demand No. 4 से 7 तक की श्रेणियाँ भारतीय रेल की परिसंपत्तियों (Assets) के नियमित रख-रखाव और मरम्मत कार्यों से संबंधित हैं। रेलवे का विशाल
नेटवर्क तभी सुरक्षित और विश्वसनीय रूप से संचालित हो सकता है, जब उसकी सभी भौतिक संरचनाएँ और उपकरण समय-समय पर उचित देखभाल और मरम्मत
प्राप्त करें।
Demand No. 4 – Repairs & Maintenance
of Permanent Way and Works
इस Demand में रेलवे ट्रैक, पुल, भवन और अन्य स्थायी संरचनाओं के रख-रखाव पर होने वाला व्यय शामिल है।
ये आधारभूत संरचनाएँ (Infrastructure) रेलवे संचालन की
रीढ़ हैं, जिनकी मरम्मत से सुरक्षा और सेवा-निरंतरता
सुनिश्चित होती है।
Demand No. 5 – Repairs & Maintenance
of Motive Power
इस Demand में लोकोमोटिव्स (डिज़ल
और इलेक्ट्रिक दोनों) के रख-रखाव से संबंधित खर्च सम्मिलित हैं। लोकोमोटिव्स रेलवे
का शक्ति-स्रोत (Power Source) हैं और इनके नियमित रखरखाव
से ईंधन दक्षता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता बनी रहती है।
Demand No. 6 – Repairs & Maintenance
of Carriages & Wagons
यह Demand यात्री कोच और माल गाड़ियों के रखरखाव पर केंद्रित है। सुरक्षित,
आरामदायक और विश्वसनीय यात्री सेवा तथा माल परिवहन के लिए इनके
सतत् रख-रखाव की आवश्यकता होती है।
Demand No. 7 – Repairs & Maintenance
of Plant & Equipment
इस Demand में कार्यशालाओं, यार्डों और औद्योगिक उपकरणों
का रख-रखाव शामिल है। इन परिसंपत्तियों की सही कार्यक्षमता सुनिश्चित करना रेलवे
संचालन की निरंतरता के लिए आवश्यक है।
इन चारों Demands का महत्व अत्यंत व्यावहारिक है, क्योंकि ये
रेलवे की Safety (सुरक्षा), Reliability (विश्वसनीयता) और Availability (उपलब्धता) को
बनाए रखने के लिए आधारभूत भूमिका निभाते हैं। यदि परिसंपत्तियों का नियमित रख-रखाव
न हो, तो रेलवे का संचालन न केवल असुरक्षित हो जाएगा,
बल्कि यह अलाभकारी (Unprofitable) भी
सिद्ध होगा। इस प्रकार, Demands No. 4 से 7 भारतीय रेल की परिचालन क्षमता और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए अनिवार्य
हैं।
8–10. Demands No. 8 to
10 – Operations (Group IV)
Demand No. 8 से 10 तक रेलवे संचालन (Operations) से जुड़ी
प्रत्यक्ष लागतों को कवर करते हैं। ये Demands रेलवे की
दैनिक गतिविधियों को चलाने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराते हैं और सीधे
तौर पर इसकी परिचालन दक्षता (Operational Efficiency) और
लाभप्रदता (Profitability) को प्रभावित करते हैं।
Demand No. 8 – Operating Expenses
Rolling Stock & Equipment
इस Demand में लोकोमोटिव, यात्री कोच और माल वैगनों के
संचालन संबंधी खर्च शामिल हैं। इसमें ट्रेनों के सुचारु संचालन हेतु आवश्यक तकनीकी
और लॉजिस्टिक व्यय आते हैं।
Demand No. 9 – Operating Expenses
Traffic
यह Demand स्टेशन प्रबंधन, यातायात नियंत्रण (Traffic Control), सिग्नलिंग
प्रणाली और ट्रेन संचालन से जुड़े खर्चों पर केंद्रित है। रेलवे नेटवर्क का
समन्वित संचालन और समयपालन (Punctuality) सुनिश्चित करने
के लिए यह Demand अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Demand No. 10 – Operating Expenses Fuel
इस Demand में रेलवे के लिए आवश्यक ईंधन
संबंधी खर्च सम्मिलित हैं। इसमें डीज़ल और विद्युत (Traction Energy) पर होने वाला व्यय शामिल है। ईंधन लागत रेलवे के संचालन व्यय का बड़ा
हिस्सा होती है और यह सीधे लाभप्रदता को प्रभावित करती है।
ये तीनों Demands भारतीय रेल की प्रतिदिन की परिचालन क्षमता (Daily Operational
Efficiency) को बनाए रखने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
विशेषकर ईंधन की लागत और यातायात नियंत्रण की दक्षता, रेलवे
की वित्तीय स्थिति और लाभप्रदता पर सीधा असर डालते हैं। इस प्रकार, Demands
No. 8 से 10 न केवल रेलवे संचालन की
रीढ़ हैं बल्कि यात्रियों और माल ढुलाई दोनों की विश्वसनीय सेवाओं की गारंटी भी
देते हैं।
11–13. Demands No. 11 to 13 – Staff Welfare, Retirement
Benefits & Miscellaneous (Group V)
Demand No. 11 से 13
तक का समूह रेलवे कर्मचारियों के कल्याण (Welfare) और सेवानिवृत्ति लाभों (Retirement Benefits) से
संबंधित है। यह समूह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि भारतीय रेल केवल एक परिचालन
तंत्र ही नहीं, बल्कि लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों
का सामाजिक एवं आर्थिक आधार भी है।
Demand No. 11 – Staff Welfare &
Amenities
इस Demand में कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए आवासीय कॉलोनियों (Railway
Colonies), रेलवे अस्पतालों, स्कूलों,
स्टाफ क्लबों तथा अन्य सुविधाओं पर होने वाला व्यय शामिल है।
इसका उद्देश्य कर्मचारियों की जीवन-गुणवत्ता (Quality of Life) को बेहतर बनाना और उन्हें संगठन के प्रति प्रेरित रखना है।
Demand No. 12 – Miscellaneous Working
Expenses
इस Demand में ऐसे विविध खर्च सम्मिलित हैं जो सीधे किसी विशेष संचालन या
परिसंपत्ति श्रेणी से जुड़े नहीं होते, लेकिन रेलवे की
समग्र कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक हैं। इनमें आकस्मिक (Contingent) व्यय और अप्रत्याशित संचालन संबंधी लागतें शामिल हो सकती हैं।
Demand No. 13 – Provident Fund, Pension
& Retirement Benefits
यह Demand रेलवे कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा (Social Security) से जुड़ा है। इसमें प्रोविडेंट फंड (PF), पेंशन
और ग्रेच्युटी (Gratuity) जैसी सुविधाओं पर व्यय किया
जाता है, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को
आर्थिक स्थिरता प्राप्त हो सके।
इन तीनों Demands का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि ये भारतीय रेल
को एक मानव-केंद्रित संगठन (Human-Centric Organization) के
रूप में स्थापित करते हैं। कर्मचारियों का कल्याण, उनकी
सामाजिक सुरक्षा और सेवानिवृत्ति लाभ सुनिश्चित कर, रेलवे
अपने विशाल कार्यबल को न केवल सुरक्षित करता है, बल्कि
उन्हें प्रेरित और प्रतिबद्ध बनाए रखने का भी कार्य करता है। इस प्रकार,
Demands No. 11 से 13 भारतीय रेल की
सामाजिक जिम्मेदारी और संगठनात्मक स्थिरता दोनों को दर्शाते हैं।
14–15. Demands No. 14 to 15 – Railway Funds & Payments
to General Revenue (Group VI)
Demand No. 14 और 15
रेलवे की दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंधन और राजकोषीय दायित्वों से
संबंधित हैं। इनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रेलवे न केवल वर्तमान संचालन
का सुचारु रूप से निर्वहन कर सके, बल्कि भविष्य की
पूँजीगत आवश्यकताओं (Capital Requirements) और वित्तीय
स्थिरता (Financial Sustainability) के लिए भी पर्याप्त
तैयारी रखे।
Demand No. 14 – Appropriation to Railway
Funds
इस Demand के अंतर्गत रेलवे अपने विभिन्न कोषों में राशि हस्तांतरित करता है।
इनमें प्रमुख हैं – Depreciation Reserve Fund, जिसका
उपयोग परिसंपत्तियों के प्रतिस्थापन और रखरखाव हेतु किया जाता है; Pension
Fund, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन का भुगतान किया
जाता है; और Capital Fund, जो
भविष्य की पूँजीगत परियोजनाओं और निवेशों को वित्तपोषित करने के लिए बनाया गया है।
Demand No. 15 – Dividend to General
Revenues, Loan Repayment & Amortization
इस Demand में रेलवे द्वारा सामान्य राजस्व (General Revenues) को लाभांश (Dividend) का भुगतान किया जाता है।
साथ ही, रेलवे द्वारा लिए गए ऋण की अदायगी (Loan
Repayment) और उसकी किश्तों का समायोजन (Amortization) भी इसी के अंतर्गत आता है। यह Demand रेलवे के
वित्तीय अनुशासन (Financial Discipline) और
दायित्व-निवर्तन (Obligation Management) का प्रतीक है।
इन दोनों Demands का महत्व इस बात में है कि ये रेलवे की दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता (Long-term
Financial Sustainability) और भविष्य की तैयारी (Future-readiness)
सुनिश्चित करते हैं। Appropriation से
रेलवे अपनी परिसंपत्तियों के नवीनीकरण और कर्मचारियों की पेंशन संबंधी दायित्वों
को पूरा करता है, जबकि Dividend और
Loan Repayment से सरकार के प्रति अपनी वित्तीय
जिम्मेदारी निभाता है। इस प्रकार, Demands No. 14 और 15
रेलवे की वित्तीय मजबूती, अनुशासन और
विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए अत्यावश्यक हैं।
16. Demand No. 16 – Assets: Acquisition, Construction
& Replacement (Group VII : Works Expenditure)
Demand No. 16 रेलवे की
पूँजीगत परियोजनाओं (Capital Projects) और बुनियादी ढाँचे
(Infrastructure) के विकास से संबंधित है। यह रेलवे के Capital
Expenditure का मूल आधार है और संगठन को दीर्घकालिक विकास,
विस्तार और आधुनिकीकरण (Modernization) की
दिशा में आगे बढ़ाता है।
इस Demand में नई रेलवे लाइनों के निर्माण पर व्यय शामिल है, जो देश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़कर यात्री और माल ढुलाई
क्षमता को बढ़ाता है। इसके अंतर्गत विद्युतीकरण (Electrification) और डबलिंग (Doubling Projects) जैसे कार्य किए
जाते हैं, जो न केवल संचालन क्षमता को बढ़ाते हैं,
बल्कि ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency) और लागत बचत में भी सहायक होते हैं।
इसके अलावा, स्टेशन पुनर्विकास (Station Redevelopment) और
उच्च गति रेल परियोजनाएँ (High-Speed Rail Projects) जैसी
आधुनिक पहलें भी इसी Demand में आती हैं। साथ ही, नई मशीनरी, उपकरण और रोलिंग स्टॉक (Rolling
Stock) की खरीद भी इस Demand का हिस्सा
है, जो रेलवे के परिचालन और यात्री सेवाओं की गुणवत्ता
में सुधार लाती है।
इस Demand का महत्व इस तथ्य में है कि यह भारतीय रेल के भविष्य के विकास (Future
Growth) और आधुनिकीकरण (Modernization) को
गति देता है। पूँजीगत निवेश से न केवल नेटवर्क का विस्तार होता है, बल्कि यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ और तेज़, सुरक्षित
सेवाएँ भी प्राप्त होती हैं। यह Demand रेलवे को एक
प्रतिस्पर्धी, आधुनिक और सतत् परिवहन तंत्र बनाने में
आधारशिला की तरह कार्य करती है।
भारतीय रेल में अनुदान की माँगें के महत्व
भारतीय रेल
के बजट का संरचनात्मक आधार 16 Demands
for Grants हैं, जिन्हें
सुव्यवस्थित रूप से विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन Demands को कुल 7 प्रमुख
समूहों में बाँटा
गया है – नीति
निर्माण, सामान्य
पर्यवेक्षण, मरम्मत व
रख-रखाव, संचालन, कर्मचारी
कल्याण व सेवानिवृत्ति लाभ, निधि एवं
भुगतान तथा पूँजीगत
कार्य।
यह वर्गीकरण
रेलवे वित्त (Railway
Finance) में
Transparency (पारदर्शिता),
Accountability (जवाबदेही) और Functional Clarity (कार्यक्षमता
की स्पष्टता) सुनिश्चित
करता है। प्रत्येक Demand अपनी भूमिका
और उद्देश्य में स्पष्ट है, जिससे रेलवे
प्रशासन यह तय कर सकता है कि किस क्षेत्र में कितनी राशि व्यय की जा रही है।
यह न केवल
भारतीय रेल के वित्तीय प्रबंधन की मूल संरचना को दर्शाता है, बल्कि रेलवे
बजट की कार्यप्रणाली को समझने का सबसे आसान और व्यवस्थित तरीका भी प्रदान करता है।
