Annexure – IX
भारतीय रेल में पूंजीगत व्यय एवं आकलन प्रणाली (Capital
Expenditure & Estimates in Indian Railways)
भारतीय रेल का नेटवर्क निरंतर विकास और आधुनिकीकरण
की प्रक्रिया से गुजर रहा है। इस विकास के लिए विशाल पूंजीगत निवेश (Capital
Investment) की आवश्यकता होती है। नई
रेल लाइनों का निर्माण (New Line Construction), दोहरीकरण (Doubling), विद्युतीकरण (Electrification), स्टेशन पुनर्विकास (Station
Redevelopment), रोलिंग स्टॉक (Rolling
Stock) की खरीद और कार्यशालाओं का
विस्तार (Workshops Expansion) सभी पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) की श्रेणी में आते हैं।
रेलवे वित्त प्रबंधन में पूंजीगत व्यय को सही ढंग से
नियंत्रित करने के लिए आकलन प्रणाली (Estimates System) अपनाई गई है। आकलन (Estimates) वह आधार है जिस पर किसी परियोजना की
व्यवहार्यता (Feasibility), अनुमानित
लागत (Cost) और संसद से
स्वीकृति (Parliamentary Sanction) सुनिश्चित होती है।
पूंजीगत व्यय
की परिभाषा
पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) से आशय ऐसे व्यय से है, जो रेलवे की स्थायी परिसंपत्तियों (Permanent Assets) में वृद्धि करता है और भविष्य में रेलवे को आय (Revenue) अथवा अन्य प्रकार का लाभ (Benefit) प्रदान करता है। इस प्रकार का व्यय केवल चालू खर्च तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दीर्घकालिक दृष्टि से रेलवे की बुनियादी संरचना को मज़बूती प्रदान करता है। वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से इसे बैलेंस शीट (Balance Sheet) में परिसंपत्ति (Asset) के रूप में दर्शाया जाता है, न कि राजस्व व्यय के रूप में। उदाहरणस्वरूप, नई लाइन का निर्माण, डबल, थर्ड अथवा चौथी लाइन का निर्माण, गेज परिवर्तन (Gauge Conversion), विद्युतीकरण, नए इंजन, डिब्बों और वैगनों की खरीद, तथा स्टेशन का आधुनिकीकरण ऐसे ही पूंजीगत व्यय की श्रेणी में आते हैं। इन कार्यों का सीधा उद्देश्य भविष्य में रेलवे की क्षमता (Capacity), दक्षता (Efficiency) और आय (Revenue Generation) को बढ़ाना होता है।
पूंजीगत व्यय
के स्रोत
भारतीय रेल के लिए पूंजीगत व्यय की पूर्ति विभिन्न
स्रोतों से होती है। पहला प्रमुख स्रोत है बजटीय सहायता (Budgetary Support), जिसके अंतर्गत भारत सरकार द्वारा रेलवे को
आवश्यक राशि प्रदान की जाती है। दूसरा स्रोत है आंतरिक संसाधन (Internal Resources),
जिसमें रेलवे अपनी बचत और अधिशेष आय (Surplus
Earnings) को पूंजीगत योजनाओं पर व्यय
करता है। तीसरा स्रोत है अतिरिक्त बजटीय संसाधन (Extra Budgetary
Resources – EBR), जिसके अंतर्गत
भारतीय रेलवे वित्त निगम (Indian Railway Finance Corporation – IRFC) से प्राप्त राशि तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय
संस्थानों जैसे विश्व बैंक (World Bank), एशियाई विकास बैंक (Asian Development Bank – ADB) इत्यादि से प्राप्त बहुपक्षीय ऋण सम्मिलित हैं। चौथा
महत्वपूर्ण स्रोत है सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership – PPP), जिसमें BOT
(Build-Operate-Transfer), EPC (Engineering Procurement and Construction), तथा Annuity Models जैसे प्रावधान शामिल हैं। इन स्रोतों का संयुक्त रूप
से प्रयोग कर रेलवे अपने बड़े-बड़े पूंजीगत कार्यों को संपन्न करता है।
Estimates का
महत्व
रेलवे परियोजनाओं में Estimates का अत्यधिक महत्व है। किसी भी परियोजना को
वित्तीय स्वीकृति (Financial Sanction) और तकनीकी स्वीकृति (Technical Sanction) दिलाने के लिए Estimates आवश्यक माने जाते हैं। Estimates के आधार पर ही यह निर्धारित किया जाता है कि
निवेश किस क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर किया जाए। आगे चलकर इन्हीं Estimates
को ध्यान में रखकर संसद तथा रेलवे
बोर्ड (Railway Board) धन
आवंटन (Appropriation of Funds) करते हैं। Estimates केवल
प्रारंभिक स्वीकृति तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि बाद में लेखा-परीक्षा (Audit) तथा लोक लेखा समिति (Public Accounts
Committee – PAC) द्वारा वास्तविक
व्यय (Actual Expenditure) की
तुलना भी इन्हीं के आधार पर की जाती है। इस प्रकार, Estimates रेलवे परियोजनाओं के वित्तीय अनुशासन,
पारदर्शिता और प्रभावशीलता को
सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Estimates के
प्रकार (Types of Estimates)
भारतीय रेल में Estimates विभिन्न चरणों और उद्देश्यों के अनुसार तैयार किए
जाते हैं।
(i) प्रारंभिक आकलन (Preliminary
Estimate): परियोजना की
व्यवहार्यता और मोटे अनुमानित लागत (Rough Cost) का आकलन। इसमें केवल व्यापक शीर्ष (Broad
Heads) शामिल होते हैं। रेलवे बोर्ड
या नीति आयोग (NITI Aayog) इसके
आधार पर निर्णय लेते हैं कि परियोजना पर विस्तृत अध्ययन किया जाए या नहीं।
(ii) संक्षिप्त आकलन (Abstract Estimate):
संसद से बजटीय स्वीकृति (Budgetary
Sanction) प्राप्त करने के लिए। इसमें
अनुमानित लागत, संभावित आय और
औचित्य (Justification) दिया
जाता है। कार्य कार्यक्रम (Works Programme) में शामिल करने से पहले यह आवश्यक होता है।
(iii) विस्तृत आकलन (Detailed Estimate):
परियोजना को शुरू करने की स्वीकृति
मिलने पर तैयार किया जाता है। इसमें मदवार (Item-wise), शीर्षवार (Head-wise) और इकाईवार (Unit-wise) लागत का विस्तृत विवरण होता है। इसे इंजीनियरिंग,
स्टोर्स और लेखा विभाग मिलकर तैयार
करते हैं।
(iv) पूरक आकलन (Supplementary Estimate):
जब परियोजना का कार्यदायरा (Scope)
बढ़ा दिया जाता है अथवा नए मद (Items)
जोड़े जाते हैं। उदाहरण – नई लाइन
परियोजना में अतिरिक्त ROB/RUB का निर्माण।
(v) संशोधित आकलन (Revised Estimate):
जब वास्तविक लागत (Actual
Cost) प्रारंभिक आकलन से अधिक हो जाती
है। इसका उद्देश्य संसद और रेलवे बोर्ड को यथार्थवादी प्रक्षेपण (Realistic
Projection) देना होता है।
(vi) समापन आकलन (Completion Estimate):
परियोजना पूर्ण होने पर तैयार किया
जाता है। इसमें अंतिम व्यय का विवरण होता है और प्रारंभिक आकलन से तुलना की जाती
है। लेखा-परीक्षा और PAC इसे
अनुमोदन खातों (Appropriation Accounts) से मिलान करती हैं।
Estimates की स्वीकृति प्रणाली (Approval System for Estimates)
भारतीय रेल में कार्यों को निष्पादित करने से पहले
उनकी लागत और योजना का आकलन कर Estimate तैयार किया जाता है। इन Estimates की स्वीकृति के लिए एक निर्धारित प्रणाली है। मंडल स्तर (Division
Level) पर Divisional Railway
Manager (DRM) को ₹5 करोड़ तक की स्वीकृति का अधिकार दिया गया
है। इसी प्रकार ज़ोनल स्तर (Zonal Level) पर General Manager (GM), रेलवे बोर्ड के प्रत्यायोजन (Delegation) के अनुसार, ₹10 से 20 करोड़ तक के कार्यों को स्वीकृत कर सकते हैं। रेलवे बोर्ड (Railway
Board) स्वयं ₹100 करोड़ तक की बड़ी परियोजनाओं या
Major Works को स्वीकृति प्रदान करता
है। वहीं यदि परियोजना ₹500 करोड़
से अधिक की हो अथवा नई रेल लाइन, गेज परिवर्तन (Gauge Conversion) या इसी प्रकार की बड़ी परियोजना हो, तो इसके लिए संसदीय स्वीकृति (Parliamentary Sanction) आवश्यक होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि Estimates
की स्वीकृति से संबंधित यह
प्रत्यायोजन समय-समय पर रेलवे बोर्ड द्वारा जारी परिपत्रों के माध्यम से अपडेट
किया जाता है।
Estimates तैयार करने की प्रक्रिया (Process of Preparing Estimates)
किसी भी परियोजना के Estimate तैयार करने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित होती है। सबसे
पहले Initiation चरण में
संबंधित विभाग, जैसे
इंजीनियरिंग, मैकेनिकल या
इलेक्ट्रिकल विभाग, प्रस्ताव
प्रस्तुत करता है। इसके बाद Preparation चरण आता है, जहाँ
कार्यकारी अभियंता (Executive Engineer) और लेखा अधिकारी (Accounts Officer) मिलकर लागत पत्रक (Cost Sheet) तैयार करते हैं। इस लागत पत्रक का वित्तीय परीक्षण (Financial Vetting)
FA&CAO कार्यालय द्वारा किया जाता
है, जिसे Vetting चरण कहा जाता है। परीक्षण पूर्ण होने के
पश्चात् सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) द्वारा Estimate को स्वीकृति (Approval) दी जाती है। अंत में स्वीकृत Estimate को रेलवे बोर्ड बजट में सम्मिलित करता है,
और इसे Works Programme या Pink Book में शामिल किया जाता है। इस प्रकार एक Estimate
की यात्रा प्रस्ताव से लेकर बजट
समावेश तक कई स्तरों से होकर गुजरती है, जो वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है।
वित्तीय
नियंत्रण एवं लेखा-परीक्षा (Financial Control & Audit)
रेलवे के वित्तीय प्रबंधन में प्रत्येक परियोजना की
प्रविष्टि विनियोग रजिस्टर (Appropriation Register) में शीर्षवार दर्ज की जाती है, जिससे किसी भी कार्य पर हुए खर्च का सटीक
लेखा रखा जा सके। इसके साथ ही, पुनर्विनियोग नियम (Re-appropriation Rules) Estimates पर भी लागू होते हैं, ताकि धनराशि का उपयोग उचित और नियमानुसार हो सके।
वित्तीय नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वीकृत आकलन (Estimates)
और वास्तविक व्यय (Actual
Expenditure) में अनावश्यक या असंगत
अंतर न हो। इसी कारण लेखा-परीक्षा (Audit) द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। यदि आकलन और वास्तविक व्यय में अंतर 10%
से अधिक हो जाता है, तो संबंधित प्राधिकरण, विशेषकर रेलवे बोर्ड, को इसका विस्तृत स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना अनिवार्य
होता है। इस प्रक्रिया से न केवल वित्तीय अनुशासन बना रहता है बल्कि संसाधनों का
पारदर्शी और उत्तरदायी उपयोग भी सुनिश्चित होता है।
व्यावहारिक उदाहरण (Practical Illustration)
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी नई रेल लाइन परियोजना की प्रारंभिक
अनुमानित लागत ₹800 करोड़ है
और संसद से इसकी स्वीकृति संक्षिप्त आकलन (Abstract Estimate) के आधार पर मिलती है, तो इसके बाद विस्तृत आकलन (Detailed
Estimate) तैयार किया जाता है। मान
लीजिए, इस विस्तृत Estimate
में लागत बढ़कर ₹950 करोड़ निकलती है। परियोजना निष्पादन (Execution)
के दौरान व्यय और बढ़ जाता है तथा यह ₹1200
करोड़ तक पहुँच जाता है। ऐसी स्थिति
में संशोधित आकलन (Revised Estimate) तैयार करना आवश्यक हो जाता है। अंततः जब परियोजना पूर्ण होती है तो वास्तविक
लागत ₹1250 करोड़ तक पहुँच
सकती है। इस स्थिति में समापन आकलन (Completion Estimate) तैयार किया जाता है, जिसमें सभी खर्चों का अंतिम विवरण शामिल होता है।
लेखा-परीक्षा इस पूरे अंतर का गहन परीक्षण करती है।
उदाहरणतः इस मामले में प्रारंभिक ₹800 करोड़ से वास्तविक ₹1250 करोड़
तक की वृद्धि के पीछे मुख्य कारणों की जाँच की जाती है। यह देखा जाता है कि क्या
यह वृद्धि कार्यदायरे में बदलाव (Scope Change) के कारण हुई थी या केवल लागत वृद्धि (Cost
Escalation) का परिणाम थी। साथ ही यह
भी सुनिश्चित किया जाता है कि संसद को इन परिवर्तनों और अतिरिक्त व्यय की जानकारी
समय पर दी गई थी या नहीं। इस प्रकार, वित्तीय नियंत्रण और लेखा-परीक्षा रेलवे परियोजनाओं की वित्तीय शुचिता,
पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व को बनाए
रखने के लिए अत्यंत आवश्यक तंत्र है।
Estimates और
रेलवे कोष (Estimates and Railway Funds)
भारतीय रेल में पूंजीगत व्यय (Capital
Expenditure) को सुव्यवस्थित और
नियंत्रित करने के लिए विभिन्न रेलवे कोष (Railway Funds) बनाए गए हैं। इन कोषों का उद्देश्य यह सुनिश्चित
करना है कि अलग-अलग प्रकार की परियोजनाओं और व्ययों के लिए उचित वित्तीय स्रोत
उपलब्ध हों। उदाहरण के लिए, पूंजी
कोष (Capital Fund) नई
परियोजनाओं और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रयुक्त होता है। इसी प्रकार,
विकास कोष (Development Fund) उन योजनाओं पर व्यय किया जाता है जिनका
संबंध यात्री सुविधाओं और उत्पादकता बढ़ाने से होता है। इसके अतिरिक्त, मूल्यह्रास भंडार कोष (Depreciation
Reserve Fund – DRF) का उपयोग पुराने
परिसंपत्तियों, उपकरणों अथवा
ढाँचों के प्रतिस्थापन (Replacement Works) के लिए किया जाता है। वहीं, पेंशन कोष (Pension Fund) रेलवे के कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन देयताओं
को पूरा करने हेतु आवश्यक है।
जब भी किसी Estimate (लागत अनुमान) की स्वीकृति दी जाती है, तब यह स्पष्ट करना आवश्यक होता है कि उस पर
होने वाला व्यय किस कोष से वहन किया जाएगा। यह प्रावधान वित्तीय पारदर्शिता और
अनुशासन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष (Conclusion)
स्पष्ट है कि पूंजीगत व्यय और Estimates भारतीय रेल के वित्तीय अनुशासन और विकास की
आधारशिला हैं। Estimates न
केवल किसी परियोजना की स्वीकृति और क्रियान्वयन का आधार होते हैं, बल्कि वे वित्तीय नियंत्रण, लेखा-परीक्षा और संसद के प्रति रेलवे की
जवाबदेही सुनिश्चित करने का भी साधन हैं। दूसरे शब्दों में, Estimates प्रणाली भारतीय रेल को एक नियोजित (Planned),
अनुशासित (Disciplined) और उत्तरदायी (Accountable) निवेश मॉडल प्रदान करती है।
