Annexure – VIII
भारतीय रेल में कार्य कार्यक्रम (Works
Programme in Indian Railways)
भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है और इसका निवेश (Investment) व्यापक तथा विविध क्षेत्रों में होता है – नई लाइनों का निर्माण (New Line Construction), दोहरीकरण (Doubling), विद्युतीकरण (Electrification), रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock) की खरीद, कार्यशालाओं का विस्तार (Workshops Expansion) तथा स्टेशन पुनर्विकास (Station Redevelopment) आदि। इन सभी पूंजीगत कार्यों (Capital Works) को सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध ढंग से संचालित करने के लिए रेलवे में कार्य कार्यक्रम (Works Programme) की व्यवस्था लागू है।
परिभाषा (Definition)
कार्य कार्यक्रम (Works Programme) भारतीय रेल की एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है। इसका अर्थ है – “रेलवे की सभी स्वीकृत पूंजीगत परियोजनाओं (Capital Works) की एक संगठित सूची, जिनके लिए किसी विशेष वित्तीय
वर्ष में बजटीय प्रावधान (Budgetary Provision) किया गया
हो।”
दूसरे शब्दों में, Works Programme भारतीय रेल निवेश का एक व्यवस्थित रोडमैप (Roadmap) है।
यह न केवल निवेश की दिशा और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है, बल्कि रेलवे की दीर्घकालिक विकास योजनाओं को भी ठोस आधार प्रदान करता है।
इसके आधार पर संसद (Parliament), रेलवे बोर्ड (Railway
Board) और विभिन्न ज़ोनल रेलवे (Zonal Railways) पूरे वर्ष की परियोजनाओं का संचालन, नियंत्रण और
निगरानी करते हैं।
महत्व (Importance):
कार्य कार्यक्रम का
महत्व अनेक स्तरों पर समझा जा सकता है –
·
यह निवेश की
प्राथमिकताओं को स्पष्ट करता है और किन परियोजनाओं को पहले लिया जाए, इसका
निर्णय करता है।
·
इसके माध्यम से प्रत्येक
स्वीकृत परियोजना के लिए बजटीय आवंटन (Budgetary Allocation) तय किया जाता
है।
·
यह संसद को पारदर्शिता
के साथ रेलवे निवेश और परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का साधन है।
·
साथ ही, यह
लेखा-परीक्षा (Audit) तथा लोक लेखा समिति (Public
Accounts Committee – PAC) को प्रभावी निगरानी एवं परीक्षण का आधार
उपलब्ध कराता है।
इस प्रकार, कार्य
कार्यक्रम केवल एक औपचारिक सूची नहीं है, बल्कि भारतीय रेल
की वित्तीय प्रबंधन प्रणाली का मूल स्तंभ है, जो विकास,
पारदर्शिता और उत्तरदायित्व (Accountability) सुनिश्चित
करता है।
ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि (Historical Background)
कार्य
कार्यक्रम की अवधारणा 1950 के दशक से व्यवस्थित रूप से
अपनाई गई। पहले रेलवे परियोजनाएँ “Ad-hoc Basis” पर
स्वीकृत होती थीं। लेकिन बढ़ते नेटवर्क और पूंजीगत आवश्यकताओं ने एक “Planned
System” की आवश्यकता उत्पन्न की। 1950 के
बाद से पाँच वर्षीय योजनाओं (Five Year Plans) में रेलवे
निवेश को Works Programme के रूप में संगठित किया गया।
वर्तमान समय में प्रत्येक वर्ष संसद में रेलवे बजट (अब सामान्य बजट के साथ एकीकृत)
में इसे “Pink Book” के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
कार्य
कार्यक्रम की तैयारी की प्रक्रिया (Process of Preparation of Works
Programme)
(i) मंडल स्तर (Division Level – DRM):
विभागीय प्रमुख (Sr. DEN, Sr. DME, Sr. DEE,
Sr. DSTE) परियोजनाओं की आवश्यकता
चिन्हित करते हैं। डिवीजनल रेलवे मैनेजर (DRM) सभी प्रस्तावों को संकलित (Consolidate) करता है।
(ii) ज़ोनल स्तर (Zonal Level – GM):
सभी मंडलों से आए प्रस्ताव ज़ोनल मुख्यालय में
संकलित होते हैं। यहाँ Zonal Screening Committee
(PHODs + FA&CAO) इन प्रस्तावों
की प्राथमिकता तय करती है। इसके बाद महाप्रबंधक (General Manager – GM) प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को अग्रेषित करता है।
(iii) रेलवे बोर्ड स्तर (Railway Board Level):
रेलवे बोर्ड परियोजनाओं की व्यवहार्यता (Feasibility),
वित्तीय उपयुक्तता (Financial
Viability) और सामाजिक लाभ (Social
Benefit) का परीक्षण करता है। योजना
निदेशालय (Planning Directorate) और वित्त निदेशालय (Finance Directorate) इनकी समीक्षा करते हैं। बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए
वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) और नीति आयोग (NITI Aayog) से अनुमति आवश्यक होती है।
(iv) संसदीय स्वीकृति (Parliamentary Sanction):
रेलवे बजट के साथ Demands
for Grants में इन परियोजनाओं को
संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। स्वीकृति के बाद इन्हें Pink Book में
प्रकाशित किया जाता है।
5. Pink Book
Pink Book = Railway
Works Programme की आधिकारिक
वार्षिक पुस्तक।
Pink Book रेलवे
के कार्य कार्यक्रम (Railway Works Programme) की आधिकारिक
वार्षिक पुस्तक है। इसे रेलवे बजट से सीधे जोड़ा जाता है और इसमें उन सभी
परियोजनाओं का विवरण दर्ज होता है जिन पर रेलवे आगामी वर्ष में कार्य करना चाहता
है। इस पुस्तक में परियोजना का नाम और उसका स्थान स्पष्ट रूप से दिया जाता है,
जिससे यह पता चलता है कि किस क्षेत्र में कौन-सा विकास कार्य
प्रस्तावित है। प्रत्येक परियोजना की अनुमानित लागत (Estimated Cost) भी इसमें दर्ज रहती है, ताकि संसाधनों की आवश्यकता
और वित्तीय भार का सही आकलन किया जा सके।
इसके अतिरिक्त, वर्तमान वर्ष का बजटीय प्रावधान (Budget Provision)
तथा अब तक का संचयी व्यय (Cumulative Expenditure)
भी इसमें दर्शाया जाता है, जिससे यह जानकारी
मिलती है कि अब तक कितनी राशि खर्च हो चुकी है और आगे कितनी धनराशि की आवश्यकता
होगी। परियोजनाओं के कार्य के स्वरूप (Scope of Work) का भी उल्लेख किया जाता है, जिसमें नई रेल लाइन का
निर्माण, मौजूदा लाइनों का दोहरीकरण, रेलवे
मार्गों का विद्युतीकरण, यात्री सुविधाओं का विस्तार और अन्य
विकास कार्य सम्मिलित होते हैं।
इस प्रकार, Pink Book संसद तथा आम जनता को रेलवे की निवेश योजनाओं की पारदर्शी
और आधिकारिक जानकारी प्रदान करती है। इसे रेलवे क्षेत्र में योजनाओं की प्रगति
और निवेश की दिशा समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है।
कार्य
कार्यक्रम की श्रेणियाँ (Categories of Works Programme):
भारतीय रेल के कार्य कार्यक्रम को कई प्रमुख
श्रेणियों में बाँटा गया है। इनमें सबसे पहले नई लाइन परियोजनाएँ (New Line
Projects) आती हैं, जिनके अंतर्गत नई रेल लाइनों का निर्माण
किया जाता है ताकि दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ा जा सके और यातायात क्षमता बढ़ाई जा
सके। इसके बाद दोहरीकरण परियोजनाएँ (Doubling Projects) आती हैं, जिनका उद्देश्य बढ़ते ट्रैफिक दबाव को संभालने के लिए मौजूदा एकल लाइनों को
दोहरी लाइनों में बदलना है। इसी प्रकार गेज परिवर्तन (Gauge Conversion) भी एक महत्वपूर्ण श्रेणी है, जिसके अंतर्गत छोटी या मीटर गेज को ब्रॉड
गेज में बदला जाता है ताकि नेटवर्क की एकरूपता और परिचालन क्षमता में वृद्धि हो
सके।
इसके अतिरिक्त, विद्युतीकरण (Electrification) परियोजनाएँ ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और डीजल पर
निर्भरता कम करने के लिए चलाई जाती हैं। रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock
Procurement) में कोच, लोकोमोटिव तथा वैगन की खरीद और उपलब्धता
सुनिश्चित की जाती है। कार्यशालाओं एवं शेड्स (Workshops &
Sheds Expansion/Modernisation) के
विस्तार और आधुनिकीकरण से रखरखाव की गुणवत्ता में सुधार होता है। यात्री सेवाओं की
दृष्टि से यात्री सुविधाएँ (Passenger Amenities) जैसे स्टेशन विकास, एस्केलेटर और लिफ्ट का प्रावधान किया जाता है। अंत
में, सुरक्षा कार्य (Safety
Works) के अंतर्गत रोड ओवर ब्रिज (ROBs),
रोड अंडर ब्रिज (RUBs) तथा ट्रैक नवीनीकरण शामिल हैं, जो रेल संचालन को सुरक्षित और विश्वसनीय
बनाते हैं।
वित्तीय
नियंत्रण (Financial Control):
रेलवे के प्रत्येक कार्य कार्यक्रम पर कड़ा वित्तीय
नियंत्रण रखा जाता है। यह नियंत्रण संसद द्वारा अनुमोदित Demand for Grants
(Capital Section) के अंतर्गत लागू
होता है। रेलवे कार्य बजट का एक अलग डिमांड नंबर होता है, जिसे Demand No. 16 – Assets Acquisition,
Construction & Replacement के
नाम से जाना जाता है। वित्त संहिता (Finance Code) के प्रावधानों के अनुसार यह बजट तैयार और संचालित
किया जाता है। साथ ही, इन
परियोजनाओं पर पुनर्विनियोग नियम (Re-appropriation Rules) भी लागू होते हैं, जिससे आवश्यकतानुसार निधियों का समायोजन किया जा
सकता है।
समीक्षा
तंत्र (Review Mechanism):
कार्यक्रमों की प्रगति और वित्तीय स्थिति का समय-समय
पर आकलन करने के लिए रेलवे में एक सुदृढ़ समीक्षा तंत्र अपनाया गया है। इसमें अगस्त समीक्षा (August
Review) के दौरान वर्ष के मध्य तक हुए
खर्च और बचत का आकलन किया जाता है। इसके बाद नवंबर समीक्षा (Revised Estimates) की जाती है, जिसमें पूरे वर्ष के लिए अंतिम आवंटन का समायोजन
किया जाता है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले फरवरी समीक्षा (February Review) आयोजित की जाती है ताकि वर्षांत समन्वय
सुनिश्चित किया जा सके। अंततः, एक विस्तृत प्रदर्शन रिपोर्ट (Performance Report) तैयार कर संसद और रेलवे बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की
जाती है, जिससे कार्य
कार्यक्रमों की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित होता है।
व्यावहारिक
उदाहरण (Practical Example)
मान लीजिए कि पूर्वी रेलवे (Eastern Railway)
ने तीन प्रमुख प्रस्ताव प्रस्तुत किए
– पहला, नई लाइन का निर्माण
भागलपुर से किऊल के बीच; दूसरा,
आसनसोल से झरिया के बीच रेल लाइन का
दोहरीकरण (Doubling); और तीसरा,
हावड़ा टर्मिनल का स्टेशन विकास (Station
Development)। इन प्रस्तावों को रेलवे
बोर्ड द्वारा स्क्रीनिंग (Screening) की प्रक्रिया से गुजारा जाता है और इसके बाद संसद से स्वीकृति प्राप्त होती
है। स्वीकृति मिलते ही इन परियोजनाओं को आधिकारिक रूप से "Pink
Book" में प्रकाशित किया जाता
है। प्रकाशन के बाद मंडल (Division) और ज़ोनल मुख्यालय (Zonal HQ) पूरे वर्ष व्यय नियंत्रण (Expenditure Control) करते हैं तथा नियमित अंतराल पर प्रगति रिपोर्ट (Progress
Reports) प्रस्तुत करते हैं, जिससे परियोजनाओं की निगरानी और समयबद्ध
प्रगति सुनिश्चित होती है।
लेखा-परीक्षा
और संसदीय निगरानी (Audit &
Parliamentary Oversight)
रेलवे निवेश पर पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन बनाए
रखने के लिए लेखा-परीक्षा तथा संसदीय निगरानी अत्यंत आवश्यक है। नियंत्रक एवं
महालेखा परीक्षक (Comptroller & Auditor General – C&AG)
Appropriation Accounts के माध्यम से
कार्य व्यय की विस्तृत जाँच करता है। इसके अतिरिक्त, लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee –
PAC) समय-समय पर रेलवे बोर्ड से
स्पष्टीकरण मांगती है। साथ ही रेलवे कन्वेंशन समिति (Railway Convention
Committee – RCC) रेलवे निवेश पर
वार्षिक समीक्षा करती है और यह देखती है कि संसाधनों का उपयोग नियमानुसार एवं
प्रभावी ढंग से किया जा रहा है या नहीं।
निष्कर्ष (Conclusion)
समग्र रूप से देखा जाए तो कार्य कार्यक्रम (Works Programme) भारतीय रेल के निवेश नियोजन का मूलभूत साधन (Basic Planning Tool) है। यह सुनिश्चित करता है कि निवेश केवल वास्तविक आवश्यकता, प्राथमिकता तथा व्यवहारिकता (Viability) के आधार पर ही हो। इस प्रक्रिया से संसद तथा जनता को रेलवे परियोजनाओं की पारदर्शी जानकारी उपलब्ध होती है। साथ ही, वित्तीय नियंत्रण और लेखा-परीक्षा तंत्र (Finance & Audit Controls) इन निवेशों को अनुशासित, नियंत्रित और प्रभावी बनाए रखते हैं।
