Annexure – VI
भारतीय रेल में वित्तीय डिजिटलीकरण सुधार (Digital
Reforms in Railway Finance)
भारतीय
रेल का वित्तीय प्रशासन लंबे समय तक पारंपरिक कागज़ी लेखा (Manual
Accounts) और फाइलिंग प्रणाली (Filing System) पर आधारित था। लेकिन 21वीं सदी में आईटी
क्रांति (IT Revolution) और पारदर्शिता (Transparency)
की बढ़ती माँग ने रेलवे को डिजिटल वित्तीय उपकरण (Digital
Finance Tools) अपनाने के लिए प्रेरित किया। इन सुधारों ने न
केवल रेलवे वित्त को अधिक पारदर्शी (Transparent) बनाया
बल्कि दक्षता (Efficiency) और समयबद्धता (Timeliness)
भी सुनिश्चित की।
समेकित वेतन
और लेखा प्रणाली (Integrated Payroll and Accounting System – IPAS)
भारतीय रेल ने अपने विशाल कार्यबल के वेतन, भत्ते, पेंशन तथा लेखा प्रबंधन को सरल, पारदर्शी और डिजिटल बनाने के लिए समेकित वेतन और लेखा प्रणाली (IPAS) विकसित की है। यह प्रणाली एक आधुनिक Accounts + Payroll Automation System है, जो कर्मचारियों से जुड़े वित्तीय कार्यों को एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध कराती है।
IPAS के अंतर्गत कर्मचारी वेतन बिल (Salary Bills), भविष्य निधि (General Provident Fund – GPF), पेंशन
तथा अन्य वित्तीय देयताओं का ऑनलाइन प्रबंधन किया जाता है। साथ ही, यह प्रणाली रेलवे के बजट और व्यय नियंत्रण की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की
सुविधा भी प्रदान करती है। इसकी सहायता से पेरोल तैयार करने की प्रक्रिया न केवल त्रुटि-मुक्त
(Error-free Payroll) हो गई है, बल्कि
वेतन सीधे कर्मचारियों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष बैंक क्रेडिट (Direct
Bank Credit) के रूप में भेजा जाने लगा है।
IPAS का महत्व अत्यधिक है क्योंकि इसके माध्यम से लाखों रेलवे
कर्मचारियों के वेतन भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। इस प्रणाली ने
मैनुअल त्रुटियों और भ्रष्टाचार की संभावना को काफी हद तक कम कर दिया है। साथ ही,
लेखा प्रणाली से जुड़े ऑडिट तथा PAC (Public Accounts
Committee) जांच के लिए आवश्यक रिपोर्ट भी तुरंत उपलब्ध हो जाती
हैं। इस प्रकार, यह प्रणाली भारतीय रेल के प्रशासनिक और
वित्तीय प्रबंधन को अधिक प्रभावी और भरोसेमंद बनाती है।
ई-प्रोक्योरमेंट
प्रणाली (Indian Railways e-Procurement System – IREPS)
भारतीय रेल में सामान और सेवाओं की खरीद-फरोख्त (Procurement)
को अधिक पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और जवाबदेह बनाने के लिए ई-प्रोक्योरमेंट
प्रणाली (IREPS) विकसित की गई
है। यह एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जिसका मुख्य उद्देश्य है – “Transparency,
Competition & Accountability” यानी
पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और
उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।
इस प्रणाली के अंतर्गत रेलवे द्वारा ई-टेंडरिंग (e-Tendering),
ई-नीलामी (e-Auction) और ई-बिडिंग (e-Bidding) जैसी प्रक्रियाएँ पूरी तरह ऑनलाइन की जाती
हैं। साथ ही, विक्रेताओं और
आपूर्तिकर्ताओं (Vendors & Suppliers) को ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा दी गई है। रेलवे अनुबंधों (Railway
Contracts) से जुड़ी सभी आवश्यक
जानकारी भी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाती है, जिससे खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है।
ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली का महत्व कई दृष्टियों से
है। सबसे पहले, इसमें मानव
हस्तक्षेप (Human Intervention) बहुत कम हो जाता है, जिसके
कारण भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके अलावा, ऑनलाइन प्रतिस्पर्धा (Market Competition) बढ़ने से सामान और सेवाओं की लागत में कमी
आती है। साथ ही, रेलवे
अनुबंधों की मॉनिटरिंग और ट्रैकिंग आसान हो जाती है, जिससे कार्य निष्पादन की गति और गुणवत्ता दोनों में
सुधार होता है।
अतः, IREPS भारतीय रेल की खरीद प्रणाली को न केवल आधुनिक बनाता है, बल्कि इसे अधिक कुशल, पारदर्शी और भरोसेमंद भी बनाता है।
लोक वित्तीय
प्रबंधन प्रणाली (Public Financial Management System – PFMS)
लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) वित्त मंत्रालय (Ministry of
Finance) का एक केंद्रीकृत ऑनलाइन
भुगतान और लेखा प्लेटफ़ॉर्म है। इसका उद्देश्य सरकारी वित्तीय संसाधनों का कुशल
प्रबंधन, पारदर्शिता और
उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है। भारतीय रेल के संदर्भ में यह प्रणाली विशेष महत्व
रखती है, क्योंकि PFMS रेलवे वित्त को सीधे भारत सरकार के
Consolidated Fund से जोड़ती है।
इस प्रणाली के अंतर्गत रेलवे व्यय का ऑनलाइन अनुमोदन
(Online Authorization) किया
जाता है, जिससे कार्यप्रणाली
तेज़ और सटीक हो जाती है। सभी प्रकार के भुगतान प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct
Benefit Transfer – DBT) के माध्यम से
लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचते हैं, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाती है।
अनुदान (Grants-in-Aid) और
सब्सिडी (Subsidy) का वितरण भी
इसी प्रणाली से होता है, जिससे
संपूर्ण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
PFMS का महत्व रेलवे वित्तीय अनुशासन और नियंत्रण की
दृष्टि से बहुत अधिक है। यह कोषागार (Treasury) और रेलवे वित्त के बीच रीयल-टाइम समन्वय स्थापित
करता है। इस कारण भुगतान में अनावश्यक देरी समाप्त हो जाती है और वित्तीय लीकेज की
संभावना नहीं रहती। साथ ही, संसद
और वित्त मंत्रालय रेलवे वित्तीय गतिविधियों को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं, जिससे नीति-निर्माण और निगरानी अधिक प्रभावी
ढंग से हो पाती है।
ई-दृष्टि
डैशबोर्ड (e-Drishti Dashboard)
ई-दृष्टि रेलवे बोर्ड द्वारा विकसित एक मॉनिटरिंग डैशबोर्ड है, जिसका मुख्य उद्देश्य रेलवे की विभिन्न
गतिविधियों और परियोजनाओं की रीयल-टाइम (Real-time) निगरानी करना है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से रेलवे बोर्ड को
न केवल परियोजनाओं की प्रगति बल्कि व्यय (Expenditure) और ट्रेन संचालन की अद्यतन जानकारी भी उपलब्ध होती
है। यह एक प्रकार का निर्णय समर्थन प्रणाली (Decision Support System – DSS) है, जो शीर्ष स्तर के प्रबंधन को त्वरित और सटीक निर्णय लेने में सहायता प्रदान
करता है।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ तीन श्रेणियों में आती हैं। पहला, यह दैनिक वित्तीय रिपोर्ट
उपलब्ध कराता है, जिसमें रेलवे की आय (Revenue), व्यय (Expenditure) और कुल अर्जन (Earnings) का विवरण सम्मिलित होता है। दूसरा, यह परियोजना प्रगति चार्ट (Project
Progress Charts) के रूप में विकास
कार्यों की वास्तविक स्थिति प्रदर्शित करता है। तीसरा, बोर्ड के उच्च अधिकारियों के लिए यह एक
Decision Support System (DSS) के रूप
में कार्य करता है, जिससे
निर्णय-प्रक्रिया अधिक प्रभावी और सटीक हो जाती है।
महत्व की दृष्टि से ई-दृष्टि का विशेष स्थान है। इसके
माध्यम से रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय (MoR) को शीर्ष स्तर पर रीयल-टाइम नियंत्रण प्राप्त होता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता
है कि बजट
उपयोग (Budget Utilization) की
समय पर निगरानी हो सके, जिससे
वित्तीय संसाधनों का अधिकतम और सही उपयोग किया जा सके। इस प्रकार ई-दृष्टि
डैशबोर्ड न केवल पारदर्शिता (Transparency) और दक्षता (Efficiency) को बढ़ाता है, बल्कि रेलवे के संचालन और प्रबंधन को अधिक उत्तरदायी (Accountable) और परिणामोन्मुख (Result-oriented) भी बनाता है।
6. डिजिटल वित्तीय सुधारों का समग्र प्रभाव (Overall Impact of
Digital Finance Reforms)
भारतीय रेल में डिजिटल वित्तीय सुधारों ने परंपरागत
कागज़ी प्रणाली को पूरी तरह बदल दिया है और इसे एक Real-time, Transparent तथा Accountable System में परिवर्तित कर दिया है। इन सुधारों का
प्रभाव कई स्तरों पर दिखाई देता है।
सबसे पहले, पारदर्शिता (Transparency) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अब सभी वित्तीय लेन-देन ऑनलाइन होते हैं,
जिन्हें आसानी से ट्रैक किया जा सकता
है। इससे भ्रष्टाचार और त्रुटियों की संभावना में काफी कमी आई है।
दूसरे, दक्षता (Efficiency) में
बड़ा सुधार हुआ है। पहले जो कार्य मैनुअल प्रोसेसिंग के कारण समय लेने वाले और
त्रुटिपूर्ण हो सकते थे, वे अब
स्वचालित होने से तेज़ और सटीक हो गए हैं। इससे प्रशासनिक बोझ कम हुआ है और समय की
बचत हुई है।
तीसरे, लेखा-परीक्षणीयता (Auditability) के क्षेत्र में भी सुविधा बढ़ी है। अब C&AG, PAC तथा आंतरिक ऑडिट के लिए आवश्यक रिपोर्ट और डेटा
तुरंत उपलब्ध हो जाता है, जिससे
वित्तीय उत्तरदायित्व और नियंत्रण मजबूत हुआ है।
चौथे, ये सुधार कर्मचारी-केंद्रित (Employee Centric Reforms) भी साबित हुए हैं। वेतन, पेंशन और भविष्य निधि जैसी सेवाओं का प्रबंधन पहले
जटिल और समय लेने वाला था, लेकिन
अब इसे सरल और त्वरित बना दिया गया है। इससे कर्मचारियों का भरोसा और संतोष दोनों
बढ़े हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्षतः, भारतीय रेल में हुए डिजिटल सुधार (Digital Reforms) वित्तीय प्रबंधन की दिशा में एक क्रांतिकारी
पहल हैं। IPAS (Integrated Payroll and Accounting System), IREPS (Indian
Railways E-Procurement System), PFMS (Public Financial Management System) और e-Drishti जैसे डिजिटल उपकरणों ने रेलवे के वित्तीय प्रशासन को
आधुनिक, पारदर्शी और अधिक
सक्षम बनाया है। इन सुधारों ने न केवल समयबद्धता और दक्षता सुनिश्चित की है,
बल्कि पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को
भी नए स्तर पर पहुँचाया है। यही कारण है कि भारतीय रेल आज के डिजिटल युग में एक
सशक्त और आधुनिक संगठन के रूप में उभर रही है।
