भारतीय रेल
में हरित पहल और वित्तीय दृष्टिकोण (Green Initiatives in Indian Railways
Finance)
भारतीय
रेल केवल दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क ही नहीं है, बल्कि
इसे “Green Transporter of the Nation” भी कहा जाता है।
हाल के वर्षों में रेलवे ने वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) को पर्यावरणीय लक्ष्यों (Environmental Goals) से जोड़ते हुए ग्रीन बजटिंग (Green Budgeting) की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन पहलों ने रेलवे को सतत
विकास (Sustainable Development) के मार्ग पर अग्रसर किया
है।
सौर ऊर्जा
पहल (Solar Energy Initiatives)
भारतीय रेल ने अपने ऊर्जा व्यय (Energy
Expenditure) को कम करने और स्वच्छ
ऊर्जा (Clean Energy) के उपयोग
को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाएँ (Solar Energy
Projects) शुरू की हैं। यह पहल न केवल
लागत में बचत करती है, बल्कि
पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास (Sustainable Development) की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।
इस योजना के तहत कई रेलवे स्टेशन, कोच और कार्यालयों में सौर पैनल (Solar Panels) लगाए गए हैं। वडोदरा, सौराष्ट्र और दिल्ली मंडल के कई स्टेशन आज पूर्ण या आंशिक रूप से सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं, जो भारतीय रेल की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अतिरिक्त, Solar Rooftop Policy के अंतर्गत भारतीय रेल ने नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए Power Purchase Agreements (PPAs) भी किए हैं। इन समझौतों के माध्यम से रेल को निरंतर और किफायती सौर ऊर्जा उपलब्ध हो रही है।
महत्व
सौर ऊर्जा परियोजनाओं से भारतीय रेल
को अनेक लाभ प्राप्त हो रहे हैं। सबसे पहले, बिजली व्यय में उल्लेखनीय कमी (Cost Economy)
होती है, जिससे वित्तीय बचत सुनिश्चित होती है। दूसरा,
इससे कार्बन उत्सर्जन (Carbon
Emission) में कमी आती है, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक
है। अंततः, इन पहलों से
दीर्घकालिक स्थिरता (Long-term Sustainability) को सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए ऊर्जा संसाधन
सुरक्षित रहेंगे।
इस प्रकार, भारतीय रेल की सौर ऊर्जा पहल न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और हरित ऊर्जा (Green
Energy) को प्रोत्साहित करने में भी
एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
कोचों में
जैव-शौचालय (Bio-Toilets in Coaches)
भारतीय रेल ने 2010 के बाद अपने यात्री कोचों में जैव-शौचालय (Bio-Toilets)
लगाने की योजना को लागू किया। यह कदम
रेलयात्रियों की सुविधा बढ़ाने और स्वच्छता व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में
एक बड़ा सुधार माना जाता है। इस तकनीक को भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
और भारतीय रेल ने संयुक्त रूप से
विकसित किया।
जैव-शौचालय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें
मानव मल का निपटान जीवाणु-आधारित अपघटन (Bacteria-based Decomposition) प्रक्रिया से होता है। इसके कारण शौचालय से निकला
हुआ मल सीधे पटरियों पर नहीं गिरता, जिससे रेलवे ट्रैकों पर गंदगी और संक्षारण (Corrosion) की समस्या से बचाव होता है। इस तकनीक से न केवल
पर्यावरण प्रदूषण कम होता है बल्कि रेलवे ट्रैकों के रख-रखाव (Track
Maintenance) पर आने वाला खर्च भी
घटता है।
इन शौचालयों का महत्व कई स्तरों पर देखा जा सकता है।
पहला, यह पहल सीधे तौर पर स्वच्छ भारत अभियान (Swachh
Bharat Mission) के लक्ष्यों की
पूर्ति में योगदान देती है। दूसरा, यह पटरियों की सफाई और मरम्मत पर खर्च होने वाली राशि को कम करके रेलवे को
आर्थिक लाभ पहुँचाती है। तीसरा, यात्री सुविधा और स्वच्छता (Passenger Convenience and Hygiene) में उल्लेखनीय सुधार होता है, जिससे यात्रा का अनुभव और भी सुखद और
सुरक्षित बनता है।
इस प्रकार, जैव-शौचालय भारतीय रेल की एक दूरदर्शी पहल है, जो पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, यात्री सुविधा और आर्थिक प्रबंधन—सभी क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव डालती
है।
विद्युतीकरण
और ऊर्जा दक्षता (Electrification & Energy Efficiency)
भारतीय रेल ने वर्ष 2030 तक “Net Zero Carbon Emission” का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो सतत विकास (Sustainable
Development) और पर्यावरण संरक्षण की
दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रेलवे ने व्यापक
स्तर पर विद्युतीकरण (Electrification) को प्राथमिकता दी है। इसके अंतर्गत संपूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क (Broad
Gauge Network) का 100% विद्युतीकरण करने की योजना है।
विद्युतीकरण से न केवल ट्रेनों के संचालन में गति और
दक्षता बढ़ेगी, बल्कि रेलवे का
ईंधन बिल (Fuel Bill) भी काफी
हद तक कम होगा। इससे महंगे आयातित डीज़ल (Imported Diesel) पर निर्भरता घटेगी, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) और विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign
Exchange Reserves) के संरक्षण में
सहायक सिद्ध होगा।
साथ ही, रेलवे अपने ऊर्जा उपभोग को अधिक पर्यावरण-हितैषी (Eco-friendly) बनाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable
Energy) स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा (Solar
Power) और पवन ऊर्जा (Wind
Energy) के साथ बेहतर एकीकरण (Integration)
की दिशा में भी कार्य कर रहा है। इससे
न केवल प्रदूषण में कमी आएगी बल्कि रेलवे की दीर्घकालिक ऊर्जा दक्षता (Energy
Efficiency) भी सुनिश्चित होगी।
इस प्रकार, भारतीय रेल का विद्युतीकरण और ऊर्जा दक्षता की दिशा में उठाया गया यह कदम,
भविष्य में इसे एक हरित (Green)
और सतत (Sustainable) परिवहन प्रणाली के रूप में स्थापित करेगा।
जल और
अपशिष्ट प्रबंधन (Water & Waste Management)
भारतीय रेल अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को ध्यान
में रखते हुए जल और अपशिष्ट प्रबंधन (Water & Waste Management) पर विशेष ध्यान दे रही है। इस दिशा में कई
ठोस पहलें की गई हैं। प्रमुख स्टेशनों तथा यात्री कोचों में जल पुनर्चक्रण संयंत्र
(Water Recycling Plants) स्थापित
किए गए हैं, जिनके माध्यम से
प्रयुक्त जल को पुनः शुद्ध करके दोबारा उपयोग में लाया जाता है। इससे जल की बचत
होती है और जल संसाधनों पर दबाव कम पड़ता है। इसके अतिरिक्त, वर्षा जल संचयन (Rainwater
Harvesting) योजनाओं को भी व्यापक रूप
से अपनाया गया है, ताकि वर्षा
के जल को संग्रहित करके भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा सके और पीने योग्य जल का
संरक्षण सुनिश्चित हो।
अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में भी भारतीय रेल
सक्रिय है। स्टेशनों और कार्यशालाओं में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन इकाइयाँ (Solid
Waste Management Units) स्थापित की
गई हैं, जहाँ ठोस कचरे का
पृथक्करण (Segregation), पुनर्चक्रण
(Recycling) और वैज्ञानिक
निस्तारण (Scientific Disposal) किया जाता है। इन उपायों से न केवल पर्यावरण प्रदूषण में कमी आती है, बल्कि स्वच्छता बनाए रखने और सतत विकास (Sustainable
Development) के लक्ष्य को भी
प्रोत्साहन मिलता है।
हरित बजटिंग
– वित्तीय दृष्टिकोण (Green Budgeting – Financial Perspective)
भारतीय रेलवे अब अपने बजट (Railway Budget) में हरित परियोजनाओं (Green
Projects) के लिए विशेष प्रावधान कर
रहा है। इसके अंतर्गत सौर ऊर्जा (Solar Energy), पवन ऊर्जा (Wind Energy), जैव-शौचालय (Bio-toilets) तथा रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण (Electrification)
जैसी योजनाओं पर पूंजीगत आवंटन (Capital
Allocation) किया जा रहा है। इसके
अतिरिक्त, विश्व बैंक (World
Bank) और एशियाई विकास बैंक (ADB)
जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों (Multilateral
Agencies) से हरित वित्तपोषण (Green
Financing) प्राप्त किया जा रहा है।
यह प्रयास न केवल रेलवे की आर्थिक संरचना को मज़बूत करते हैं, बल्कि पारदर्शिता (Transparency) और दीर्घकालिक टिकाऊ निवेश (Sustainable
Investment) को भी सुनिश्चित करते
हैं।
समग्र प्रभाव
(Overall Impact)
भारतीय रेलवे की इन हरित पहलों का व्यापक प्रभाव
देखा गया है। सबसे पहले, संचालन
बचत (Operational Savings) में
उल्लेखनीय वृद्धि हुई है क्योंकि ईंधन और ऊर्जा पर होने वाला व्यय लगातार कम हो
रहा है। दूसरे, रेलवे ने
पर्यावरणीय जिम्मेदारी (Environmental Responsibility) निभाते हुए स्वयं को एक हरित परिवहनकर्ता (Green
Transporter) के रूप में स्थापित किया
है। तीसरे, स्वच्छ स्टेशन और
कोच जैसी सुविधाओं से यात्रियों की संतुष्टि (Passenger Satisfaction) में भी वृद्धि हुई है। चौथे, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेलवे को मान्यता (International
Recognition) मिली है क्योंकि यह
जलवायु परिवर्तन शमन (Climate Change Mitigation) में सक्रिय योगदान दे रहा है।
निष्कर्ष (Conclusion)
निष्कर्षतः, भारतीय रेलवे की ग्रीन पहल (Green Initiatives) ने इसे केवल एक साधारण परिवहन संगठन (Transport
Organisation) तक सीमित नहीं रखा,
बल्कि सतत विकास का अग्रणी (Leader
in Sustainable Development) बना दिया
है। वित्तीय प्रबंधन में हरित दृष्टिकोण (Green Perspective) अपनाने से न केवल परिचालन लागत (Operational
Cost) में बचत होती है बल्कि
पर्यावरणीय उत्तरदायित्व (Environmental Accountability) भी निभाया जाता है। इस प्रकार, भारतीय रेलवे का यह मॉडल आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सभी स्तरों पर
महत्वपूर्ण और अनुकरणीय साबित हो रहा है।
