Annexure – V
भारतीय रेल में विशेष बजटीय प्रथाएँ (Special
Budgetary Practices in Indian Railways)
भारतीय
रेल का बजट परंपरागत रूप से Demands for Grants पर आधारित
होता है। लेकिन जैसे-जैसे रेलवे का आकार बढ़ा और आधुनिक चुनौतियाँ सामने आईं,
वैसे-वैसे नवीन बजटीय पद्धतियाँ (Innovative Budgetary
Practices) अपनाई गईं। इनका उद्देश्य केवल आय और व्यय का
लेखा-जोखा रखना नहीं है, बल्कि प्रदर्शन (Performance),
परिणाम (Outcomes) और नीतिगत
प्रभावशीलता (Policy Effectiveness) सुनिश्चित करना भी
है।
प्रदर्शन
आधारित बजट (Performance Budgeting)
प्रदर्शन आधारित बजट (Performance Budgeting)
का अर्थ है केवल खर्च (Input) को दिखाना ही नहीं, बल्कि उस खर्च से प्राप्त उपलब्धियों (Output)
को भी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना।
रेलवे के संदर्भ में पहले केवल यह बताया जाता था कि किसी विशेष Demand पर कितना व्यय हुआ, लेकिन Performance Budget में यह भी दर्शाया जाता है कि उस खर्च से वास्तव में
कौन-सी उपलब्धियाँ प्राप्त हुईं।
उदाहरण के लिए, यदि Demand No. 10 (Fuel) पर ₹10,000 करोड़ खर्च किए गए, तो केवल राशि बताना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि यह भी बताना होगा कि इस खर्च से कितने GTKMs (Gross Tonne Kilometers) या PKMs (Passenger Kilometers) संचालित हुए। इस प्रणाली का महत्व यह है कि यह व्यय और परिणाम के बीच प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करती है। इसके माध्यम से संसद और PAC रेलवे प्रशासन से अधिक सटीक जवाबदेही की मांग कर सकते हैं। साथ ही, रेलवे बोर्ड भी भविष्य की योजनाओं को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी ढंग से तैयार कर सकता है। अंततः, Performance Budget रेलवे को “खर्च-आधारित” संस्था से “परिणाम-आधारित” संस्था में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
3. शून्य-आधारित
बजट (Zero-Based Budgeting – ZBB)
शून्य-आधारित बजट (Zero-Based Budgeting – ZBB) का अर्थ है कि प्रत्येक वर्ष सभी
व्ययों को शून्य आधार (Zero Base) से जाँचा जाए। इसमें कोई
भी खर्च स्वतः स्वीकृत नहीं होता, बल्कि हर बार उसके औचित्य
को सिद्ध करना आवश्यक होता है। रेलवे संदर्भ में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है,
क्योंकि पहले से चल रही योजनाओं को “Given” मानकर
स्वीकृत करने के बजाय प्रत्येक वर्ष यह प्रश्न उठाया जाता है कि क्या यह योजना अभी
भी आवश्यक है, क्या कम खर्च में वही परिणाम प्राप्त किए जा
सकते हैं अथवा क्या योजना को समाप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी छोटे
स्टेशन पर स्टाफ कैंटीन पर लगातार सब्सिडी दी जा रही है, तो ZBB
के अंतर्गत यह विचार किया जाएगा कि क्या यह सब्सिडी आवश्यक है या
क्या इसे स्वावलंबी (Self-Sustainable) बनाया जा सकता है।
इस प्रणाली का महत्व यह है कि यह अपव्यय और अनावश्यक
व्यय को रोकने में सहायक होती है, योजनाओं और परियोजनाओं की सतत समीक्षा सुनिश्चित करती है तथा बजट को अधिक
यथार्थवादी और जनहितकारी बनाती है। इस प्रकार निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि
शून्य-आधारित बजट (ZBB) रेलवे वित्त में मितव्ययिता (Economy)
और दक्षता (Efficiency) लाने का एक प्रभावी
साधन है।
4. परिणाम-आधारित
बजट (Outcome Budgeting)
Outcome Budgeting का मुख्य उद्देश्य यह देखना होता है कि किसी
व्यय से अंतिम परिणाम (Outcome) क्या प्राप्त हुआ। यह Performance Budget से एक कदम आगे की अवधारणा है। रेलवे संदर्भ में Performance
Budget केवल यह बताएगा कि कितनी नई
लाइनें बिछाई गईं, जबकि Outcome
Budget यह पूछेगा कि उन नई लाइनों से
यात्रियों की सुविधा अथवा माल ढुलाई क्षमता में कितना सुधार हुआ।
उदाहरण के तौर पर यदि ₹500 करोड़ खर्च कर किसी स्टेशन का आधुनिकीकरण किया गया,
तो Outcome Budget यह दर्शाएगा कि कितने यात्रियों की सुविधा
बढ़ी, कितना समय बचा और यात्री
संतोष (Passenger Satisfaction) कितना बढ़ा। इसका महत्व इस बात में निहित है कि यह केवल व्यय और उपलब्धियों की
बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देता है, Railway Budget को जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बनाता है और नीति
निर्माण में पारदर्शिता एवं दक्षता सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि Outcome
Budget रेलवे को “संख्या आधारित” से
“प्रभाव आधारित” संस्था बनाता है।
5. एकीकृत
बजट (Integrated Budget)
एकीकृत बजट (Integrated Budget) का अर्थ है राजस्व (Revenue) और पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को एक साथ
प्रस्तुत करना। रेलवे के संदर्भ में यह व्यवस्था वर्ष 2017 से
प्रारम्भ हुई, जब रेलवे बजट को सामान्य बजट (General
Budget) में मिला दिया गया। इसके अंतर्गत रेलवे अब केवल राजस्व लेखा
(Revenue Account) ही प्रस्तुत नहीं करता, बल्कि पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और
सामान्य बजट का भी समेकन करता है। इस व्यवस्था से रेलवे का वित्तीय परिदृश्य अधिक
स्पष्ट और व्यापक हो गया है। राजस्व और पूंजीगत व्ययों में संतुलन स्थापित करना
संभव हो पाया है, साथ ही रेलवे परियोजनाओं के लिए वित्त
मंत्रालय (Finance Ministry) से सीधा समन्वय भी किया जा सकता
है। निष्कर्षतः, Integrated Budget ने रेलवे के वित्तीय
प्रबंधन को अधिक यथार्थवादी और संतुलित स्वरूप प्रदान किया है।
6. अन्य
नवोन्मेषी पद्धतियाँ (Other Innovative Practices)
भारतीय रेल ने पारंपरिक बजटीय
प्रथाओं के साथ-साथ समय की माँग और सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार कुछ विशेष
नवोन्मेषी अवधारणाएँ भी अपनाई हैं। इनमें सबसे पहले Gender Budgeting
का उल्लेख किया जा सकता है। इसके अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा और
सुविधा को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। रेलवे ने इसके लिए लेडीज़ कोच की व्यवस्था,
स्टेशन परिसरों में महिला यात्रियों हेतु सुरक्षित शौचालय,
तथा समुचित सुरक्षा प्रबंधन पर होने वाले व्यय का अलग से लेखा
रखना प्रारंभ किया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाओं से संबंधित योजनाओं
पर किए गए व्यय की स्पष्ट निगरानी की जा सके।
दूसरी महत्वपूर्ण पहल Green Budgeting है, जिसका उद्देश्य
पर्यावरणीय संतुलन और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत रेलवे ने स्वच्छ
ऊर्जा को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जैसे—स्टेशनों
एवं कोचों पर सौर ऊर्जा (Solar Panels) का उपयोग, पर्यावरण हितैषी जैव-शौचालय (Bio-Toilets) की
स्थापना, तथा डीज़ल इंजनों की जगह विद्युतीकरण (Electrification)
को प्राथमिकता देना। इन उपायों से कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है
और भारतीय रेल “हरित परिवहन” (Green Transport) की दिशा में
आगे बढ़ती है।
तीसरी नवोन्मेषी अवधारणा PPP-based Budgeting है। इसमें
सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public Private Partnership) को
बढ़ावा देते हुए बजट में ऐसे प्रावधान किए जाते हैं जिनके माध्यम से निजी क्षेत्र
भी रेलवे की परियोजनाओं में पूँजी निवेश कर सके। इससे न केवल अधोसंरचना (Infrastructure)
का विस्तार होता है बल्कि संसाधनों का कुशल उपयोग भी सुनिश्चित होता
है।
इन सभी पहलुओं से स्पष्ट है कि भारतीय रेल केवल
पारंपरिक वित्तीय ढाँचे तक सीमित नहीं है, बल्कि समय-समय पर नई पद्धतियों को अपनाकर सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक लक्ष्यों को भी साध रही है।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
भारतीय रेल में अपनाई गई विशेष बजटीय प्रथाएँ जैसे Performance Budgeting, Zero-Based Budgeting,
Outcome Budgeting और Integrated Budgeting वित्तीय
प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाती हैं। इनसे यह सुनिश्चित होता है कि प्रत्येक व्यय
का परिणाम स्पष्ट और मापने योग्य हो, जिससे अपव्यय की
संभावना समाप्त की जा सके। इसके साथ ही जनता को बेहतर सेवाएँ उपलब्ध कराई जा सकती
हैं और रेलवे वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए आधुनिक सुधारों के साथ तालमेल स्थापित
कर सकता है।
