Annexure – XI
Government e-Marketplace (GeM) Procurement in Indian Railways
भारतीय रेल का वार्षिक खरीद बजट (Procurement Budget) कई लाख करोड़ रुपये तक पहुँचता है। इतनी विशाल मात्रा में सामान और सेवाओं की खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी (Transparent), प्रतिस्पर्धी (Competitive) और तेज़ (Efficient) बनाने के लिए भारत सरकार ने Government e-Marketplace (GeM) पोर्टल की स्थापना की। इसे 2016 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce & Industry) के अंतर्गत Department of Commerce द्वारा शुरू किया गया। वर्ष 2017 से भारतीय रेल ने GeM का उपयोग प्रारम्भ किया और आज यह रेलवे की खरीद प्रणाली (Procurement System) का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। रेलवे बोर्ड ने क्रमिक रूप से इसके प्रयोग को अनिवार्य बनाया है और परिपत्रों (Circulars) के माध्यम से विभिन्न श्रेणियों और सीमा मूल्यों के लिए GeM का उपयोग निर्धारित किया है।
GeM के उद्देश्य
GeM के मुख्य उद्देश्य हैं—खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करना, लागत में बचत करना, ऑनलाइन प्रक्रिया से गति प्रदान करना तथा प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराना। इस प्रकार GeM न केवल किफ़ायत (Economy) सुनिश्चित करता है बल्कि भविष्य में ऑडिट (Auditability) और जवाबदेही को भी मज़बूत बनाता है।
GeM पर उपलब्ध खरीद पद्धतियाँ
रेलवे GeM पर तीन प्रमुख पद्धतियों से खरीद करता है—Direct Purchase, L1 Purchase, तथा Bidding/Reverse Auction। 25,000 रुपये तक के मूल्य की वस्तुएँ सीधे खरीदी जा सकती हैं, 25,000 से 5 लाख रुपये तक की खरीद L1 आधार पर की जाती है, जबकि 5 लाख रुपये से अधिक के मामलों में खुली ऑनलाइन बोली या रिवर्स ऑक्शन (Reverse Auction) अनिवार्य है। इस व्यवस्था से दर खोज (Rate Discovery) और प्रतिस्पर्धा के माध्यम से सर्वाधिक उपयुक्त विक्रेता का चयन होता है।
रेलवे में GeM Procurement की विशेषताएँ
रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित थ्रेशहोल्ड (Threshold) के अनुसार अधिकांश वस्तुएँ और सेवाएँ GeM पर ही खरीदी जानी चाहिए। यदि कोई वस्तु GeM पर उपलब्ध है तो सामान्यतः ऑफ़लाइन खरीद की अनुमति नहीं होती। GeM में रेलवे के लिए सुरक्षा सामग्री (Safety Items), ट्रैक सामग्रियाँ, विद्युत उपकरण, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) उपकरण आदि की विशेष श्रेणियाँ उपलब्ध हैं। यह प्रणाली भारतीय रेल की अन्य डिजिटल व्यवस्थाओं—जैसे IREPS (Indian Railways E-Procurement System) और PFMS (Public Financial Management System)—से भी एकीकृत (Integrated) है। MSMEs और Startups को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे रेलवे की आपूर्ति शृंखला (Supply Chain) में विविधता और भागीदारी बढ़ी है।
अपवाद (Exceptions)
यद्यपि अधिकांश खरीद GeM के माध्यम से अनिवार्य है, परन्तु रेलवे बोर्ड ने कुछ अपवाद निर्धारित किए हैं। इनमें सुरक्षा और स्वामित्वाधिकार (Proprietary) वाली वस्तुएँ, आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement) तथा अंतरराष्ट्रीय निविदाएँ (Global Procurement) शामिल हैं। इन मामलों में GeM से बाहर जाकर खरीद की अनुमति दी जाती है।
GeM प्रक्रिया (Railway Context)
रेलवे में GeM के अंतर्गत खरीद की प्रक्रिया सामान्यतः इस प्रकार होती है—उपयोगकर्ता विभाग (User Department) GeM पर अपना Indent अपलोड करता है, उसके बाद सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) स्वीकृति प्रदान करता है। इसके बाद खरीद मूल्य के अनुसार Direct, L1 या Bidding Mode अपनाया जाता है। पंजीकृत विक्रेता (Registered Vendors) ऑनलाइन बोली प्रस्तुत करते हैं और GeM पोर्टल स्वचालित रूप से तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement) तैयार करता है। अनुमोदन के बाद Purchase Order जारी किया जाता है, सामग्री आपूर्ति होती है और भुगतान ऑनलाइन PFMS से किया जाता है।
व्यावहारिक उदाहरण
उदाहरण के रूप में, यदि किसी ज़ोनल रेलवे को 1000 लैपटॉप खरीदने हों, तो COS कार्यालय द्वारा GeM पर ई-बिडिंग (e-Bidding) प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मान लीजिए, 20 विक्रेताओं ने भाग लिया और रिवर्स ऑक्शन के दौरान दर 60,000 रुपये से घटकर 48,000 रुपये प्रति लैपटॉप हो गई। इस प्रकार रेलवे को करोड़ों रुपये की बचत हुई और पूरी खरीद प्रक्रिया मात्र तीन सप्ताह में पूर्ण हो गई।
लाभ और चुनौतियाँ
GeM से रेलवे को अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं—खरीद प्रक्रिया पारदर्शी हुई, प्रतिस्पर्धा से लागत में उल्लेखनीय कमी आई, MSMEs एवं Startups को अवसर मिला और विलंब (Delay) में कमी आई। साथ ही, ऑडिट और निगरानी भी सरल हुई। यद्यपि कुछ चुनौतियाँ भी हैं—जैसे सभी रेलवे-विशिष्ट वस्तुएँ GeM पर उपलब्ध नहीं हैं, कुछ विक्रेता डिजिटल साक्षरता (Digital Literacy) के अभाव में भाग नहीं ले पाते और भुगतान में विलंब से असंतोष उत्पन्न होता है।
हाल के विकास और निगरानी
हाल के वर्षों में GeM का रेलवे ERP एवं IPAS के साथ पूर्ण एकीकरण किया गया है। मोबाइल ऐप के माध्यम से त्वरित प्रोसेसिंग संभव हुई है तथा दरों की न्यायसंगतता जाँचने के लिए AI-आधारित प्रणाली विकसित की गई है। साथ ही, हरित खरीद (Green Procurement) की श्रेणियाँ—जैसे सौर पैनल और ऊर्जा-कुशल उपकरण—भी जोड़ी गई हैं। इस पूरी प्रणाली की निगरानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (C&AG), रेलवे सतर्कता संगठन (Vigilance) तथा संसद की लोक लेखा समिति (PAC) द्वारा की जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
GeM Procurement भारतीय रेल के लिए डिजिटल परिवर्तन (Digital Transformation) का एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसने खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाया है, जिससे रेलवे की लागत बचत, पारदर्शिता और जवाबदेही में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। साथ ही, MSMEs और Startups को रेलवे की आपूर्ति शृंखला में सम्मिलित कर इसे और अधिक समावेशी (Inclusive) बनाया गया है। इस प्रकार GeM ने रेलवे की पारंपरिक खरीद प्रणाली को 21वीं सदी के डिजिटल और पारदर्शी मॉडल में रूपांतरित कर दिया है।
