Annexure – IV
भारतीय रेल में पुनर्विनियोजन के नियम (Rules of
Re-appropriation in Indian Railways)
भारतीय रेल का बजट अत्यंत विशाल
और गतिशील है। संसद द्वारा पारित Demands for Grants के बाद भी वित्तीय वर्ष में परिस्थितियाँ बदल सकती
हैं। कभी-कभी किसी Demand पर अपेक्षा से कम व्यय होता है, जबकि अन्य स्थानों
पर अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता उत्पन्न हो जाती है। ऐसी वित्तीय परिस्थितियों से
निपटने के लिए भारतीय रेल में Re-appropriation की व्यवस्था की गई है।
Re-appropriation का अर्थ है किसी एक Demand या Grant के अंतर्गत किसी विशेष Head of Account से अन्य Head of Account में स्वीकृत धनराशि का स्थानांतरण करना। यह प्रक्रिया केवल उन्हीं सीमाओं और शर्तों के तहत संभव है, जो Indian Railway Finance Code और Indian Railway Accounts Code में स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट हैं। इसका उद्देश्य रेलवे वित्त को लचीला और प्रभावी बनाए रखना है।
उद्देश्य (Objectives
of Re-appropriation)
Re-appropriation का प्रमुख उद्देश्य रेलवे के
वित्तीय प्रबंधन में लचीलापन (Flexibility), अनुशासन (Discipline), और प्रभावशीलता (Effectiveness) सुनिश्चित करना है।
लचीलापन (Flexibility): यह वित्तीय
प्रशासन को यह अनुमति देता है कि आवश्यकताओं में बदलाव होने पर धनराशि को
पुनर्विन्योजित किया जा सके। इससे रेलवे परियोजनाओं और कार्यों में समय पर संसाधन
उपलब्ध कराना संभव होता है।
अनुशासन (Discipline): यह सुनिश्चित करता
है कि व्यय अनुमोदित सीमा से अधिक न हो और संसाधनों का दुरुपयोग न हो। इससे
वित्तीय नियंत्रण सुदृढ़ रहता है।
प्रभावशीलता (Effectiveness): यह सुनिश्चित करता
है कि बची हुई राशि निष्क्रिय न रहे, बल्कि उपयोगी और आवश्यक कार्यों में लगाया जाए। इस
प्रकार,
Re-appropriation रेलवे प्रशासन को वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने और व्यय की दक्षता में सुधार
करने में मदद करता है।
मूल सिद्धांत
(Basic Principles)
रेलवे में Re-appropriation निम्नलिखित मूल
नियमों के अधीन होती है:
- Demand से Demand में Transfer वर्जित: किसी Demand (जैसे Demand No. 4 – Repairs) से किसी अन्य
Demand (जैसे Demand No. 10 – Fuel) में राशि का
स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। यह सीमा संसद द्वारा निर्धारित की गई है।
- Revenue से Capital
या Capital से Revenue Transfer निषिद्ध: Revenue Expenditure को Capital Expenditure से कवर नहीं किया जा सकता, और Capital Expenditure को Revenue Expenditure से भी कवर नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार, Charged और Voted Expenditure भी आपस में
ट्रांसफर नहीं हो सकते।
- Savings का लोप (Lapse
of Savings): यदि किसी Demand में राशि बच
जाती है और उसका उपयोग नहीं होता, तो वह
वर्षांत में Lapse हो जाती है।
इसे अगले वर्ष में Carry Forward नहीं किया जा सकता।
- Unauthorized Expenditure वर्जित: Re-appropriation का प्रयोग
किसी नए प्रकार के व्यय प्रारंभ करने के लिए नहीं किया जा सकता। यह केवल
स्वीकृत Heads के भीतर ही
अनुमत है।
Re-appropriation के अधिकार (Powers of Re-appropriation)
Railway
Board: Railway Board बड़ी राशियों और महत्वपूर्ण Heads में Re-appropriation का अधिकार रखते
हैं। वे Appropriation
Reviews (अगस्त, नवम्बर और फरवरी) में प्रमुख निर्णय लेते हैं।
General
Manager (GM): GM को Zonal Railway स्तर पर सीमित अधिकार प्राप्त हैं। वे छोटी राशि का
स्थानांतरण कर सकते हैं, जैसे Workshop Repairs से Operating Expenses में।
Divisional
Railway Manager (DRM): DRM के पास अत्यंत सीमित अधिकार होते हैं, मुख्यतः Revenue Expenditure के भीतर।
यह Powers समय-समय पर Delegation of
Financial Powers Rules (DFPR) और Railway Board Circulars के माध्यम से अपडेट की जाती हैं।
प्रक्रिया (Process
of Re-appropriation)
पहला चरण – Savings & Excess
की पहचान (Identification): हर Demand के विभिन्न Heads की समीक्षा की
जाती है, ताकि बची हुई राशि
और अतिरिक्त आवश्यकताओं की पहचान हो सके।
दूसरा चरण – Proposal for
Transfer: Accounts Officer संबंधित प्रस्ताव
तैयार करके GM या Board को भेजता है।
तीसरा चरण – Approval: GM या Board अपनी Powers के अनुसार प्रस्ताव को स्वीकृत करते हैं।
चौथा चरण – Documentation: Re-appropriation Orders लिखित रूप में जारी किए जाते हैं
और Accounts
Department इन्हें Appropriation Register में दर्ज करता है।
अनियमित
पुनर्विनियोजन (Irregular Re-appropriations)
कुछ विशेष परिस्थितियों
में पुनर्विनियोजन को अनियमित (Irregular) माना जाता है। इनमें मुख्यतः
शामिल हैं:
पहला, यदि
किसी Revenue Demand की राशि को सीधे Capital Demand में स्थानांतरित किया जाए, तो यह अनियमित माना
जाएगा।
दूसरा, यदि Charged Expenditure को किसी Voted Demand से कवर किया जाए, तो यह भी नियमों के विपरीत है।
तीसरा, यदि Parliament
द्वारा स्वीकृत व्यय सीमा (Limit) से अधिक
राशि खर्च की जाए, तो यह भी अनियमित पुनर्विनियोजन में शामिल
है।
ऐसी किसी भी अनियमित
परिस्थिति में C&AG (Comptroller & Auditor General) ऑडिट प्रक्रिया
के दौरान आपत्ति दर्ज करता है। इसके अलावा, PAC (Public Accounts
Committee) इसे संसद में उठाकर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करता
है।
व्यावहारिक उदाहरण (Practical
Illustration)
मान लीजिए कि Demand
No. 9 (Traffic) में ₹20 करोड़ की बचत है और Demand No. 10 (Fuel) में ₹25 करोड़ की अतिरिक्त
आवश्यकता है। चूंकि Demand
से Demand में Transfer वर्जित है, इसलिए Demand 9 की बचत Demand 10 को कवर नहीं कर
सकती। हालाँकि, Demand No. 10 के भीतर यदि “Diesel”
Head में ₹5 करोड़ की बचत है
और “Electric
Traction” Head में ₹5 करोड़ की कमी है, तो यह Re-appropriation अनुमत है और इसे
स्वीकृत किया जा सकता है।
Appropriation
Reviews और Re-appropriation
भारतीय रेलवे में Re-appropriation की प्रक्रिया की
प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए वर्ष में चार प्रमुख समीक्षा चरण आयोजित किए
जाते हैं। August Review में वर्ष की पहली समीक्षा होती है, जिसमें मुख्य रूप
से छोटी-मोटी Re-appropriations की जाती हैं और बची हुई राशि का
उपयोग उसी Demand
के भीतर आवश्यक Heads में किया जाता है।
November
Review जिसे Revised
Estimates भी कहा जाता है, में व्यापक Re-appropriations और Supplementary
Demands की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यह चरण वर्ष के मध्य में वित्तीय जरूरतों और
बचत की व्यापक समीक्षा करता है।
February
Review में अंतिम Re-appropriation
Orders जारी किए जाते हैं, जिससे वर्ष के अंतिम खर्च और परिवर्तनों को स्वीकृत
किया जा सके।
Year
End पर सभी Re-appropriations और परिवर्तनों का
मिलान Appropriation Accounts में किया जाता है, ताकि वित्तीय नियंत्रण और
रिकॉर्डिंग पूरी तरह से सटीक बनी रहे।
निष्कर्ष (Conclusion)
Re-appropriation भारतीय रेलवे के वित्त को लचीला
(Flexible), नियंत्रित (Disciplined) और प्रभावी (Effective) बनाती है। यह प्रक्रिया वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए
बची हुई राशि का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करती है। इस प्रकार, रेलवे प्रशासन को
समय पर आवश्यकताओं के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने और व्यय की दक्षता बनाए रखने में
मदद मिलती है
